बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में

Share Market: सेंसेक्स ने आज फिर बनाया नया रिकॉर्ड, एक दिन में 1.32 लाख करोड़ बढ़ गई निवेशकों की संपत्ति
भारतीय शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में बाजार में सोमवार को लगातार 5वें दिन तेजी जारी रही और सेंसेक्स-निफ्टी अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर जाकर बंद हुए
भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में सोमवार 28 नवंबर को लगातार 5वें कारोबारी दिन तेजी जारी रही। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया और 211.16 अंक चढ़कर अपने अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की तरफ से निवेश जारी रहने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से बाजार की तेजी को सपोर्ट मिला। मेटल छोड़कर लगभग सभी सेक्टर्स में अच्छी खरीदारी देखने को मिली। मिडकैप, स्मॉलकैप शेयरों में भी खरीदारी रही। इसके साथ ही शेयर बाजार में निवेशकों की संपत्ति में आज करीब 1.32 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।
62,504 अंक पर बंद हुआ Sensex
तीस शेयरों पर आधारित BSE Sensex आज 211.16 अंक यानी 0.34 प्रतिशत चढ़कर 62,504.80 अंक पर बंद हुआ। यह इसका नया रिकॉर्ड हाई है। कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 407.76 अंक तक चढ़ गया था। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी (Nifty) भी 50 अंक यानी 0.27 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,562.75 अंक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर बंद हुआ।
BSE में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप इतने पर पहुंचा
BSE क्या है – शेयर मार्केट में बीएसई पर लोग ज्यादा भरोसा क्यों करते है पूरी जानकारी
शेयर मार्केट में विश्वास का दूसरा नाम निवेशकों के लिए BSE है और BSE को NSE से ज्यादा पसंद किया जाता है लेकिन ऐसा क्यों है चलिए जानते है। BSE क्या है.
BSE के बारे में जानने से पहले हम BSE शब्द के बारे में जानते है.
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BSE Full Form
BSE Full Form is = Bombay Stock Exchange.
BSE Full Form In Hindi
BSE का full form हिंदी में = बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है.
BSE Kya Hai
BSE एक स्टॉक एक्सचेंज है जो कि भारत की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज में से एक है. BSE में भारत की सबसे ज्यादा कंपनियों के शेयर लिस्टेड है.
BSE एक ऐसी स्टॉक एक्सचेंज है जिसपर लगभग भारत की सभी टॉप कंपनी के शेयर लिस्टेड है. BSE भारत की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है और इसी कारण से लोगों का इसपर बहुत भरोसा है.
BSE की स्थापन कब हुई
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज BSE की स्थापन सन 1875 में हुई थी.
BSE का मुख्यालय कहाँ है
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्यालय बॉम्बे यानी मुम्बई में स्थित है.
BSE का Index सूचकांक क्या है
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सूचकांक सेंसेक्स Sensex 30 है.
BSE पर क्या लिस्टेड है
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर भारत की कई बड़ी कंपनियों से ले कर छोटी कंपनी के कई शेयर लिस्टेड है.
Bombay Stock Exchnage in Hindi
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज मुम्बई में स्थित भारत की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है. BSE की स्थापना स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन के द्वारा की गई थी और यह सिर्फ भारत की ही नही बल्कि एशिया की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भारत की कई बड़ी बड़ी कंपनी के Share Listed है इसलिए भारत की अर्थव्यवस्था का अंदाजा सेंसेक्स को देख के लगाया जा सकता है.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत की ही नही बल्कि दुनिया की 13 बी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है. BSE में केवल भारतीय ही नही बल्कि विदेशी लोग भी पैसा निवेश करते है.
BSE में NSE की स्थापना के पहले कागज़ों पर ट्रेडिंग की जाती थी और उसके बाद फिर BSE को भी इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया और अब इस पर भी टर्मिनल के द्वारा निवेश और ट्रेडिंग की जाती है.
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का भारत में इतिहास | History of stock exchange in India
स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है? इसे जानने से पहले आपको स्टॉक एक्सचेंज की भारत में कैसे शुरुआत हुई? (History of stock exchange in India) इसके बारे में जानना चाहिए|
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है| चाहे आप इसे पढ़ाई के संबंध में लें, चाहे आप इसे बिजनेस के संबंध में लें|
यह बहुत ही महत्वपूर्ण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में विषय है| दरअसल भारतीय पूंजी बाजार की घटनायें बड़ी ही रोचक और दिलचस्प हैं|
यदि हम भारत के शेयर मार्केट की बात करें तो भारत के पूँजीकरण में इसका अतुल्य योगदान है|
भारत में स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास (Stock exchange History in India)
इसका विचार 18वीं सदी के अंत में आया था| यह समय वह था जब पहली बार नेगोशिएबल सिक्योरिटी पहली बार जारी की गई थी|
एक बहुत पुराना कंपनी एक्ट था, जिसको कि शायद आज लोग जानते भी नहीं है (Company act 1850)|
यह वही समय था जब पहली बार लिमिटेड लायबिलिटी तथा इन्वेस्टर इंटरेस्ट की बात की गई थी|
सबसे पहले भारत में स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में स्थापित हुआ था| मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की अनौपचारिक शुरुआत 1834 में हुई थी|
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की औपचारिक शुरुआत 1875 में हुई थी|
उस समय पर मुंबई को “Bombay” बोलते थे|
तब इसका नाम था “The native share and stock brokers association”
वर्तमान समय में इसका नाम “Bombay stock exchange (BSE)” है|
यह भारत तथा एशिया का भी सबसे पुराना एक्सचेंज है| यदि दुनिया की बात करें तो यह तीसरा सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है|
इसके बाद भारत के कुछ विकसित शहरों ने अपने यहां पर स्टॉक एक्सचेंज खोलें|
जैसे कि: अहमदाबाद में 1894 में, कोलकाता में 1908 में तथा मद्रास में 1937 में
1947 के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास
स्टॉक मार्केट की बेहतर परफॉर्मेंस के लिए 1956 में “securities contract regulation act 1956” लाया गया|
1980 के दशक में बहुत सारी फर्जी कंपनियों ने भी अपने आप को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवा लिया था|
इनका मुख्य उद्देश्य लोगों से पैसा लूटना था| इन्होंने किया भी ठीक वैसा ही| इसी के कारण लोगों का विश्वास स्टॉक मार्केट से हटने लगा|
स्टॉक मार्केट में लोगों का विश्वास पुनः जगाने के लिए सन 1987 में “investor protection fund” की शुरुआत की गई|
इसकी शुरुआत करने का मुख्य मकसद स्टॉक मार्केट में फंसे हुए लोगों को सुरक्षा देना था|
आर्थिक उदारीकरण के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का भारत में इतिहास
भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत 24 जुलाई 1991 के बाद से हुई|
इसी कड़ी में 1992 में SEBI की शुरुआत की गई|
1996 में एक बहुत महत्वपूर्ण घटना घटी| इस दौर में एक अभूतपूर्व घटना घटी|
अब! भौतिक शेयर प्रमाण पत्र (physical share certificate) जगह पर इलेक्ट्रॉनिक रूप (E-form) में दिया जाने लगा| इसी समय पर depository act की शुरुआत भी की गई|
Depository act की शुरुआत होने के बाद NSDL (National Securities Depositories Ltd) पहली संस्था थी जिसे इस एक्ट के तहत पहला लाइसेंस मिला था|
CDSL (Central Securities Depositories Ltd) दूसरी ऐसी संस्था थी जिसने depository act के तहत रजिस्ट्रेशन करवाकर लाइसेंस हासिल किया था|
साल 2001 में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ने अपना सारा कारोबार e-platform पर शिफ्ट कर दिया था|
इसके बाद ग्राहक अपने घर बैठे ही आसानी के साथ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में शेयर खरीद सकते हैं| इसके पीछे का मुख्य मकसद NSE के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहना था| NSE पहले से ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा था| इस कारण से कभी-कभी वह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से आगे निकल जाता था|
इसी को ध्यान में रखते हुए मुंबई स्टॉक एक्सचेंज मैंने अपने सारे कारोबार को e-platform पर शिफ्ट कर दिया|
सन 2001 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज T+2 डिलीवरी टाइम पर शिफ्ट हो गया| T+2 का अर्थ: “जिस दिन ट्रेड किया गया है वह सारे ट्रेड 2 दिन के अंदर सेटल हो जाना|” इसका मुख्य कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सेटल हो जाना बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में था|
2005 में भी शेयर मार्केट के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटना घटी| इस वर्ष BSE एक निगम इकाई (corporate entity) में बदल गया| इसकी पूरी कार्यप्रणाली एक कॉरपोरेट में बदल गई| इसका मुख्य मकसद अपने काम में पारदर्शिता लाना था|
2008 में Currency derivatives के भाग की शुरुआत की गई|
2014 में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ने एक बहुत ही अभूतपूर्व वित्तीय लक्ष्य को प्राप्त किया|
इस वर्ष में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की सारी कंपनियों को मिलाकर उनका market capitalization 100 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया|
बीएसई की महत्वपूर्ण जानकारी (BSE important facts)
BSE | महत्वपूर्ण तथ्य |
स्थान | Phiroze Jeejeebhoy Towers, Dalal Street, Mumbai- 40000, भारत |
स्थापित | 9 जुलाई 1877 |
लिस्टिंग की संख्या | 5400 से अधिक |
सूचकांक | बीएसई सेंसेक्स, एसएंडपी बीएसई मिडकैप, एसएंडपी बीएसई स्मॉलकैप, एसएंडपी बीएसई लार्जकैप, बीएसई 500 |
Phones | 91-22-22721233/4, 91-22-66545695 (Hunting) |
Fax | 91-22-22721919 |
CIN | L67120MH2005PLC155188 |
[email protected] | |
Website | www.bseindia.com |
उम्मीद करता हूं, आपको यह पोस्ट “भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास” पसंद आई होगी|
इसी तरह की नई पोस्ट में मैं फिर मिलूंगा तब तक के लिए मैं नवीन कुमार आपसे इजाजत चाहता हूं! नमस्कार
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धन्यवाद
Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब
How Sensex and Nifty Calculated: सेंसेक्स और निफ्टी स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं.
सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.
Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.
Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्स यानी सूचकांक हैं. सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्रस है, जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंच (NSE) से जुड़ा हुआ है. ये दोनों इंडेक्स स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं. आमतौर पर जब कोई निफ्टी कहता है तो उसका मतलब निफ्टी 50 होता है.
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Sensex क्या है?
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.
कैसे होता है सेंसेक्स का कैलकुलेशन ?
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में भी कहते हैं.
- अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
- बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.
निफ्टी 50 क्या है ?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.
4. कैसे होता है Nifty का कैलकुलेशन?
- निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
- निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
- निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.
5. इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?
भारतीय शेयर बाजार में होने वाले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.
ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.
अगर ये इंडेक्स न हों तो कारोबारी दिन के किसी भी वक्त में एक नज़र डालकर शेयर बाजार के रुझान का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाए. इसी तरह इन दोनों इंडेक्स के पिछले ऐतिहासिक आंकड़ों को देखकर बड़ी आसानी से यह निष्कर्ष भी निकाल लिया जाता है कि पिछले एक महीने, साल भर, 5 साल या उससे भी ज्यादा वक्त के दौरान भारतीय शेयर बाजार की चाल यानी लिस्टेड कंपनियों के कारोबार की दशा-दिशा कैसे रही है.