विश्व वित्तीय बाजार

G20 Summit: G20 प्रेसिडेंसी के दौरान इन 3 मुद्दों पर काम करेगा भारत, पीएम मोदी ने दिए संकेत
बाली में इस समय जी-20 समिट के लिए देश के दिग्गज नेटा जुटे हैं. जी-20 का मुख्य लक्ष्य वैश्विक अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना है.
PM Modi
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 15 नवंबर 2022,
- (Updated 15 नवंबर 2022, 2:35 PM IST)
विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी
भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी
इंडोनेशिया के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बाली में इस समय विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता जुटे हैं. रूस-युक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये पहला मौका है जब दोनों देशों के नेता एक मंच पर होंगे. इस बीच जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत पर भी सभी देशों की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि बाली शिखर सम्मेलन के बाद इस प्रभावशाली संगठन का नेतृत्व इंडोनेशिया से भारत को दे दिया जाएगा.
जी-20 एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय मंच है जिसमें औद्योगिक, विकासशील देश और यूरोपीय संघ तीनों ही शामिल हैं। इसका मुख्य लक्ष्य वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय ढांचे के सामने आने वाली चुनौतियों जलवायु परिवर्तन आदि का सामना करना है.
भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी
बाली में मंगलवार को जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम और कूटनीति के बारे में बात की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और भारत के ऊर्जा सुरक्षित होने के महत्व द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों के बारे में भी बताया. पीएम मोदी ने कहा कि इन सब ने मिल कर विश्व मे तबाही मचा दी है. Global Supply Chains तहस-नहस हो गई हैं. पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजें, essential goodsकी सप्लाइ का संकट बना हुआ है. हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है. वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे. उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक capacity नहीं है. हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि UN जैसी मल्टीलैटरल संस्थाएं इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं. इस दौरान मोदी ने सम्मेलन में तीन प्रमुख मुद्दे रखे जिनपर हम आगे बात करेंगे.
विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''मैंने विश्व वित्तीय बाजार बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्ष-विराम और डिप्लोमसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा. पिछली शताब्दी में दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मे कहर ढाया था. उसके बाद उस समय के leaders ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयास किया. अब हमारी बारी है. पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है. समय की मांग है कि हम विश्व मे शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं. मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष जब जी-20 बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि मे मिलेगा, तो हम सभी सहमत हो कर, विश्व को एक मजबूत शांति-संदेश देंगे.
कई देशों में की फूड सप्लाई
महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की फूड सिक्युरिटी सुनिश्चित की. साथ ही अनेकों जरूरत मंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की. फूड सिक्युरिटी के संदर्भ मे Fertilizers की वर्तमान किल्लत भी एक बहुत बड़ा संकट है. आज की fertilizer shortage कल की फूड-क्राइसिस है, जिसका समाधान विश्व के पास नहीं होगा. हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की सप्लाइ चैनस को stable और assured रखने के लिए आपसी सहमति बनानी चाहिए. भारत मे,Sustainable फूड सिक्युरिटी के लिए हम natural farming को बढ़ावा दे रहे हैं और मिलेट्स जैसे पौष्टिक और पारंपरिक foodgrains को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं. मिलेट्स से वैश्विक मैल्नूट्रिशन और hunger का भी समाधान हो सकता है. हम सभी को अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष जोर-शोर से मनाना चाहिए.
renewable सोर्स से बिजली पैदा होगी
विश्व की fastest growing अर्थव्यवस्था भारत की एनर्जी-सिक्युरिटी वैश्विक ग्रोथ के लिए भी महत्वपूर्ण है. हमें एनर्जी की सप्लाइज पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. हमें एनर्जी बाजार मे स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए. भारत क्लीन एनर्जी और पर्यावरण के प्रति कमिटेड है. साल 2030 तक हमारी आधी बिजली renewable स्रोतों से पैदा होगी. समावेशी एनर्जी ट्रांजीशन के लिए विकासशील देशों को समय-बद्ध और किफायती फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की स्थायी आपूर्ति अनिवार्य है.
RBI और सरकार की वजह से वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो में गिरावट के असर से कैसे अछूता रहा भारत?
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है. वहीं सरकार ने क्रिप्टो विश्व वित्तीय बाजार लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है.
Crypto News: विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आयी बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका खास असर नहीं हुआ है. इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है. आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है. वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है.
क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है. हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है. भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी.
Crypto Crash: क्रिप्टो एक्सचेंज में इतनी बड़ी गिरावट की क्या है वजह? जानिए
हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं. आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए. उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है.
वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है. सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका. अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते. एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाये गए कदम इस समय उचित हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को 'स्पष्ट खतरा' बताया था.
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Exclusive: इन 3 सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, अगले 5 महीनों में आएगा OFS
सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि इस वित्तीय साल के अंत तक कोल इंडिया, हिंदुस्तान जिंक और RITES (Rail India Technical and Economic Service) का ऑफर फॉर सेल लाया जा सकता है. अभी इसके लिए रेगुलेटर्स से मंजूरी लेना बाकी है.
PSUs Disvestment: सरकार मार्च, 2023 तक तीन बड़ी सरकारी कंपनियों में अपने शेयर बेचेगी. इन कंपनियों का OFS (offer for sale) लाने की तैयारी कर रही है. सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि इस वित्तीय साल के अंत तक कोल इंडिया, हिंदुस्तान जिंक और RITES (Rail India Technical and Economic Service) का ऑफर फॉर सेल लाया जा सकता है. अभी इसके लिए रेगुलेटर्स से मंजूरी लेना बाकी है.
18,000-20,000 करोड़ की पूंजी जुटाने की तैयारी
सरकार ने इस साल सरकारी कंपनियों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, अभी इसमें से कुछ 24,000 करोड़ तक जुटाया जा चुका है, बाकी इन तीन-चार कंपनियों के ऑफर फॉर सेल से 18,000 से लेकर 20,000 रुपये तक जुटाया जा सकता है.
कोल इंडिया के OFS में 3% शेयर बेचेगी, इससे 5,000 करोड़ जुटाया जा सकता है. हिंदुस्तान जिंक में 8% की हिस्सेदारी बेचकर 10,000 करोड़ जुटाने की तैयारी है. वहीं, RITES में 10% हिस्सेदारी के बदले 1,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है
🔸मार्च 2023 से पहले कम से कम 4 PSUs का OFS संभव
🔸कोल इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, RITES का OFS आएगा
🔸4 PSUs के OFS से ₹18000-20000 करोड़ की पूंजी जुटाने की योजना
क्या है मार्केट गुरु अनिल सिंघवी की राय
Zee Business के एक्जीक्यूटिव एडिटर और मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने इस OFS पर कहा कि मार्केट लाइफटाइम हाइक पर है, मार्केट में लिक्विडिटी है तो सरकार अब नहीं बेचेगी तो कब बेचेगी.
"कोल इंडिया का वक्त हो गया है"
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया को लेकर सभी लोग काफी बुलिश हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कोल इंडिया का वक्त हो गया है. बुधवार को ग्लोबली कोल स्टॉक 8-10% टूटे हैं, दूसरी बात सितंबर के मुकाबले जो कोयले के दाम हैं, वो कम से कम 35% गिरे हैं. सितंबर तिमाही के नतीजे अच्छे आए हैं, ज्यादा से ज्यादा एक और तिमाही के नतीजे आ सकते हैं, लेकिन उसके आगे नहीं आएंगे. कोल इंडिया पीक आउट कर चुका है. अगर किसी ने कोल इंडिया खरीदे हैं, तो उसे प्रॉफिट बुकिंग करनी चाहिए.
Medanta Global Health IPO : मेदांता ग्लोबल हेल्थ IPO के लिस्टिंग से पहले GMP से क्या मिल रहे हैं संकेत, जानें- यहां
Medanta Global Health IPO : मेदांता ग्लोबल हेल्थ IPO के लिस्टिंग से पहले GMP से अच्छे संकेत मिल रहे हैं. बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि मेदांता आईपीओ जीएमपी आज 23 रुपये है, जिसका अर्थ है कि ग्रे मार्केट उम्मीद कर रहा है कि सार्वजनिक निर्गम लगभग 359 (₹336 + ₹23) पर सूचीबद्ध होगा, जो ऊपरी कीमत से लगभग 7 प्रतिशत अधिक है.
Updated: November 14, 2022 9:22 AM IST
Medanta Global Health IPO : सब्सक्रिप्शन बंद होने के बाद, सब्सक्रिप्शन लेने वाले निवेशकों को बड़ी बेसब्री से ग्लोबल हेल्थ आईपीओ या मेदांता आईपीओ लिस्टिंग की तारीख का इंतजार है, जिसकी सबसे ज्यादा संभावना 16 नवंबर 2022 को है. बोली लगाने के तीन दिनों में 3 से 7 नवंबर 2022 तक 2,205.57 करोड़ रुपये का पब्लिक इश्यू 9.58 गुना सब्सक्राइब किया गया था.
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इस बीच, ग्रे मार्केट भी लिस्टिंग प्रीमियम के संबंध में संकेत दे रहा है, जो सार्वजनिक निर्गम से उम्मीद की जा सकती है. बाजार पर्यवेक्षकों के अनुसार, भारत में मल्टी-स्पेशियलिटी मेदांता अस्पताल श्रृंखला संचालित करने वाली ग्लोबल हेल्थ लिमिटेड के शेयर आज ग्रे मार्केट में 23 रुपये के प्रीमियम पर उपलब्ध हैं.
ग्लोबल हेल्थ आईपीओ का क्या है जीएमपी?
बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि मेदांता ऑपरेटर ग्लोबल हेल्थ आईपीओ जीएमपी आज 23 रुपये है, जो कल के 20 रुपये के जीएमपी विश्व वित्तीय बाजार से 3 रुपये अधिक है. उन्होंने कहा कि बाजार आज गैप अप खुलने की उम्मीद कर रहा है और शुक्रवार को भी ट्रेंड रिवर्सल था. इसलिए, ये सभी कारक ग्रे मार्केट में ग्लोबल हेल्थ शेयर की कीमत के पक्ष में काम कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस तरह का जीएमपी इसके निर्गम मूल्य 319 से 336 प्रति इक्विटी शेयर से काफी नीचे है. उनका मानना है कि इस तरह का जीएमपी इस बात का संकेत है कि इस सप्ताह बुधवार को ग्लोबल हेल्थ शेयरों की ‘मध्यम’ लिस्टिंग हो सकती है.
मेदांता आईपीओ जीएमपी का मतलब क्या है?
बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि मेदांता आईपीओ जीएमपी आज 23 रुपये है, जिसका अर्थ है कि ग्रे मार्केट उम्मीद कर रहा है कि सार्वजनिक निर्गम लगभग 359 (₹336 + ₹23) पर सूचीबद्ध होगा, जो ऊपरी कीमत से लगभग 7 प्रतिशत अधिक है. ग्रे मार्केट संकेत दे रहा है कि दलाल स्ट्रीट पर बुल ट्रेंड के मामले में, हम ग्लोबल हेल्थ शेयरों की ‘मध्यम’ शुरुआत की उम्मीद कर सकते हैं.
हालांकि, शेयर बाजार पर्यवेक्षकों ने कहा कि यह कंपनी की वित्तीय स्थिति है जो कंपनी के मूल सिद्धांतों की ठोस तस्वीर पेश करती है. उन्होंने बोलीदाताओं को सलाह दी कि वे कंपनी की बैलेंस शीट को स्कैन करें और कंपनी के वित्तीय विवरणों को देखने के बाद अपने दृढ़ विश्वास पर टिके रहें क्योंकि GMP एक सट्टा संख्या है जिसका कंपनी की बैलेंस शीट से कोई संबंध नहीं है.
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नए निवेशकों के लिए बेहतर है 'निफ्टी 50 ईटीएफ', शेयर बाजार में पहली बार निवेश की पूरी जानकारी
बिज़नेस न्यूज डेस्क - यदि आप इक्विटी में नए हैं और शेयरों के साथ सीधे निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो सही स्टॉक निवेश निर्णय लेना आसान नहीं है। इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहीं पर निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आता है। ईटीएफ एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है। यह स्टॉक की तरह एक्सचेंजों पर कारोबार करता है, लेकिन म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा पेश किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की इकाइयां खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए शुरुआती बिंदुओं में से एक है।
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण के हिसाब से सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ निवेशक के लिए शेयरों और क्षेत्रों में बहुत विविधीकरण प्रदान करता है। एक विविध पोर्टफोलियो निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है, जो शेयरों में निवेश के मामले में नहीं है। ईटीएफ में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं। आप चाहें तो इसमें SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करने में सक्षम होंगे और इससे निवेश की लागत का औसत निकल जाएगा। यदि आप एक निवेशक हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की क्षमता में विश्वास करते हैं, तो निफ्टी 50 ईटीएफ निवेश के लिए एक बेहतर विचार है। आपके निवेश पर इसकी सबसे कम लागत या शुल्क है।