तकनीकी विश्लेषण

विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके

विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके

कैसे विदेशी मुद्रा ऑनलाइन बातचीत करने के लिए

विदेशी मुद्रा बाजार में ऑनलाइन ट्रेडिंग मुद्राएं, जिसे विदेशी मुद्रा बाजार भी कहा जाता है, एक विद्युतीकरण शौक और निवेश का एक महान माध्यम हो सकता है। इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, प्रतिभूति बाजार में प्रति दिन 22.4 अरब डॉलर का व्यापार होता है - विदेशी मुद्रा बाजार प्रति दिन लगभग 5 खरब डॉलर का कारोबार करता है। आप बड़े प्रारंभिक निवेश का उपयोग किए बिना बहुत पैसा कमा सकते हैं, और बाजार की दिशा का अनुमान लगाते हुए बड़े व्यवसाय हो सकते हैं।

भाग 1
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग के बारे में

जिस प्रकार की मुद्रा आप बेच रहे हैं, या दलाल को दे रही है वह है आधार मुद्रा. जो मुद्रा आप खरीद रहे हैं उसे कहा जाता है कोटेशन की मुद्रा. विदेशी मुद्रा बाजार में, आप एक और प्रकार खरीदने के लिए 1 प्रकार की मुद्रा बेचते हैं।

विनिमय दर बताता है कि बोली मुद्रा से आपको बेस मुद्रा खरीदने के लिए कितना खर्च करना होगा उदाहरण के लिए, यदि आप पाउंड स्टर्लिंग का उपयोग करके कुछ डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो आप इस तरह की विनिमय दर देख सकते हैं: GBP / USD = 1,58 9 इस दर का मतलब है कि आप 1 पाउंड स्टर्लिंग खरीदने के लिए $ 1,58 9 का उपयोग करेंगे।

एक स्थिति लंबे समय तक का अर्थ है कि आप मूल मुद्रा खरीदेंगे और उद्धरण मुद्रा की बिक्री करेंगे। उपरोक्त हमारे उदाहरण में, आप पाउंड स्टर्लिंग खरीदने के लिए अमेरिकी डॉलर बेचेंगे।

एक स्थिति कम इसका मतलब है कि आप मुद्रा खरीदेंगे और आधार मुद्रा की बिक्री करेंगे। दूसरे शब्दों में, आप डॉलर खरीदने के लिए पाउंड स्टर्लिंग बेचेंगे

  • कीमत पूछना, या ऑफ़र प्राइस, वह कीमत है जिस पर आपका ब्रोकर बोली मुद्रा के बदले में बेस मुद्रा बेच देगा। कीमत पूछना सबसे अच्छी कीमत है जो आप बाजार से खरीदने के लिए तैयार हैं।
  • विस्तार कीमत के बीच अंतर है बोली और कीमत पूछना

एक विदेशी मुद्रा बाजार भाव पढ़ें आपको विदेशी मुद्रा बाजार की बोली में 2 नंबर दिखाई देंगे: कीमत बोली बाएं और मूल्य पूछना सही पर

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एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा के बारे में

एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से, अपने प्रॉडक्ट को ज़्यादा देशों तक पहुंचाया जा सकता है. यह खास तौर पर आपके लिए तब अहम हो सकता है, जब एक से ज़्यादा देशों में अपने प्रॉडक्ट बेचे और शिप किए जाते हैं. हालांकि, आपकी वेबसाइट पर हर देश की मुद्रा के लिए अलग प्रॉडक्ट पेज नहीं होते हैं. Merchant Center के सभी खातों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा अपने-आप चालू रहती है. बस वे प्रॉडक्ट और कीमतें सबमिट करें जो आपकी वेबसाइट पर इस्तेमाल की जाती हैं. इसके बाद, टूल आपके लिए विज्ञापनों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदले जाने का अनुमान लगा लेगा.

इस लेख में बताया गया है कि एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा कैसे काम करती है.

फ़ायदे

  • आपके प्रॉडक्ट के विज्ञापनों को आपकी वेबसाइट में बिना कोई बदलाव किए, अपने-आप दूसरे देश में दिखाती है. जिस देश में सामान बेचा जा रहा है अगर आपके पास उसकी मुद्रा स्वीकार करने की सुविधा नहीं है, तो एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से आपको अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलती है.

यह सुविधा कैसे काम करती है

एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा, आपके प्रॉडक्ट डेटा में दी गई कीमत को अपने-आप टारगेट किए गए नए देश की मुद्रा में बदल देती है. साथ ही, आपके विज्ञापनों और मुफ़्त में दिखाई जाने वाली प्रॉडक्ट लिस्टिंग में दोनों कीमतें दिखती हैं. इससे आपकी लिस्टिंग और विज्ञापन, दूसरे देशों के लोगों को भी समझ में आ जाते हैं. साथ ही, कम से कम बदलाव करके, अपनी मौजूदा वेबसाइट और लैंडिंग पेजों का इस्तेमाल करना जारी रखा जा सकता है.

अगर अपने कैंपेन में, टारगेट किए गए देश की मुद्रा से अलग मुद्रा में कीमतें दी जाती हैं, तो कीमतें अपने-आप बदल जाएंगी और स्थानीय मुद्रा में दिखेंगी.

आपके विज्ञापन या लिस्टिंग में दिख रही, बदली हुई कीमत का अनुमान, Google Finance की विनिमय दरों के मुताबिक होगा.

आपके विज्ञापनों और लिस्टिंग में आपकी मुद्रा को उस देश की मुद्रा में बदल दिया जाएगा जहां प्रॉडक्ट को बेचा जाना है. हालांकि, किसी नए देश को टारगेट करने के लिए, आपको उस देश की भाषा से जुड़ी ज़रूरी शर्तों को अब भी पूरा करना होगा. ध्यान रखें कि आपको विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके अपने टारगेट किए गए देश की शिपिंग से जुड़ी ज़रूरी शर्तों को पूरा करने के लिए, अपनी शिपिंग की सेटिंग भी अपडेट करनी होंगी. शिपिंग की जानकारी सेट अप करने का तरीका जानें

आपकी वेबसाइट आपकी मौजूदा मुद्रा में शुल्क लेती है, इसलिए उपयोगकर्ता की खरीदारी की आखिरी कीमत उपयोगकर्ता के क्रेडिट कार्ड या पैसे चुकाने की सेवा देने वाली दूसरी कंपनी की विनिमय दरों के हिसाब से होती है. इसका मतलब है कि खरीदारी की आखिरी कीमत और अनुमान अलग-अलग हो सकते हैं. पक्का करें कि आपके पूरे लैंडिंग पेज और वेबसाइट पर कीमत, सबसे पहले चुनी गई मुद्रा में साफ़ तौर पर दिख रही हो.

मटिल्डा का स्टोर अमेरिका में है और उनकी वेबसाइट पर प्रॉडक्ट की कीमतें अमेरिकन डॉलर में दिखती हैं. वह विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके अमेरिका में विज्ञापन करने के लिए शॉपिंग विज्ञापनों का इस्तेमाल करती हैं, इसलिए उनके प्रॉडक्ट डेटा में कीमतें अमेरिकन डॉलर में होती हैं. वह कनाडा में भी प्रॉडक्ट को बेचती और शिप करती हैं, लेकिन उनकी वेबसाइट पर कीमतें कैनेडियन डॉलर में नहीं दिखतीं.

हालांकि, एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा के साथ, मटिल्डा कनाडा में विज्ञापन देने के लिए अपना अमेरिका का प्रॉडक्ट डेटा और लैंडिंग पेज इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस पर कीमतें अमेरिकन डॉलर में दिखती हैं. प्रॉडक्ट डेटा सबमिट करने के बाद, वे अपने Google Ads खाते विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके में एक नया शॉपिंग कैंपेन बनाती हैं. अब उनके पास दो कैंपेन हैं, एक अमेरिका के लिए और दूसरा कनाडा के लिए. इसके लिए, उन्होंने वही लैंडिंग पेज और खास तौर पर वही प्रॉडक्ट डेटा इस्तेमाल किया है.

मटिल्डा के कनाडा वाले कैंपेन में, उनके विज्ञापन पर प्रॉडक्ट की कीमतें कैनेडियन डॉलर में दिखती हैं और दूसरी मुद्रा के तौर पर अमेरिकी विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके डॉलर वाली कीमतें भी होती हैं. दूसरी मुद्रा में बदली गई कीमतों से कनाडा के संभावित ग्राहकों को प्रॉडक्ट और उसकी कीमत को अपनी जानी-पहचानी मुद्रा में समझने में मदद मिलती है. लोग विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके जब किसी विज्ञापन पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें मटिल्डा का लैंडिंग पेज दिखता है जिसमें कीमत अमेरिकी डॉलर में होती हैं. वे अपनी खुद की मुद्रा में साफ़ तौर पर कीमत की जानकारी पाकर, चेकआउट प्रोसेस को पूरा कर सकते हैं.

नीति और ज़रूरी शर्तें

उपयोगकर्ताओं को आपकी मुफ़्त में दिखाई जाने वाली लिस्टिंग और विज्ञापन, उनकी मुद्रा से अलग मुद्रा में दिखते हैं. इसलिए, उन्हें लग सकता है कि वे किसी दूसरे देश की कंपनी या व्यापारी से खरीदारी कर रहे हैं. लोगों के अनुभव को एक जैसा रखने के लिए, आपको उस देश की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा जिसकी मुद्रा का इस्तेमाल आपके प्रॉडक्ट डेटा में हुआ है.

उदाहरण के लिए, अगर आपका प्रॉडक्ट डेटा अमेरिकी डॉलर में सबमिट किया गया है और आपकी वेबसाइट अमेरिकी डॉलर में शुल्क ले रही है, तो आपको अमेरिका की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा. दूसरी सभी ज़रूरी शर्तों के बारे में जानने के लिए, उस देश की स्थानीय ज़रूरी शर्तें देखें.

यह किन सुविधाओं के साथ काम करता है

Merchant Center और Google Ads की इन सुविधाओं के साथ, एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा का इस्तेमाल किया जा सकता है.

वक्त की जरूरत है रुपये में व्यापार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य के मुकाबले मजबूत और स्थिर होगी भारतीय मुद्रा

रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करनी होगी जिसके लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

[डा. सुरजीत सिंह]। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। डालर के निरंतर मजबूत होने से महत्वपूर्ण मुद्राएं कमजोर पड़ने लगी हैं। विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगे हैं, जिसके चलते वैश्विक वृद्धि दर घट रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से वैश्विक भू-राजनीति भी बदल रही है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ किया है कि इन बदलते वैश्विक हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिकी डालर पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए?

आर्थिक वृद्धि में कटौती के अनुमानों के बावजूद भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था

इस संदर्भ में आरबीआइ ने एक नई शुरुआत करते हुए यह घोषणा की कि निर्यातक एवं आयातक रुपये में भी व्यापार कर सकेंगे। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना एवं डालर में होने वाली व्यापार निर्भरता को कम करना है। रुपये में होने वाले पारस्परिक लेनदेन के लिए आरबीआइ ने एक प्रणाली विकसित की है। इससे निर्यात और आयात की कीमत और चालान सभी कुछ रुपये में ही होगा।

विश्व की बदलती आर्थिक परिस्थितियों में बहुत से देश न चाहते हुए भी अपना व्यापार डालर में करने को मजबूर हैं। भारत 86 प्रतिशत व्यापार डालर में करता है। भारत के आयात, निर्यात से ज्यादा होने के कारण अधिक डालर की आवश्यकता होती है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान भारत का कुल निर्यात 229.05 अरब डालर एवं आयात 378.53 अरब डालर का हुआ। रुपये-डालर की विनिमय दर को बनाए रखने के लिए आरबीआइ 50 अरब डालर से अधिक व्यय कर चुका है। भारत की तरह दुनिया का भी अधिकांश व्यापार डालर में ही होता है। विश्व के सभी देश डालर के सापेक्ष अपनी-अपनी विनिमय दर को स्थिर करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दर को बढ़ा दिया है, जिससे विश्व के धन का प्रवाह अमेरिका की तरफ होने लगा है। इससे डालर और मजबूत होता जा रहा है।

इन परिस्थितियों में डालर के दबदबे को कम करने के लिए भारत सरकार ने सही समय पर सही पहल की है। रुपये में व्यापार करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब दुनिया के अधिकतर देश न सिर्फ मुद्रा भंडार में कमी का सामना कर रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निपटान में कठिनाइयों से भी जूझ रहे हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भारत की यह व्यवस्था विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिमों से भी सुरक्षा प्रदान करेगी। यह उन भारतीय निर्यातकों की समस्या को कम करेगी, जिनका भुगतान युद्ध के कारण अटका हुआ है। यह रूस और ईरान जैसे देश के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने में मददगार होगी, जिन पर अमेरिकी प्रतिबंध है। रुपये में व्यापार से विश्व भर में न सिर्फ इसकी स्वीकृति बढ़ेगी, बल्कि विश्व में भारत का अर्थिक स्तर भी बढ़ेगा।

विदेश मंत्रालय के सार्थक प्रयासों का ही नतीजा है कि अनेक देशों विशेष रूप से श्रीलंका, मालदीव, विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देश, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों ने भी रुपये में व्यापार करने में अपनी सहमति व्यक्त की है। भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए रूस सहर्ष तैयार है। रुपये-रूबल में व्यापार के बाद रुपया-रियाल एवं रुपया-टका में व्यापार की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। यदि इन सभी देशों को किया जाने वाला भुगतान रुपये में होगा तो इसका सीधा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह भी भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए तैयार है। स्पष्ट है कि आने वाले समय में रुपया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करेगा।

कुछ अर्थशास्त्रियों का मत है कि यह व्यवस्था उन देशों में ही सफल हो पाएगी, जहां आयात और निर्यात लगभग बराबर है। वे यह भी प्रश्न करते हैं कि यह व्यवस्था उन देशों में कैसे लागू होगी, जिन देशों के पास बैलेंस शेष रह जाएगा। भारत सरकार इसके लिए कई क्षेत्रीय समूहों जैसे ब्रिक्स के साथ एक रिजर्व मुद्रा की व्यवस्था बना सकती है, जिससे जुड़े हुए देश पारस्परिक रूप से आपसी मुद्राओं में व्यापार कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस व्यवस्था के सफल होते ही विश्व का आर्थिक खेल ही बदल जाएगा।

इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के महत्व को कम करना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये को बेहतर बनाने की एक शुरुआत करना है। यह समय की मांग भी है कि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार एक-दूसरे के लिए अधिक खुले विकल्प रखें एवं विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों के संबंध में रुपये को अधिक उदार बनाएं। इसके लिए आवश्यक है कि रुपये के संदर्भ में एक मजबूत विदेशी मुद्रा बाजार बनाया जाए। बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता के लिए आवश्यकतानुसार सुधार निरंतर जारी रहने चाहिए।

पिछली सदी के नौवें दशक में जब भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी, विदेशी मुद्रा दुर्लभ थी और डालर ‘भगवान’ था। बदलते समय के साथ रूस एवं चीन ने हमारे समक्ष उदाहरण पेश किया कि डालर के बिना भी अर्थव्यवस्था को चलाया जा सकता है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत और स्थिर बनेगा। रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में भी वृद्धि करनी होगी, जिसके लिए भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी, जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

Forex Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा, एसडीआर बढ़ा

Forex Reserves: 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

फॉरेक्स

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।

आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

देश का स्वर्ण भंडार (गाेल्ड रिजर्व) इस दौरान 247 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 37.206 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, एसडीआर) का मूल्य 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.440 अरब डॉलर हो गया।

बता दें कि बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दिख रही है क्योंकि आरबीआई के बाजार में बढ़ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को थामने के लिए संभवतः हस्तक्षेप करता है। वहीं दूसरी ओर, आयातित वस्तुओं की बढ़ती लागत ने भी व्यापार निपटान के लिए विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके भंडार की उच्च आवश्यकता को जरूरी बना दिया है, इससे इसमें कमी आ रही है।

प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारतीय रुपया पिछले कुछ हफ्तों में कमजोर होकर नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले हफ्ते रुपया इतिहास में पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार कर गया था। इस साल अब तक रुपये में करीब 10-12 फीसदी तक की गिरावट आई है।

आमतौर पर रुपये में भारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री सहित तरलता प्रबंधन के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करता है। फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 100 बिलियन अमरीकी डालर की गिरावट आ विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके गई थी। ऐसा वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात महंगा होने के कारण हुआ था। पिछले 12 महीनों के दौरान संचयी आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 115 बिलियन अमेरीकी डालर की गिरावट आ चुकी है।

विस्तार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।

आरबीआई विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

देश का स्वर्ण भंडार (गाेल्ड रिजर्व) इस दौरान 247 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 37.206 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, एसडीआर) का मूल्य 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.440 अरब डॉलर हो गया।

बता दें कि बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दिख रही है क्योंकि आरबीआई के बाजार में बढ़ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को थामने के लिए संभवतः हस्तक्षेप करता है। वहीं दूसरी ओर, आयातित वस्तुओं की बढ़ती लागत ने भी व्यापार निपटान के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की उच्च आवश्यकता को जरूरी बना दिया है, इससे इसमें कमी आ रही है।

प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारतीय रुपया पिछले कुछ हफ्तों में कमजोर होकर नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले हफ्ते रुपया इतिहास में पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार कर गया था। इस साल अब तक रुपये में करीब 10-12 फीसदी तक की गिरावट आई है।

आमतौर पर रुपये में भारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री सहित तरलता प्रबंधन के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करता है। फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 100 बिलियन अमरीकी डालर की गिरावट आ गई थी। ऐसा वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात महंगा होने के कारण हुआ था। पिछले 12 महीनों के दौरान संचयी आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 115 बिलियन अमेरीकी डालर की गिरावट आ चुकी है।

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