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ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट

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अब इथेरियम भी देगा ब्याज, आज मर्ज के बाद फाइनेंशियल एसेट्स की तरह करेगा व्यवहार

इथेरियम 14 सितम्बर मतलब आज अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट करने वाला है.

इथेरियम 14 सितम्बर मतलब आज अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट करने वाला है.

इथेरियम 14 सितम्बर मतलब आज अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट करने वाला है. इस बदलाव को द मर्ज (the Merge) नाम दिया गया है. अपग्रे . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 14, 2022, 13:42 IST

हाइलाइट्स

बदलाव से न केवल एनर्जी की ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट बचत होगी, बल्कि निवेशकों को भी अधिक लाभ होगा.
मर्ज के बाद इथेरियम एक ट्रेडिशनल फाइनेंशियल एसेट की तरह काम करेगा, जो ब्याज देते हैं.
ऐसा होने से हेज़ फंड्स, एसेट मैनेजर्स और बहुत अमीर लोग इसकी तरफ आर्कषित होंगे.

नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक बड़ी घटना होने जा रही है. यह घटना है दूसरी सबसे वैल्यूबल क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम का मेकओवर. ईथर को चलाने वाला पॉपुलर नेटवर्क इथेरियम 14 सितम्बर मतलब आज अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट करने वाला है. लम्बे समय से इस बदलाव का इंतजार हो रहा था.

इस बदलाव को द मर्ज (the Merge) नाम दिया गया है. इस सॉफ्टवेयर पर अपग्रेड होने के साथ ही इथेरियम 99 फीसदी कम बिजली का इस्तेमाल करेगा. मतलब अब तक जहां 100 यूनिट एनर्जी की जरूरत थी, वहां महज 1 यूनिट की जरूरत होगी. इथेरियम के इस मेकओवर से ब्लॉकचेन के आलोचकों के मुंह पर ताला लग जाएगा, जोकि इसके एनर्जी इस्तेमाल करने को लेकर इसे कोसते हैं.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद, इस बदलाव से न केवल एनर्जी की बचत होगी, बल्कि निवेशकों को भी अधिक लाभ होगा. मर्ज के बाद इथेरियम एक ट्रेडिशनल फाइनेंशियल एसेट की तरह काम करेगा, जो ब्याज देते हैं. बिलकुल बॉन्ड या फिर डिपॉजिट सर्टीफिकेट की तरह. ऐसा होने से वो हेज़ फंड्स, एसेट मैनेजर्स और बहुत अमीर लोग इसकी तरफ आर्कषित होंगे, जो अब तक इससे दूर रहना पसंद कर रहे थे. नए अपडेट के बाद कम फीस से तेजी से ट्रांजेक्शन्स हो सकेंगे.

क्या इतना सबकुछ एक सॉफ्टवेयर बदलने से संभव है?
सवाल है कि केवल एक सॉफ्टवेयर बदलने से क्या इतना सबकुछ संभव हो सकता है. इस मामले के जानकार कहते हैं- हां, यह संभव है, क्योंकि यह इथेरियम के काम करने के तरीके और व्यवहार में फंडामेंटल बदलाव है. 2014 में, 20 वर्षीक विटालिक बटेरिन (Vitalik Buterin) ने इथेरियम को कंप्यूटर्स के डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क के तौर पर पेश किया था, जो मैथ्य की बड़े-बड़े पज़ल्स को सुलझाने समेत कई काम करने के लिए था. कंप्यूटर्स के मालिक को माइनर (माइनिंग करने वाले) कहा जाता था, ताकि लेज़र (Ledger) के साथ कोई छेड़छाड़ न हो. बदले में माइनर को ईथर मिलते थे. बिटकॉइन भी इसी तरह का सिस्टम इस्तेमाल करता है, जिसे प्रूफ ऑफ वर्क (Proof of Work) कहा जाता है.

प्रूफ ऑफ स्टेक पर आधारित है नया प्रोसेस
इथेरियम के नए प्रोसेस में प्रूफ ऑफ वर्क की जगह पर प्रूफ ऑफ स्टेक (Proof of Stake) पर आधारित है. यह काफी कम पावर का यूज करता है, क्योंकि यह माइनर्स पर निर्भर नहीं करता है. इसे वैलिडेटर्स (Validators) की जरूरत है, जोकि इस काम में ईथर कॉइन्स के रूप में अपना योगदान कर पाएं. स्टेकिंग या कॉइन्स डालना, बड़े ईथर ऑनर्स को लेज़र पर ब्लॉक ऑफ ट्रांजेक्शन्स को जोड़ने का अधिकार देता है. जब वे ऐसा करेंगे तो उन्हें नए ईथर मिलेंगे. जब स्टेकिंग वॉलेट्स में ईथर के टोकन डाले जाएंगे तो उस पर ब्याज मिलेगा.

इन नए सॉफ्टवेयर अपडेट को मर्ज का नाम इसलिए भी दिया गया है क्योंकि इथेरियम की वर्तमान ब्लॉकचेन को समानांतर नेटवर्क के साथ जोड़ा जाएगा, जोकि 2 वर्षों से प्रूफ ऑफ स्टेक कॉन्सेप्ट को टेस्ट कर रहा था.

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Xiaomi की बड़ी तैयारी,जल्द ही लॉन्च कर सकती है इलेक्ट्रिक कार,कंपनी से हो रही बात, हो सकती है पार्टनरशिप

चीनी बाजार में कंपनी ने कई होम अप्लायंस और छोटे इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए हैं. अब कंपनी अपनी कार लाने की तैयारी में है. अपनी कार के लिए कंपनी एक मैन्युफैक्चर्र से बातचीत में लगी है और साल 2024 तक कार लॉन्च कर सकती है.

स्मार्टफोन और कंज्यूमर्स मार्केट में हाथ आजमा चुकी Xiaomi अब नए मार्केट में ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट एंट्री की तैयारी में है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक Xiaomi Corp इलेक्ट्रिक कार लाने की तैयारी में है. इसके लिए शाओमी Beijing Automotive Group से बातचीत कर रही है. इस मामले से जुड़े लोगों ने इसकी जानकारी दी है.

कंपनी साल 2024 तक अपनी कार लाने की तैयारी में है. दोनों दिग्गज कंपनियां एक दूसरे के सपोर्ट के लिए विभिन्न ऑप्शन्स तलाश रही हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट शाओमी बीजिंग हुंडई नंबर 2 प्लान्स में कुछ स्टेक खरीदने की भी योजना में है.

इस कंपनी के पास चीन में कार मैन्युफैक्चरिंग का फुल लाइसेंस है. इस मालमे से जुड़े व्यक्ति ने नाम ना बताने की शर्त पर यह जानकारी दी है. शाओमी और BAIC कोलैबोरेशन में कार निर्माण कर सकती हैं.

क्यों टाई अप करना चाहती है शाओमी?

रिपोर्ट्स की मानें तो शाओमी प्रोडक्शन टाई अप करना चाहती है, क्योंकि कंपनी को कार बनाने का लाइसेंस मिलने में देरी हो रही है. इस कोलैबोरेशन के तहत कार का निर्माण बीजिंग ऑटोमोटिक का ईवी ब्रांड BAIC ब्लूपार्क न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी कंपनी और शाओमी मिलकर करेंगे.

वहीं नंबर 2 प्लांट का इस्तेमाल मैन्युफैक्चर्र ईवी को अपग्रेड करने में करेगा. सूत्रों के हवाले से लिखी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लूपार्क की प्रोडक्शन कैपेसिटी का इस्तेमाल ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट Xiaomi-BAIC वीइकल को तैयार करने में किया जा सकता है.

कब तक आएगी Xiaomi की कार?

अगर ये दोनों कंपनियां कोलैबोरेशन करती हैं, तो शाओमी साल 2024 तक अपनी इलेक्ट्रिक वीइकल पेश कर सकती है. चीन ने इलेक्ट्रिक वीइकल सेगमेंट में नियमों को सख्त कर दिया है. चूंकि इस मार्केट में कई सारी कंपनियों की एंट्री हुई है, इसलिए चीनी सरकार स्क्रूटनी कर रही है.

शाओमी ही नहीं कई दूसरी टेक कंपनियां भी अपनी इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही हैं. इसमें ऐपल तक का भी नाम शामिल है. वहीं Oppo और कुछ दूसरे ब्रांड्स के इलेक्ट्रिक वीइकल्स के ट्रेड मार्क को भी स्पॉट किया जा चुका है. हालांकि, ऐपल और शाओमी की इलेक्ट्रिक कार की चर्चा सबसे ज्यादा है

अब उंगली के इशारे पर चलेगा iPhone, स्क्रीन भी होगा कर्व्ड

आईफोन में स्क्रीन कंट्रोल और डिस्प्ले को लेकर दो बड़े बदलाव किये जा रहे हैं

अब उंगली के इशारे पर चलेगा iPhone, स्क्रीन भी होगा कर्व्ड

आने वाले समय में आईफोन में एक अनोखा फीचर देखने को मिलगा, जिसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है. इसके लिए एपल एक खास तरह की तकनीक पर काम कर रहा है. ब्लूमबर्ग क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक इसके तहत फोन की स्क्रीन को छुए बिना सिर्फ उंगुली के इशारे से चलाया जा सकेगा. ऐसा ‘टचलेस जेस्चर कंट्रोल’ तकनीक से संभव होगा. इसके अलावा एपल 'कर्व्ड स्क्रीन' पर भी काम कर रहा है. इन दोनों फीचर्स की बदौलत एपल मोबाइल बाजार में प्रतिद्वंद्वियों से बहुत आगे हो जाएगा.

उंगली के इशारे पर चलेगी स्क्रीन

ब्लूमबर्ग क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक आईफोन में दो बड़े बदलाव किये जा रहे है. इसमें पहला फीचर टच स्क्रीन जेस्चर कंट्रोल होगा. इन दिनों एपल ऐसी टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग कर रहा है, जिससे बिना स्क्रीन को टच किये यूजर फोन का इस्तेमाल कर सजेगा. इस खास फीचर के तहत आईफोन यूजर्स कुछ टास्क बिना स्क्रीन को टच किए हुए उसके ऊपर फिंगर जेस्चर से ही कर सकेंगे. ऐसी टेक्नोलॉजी अब तक सिर्फ हॉलीवुड के साइंस फिक्शन फिल्मों में ही नजर आते थे. लेकिन अब एपल हकीकत में ऐसी टेक्नोलॉजी लेकर आ रहा है.

कर्व्ड स्क्रीन होंगे नए आईफोन में

टच स्क्रीन जेस्चर के अलावा रिपोर्ट में जिस दूसरे फीचर की बात की गई है, वो है कर्व्ड स्क्रीन. हालांकि कर्व्ड स्क्रीन का कॉन्सेप्ट स्मार्टफोन में नया नहीं है. सैमसंग पहले से ही अपने स्मार्टफोन में कर्व्ड डिस्प्ले का फीचर मुहैया करा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईफोन में दिया जाने वाला कर्व्ड स्क्रीन सैमसंग से अलग होगा. सैमसंग में स्क्रीन किनारों पर कर्व्ड डिस्प्ले दिया जाता है, जबकि आईफोन के कर्व्ड स्क्रीन में टॉप से लेकर बॉटम तक घुमावदार स्क्रीन होगी. इस तकनीक को ओएलईडी (ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड) नाम दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक ये दोनों ही फीचर अभी टेस्टिंग के शुरुआती दौर में हैं. हालांकि यह दोनों टेक्नॉलॉजी इतनी जल्दी कस्टमर्स को नहीं दी जा सकती और इसको मार्केट तक आने में दो से तीन साल तक का समय लग सकता है. ऐसा भी मुमकिन है कि टेस्टिंग के बाद कंपनी इन फीचर्स को आईफोन में न भी दे. कंपनी ने इसपर अभी तक कुछ भी साफ नहीं कहा है.

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अचानक 'धड़ाम' हो गई करोड़ों रुपये कीमत की टेरा लूना क्रिप्टोकरेंसी, जानें बड़ी बातें

अचानक 'धड़ाम' हो गई करोड़ों रुपये कीमत की टेरा लूना क्रिप्टोकरेंसी, जानें बड़ी बातें

पिछले कुछ दिन में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बड़ी हलचल देखने को मिली है और करोड़ों रुपये वैल्यू वाले क्रिप्टो टोकन सिस्टम से गायब हो गए हैं। टेराUSD नाम का स्टेबलकॉइन और इसकी सिस्टम करेंसी लूना दोनों की वैल्यू लगभग 80 प्रतिशत कम हो गई। क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर टेरा लूना अब लगभग बेकार हो चुके हैं और क्रिप्टो में निवेश करने वाले भी हैरान हैं। आइए इस पूरे मामले के बारे में कुछ बड़ी बातें जानते हैं।

क्या है स्टेबलकॉइन का मतलब?

स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी को कहते हैं, जिन्हें अमेरिकी डॉलर या फिर यूरो जैसा माना जा सकता है। यानी कि इनकी कीमत में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखने को मिलते और इन्हें बिटकॉइन या ईथेरम जैसे टोकन्स के मुकाबले ज्यादा स्थिर माना जाता है। निवेशक ऐसे टोकन्स में तब निवेश करते हैं, जब वे कम रिस्क लेते हुए फायदा कमाना चाहते हैं। बता दें, टेथर और USD कॉइन ऐसे ही लोकप्रिय स्टेबलकॉइन्स हैं।

ऐसे डिजाइन किए गए हैं टेरा लूना

टेराUSD एल्गोरिद्म की मदद ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट से डिजाइन किया गया स्टेबलकॉइन है, यह USD जितनी वैल्यू बनाए रखता है और ऐसा इसकी सिस्टम क्रिप्टोकरेंसी लूना के साथ होता है। लूना और टेरा दोनों को एक ही डिवेलपर्स टीम ने तैयार किया है। टेरा की कीमत बनाए रखने के लिए लूना को सप्लाई पूल में शामिल किया जाता है और टेरा को सप्लाई से हटाया जाता है। फिर यूजर्स लूना और टेरा का संतुलन इन्हें बेचने और खरीदने के साथ बनाए रखते हैं।

ऐसे काम करता है एल्गोरिद्मिक मॉड्यूल

ब्लॉकचेन डिवेलपर्स की ओर से डिजाइन किए गए मॉड्यूल के साथ, अगर टेरा कॉइन की वैल्यू 0.80 डॉलर पर पहुंचती है, तो इसे एक डॉलर वैल्यू वाले लूना से एक्सचेंज किया जा सकता है। इस तरह स्मार्ट निवेशक 20 सेंट का प्रॉफिट कमा सकते हैं।

डिमांड और सप्लाई पर आधारित कॉइन कॉन्सेप्ट

टेरा और लूना का पूरा कॉन्सेप्ट सप्लाई और डिमांड पर आधारित है। इन कॉइन्स में निवेश करने वालों को फायदा तभी मिलता, जब संतुलन के लिए इनकी खरीद और बिक्री चलती रहे। पिछले सप्ताह लूना और टेरा के बीच संतुलन बनाने से जुड़ी यह स्थिति नहीं बनी और एंकर प्रोटोकॉल के चलते यूजर्स ने टेराUSD होल्ड कर लिया। एंकर प्रोटोकॉल को सेविंग्स बैंक अकाउंट की तरह समझा जा सकता है, जिसपर तय ब्याज मिलता रहता है।

एंकर से मिल रहा था तय ब्याज

पिछले कुछ महीने से टेरा होल्डर्स को एंकर प्रोटोकॉल में अपना टोकन पार्क करने पर 20 प्रतिशत का तय ब्याज दिया जा रहा था। यही वजह है कि ज्यादा से ज्यादा यूजर्स ने अपने टोकन्स एंकर प्रोटोकॉल में शामिल कर दिए। कॉइनडेस्क के मुताबिक, कुल टेरा सर्कुलेशन का करीब 75 प्रतिशत एंकर में जमा कर दिया गया था। बता दें, यहीं से हालात और क्रिप्टोकरेंसी का संतुलन बिगड़ने की शुरुआत हुई।

अफवाह के चलते टोकन बेचने लगे टेरा यूजर्स

पिछले सप्ताह के आखिर में बड़ी मात्रा में टेराUSD को अचानक एंकर से निकाल लिया गया। दरअसल, अफवाह उड़ी कि टेरा पर मिलने वाला 20 प्रतिशत तय ब्याज अब फिक्स रेट पर नहीं मिलेगा। निवेशकों ने कमाई घटने और नुकसान होने के डर से टेरा टोकन्स को बेचना शुरू कर दिया और दूसरे स्टेबलकॉइन्स खरीदने लगे। जाहिर सी बात है, ऐसा होने पर एक टोकन की मांग तेजी से घटी और सप्लाई बढ़ने से कीमत गिरने लगी।

लूना की ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट सप्लाई बढ़ने से क्रैश हुआ सिस्टम

ज्यादातर यूजर्स ने टेराUSD को एक्सचेंज कर लूना टोकन लेना शुरू कर दिए। इस तरह लूना की सप्लाई बढ़ने के साथ ही वैल्यू घटने लगी। ज्यादा से ज्यादा यूजर्स के टेरा कॉइन को डंप करने के चलते दोनों कॉइन्स से जुड़कर संतुलन बनाने वाला सिस्टम क्रैश हो गया। कॉइनमार्केटकैप के मुताबिक, टेरा कॉइन की कीमत 11 मई को घटकर केवल 0.225 डॉलर रह गई। महज चंद दिनों के अंदर इस स्टेबलकॉइन ने अपनी करीब 80 प्रतिशत वैल्यू गंवा दी।

पहले के मुकाबले स्थिर हो रहा है मार्केट

निवेशकों के अंदर डर पैदा होना क्रिप्टो मार्केट के लिए अच्छी बात नहीं है और इसे प्रभावित कर सकता है। टेरा के गिरने के साथ ही बाकि निवेशकों ने अपने कॉइन्स बेचना भी शुरू कर दिया जिससे पूरा क्रिप्टो मार्केट क्रैश हो गया। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो बिटकॉइन भी बीते गुरुवार को 25,400 डॉलर तक जा पहुंचा। हालांकि, स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं और बाकी टोकन्स में आए बदलाव को देखते हुए भी ऐसा ही लग रहा है।

कुछ वक्त के लिए ब्लॉक जेनरेशन रुका

टेरा ब्लॉकचेन को टेरा की कीमतें ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट तेजी से घटने की स्थिति के बाद नौ घंटे से ज्यादा के लिए हाल्ट कर दिया गया। यानी कि इस दौरान ब्लॉकचेन नेटवर्क पर कोई नए ब्लॉक्स नहीं जेनरेट किए गए। बता दें, हाल्ट के दौरान क्रिप्टो होल्डर्स उनके टेरा असेट्स मूव नहीं कर सकते और उन्हें ब्लॉकचेन के अनफ्रोजन होने का इंतजार करना पड़ेगा। कंपनी ने ट्वीट में बताया है कि टेरा वैलिडेटर्स ने इस चेन को हाल्ट करने का फैसला किया है।

अरबों डॉलर वैल्यू के बिटकॉइन भी गायब

ब्लॉकचेन फर्म इलिप्टिक ने बताया कि टेरा की कीमतें क्रैश होने के दौरान ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट कम से कम 3.5 अरब डॉलर वैल्यू वाले बिटकॉइन भी नहीं ट्रेस किए जा सके। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, टेरा ब्लॉकचेन डिवेलपर्स की ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट ओर से सेटअप किए गए फाउंडेशन, लूना फाउंडेशन गार्ड (LFG) की ओर से 3.5 अरब डॉलर वैल्यू के बिटकॉइन्स खरीदे गए हैं। ब्लूमबर्ग मार्केट कॉन्सेप्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.7 अरब डॉलर वैल्यू 9 मई को LFG वॉलेट से एक नए एड्रेस पर भेजी गई है।

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