विदेशी विनिमय बाजार

उच्च ब्याज दरें
विदेशी मुद्रा दरों को समझना
जब एक निर्यातक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शुरू करने की योजना बनाता है, तो यह समझना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा विनिमय दरों में अंतर कैसे आता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा विनिमय दर (विदेशी मुद्रा दर) दुनिया भर में होने वाली विभिन्न घटनाओं से प्रभावित है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा विनिमय दरें प्रकृति में बेहद अप्रत्याशित हैं और तेजी से बदलती रहती हैं।
विनिमय दर जिस पर विदेशी विनिमय बाजार दो देशों के बीच एक मुद्रा का विनिमय दूसरे देश में किया जा सकता है, विदेशी विनिमय दर के रूप में जाना जाता है। विदेशी विनिमय दर को एफएक्स दर या विदेशी मुद्रा दर के रूप में भी जाना जाता है। उदाहरण के लिए अमेरिका और भारत के बीच मुद्रा की विनिमय दर 1 USD = 62.3849 INR है। बाद में हम विदेशी विनिमय दरों से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं।
स्पॉट एक्सचेंज रेट
जिस दर पर विदेशी मुद्रा उपलब्ध है उसे स्पॉट एक्सचेंज रेट कहा जाता है। विदेशी मुद्रा का स्पॉट रेट वर्तमान लेनदेन के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन यह पता लगाना भी आवश्यक है कि स्पॉट रेट क्या है।
विदेशी मुद्रा की खरीद या बिक्री के लिए एक आगे के अनुबंध में प्रबल होने वाली विनिमय दर को फॉरवर्ड रेट कहा जाता है। यह दर अभी तय की गई है लेकिन विदेशी मुद्रा का वास्तविक लेन-देन भविष्य में होता है।
विनिमय दरों के उद्धरण की विधि
मुद्रा बाजार में नए विदेशी विनिमय बाजार लोगों के लिए मुख्य भ्रम मुद्राओं के उद्धरण के लिए मानक है। इस खंड में, हम मुद्रा उद्धरणों पर जाएँगे और वे मुद्रा जोड़ी ट्रेडों में कैसे काम करेंगे। विनिमय दर उद्धृत करने की दो विधियाँ हैं:
1. प्रत्यक्ष मुद्रा उद्धरण
2. अप्रत्यक्ष मुद्रा भाव
प्रत्यक्ष मुद्रा उद्धरण: इस पद्धति में, घरेलू मुद्रा की परिवर्तनीय मात्रा के खिलाफ विदेशी मुद्रा की निश्चित इकाइयां उद्धृत की जाती हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में, कनाडाई डॉलर के लिए विदेशी विनिमय बाजार एक सीधा उद्धरण $ 0.85 = C $ 1 होगा। अब एक बैंक केवल प्रत्यक्ष आधार पर दरों को उद्धृत कर रहा है।
अप्रत्यक्ष मुद्रा उद्धरण: इस पद्धति में, विदेशी मुद्रा की परिवर्तनीय इकाइयों के खिलाफ घरेलू मुद्रा की निश्चित इकाइयों को उद्धृत किया जाता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में कनाडाई डॉलर के लिए एक अप्रत्यक्ष उद्धरण यूएस $ 1 = सी $ 1.17 होगा।
एक मुद्रा या तो चल या तय हो सकती है
यदि अमेरिकी मुद्रा को उसके एक घटक के रूप में मुद्रा के बिना दिया जाता है, तो इसे क्रॉस मुद्रा कहा जाता है। सबसे आम क्रॉस करेंसी जोड़े EUR हैं
वित्तीय बाजारों में ट्रेडिंग, जब आप एक मुद्रा जोड़ी का व्यापार कर रहे हैं तो एक बोली मूल्य (खरीदें) और एक पूछ मूल्य (बेचना) है। ये आधार मुद्रा के संबंध में हैं। बोली मूल्य आधार मुद्रा के संबंध में उद्धृत मुद्रा के लिए बाजार कितना भुगतान करेगा। पूछें मूल्य उद्धृत मुद्रा की राशि को संदर्भित करता है जिसे आधार विदेशी विनिमय बाजार मुद्रा की एक इकाई खरीदने के लिए भुगतान करना पड़ता है। उदाहरण के लिए: USD
Indian Trade: शुरुआती कारोबार में 15 पैसे टूटा रुपया, 80.93 रूपये हुई एक डॉलर की कीमत
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को शुरुआती कारोबार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। घरेलू शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
रुपया 15 पैसे टूटकर 80.93 प्रति डॉलर पर
मुंबई: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को शुरुआती कारोबार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। घरेलू शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मजबूती के साथ 80.53 पर खुला। लेकिन बाद में इसने शुरुआती लाभ गंवा दिया और यह 15 पैसे के नुकसान के साथ 80.93 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था। (भाषा)
डॉलर के मुकाबले रुपये में आया सुधार, जानें क्या है इसके पीछे वजह
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Nov विदेशी विनिमय बाजार 14, 2022 | 7:17 PM
अमेरिकी मुद्रा में सुधार और घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती विदेशी विनिमय बाजार के रुख को देखते हुए अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 48 पैसे के सुधार के साथ 81.26 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ है. बाजार सूत्रों ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भी कारोबारियों की धारणा प्रभावित हुई है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 80.53 पर मजबूत रुख लिए खुला. कारोबार के दौरान रुपये का शुरुआती लाभ गायब हो गया और आखिर में यह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 48 पैसे की तेजी के साथ 81.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले रुपये में 48 पैसों की गिरावट को दिखाता है.
क्या कहते हैं जानकार?
शुक्रवार को रुपया 62 पैसे सुधरकर 80.78 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा विदेशी विनिमय बाजार के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि अमेरिकी डॉलर में सुधार और घरेलू बाजारों में कमजोरी के रुख की वजह से भारतीय रुपये में गिरावट आई है. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, बेहतर माइक्रो इकोनॉमिक डेटा की वजह से रुपया तेजी के साथ खुला विदेशी विनिमय बाजार था.
इस बीच दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दिखाने वाला डॉलर सूचकांक 0.59 फीसदी मजबूत होकर 106.91 पर आ गया है.
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.63 फीसदी घटकर 95.93 डॉलर प्रति बैरल रह गया है. वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 170.89 अंक की गिरावट के साथ 61,624.15 अंक पर बंद हुआ है. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे. उन्होंने शुक्रवार को 3,958.23 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
रुपये का आम लोगों की जिंदगी पर क्या होता है असर?
आपको बता दें कि रुपये में तेजी और गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप में यह देखा भी जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. इस वजह से कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगेगा, क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाएगा और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहेगा.
वहीं, आम आदमी को फायदा उस स्थिति में मिलता है, जब ग्लोबल बाजारों में कमॉडिटी के भाव गिरेंगे और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है. आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत तभी मिलती है, जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतें गिरें और रुपया मजबूत हो.
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 अक्टूबर 2022,
- (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)
इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने विदेशी विनिमय बाजार वाले नुकसान को कम करना है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.
एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.
इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.
रुपये का आम लोगों की जिंदगी पर क्या होता है असर?
आपको बता दें कि रुपये में तेजी और गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप में यह देखा भी जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. इस वजह से कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगेगा, क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाएगा और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहेगा.
वहीं, आम आदमी को फायदा उस स्थिति में मिलता है, जब ग्लोबल बाजारों में कमॉडिटी के भाव गिरेंगे और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है. आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत तभी मिलती है, जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतें गिरें और रुपया मजबूत हो.