सफलता की कहानी

आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं

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चुम्बकत्व एवं चुम्बकीय पदार्थो के गुण

लौह-चुम्बकीय पदार्थों के लिये .

Updated On: 27-06-2022

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a. पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है। b. पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है। c. पारगम्यता बहुत कम तथाचुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है d. पारगम्यता बहुत कम तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है

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Aap ko kya acha nahi laga

प्रश्न दिया लौह चुंबकीय पदार्थ के लिए कौन सा इनमें से उपयुक्त होगा हमें बताना है और यहां पर हमें चार विकल्प दिए हैं तो सबसे पहले हम लोग यह जान रहे थे कि लौह चुंबकीय पदार्थ क्या होते हैं और उनके गुण क्या होते हैं हम लोग यहां पर बात कर रहे हैं लौह चुंबकीय पदार्थ की लिखी जोलो चुंबकीय पदार्थ होते हैं वह दुर्बल या फिर कम चुंबकीय क्षेत्र में भी चुंबक की भांति व्यवहार करने लगते हैं ठीक है और इनसे हम लोग स्थाई चुंबक बनाने के लिए प्रयोग करें तथा प्रबल चुंबकीय क्षेत्र में स्थाई चुंबक बन जाते हैं अगर आप एक चुंबक चिंता या फिर चुंबकीय पारगम्यता जो होती है ठीक है उसको हम लोग चुंबकीय पारगम्यता भी कहते हैं उसकी बात करी जिसको हम लोग आज से प्रदर्शित करते हैं ठीक है या जो मान होता है पहले हम जानते थे कि चुंबकीय जो हम लोग की पारगम्यता होती है यह क्या होता है ठीक है तो किसी पदार्थ की चुंबक चिंता है या फिर पारगम्यता उस पदार्थ के द्वारा चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के चालन की

को प्रदर्शित करता है चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की चारण की शक्ति को प्रदर्शित करता है और हम लोग जानते हैं कि जो लव चुंबकीय पदार्थ होते हैं वह चाहे दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र हो या फिर प्रबल चुंबकीय क्षेत्र हो उनकी तरफ आकर्षित होते हैं ठीक है लेकिन में चुंबन का गुण आ जाता है इसकी वजह से जूम यू आर का मान होता है किसके लिए लौह चुंबकीय पदार्थों के लिए बहुत ही अधिक होता है अर्थात अगर हमारे पास अभी कोई लड़की पदार्थ रखा हुआ है तो इस पर से जो चुंबकीय बल रेखाएं होंगी ठीक है वह अधिक से अधिक हो करके जाती है इसके अंदर से इस तरह से ठीक है अधिक से अधिक बल रेखाएं जाती है उसी को ही न्यू मराठा चुंबकीय पारगम्यता हम लोग बोलते हैं ठीक है किसकी उस पदार्थ की प्रोग्राम रख लो चुंबक के पदार्थों के लिए बात करें तो इस सामान हम लोग को 10 की घात 3 से लेकर के 10 की घात 5 मिलता है यह तो बहुत अधिक मान होता है अर्थात चुंबकीय पारगम्यता जो होती है वह बहुत अधिक होता है किसके लिए लौह चुंबकीय पदार्थ के लिए अब हम लोग लौह चुंबकीय पदार्थ की बात करें तो हम लोग उदाहरण भी देख

ले 19 चुंबकीय पदार्थ कौन कौन से होते हैं तो इन में निकल आता है आयरन आता है जिसको हम लोग ऐसे ही बोलते हैं ठीक है कोबाल्ट आता है सीओ से प्रदर्शित करते हैं एलुमिनियम आता है यह सभी क्या है हमारे लौह चुंबकीय पदार्थ होते हैं जो कि दुर्भाग्य से प्रबल चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय हो जाते हैं ठीक है और इनमें से जाने होकर जाने वाली जो बल रेखाएं होंगी चुंबकीय बल रेखाएं और 10 की घात 3 से लेकर के 10 की घात मार्च के मध्य में हो गया था अधिक होगी ठीक है और अगर हम लोग इनकी चुंबकीय प्रवृत्ति की बात करें जिसको हम लोग एक्स एम से दर्शाते हैं या इनके लिए उच्च तथा धनात्मक होता है कैसा होता है कुछ अधिक होता है तथा धनात्मक मान होता है इसका आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं कैसा होता है धनात्मक मान होता है तो हम लोग इन सब जानकारी के आधार पर अपने विकल्प में आते तो पहला बोल रहा है कि पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुंबकीय प्रवृत्ति धनात्मक में अधिक होती है तो यह तो हमारा पहले ही सही हो गया हमने अभी-अभी देखा ना कि पारगम्यता जो है अधिक प्राप्त हो रही है 1035 तक जा रहा है

और चुंबकीय प्रवृत्ति एक्शन जो है यानी कि कितना जल्दी में चुंबकीय होगा इस को दर्शाता है यह उच्च तथा धनात्मक होती है कि के लिए लौह चुंबकीय पदार्थ के लिए विकल्पों को देख लेते हैं पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुंबकीय प्रवृत्ति रण आत्मक तो यह तो बिल्कुल यही से गलत हो गया सी बोल रहा है कि पारगम्यता बहुत कम यह तो यही सही गलत हो गया काम नहीं होता भाई अधिक होता है और साथ ही साथ बड़े चुंबकीय प्रवृत्ति धार आत्मा को अधिक होती है तेरी तो गलत ही हो गया डिवोर्स पारगम्यता बहुत कम तथा चुंबकीय प्रवृत्ति रण आत्मक होती है यह तो गलत हो गया तो हमारे प्रश्न का उत्तर क्या हो जाएगा पारगम्यता अर्थात वर्तमान अधिक तथा चुंबकीय प्रवृत्ति एक्शन का मान धनात्मक व अधिक हमको प्राप्त होता है धन्यवाद

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ, महत्व/लाभ, हानियां

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ (antarrashtriya vyapar ka arth)

antarrashtriya vyapar arth mahatva labha haniya;एक ही देश के विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों या प्रदेशों के बीच होने वाला व्यापार "घरेलू" "आंतरिक व्यापार" कहलाता भै। इसके विपरीत, दो या अधिक देशो के बीच होने वाला व्यापार "अंतर्राष्ट्रीय व्यापार" या विदेशी व्यापार कहलाता है।

अन्य शब्दों मे," जब वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय दो भिन्न देशो के मध्य जल, थल तथा वायु मार्गों द्वारा होता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते है। जैसे-- अगर भारत, इंग्लैंड के साथ व्यापार करे वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होगा।

फ्रेडरिक लिस्ट के अनुसार," घरेलू व्यापार हम लोगो के बीच होता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हमारे और उनके बीच होता है।"

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व/लाभ

1. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक श्रम विभाजन के कारण कुल विश्व उत्पादन अधिकतम किया जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक देश उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है, जिसमे उसे अधिकतम योग्यता एवं कुशलता प्राप्त होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन की अनुकूलतम दशाएं प्राप्त हो जाती है और उत्पादन अधिकतम होता है।

2. साधनों का पूर्ण उपयोग

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे एक देश मे सिर्फ उन्ही उद्योग-धंधो की स्थापना की जाती है, जिनके लिए जरूरी साधन देश मे उपलब्ध होते है। इससे देश मे उपलब्ध साधनों का पूर्ण उपयोग होने लगता है एवं राष्ट्रीय आय मे वृद्धि होती है।

3. उत्पादन कुशलता मे वृद्धि

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र स्पष्ट से बढ़कर संपूर्ण विश्व हो जाता है। विश्वव्यापी प्रतियोगिता मे सिर्फ वे ही उद्योग जीवित रहते है जिनके उत्पादन की किस्म उच्च तथा कीमत कम होती है। अतः हर देश अपने उद्योग-धंधो को जीवित रखने तथा उनका विस्तार करने हेतु कुशलतम उत्पादन को अपनाता है। इससे देश की उत्पादन तकनीक मे सुधार होता है।

4. संकटकाल मे सहायता

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कोई भी देश आर्थिक संकट का आसानी से सामना कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी देश मे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो वह देश, विदेशों से खाद्यान्न आयात करके अकाल का सामना कर सकता है।

5. रोगजार तथा आय मे वृद्धि

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे वस्तुओं का उत्पादन सिर्फ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ही नहीं होता है वरन् विदेशों मे बेचने हेतु भी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन मे वृद्धि के कारण लोगो की आय बढ़ जाती आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं है। ज्यादा उत्पादन के लिए ज्यादा मजदूरों की जरूरत होती है फलस्वरूप रोजगार स्तर मे भी वृद्धि हो जाती है।

6. एकाधिकारों पर रोक

विदेशी व्यापार के कारण देश मे एकाधिकारी व्यवसाय पनप नही सकते, क्योंकि उन्हे सदैव विदेशी प्रतियोगिता का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार, विदेशी व्यापार के फलस्वरूप एकाधिकार की प्रवृत्ति को ठेस पहुंचती है।

7. उपभोक्ताओं को लाभ

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से उपभोक्ताओं को चार लाभ प्राप्त है। प्रथम, उन्हे उपभोग के लिए आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं अच्छी तथा सस्ती वस्तुएं मिलती है। द्वितीय, चयन का क्षेत्र बढ़ जाने से सार्वभौमिकता मे वृद्धि होती है अर्थात् वे अपनी मनचाही वस्तुओं का उपयोग कर सकते है।

8. मूल्यों मे समता

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण सभी राष्ट्रो मे वस्तुओं के मूल्यों मे समानता होने की प्रवृत्ति पाई जाती है। इसका कारण यह है कि कम मूल्य वाले देश से ज्यादा मूल्य वाले देश मे वस्तुओं का निर्यात होने लगेगा जिससे प्रथम प्रकार के देशो मे मूल्यों मे वृद्धि और द्वितीय प्रकार के देशों मे मूल्यों मे कमी होने लगेगी। अंततः सभी देशों मे मूल्य एक समान हो जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार देश के औद्योगिक विकास मे भी सहायक होता है। उद्योगों के विकास हेतु जो साधन देश मे उपलब्ध नही है, उनका विदेशों से आयात किया जा सकता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल विदेशों से आयात करता है। इसी तरह भारत मे उत्पादन तकनीक का आयात करके औद्योगिक विकास किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां इस प्रकार है--

1. विदेशों पर निर्भरता

विदेशी व्यापार के कारण एक देश की अर्थव्यवस्था दूसरे देश पर कुछ वस्तुओं के लिए निर्भर हो जाती है। परन्तु यह निर्भरता सदैव ही अच्छी नही होती, विशेषकर युद्ध के समय तो इस प्रकार की निर्भरता अत्यन्त हानिकारक सिद्ध हो सकती है।

2. कच्चे माल की समाप्ति

विदेशी व्यापार द्वारा देश के ऐसे बहुत से साधन समाप्त हो जाते है, जिनका प्रतिस्थापन संभव नही होता है। अनेक कोयला, पेट्रोल तथा अन्य खनिज पदार्थ इसी प्रकार समाप्त होते जा रहे है। यदि उन वस्तुओं का उपयोग देश के भीतर ही औद्योगिक वस्तुओं को तैयार करने मे किया जाए तो एक ओर तो इनके उपयोग मे बचत की जा सकती है और इनका अधिक लाभपूर्ण उपयोग हो सकता है।

3. विदेशी प्रतियोगिता से हानि

विदेशी व्यापार के कारण औद्योगिक इकाइयों को विदेशी उद्योगों से प्रतियोगिता करनी पड़ती है, किन्तु विशेष रूप से अल्पविकसित देश इनके सामने टिक नहीं सकते है और उनका ह्रास होने लगता है। 19 वीं सदी मे विदेशी प्रतियोगिता के कारण भारतीय लगु और कुटरी उद्योगों को भारी आघात लगा।

4. अंतर्राष्ट्रीय द्वेष

विदेशी व्यापार ने प्रारंभ मे तो अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और सहयोग को बढ़ाया, किन्तु वर्तमान समय मे यह अंतर्राष्ट्रीय द्वेष और युद्ध का आधार बना हुआ है। इसी ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया और अनेक राष्ट्रो को दास बनाया।

5. देश का एकांगी विकास

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे प्रत्येक देश केवल उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है, जिनमें उसे तुलनात्मक लाभ प्राप्त होता है। इस प्रकार, देश मे सभी उद्योग-धन्धों का विकास न होकर, केवल कुछ ही उद्योग धन्धों का विकास संभव होता है। इस प्रकार के एकांगी विकास से देश के कई साधन बेकार ही पड़े रहते है।

6. राशिपातन का भय

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से कभी-कभी विकसित देशों द्वारा पिछड़ें हुए देशो मे वस्तुओं का राशिपातन किया जाता है, अर्थात् विकसित देश पिछड़े हुए देशो मे अपने माल को बहुत ही कम मूल्यों पर बेचना शुरू करते है। कभी-कभी तो वे अपने माल को उत्पादन लागत से भी कम मूल्यों पर बेचना शुरू कर देते है। स्पष्ट है कि इस प्रकार के राशिपातन से देशी उद्योगों पर बड़ा घातक प्रभाव पड़ता है और शीघ्र ही वे ठप्प हो जाते है। जब एक बार देशी उद्योग-धंधे समाप्त हो जाते है तो विदेशी उद्योगपतियों द्वारा पुनः अपने माल का मूल्य बढ़ा दिया जाता है।

7. हानिकारक वस्तुओं के उपभोग की आदत

विदेशी व्यापार के कारण एक देश मे ऐसी वस्तुओं का आयात किया जा सकता है जो हानिकारक होती है। चीन मे अफीम के आयात के फलस्वरूप वहां के लोग अफीमची हो गए।

8. कृषि प्रधान देशों को हानि

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कृषि प्रधान देशों को औद्योगिक देशों की तुलना मे हानि उठानी पड़ती है। इसका कारण यह है कि कृषि प्रधान देश उन वस्तुओं का निर्यात करता है जिनका उत्पादन घटती हुई लागत के नियम के अंतर्गत होता है।

होटल का आकार कैसा होना चाहिए ?

आवासीय (भवन वास्तु ) और वाणिज्यिक वास्तु के सिद्धांत हमेशा समान नहीं होते हैं। बल्कि, व्यापार वास्तु के अधिकांश सामान्य सिद्धांत आवासीय वास्तु के बिल्कुल विपरीत हैं। सभी प्रकार की गतिविधियाँ - राजसिक , तामसिक और सात्विक घर पर ही की जाती हैं। यदि खाना बनाना राजसिक है और सोना तामसिक है तो पूजा करना सात्विक है। इसके विपरीत, वाणिज्यिक वास्तु शास्त्र वह क्षेत्र है जो मुख्य रूप से प्रकृति की रज ऊर्जा और सत्व के संयोजन का उपयोग करता है। व्यापार में तमस के लिए लगभग कोई जगह नहीं है। तमस सुस्ती, तंद्रा, निष्क्रियता और स्थगित करने की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। आवासीय वास्तु का मुख्य लक्ष्य शांतिमय वातावरण हैं। व्यापार वास्तु की आवश्यकताएं बहुत अलग हैं। वाणिज्यिक भवनों में स्टोर और कॉर्पोरेट कार्यालय भवन शामिल हैं।

होटल एक ऐसी जगह होती है, जहां पर लोगों को भोजन से साथ-साथ आवास (रहने) की व्यवस्था होती है। होटल, ढ़ाबा और रेस्टोरेंट यह सब एक अर्थात सभी में खाना मिलता है परंतु सभी की प्रोसेस अलग है। जैसे बात करे होटल या रेस्टोरेंट की तो यहां पर आर्डर पर भोजन तैयार किया जाता है और यहां पर बनने वाले भोजन होटल के आउट साइड (जिसे ग्राहक देख नही सकता) पर तैयार किया जाता है। परंतु ढ़ाबे पर भोजन ग्राहक के सामने ही तैयार कर उसे ग्राहक को बेचा जाता है। होटल, ढ़ाबा और रेस्टोरेंट ये सभी खाने वाली जगह हैं, जहां पर लोगो अपने परिवार या फिर दोस्तों के साथ बैठकर भोजन का आनंद लेते हैं।

होटल और ढ़ाबे के वास्तु में थोड़ा सा अंतर भी देखने को मिलता है। क्योंकि होटल में ग्राहकों को खाना बनता हुआ दिखता नही है परंतु भोजनालय (ढ़ाबा) में खाना बनता हुआ दिखता है। ढ़ाबे में जो रसाई (किचन) हो जाते है वो फ्रंट (सामने) होते हैं। रेस्टोरेंट में किचन क्लोज यानि ग्राहक की नजर से छिपे रहते हैं। हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में इनकी संख्या भी भिन्न-भिन्न देखने को मिलती है। किसी राज्य में ढ़ाबे अधिक है और कुछ राज्यों में होटल अधिक है। जैसे मेट्रो शहरों में होटलों की संख्या अधिक होती है और वहीं पर ढ़ाबे कम संख्या में होते है और यदि है भी तो वह हाई-वे पर होते है।

वास्तु के अनुसार होटल का आकार कैसा होना चाहिए ?

वास्तु भूखण्ड के आकार के चयन में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यदि आप उपलब्ध प्लॉट पर होटल निर्माण करना चाहते हैं। तो वास्तु नियमों का पालन करते हुए प्लॉट में सुधार करके आप उस पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। वास्तु की दृष्टि से होटल उद्धेश्य के लिए से वर्गाकार और आयताकर भूखण्ड अच्छे होते है। सिंहमुखी भूखण्ड भी होटल के लिए अच्छे माने गये है क्योंकि कि यह आगे से चौड़े और पीछे से सकरे होते हैं।

भारत में संपत्ति दलालों के लिए संचार युक्तियाँ

यदि बिक्री पिच में किसी व्यवसाय सौदे को लाने की क्षमता है, तो रिवर्स भी सच हो सकता है। रियल एस्टेट एजेंटों को लंबे वादे सुनने के लिए खरीदारों के लिए यह काफी सामान्य है। वे एजेंट से यह भी अपेक्षा करते हैं कि वह अपने प्रतिस्पर्धियों से खराब बोल सकता है। यह कुछ हद तक नकारात्मक है, फिर भी, सामान्य प्रवृत्ति, हालांकि, ब्रोकर के व्यवसाय में गंभीर रूप से सेंध लगाने की संभावना है। यही कारण है कि सचेत प्रयास रियल एस्टेट सलाहकारों द्वारा किए जाने चाहिए, जबकि बयान देते समय उनके शब्दों को चुनना और प्रतिक्रियाओं का चयन करना। आइए हम कुछ ओ को देखेंसामान्य संचार त्रुटियों आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं के लिए जो दलाल बनाते हैं और उसी से कैसे बचें।

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लौह-चुम्बकीय पदार्थों के लिये .

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a. पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है। b. पारगम्यता बहुत अधिक तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है। c. पारगम्यता बहुत कम तथाचुम्बकीय प्रवृत्ति धनात्मक व अधिक होती है d. पारगम्यता बहुत कम तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक व कम होती है

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प्रश्न दिया लौह चुंबकीय पदार्थ के लिए कौन सा इनमें से उपयुक्त होगा हमें बताना है और यहां पर हमें चार विकल्प दिए हैं तो सबसे पहले हम लोग यह जान रहे थे कि लौह चुंबकीय पदार्थ क्या होते हैं और उनके गुण क्या होते हैं हम लोग यहां पर बात कर रहे हैं लौह चुंबकीय पदार्थ की लिखी जोलो चुंबकीय पदार्थ होते हैं वह दुर्बल या फिर कम चुंबकीय क्षेत्र में भी चुंबक की भांति व्यवहार करने लगते हैं ठीक है और इनसे हम लोग स्थाई चुंबक बनाने के लिए प्रयोग करें तथा प्रबल चुंबकीय क्षेत्र में स्थाई चुंबक बन जाते हैं अगर आप एक चुंबक चिंता या फिर चुंबकीय पारगम्यता जो होती है ठीक है उसको हम लोग चुंबकीय पारगम्यता भी कहते हैं उसकी बात करी जिसको हम लोग आज से प्रदर्शित करते हैं ठीक है या जो मान होता है पहले हम जानते थे कि चुंबकीय जो हम लोग की पारगम्यता होती है यह क्या होता है ठीक है तो किसी पदार्थ की चुंबक चिंता है या फिर पारगम्यता उस पदार्थ के द्वारा चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के चालन की

को प्रदर्शित करता है चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की चारण की शक्ति को प्रदर्शित करता है और हम लोग जानते हैं कि जो लव चुंबकीय पदार्थ होते हैं वह चाहे दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र हो या फिर प्रबल चुंबकीय क्षेत्र हो उनकी तरफ आकर्षित होते हैं ठीक है लेकिन में चुंबन का गुण आ जाता है इसकी वजह से जूम यू आर का मान होता है किसके लिए लौह चुंबकीय पदार्थों के लिए बहुत ही अधिक होता है अर्थात अगर हमारे पास अभी कोई लड़की पदार्थ रखा हुआ है तो इस पर से जो चुंबकीय बल रेखाएं होंगी ठीक है वह अधिक से अधिक हो करके जाती है इसके अंदर से इस तरह से ठीक है अधिक से अधिक बल रेखाएं जाती है उसी को ही न्यू मराठा चुंबकीय पारगम्यता हम लोग बोलते हैं ठीक है किसकी उस पदार्थ की प्रोग्राम रख लो चुंबक के पदार्थों के लिए बात करें तो इस सामान हम लोग को 10 की घात 3 से लेकर के 10 की घात 5 मिलता है यह तो बहुत अधिक मान होता है अर्थात चुंबकीय पारगम्यता जो होती है वह बहुत अधिक होता है किसके लिए लौह चुंबकीय पदार्थ के लिए अब हम लोग लौह चुंबकीय पदार्थ की बात करें तो हम लोग उदाहरण भी देख

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