Share Market कैसे काम करते हैं?

12. हॉट मनी (Hot Money): यह वह निवेश मनी होती है जो कि अधिक लाभ की तरह भागती हैl इस प्रकार की निवेश मनी बाजार में बहुत ही कम स्थिर होती है इसी कारण इसे हॉट मनी कहते हैंl
13. जंक बांड(Junk Bond): जंक बांड वे बांड है जिनकी रेटिंग नीची हो परन्तु उन पर प्राप्त होने वाले रिटर्न(लाभ) की दर ऊंची हो l
14. कर्ब ट्रेडिंग(Kerb Trading): स्टॉक एक्सचेंज मार्किट की बिल्डिंग के बाहर, स्टॉक एक्सचेंज के ही समय में या उसके बाद प्रतिभूतियों में अवैध ट्रेडिंग को कर्ब ट्रेडिंग कहते हैं l
15. स्टैग (Stag): ऐसे लोग जो प्राइमरी मार्किट में पैसा लगाना पसंद करते है सेकेंडरी मार्किट में नही, स्टैग कहलाते हैं l ये लोग बहुत कम जोखिम उठाते हैं l
16. अल्फ़ा शेयर : इन्हें ग्रुप A का शेयर भी कहा जाता हैl ये ऐसे स्टॉक हैं जिनके क्रय विक्रय में बाधा नही होती है l
17. राइट इशू (Right Issue): जब शेयर या प्रतिभूति के आबंटन में वर्तमान शेयर धारकों को प्राथमिकता दी जाये तो इस प्रकार के निर्गमित शेयर को राइट इशू कहते हैंl वर्तमान शेयर धारकों को इन शेयरों को खरीदने के लिए रुपये देने पड़ते हैं अर्थात ये शेयर, बोनस शेयर की तरह कीमत रहित नही होते हैं l
18. स्नो बालिंग प्रभाव: जब शेयर के मूल्य में थोड़ी बृद्धि से शेयर क्रय के कारण या किसी अन्य कारण कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाये कि शेयरों का मूल्य बढ़ता ही जाये और इतना अधिक बढ़ जाये कि क्रय विक्रय पर स्टॉप आर्डर आने लगे तो इसे स्नो बालिंग कहते हैं l
19. शोर्ट सेलिंग (Short Selling): जब किसी व्यक्ति या दलाल द्वारा उससे अधिक स्टॉक के विक्रय का सौदा किया जाता जितना उसके पास है या जितना कहीं से लेकर पूर्ती कर सकता हैl यह क्रिया बिलकुल गैर-कानूनी है l
20. लार्ज कैप कम्पनियाँ (Large Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक हो l
21. मिड कैप कम्पनियाँ (Mid Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये से कम पर 2500 करोड़ से अधिक हो l
22. स्माल कैप कम्पनियाँ (Small Cap Companies): ये वे कम्पनियां होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 2500 करोड़ रुपये से कम हो l
23. पौंजी स्कीम (Ponzy Schemes): ये वे फर्जी कम्पनियाँ होती हैं जो कि लोगों को कम समय में अधिक रिटर्न की गारंटी देकर निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो जातीं हैl ऐसी कंपनियों का सरकार के पास कोई भी रिकॉर्ड नही होता है l
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ऊपर दिए गए शब्द उन सभी लोगों के लिए Share Market कैसे काम करते हैं? बहुत ही मददगार होंगे जो कि या तो शेयर बाजार में पैसा निवेश करते हैं या शेयर बाजार कैसे काम करता है इस बारे में जानना चाहते हैं l
शेयर बाजार में इस्तेमाल किए जाने वाले 23 सबसे महत्वपूर्ण शब्द
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक Share Market कैसे काम करते हैं? एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, 30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl ये सभी शब्द बैंकिंग सामान्य ज्ञान के लिए बहुत उपयोगी हैंl
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ,30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl दूसरा स्टॉक एक्सचेंज NSE भी मुंबई में है और इसकी स्थापना 1992 में हुई थीl सामान्य लोगों की जानकारी के लिए शेयर बाजार में इस्तेमाल होने वाले मुख्य शब्द इस प्रकार हैं l
1. इक्विटी शेयर (Equity Share): इक्विटी शेयर वे अंश है जिन्हें कंपनी से मताधिकार प्राप्त होता है l ये अंशधारी ही धारित अंशों के अनुपात में ही कंपनी के स्वामित्वधारी होते हैं l इन्हें लाभांश वितरण में कोई वयीयता प्राप्त नही होती है l
2. वरीयता अंश (Preference Share): ये वे शेयर धारक होते हैं जिन्हें लाभांश वितरण में वरीयता दी जाती हैl लाभ बाँटने के बाद यदि कुछ लाभांश बचता है तो उसे इक्विटी शेयर धारकों में बांटा जाता हैl वरीयता अंश के शेयर धारकों को कंपनी में मताधिकार प्राप्त नही होता है l
3. इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO): इसका सम्बन्ध प्राइमरी बाजार से है जिसमे नयी कंपनियों के अंश बाजार में जारी किये जाते हैं l इस विधि के माध्यम से कम्पनियाँ बाजार से पैसा जुटा कर अपनी आगे की वित्तीय योजनाओं को बनाती है l
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4. फालो पब्लिक ऑफर: जब कोई भी नयी कंपनी अपनी अधिकृत पूँजी की उगाही शेयरों के निर्गमन के द्वारा प्राथमिक बाजार से करती है तो इसे FPO कहते हैं l
5. ब्लू चिप कंपनी (Blue Chip Company): यह एक ऐसी कंपनी होती है जिसके शेयरों को खरीदना बेहद सुरक्षित माना जाता है। इस कंपनी के शेयरों को खरीदने वाला निवेशक जोखिम रहित लाभ प्राप्त करता है l
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6. इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading): इसका मतलब एक ऐसी सूचना से होता है जो कि एक कंपनी की कार्य प्रणाली से जुडी होती है जिसमे कम्पनी की भावी योजनाओं में बारे में जानकारी होती हैl यदि यह सूचना कंपनी के किसी उच्च अधिकारी (कंपनी के निदेशकों और उच्च स्तरीय अधिकारियों) के माध्यम से सार्वजनिक हो जाती है तो उस कंपनी के शेयरों के दाम अप्रत्याशित रूप से ऊपर या नीचे होते हैं l
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7. वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper): यह एक असुरक्षित वचन-पत्र (Promissory Note) होता है जो कि एक वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया जाता है lइसको जारी करने का मुख्य उद्येश्य अल्पकालीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करना होता है l
8. बोनस इश्यू (Bonus Issue):इस प्रकार के शेयर बोनस, उन शेयर धारकों को फ्री में उस अनुपात में दिए जाते हैं जिनके उनके पास उस कंपनी के शेयर पहले से ही होते हैं l ऐसे शेयरों को लाभांश शेयर भी कहते हैं l
भारतीय बजट से जुडी शब्दावली
9. तेजड़िया (Bull): तेजड़िया उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कि शेयर बाजार में शेयरों की खरीदारी करता है और इसी खरीदारी के कारण शेयर बाजार ऊपर की ओर जाता हैl यह निवेशक बाजार के बारे में सकारात्मक रुख रखता है क्योंकि वह यह सोचता है कि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम ऊपर चढ़ेंगेl
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10. मंदड़िया(Bear): मंदड़िया उस निवेशक को कहा जाता है जो कि अपने खरीदे गए शेयरों को बेचता क्योंकि उसको लगता है कि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम बाजार में गिरेंगेl इसलिए वह अपने शेयरों को बेच देता है और कई लोगों के द्वारा ऐसा करने पर बाजार नीचे की ओर गिरता है l
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11. लाभांश (Dividend): यह कंपनी द्वारा अपने शेयर धारकों को दिया जाने वाला लाभ का हिस्सा होता हैl लाभ का यह हिस्सा कंपनी अपने सभी शेयर धारकों को उनके शेयरों की संख्या के अनुपात में बांटती हैl जिसके पास जितने अधिक शेयर, उसको उतना अधिक लाभांश मिलता हैl
शेयर बाजार में सेबी के मुख्य कार्य क्या हैं?
12. हॉट मनी (Hot Money): यह वह निवेश मनी होती है जो कि अधिक लाभ की तरह भागती हैl इस प्रकार की निवेश मनी बाजार में बहुत ही कम स्थिर होती है इसी कारण इसे हॉट मनी कहते हैंl
13. जंक बांड(Junk Bond): जंक बांड वे बांड है जिनकी रेटिंग नीची हो परन्तु उन पर प्राप्त होने वाले रिटर्न(लाभ) की दर ऊंची हो l
14. कर्ब ट्रेडिंग(Kerb Trading): स्टॉक एक्सचेंज मार्किट की बिल्डिंग के बाहर, स्टॉक एक्सचेंज के ही समय में या उसके बाद प्रतिभूतियों में अवैध ट्रेडिंग को कर्ब ट्रेडिंग कहते हैं l
15. स्टैग (Stag): ऐसे लोग जो प्राइमरी मार्किट में पैसा लगाना पसंद करते है सेकेंडरी मार्किट में नही, स्टैग कहलाते हैं l ये लोग बहुत कम जोखिम उठाते हैं l
16. अल्फ़ा शेयर : इन्हें ग्रुप A का शेयर भी कहा जाता हैl ये ऐसे स्टॉक हैं जिनके क्रय विक्रय में बाधा नही होती है l
17. राइट इशू (Right Issue): जब शेयर या प्रतिभूति के आबंटन में वर्तमान शेयर धारकों को प्राथमिकता दी जाये तो इस प्रकार के निर्गमित शेयर को राइट इशू कहते हैंl वर्तमान शेयर धारकों को इन शेयरों को खरीदने के लिए रुपये देने पड़ते हैं अर्थात ये शेयर, बोनस शेयर की तरह कीमत रहित नही होते हैं l
18. स्नो बालिंग प्रभाव: जब शेयर के मूल्य में थोड़ी बृद्धि से शेयर क्रय के कारण या किसी अन्य कारण कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाये कि शेयरों का मूल्य बढ़ता ही जाये और इतना अधिक बढ़ जाये कि क्रय विक्रय पर स्टॉप आर्डर आने लगे तो इसे स्नो बालिंग कहते हैं l
19. शोर्ट सेलिंग (Short Selling): जब किसी व्यक्ति या दलाल द्वारा उससे अधिक स्टॉक के विक्रय का सौदा किया जाता जितना उसके पास है या जितना कहीं से लेकर पूर्ती कर सकता हैl यह क्रिया बिलकुल गैर-कानूनी है l
20. लार्ज कैप कम्पनियाँ (Large Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक हो l
21. मिड कैप कम्पनियाँ (Mid Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये से कम पर 2500 करोड़ से अधिक हो l
22. स्माल कैप कम्पनियाँ (Small Cap Companies): ये वे कम्पनियां होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 2500 करोड़ रुपये से कम हो l
23. पौंजी स्कीम (Ponzy Schemes): ये वे फर्जी कम्पनियाँ होती हैं जो कि लोगों को कम समय में अधिक रिटर्न की गारंटी देकर निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो जातीं हैl ऐसी कंपनियों का सरकार के पास कोई भी रिकॉर्ड नही होता है l
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ऊपर दिए गए शब्द उन सभी लोगों के लिए बहुत ही मददगार होंगे जो कि या तो शेयर बाजार में पैसा निवेश करते हैं या शेयर बाजार कैसे काम करता है इस बारे में जानना चाहते हैं l
Stock Market Tips: शेयर बाजार में करना चाहते हैं निवेश, इन गलतियों को करने से बचें, नहीं होगा कई नुकसान
Investment Tips: कई बार निवेशक जब पैसे लगाते हैं तो उस समय मार्केट ऊपर रहता है लेकिन, उसके बाद गिरावट (Stock Market Down) के दौर पर वह बुरी तरह से घबराने लगते हैं. यह सोच बिल्कुल सही नहीं है.
By: ABP Live | Updated at : 07 Feb 2022 12:54 PM (IST)
Stock Market Investment Tips: कहते हैं कि शेयर बाजार में करोड़ों अरबों की पूंजी है लेकिन, इन पैसों को कमाना कोई आसान काम नहीं है. जब भी लोग शेयर बाजार (Share Market) में पैसे लगाने का सोचते हैं तो उनके दिमाग में यही ख्याल आता है कि वह कुछ ही दिनों में करोड़पति बन जाएंगे. लेकिन, यह सोच बिल्कुल गलत है. ज्यादातर छोटे और रिटेल निवेशक (Retail Investors in Share Market) सही तरीके से शेयर बाजार में पैसे नहीं लगाते हैं और कुछ ही दिनों Share Market कैसे काम करते हैं? में उनके पैसे डूब जाते हैं. जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में अपनी जमा पूंजी भी गंवा देते हैं. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि आप सही तरीके से शेयर बाजार में पैसे लगाएं (Invest in Share Market). तो चलिए हम आपको बताते है कि रिटेल निवेशक क्या ऐसी गलतियां कर देते हैं (Mistakes Done bY retail Investors) जिसके कारण उनके पैसे डूब जाते हैं. उन्हें ऐसी गलतियों से कैसे बचना चाहिए-
1. किसी के कहने पर कभी न करें निवेश
कई बार रिटेल निवेशक बिना सही जानकारी के शेयर बाजार में निवेश कर देते (Right Information of Stock Market) हैं. इसमें ज्यादातर दूसरे के सुझाव पर निवेश करते हैं. बिना स्टॉक मार्केट को समझे (Understanding of Stock Market) पैसे लगाना बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है. ऐसी गलती करने से आप बिल्कुल बचें. पैसे स्टॉक मार्केट (Stock Market) को अच्छी तरह से समझें उसके बाद ही पैसे कमाने का सोचें.
2. मार्केट की गिरावट से घबरा जाना
कई बार निवेशक जब पैसे लगाते हैं तो उस समय मार्केट ऊपर रहता है. लेकिन, उसके बाद गिरावट (Stock Market Down) के दौर पर वह बुरी तरह से घबराने लगते हैं. यह सोच बिल्कुल सही नहीं है. ऐसा सोचना की आपके पैसे डूब जाएंगे बिल्कुल सही नहीं है. कई लोग नुकसान के डर से कई बार अपने शेयरों को सस्ते में बेच देते हैं. वहीं बड़े निवेशक शेयर को गिरावट के दौर में खरीदते हैं और बाद में बढ़ोतरी पर बेचते हैं. इससे उन्हें बड़ा लाभ होता है.
3. ज्यादा कमाई के चक्कर में शेयर्स को रोक कर रखना
आपको बता दें कि कई बार यह देखा गया है कि बड़े निवेशक जब शेयर्स में 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है तो वह शेयर्स को बेच देते हैं. लेकिन, छोटे निवेशक उन शेयर्स को अपने पास रखते हैं. वह ऐसा सोचते हैं कि इससे बड़ी कमाई करेंगे. बाद में उन शेयर के दाम गिरने पर उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में इस तरह की गलती करने से बचें. अगर आपके शेयर के दाम अगर 10 प्रतिशत तक भी बढ़ गए है तो उसे बेच दें.
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4. सस्ते शेयरों पर पैसा लगाना
यह अक्सर देखा गया है कि रिटेल निवेशक उन शेयर्स का चुनाव करते हैं तो सस्ते होते हैं. उन्हें लगता है कि बाद में इन शेयरों के दाम बढ़ जाएंगे. लेकिन, यह सोच बिल्कुल गलत है. कई बार निवेशक इस कारण पेनी स्टॉक (Penny Stock) में फंस जाते हैं. इससे वह अपनी जमा पूंजी भी गंवा देते हैं. हमेशा कंपनी की ग्रोथ (Company Shares) देखकर ही पैसे लगाना समझदारी भरा काम है.
5. बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह के पैसे निवेश कर देना
पैसे निवेश करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आप एक सही मार्केट एक्सपर्ट्स Share Market कैसे काम करते हैं? से सुझाव के बाद ही पैसों का निवेश करें. कई बार लोग सोशल मीडिया के बहकावे में आकर निवेश कर देते हैं. सोशल मीडिया (Social Media) पर लोग आपको लखपति-करोड़पति बनने का सपना दिखाते हैं. ऐसा करने से बिल्कुल बचना चाहिए. सही तरीके से पैसा निवेश करने से आपका पैसे डूबने का जोखिम (Loss of Money) कम हो जाता है.
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Published at : 07 Feb 2022 12:42 PM (IST) Tags: Stock Market investment tips Stock Market Tips हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
बड़ा पैसा बनाने में शेयर मार्केट कर सकता है मदद, लेकिन इन बातों का जरूर रखें ख्याल!
शेयर मार्केट निवेशकों को ज्यादा पैसा कमाने का मौका देता है. स्टॉक की कीमत समय के साथ बढ़ती या घटती है. शेयर मार्केट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें निवेशकों को कम समय में ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता है जो बैंक एफडी जैसे अन्य निवेशों में नहीं होती है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Ravikant Singh
Updated on: Oct 20, 2022 | 11:20 AM
शेयर मार्केट और जनरल मार्केट में ज्यादा अंतर नहीं है. जनरल मार्केट में जिस तरह से चीजें खरीदी और बेची जाती हैं उसी तरह से शेयर मार्केट में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं.
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिस पर खरीदार और विक्रेता कुछ निश्चित घंटों के दौरान पब्लिक लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदते और बेचते हैं.
शेयर मार्केट में निवेश करना क्यों जरूरी है?
शेयर मार्केट में निवेश करने के कई फायदे हैं. यह निवेशकों को ज्यादा पैसा कमाने का मौका देता है. स्टॉक की कीमत समय के साथ बढ़ती या घटती है. शेयर मार्केट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें निवेशकों को कम Share Market कैसे काम करते हैं? समय में ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता है जो बैंक एफडी जैसे अन्य निवेशों में नहीं होती है. और लंबी अवधि में शेयर किसी भी दूसरी तरह के निवेश की तुलना में ज्यादा रिटर्न देते हैं.
शेयरों को लिक्विड एसेट माना जाता है क्योंकि उन्हें आसानी से कैश में बदला जा सकता है. इसके अलावा शेयर मार्केट को रेगुलेट करने के लिए एक रेगुलेटरी बॉडी (नियामक संस्था) होती है, जो निवेशकों के हितों का भी ध्यान रखती है.
निवेश की शुरुआत कैसे करें
स्टॉक में या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए सबसे पहले डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल शेयर या बांड खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है. वहीं एक डीमैट अकाउंट बैंक अकाउंट की तरह काम करता है, जहां आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में जमा होते हैं.
जब आप शेयर खरीदते और बेचते हैं तो यह आपके अकाउंट में क्रेडिट और डेबिट हो जाते हैं. ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग इन करके आप उस स्टॉक को चुन सकते हैं जिसे आप खरीदना या बेचना चाहते हैं. खरीदने से पहले यह सुनिश्चित Share Market कैसे काम करते हैं? कर लें कि आपके अकाउंट में शेयर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा है. फिर वह कीमत तय करें जिस पर आप शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं.
शेयर मार्केट में निवेश की रणनीति
शेयर मार्केट में निवेश करते समय इस बात को अपने दिमाग से Share Market कैसे काम करते हैं? निकाल दें कि यह कोई जादू की छड़ी है जो निवेश करते ही आपको करोड़पति बना देगी. शेयर मार्केट में निवेश करने के बाद अपने सेट किए हुए टारगेट के पूरा होने तक मार्केट में बने रहें. जैसे आप ब्रोकर से यह नहीं पूछते कि घर खरीदने के बाद हर दिन घर का रेट कितना बढ़ा या घटा, वैसे ही पोर्टफोलियो को हर दिन हरा और लाल होते देखकर निराश न हों.
जानिए शेयर बाजार कैसे बना दो खरब का मार्केट
नई दिल्ली। शेयर बाजार की शुरुआत आजादी मिलने से 107 साल पहले ही हो चुकी थी। लेकिन उस समय तरीका बिल्कुल अलग था। 1840 में पहली बार शेयर बाजार की शुरुआत मुंबई में बरगद के पेड़ के नीचे 22 लोगों के साथ शुरु की गई। मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के वृक्ष के नीचे सभी लोग दलाल एकत्रित होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। हालांकि कुछ सालों बाद ये दलाल महात्मा गांधी रोड पर बरगद के वृक्ष के नीचे जुटने लगे। धीरे-धीरे शेयर दलालों की संख्या बढती गई ।
एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है। ये सभी 1840 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी होती रही। 1875 में इन्होंने अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया।
आजादी मिलने के 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भारत सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया। साल 1980 में बीएसई को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया। 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी, बीएसई और सेसेक्स जैसे इंडेक्स बनाए गए। 2000 में डेरिएटिव मार्केट के लिए इसे खोला गया। 25 जनवरी 2001 को डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे बीएसई का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा जाता है। साल दर साल विस्तार के बाद आज यहां हर काम टेक्नॉलिजी से होता है।
सेबी का स्थापना
1980 के दशक तक बीएसई बहुत कम पारर्दशिता के साथ कार्य करती थी। इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी। तब 1988 भारत सरकार ने सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की।
एनएसई की शुरूआत
वर्ष 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के चलते बॉम्बे स्टॉका एक्सचेंज क्रैश हो गया। तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने बीएसई की प्रतिस्पर्धा के लिए एक और स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत की बात कही। नवंबर 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शुरूआत हुई। ऑपरेशन के कुछ ही दिनों के बाद एनएसई भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज माकेर्ट बन गया।
What is Share Market in Hindi: शेयर मार्केट भारत में कैसे काम करता है? यहां विस्तार से समझिए
Share Market in Hindi: शेयर बाजार को लेकर अक्सर आम लोगों के मन में भ्रम की स्थिती रहती है। Share Market के सही नॉलेज से आपको बादशाह बना सकता है। इसलिए इस लेख में जनेंगे कि Share Market kya Hai? (What is Share Market in Hindi) और यह भारत में कैसे काम करता है?
Share Market in Hindi: ज्यादातर लोग यह कहते है कि शेयर मार्केट बरमूडा ट्रायंगल की तरह है जिसमें वह उलझ कर रह जाते है, Share Market कैसे काम करते हैं? जबकि ऐसा नहीं है Share Market को अच्छे से समझ लिया जाएं तो आप इस क्षेत्र के बादशाह बन सकते है। शेयर मार्केट को समझने के लिए आपको राकेट साइंस जैसा दिमाग नहीं लगाना है, आप रिस्क और रिटर्न की क्षमता का आंकलन करके Share Market को अच्छी तरह समझ सकते है। शेयर बाजार ठीक उसी बाजार की तरह है जहां आप सब्जियां खरीदने जाते है, बस Share Market में सब्जियों की जगह शेयरों की खरीद और बिक्री होती है।
अकसर लोगों के मन में यह भी सवाल होता है कि क्या शेयर मार्केट स्टॉक एक्सचेंज से अलग हैं? और क्या यह रेगुलेट होता है? तो चलिए इए लेख में वियार से समझते है कि Share Market kya Hai? (What is Share Market in Hindi) और यह कैसे काम करता है? (How does Share Market work?) तो चलिए जानते है Share Market in Hindi
Share Market kya Hai? | What is Share Market in Hindi
शेयर बाजार (Share Market) या इक्विटी बाजार (Equity Market) एक ऐसी जगह है जहां फाइनेंसियल सिक्योरिटीज (इक्विटी और इक्विटी से संबंधित) की नियमित खरीद (Buying) और बिक्री (Selling) होती है। इन एक्टिविटीज को स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchange) द्वारा सुगम बनाया जाता है जो SEBI के निर्धारित गाइडलाइन के तहत काम करते हैं। शेयर मार्केट को स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है।
एक Share Market कई प्रकार के लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है जहां बाजार की ताकतें शेयर की कीमतें निर्धारित करती हैं। एक शेयर मार्केट को सामान्य बाज़ार के रूप में माना जा सकता है जहां खरीदार और विक्रेता बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव, कमोडिटीज जैसी सिक्योरिटीज का व्यापार करते हैं।
प्रत्येक देश का अपना बाज़ार हो सकता है। भारत में सात स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) हैं, जिनमें दो प्रमुख हैं, जो National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) हैं। तो शेयर मार्केट को समझने के लिए यह समझना भी जरूरी है कि Stock Exchange Kya Hai? तो चलिए समझते है।
स्टॉक एक्सचेंज क्या है? | What is Stock Exchange in Hindi
स्टॉक एक्सचेंज ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जहां वित्तीय साधनों (Financial Instrument) का वास्तविक लेनदेन होता है। सरल शब्दों में कहे तो Exchange स्टॉक और अन्य इक्विटी प्रोडक्ट्स के ट्रेडिंग की देखरेख और सुविधा प्रदान करता है। Stock Exchange रीयल-टाइम ट्रेडिंग जानकारी प्रदान करता है जो Stock Broker और ट्रेडर्स को वैल्यू खोजने में मदद करता है।
प्रत्येक एक्सचेंज में एक Benchmark Index होता है जो लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे इन्वेस्टर्स को शेयर कंपेरिजन करने और मार्केट मूड को समझने में मदद मिलती है। इस प्रकार Stock Exchange के Index इकॉनमी के फाइनेंसियल स्टेटस के मिरर के रूप में काम करते हैं।
बता दें कि भारत में कुल 7 Stock Exchange है, लेकिन दो प्रमुख (NSE, BSE) है जो व्यापार के थोक को संभालते हैं, वे नीचे दिए गए हैं-
भारत के मुख्य स्टॉक एक्सचेंज को समझने से पहले आप यह जान लें कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस एक्सचेंज को ट्रेडिंग के लिए अपने प्लेटफार्म के रूप में चुनते हैं। सभी एक्सचेंज स्टॉक के साथ सौदा करते हैं। एक इन्वेस्टर एसेट के लिए किसी भी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ट्रेडिंग कर सकता है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): NSE 1992 में स्थापित हुई थी, एनएसई में कुल 7200+ कंपनियां लिस्टेड हैं। हालांकि BSE पुराना है लेकिन NSE ट्रेडिंग में अधिक सक्रिय रूप से शामिल है और इसका टर्नओवर रेट अधिक है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE): दलाल स्ट्रीट के रूप में प्रसिद्ध यह विश्व स्तर पर Market Cap के मामले में दसवां सबसे बड़ा Stock Exchange है। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी और यह भारत का सबसे पुराना एक्सचेंज है।
शेयर बाजार के प्रकार | Types of the Share Market in Hindi
प्राइमरी मार्केट (Primary Market)
प्राइमरी मार्केट बड़े पैमाने पर नए स्टॉक्स और सिक्योरिटीज से डील करते हैं। कई कंपनियां, सरकारें और अन्य फाइनेंसियल संस्थान प्राइमरी मार्केट सिक्योरिटीज जैसे बिल, राइट्स इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट बॉन्ड, FPO और सबसे लोकप्रिय IPO के माध्यम से धन जुटाना चाहते हैं। प्रमुख शेयर, फंड और बांड पहले Primary Share Market कैसे काम करते हैं? Market में जारी किए जाते हैं।
सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market)
Secondary Market को मुख्य रूप से 'Share Market' के रूप में जाना जाता है, जहां स्टॉक या शेयरों का वास्तविक व्यापार होता है। एक बार जब कंपनी एक्सचेंजों पर लिस्टेड हो जाती है तो उसके शेयरों को जनता द्वारा स्वतंत्र रूप से कारोबार करने की अनुमति दी जाती है। यहां निवेशक और जारीकर्ता मौजूदा कीमत के आधार पर आसानी से शेयर खरीद और बेच सकते हैं।
भारत में शेयर बाजार का विनियमन | Regulation of Share Market in India Share Market कैसे काम करते हैं?
भारत में Stock Exchange सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा नियंत्रित होते हैं। SEBI शेयर Market के व्यवस्थित संचालन के लिए जिम्मेदार है। SEBI ही Share Market के लिए गाइडलाइन जारी करता है जिसका पालन सभी स्टॉक जारीकर्ताओं और अन्य बाजार सहभागियों को करना पड़ता है। मार्केट में निष्पक्ष ढंग से ट्रेडिंग हो सके इसके लिए सेबी Superintendent Body के रूप में कार्य करता है।
शेयर बाजार के कार्य प्रणाली को समझें | Understanding the Workflow of the Stock Market
कंपनियों को Secondary Market में लिस्टेड किया जाता है, जिसके बाद ट्रेडिंग शुरू किया जाता है। इस ट्रेडिंग की सुविधा उस स्टॉक एक्सचेंज द्वारा दी जाती है जिस पर कंपनी लिस्टेड है।
Stock Exchange का चुनाव कंपनी पर निर्भर करता है। कंपनी उस एक्सचेंज का फैसला कर सकती है जिस पर वह अपने शेयरों को लिस्टेड करना चाहती है। एक कंपनी अपने शेयरों को कई स्टॉक एक्सचेंजों या दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों, यानी NSE और BSE में लिस्टेड करवा सकती है। उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर NSE और BSE दोनों पर लिस्टेड हैं।
यहां ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह कंपनी का नहीं होता है। इसके बजाय आप उन शेयरों को किसी ऐसे व्यक्ति से खरीदते या बेचते हैं जो सहमत मूल्य पर शेयरों को खरीदने/बेचने के लिए सहमत होता है।
बाजारों में निवेशक बड़ी संख्या में हैं और एक्सचेंज के लिए इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स के साथ सीधे डील करना असंभव है। ऐसे में स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) का बड़ा महत्व होता है। स्टॉकब्रोकर और ब्रोकरेज फर्म रजिस्टर्ड संस्थाएं हैं जो खुदरा निवेशकों और एक्सचेंज के बीच मीडिएटर के रूप में काम करती हैं। Stock Brokers निवेशक के खरीद या बिक्री के आदेशों को प्रोसेस करते हैं और ट्रांजेक्शन का कुछ परसेंटेज फीस के रूप में लेते हैं। एक बार जब आप ब्रोकर के पास अपना ऑर्डर दे देते हैं तो इसे एक्सचेंज को भेज दिया जाता है। इसके बाद एक्सचेंज द्वारा शेयरों का ओनरशिप ट्रांसफर किया जाता है।
भारत में T+2 दिनों की सेटलमेंट प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिसका अर्थ है कि आपके स्टॉक आपके डीमैट खाते में दो दिन बाद दिखना शुरू होते है।