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अब REITs और InvITs में निवेश करना हुआ आसान, सेबी ने बदले नियम
कारोबार के लिये ‘लॉट’ की संख्या संशोधित कर एक यूनिट कर दी है. इस निर्णय का मकसद इस उभरते निवेश उत्पादों को खुदरा निवेशकों के लिये आकर्षक बनाना है.
बाजार नियामक सेबी ने रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) में निवेश के लिए आवेदन की न्यूनतम राशि घटा दी है और कारोबार के लिये ‘लॉट’ की संख्या संशोधित कर एक यूनिट कर दी है. इस निर्णय का मकसद इस उभरते निवेश उत्पादों को खुदरा निवेशकों के लिये आकर्षक बनाना है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi)) ने 30 जुलाई को जारी दो अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा कि REITs और InvITs दोनों के लिये निवेश की न्यूनतम आवेदन राशि 10,000 से 15,000 रुपए के दायरे में किया गया है. यह पहले REITs के लिये 50,000 रुपए और InvITs के मामले में 1 लाख रुपए था.
एक लॉट का एक यूनिट हुआ
सेबी ने यह भी कहा कि REITs और InvITs के लिये कारोबार को लेकर अब एक लॉट एक यूनिट का कर दिया गया है. किसी भी निवेशक को आबंटन एक लॉट के गुणक में करने की जरूरत होगी. पहले, शुरूआती सूचीबद्धता के लिये कारोबार को लेकर ‘लॉट’ 100 यूनिट का होता था.
सेबी के इस कदम से खुदरा निवेशक इन निवेश उत्पादों के लिये आकर्षित होंगे और उन्हें वृद्धि के साथ निवेश पर स्थिर रिटर्न प्राप्त करने का अवसर मिलेगा. साथ ही इससे नकदी की स्थिति बेहतर होगी और बेहतर कीमत तय न्यूनतम लॉट हो सकेगी. इसके अलावा, नियामक ने नॉन-लिस्टेड InvITs के लिए न्यूनतम यूनिट धारकों की न्यूनतम संख्या तय की है.
सेबी ने कहा, प्रायोजकों, संबंधित पक्षों और उसके सहयोगियों के अलावा InvITs में यूनिटधारकों की न्यूनतम संख्या 5 होगी और उनके पास सामूहिक रूप से कम-से-कम कुल यूनिट के 25 फीसदी होने चाहिए.
म्यूचुअल फंड निवेशकों को राहत
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को राहत देते हुए इंस्टेंट एक्सेस की सुविधा दी है. इसके तहत रिडेम्पशन रिक्वेस्ट से कुछ ही घंटों या मिनटों के भीतर अपने फंड से पैसा निकाल सकते हैं. निवेशक अपनी यूनिट के मूल्य का 90% तक निकाल सकते हैं, जो तत्काल एक्सेस सुविधा के लिए 50,000 रुपए की सीमा के अधीन है.
आमतौर पर लिक्विड फंड सहित डेट फंड से पैसा निकालने में 1-2 वर्किंग डेज लगते हैं. जिसमें म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक के बैंक खाते में रकम जमा करती है, लेकिन सेबी के नए आदेश के तहत अब नई सुविधा दी गई है. जिसमें उन्हें जल्द से जल्द पैसा मिल जाएगा.
जब कोई समस्या अधिक हो जाती है तो IPO आवंटन की प्रक्रिया
आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) सार्वजनिक पेशकश का एक रूप है जहां किसी कंपनी के शेयर संस्थागत निवेशकों को बेचे जाते हैं और व्यक्तिगत निवेशकों के लिए भी। एक आईपीओ आमतौर पर एक या अधिक निवेश बैंकों द्वारा लिखा जाता है। कौन शेयरों को एक या अधिक स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करने की व्यवस्था करता है। स्टॉक एक्सचेंज की बात करें तो आप सेबी के बारे में भी पढ़ सकते हैं । इस लेख में विभिन्न मामलों में आईपीओ के आवंटन पर चर्चा की जाएगी
प्रारंभिक सार्वजनिक प्रसाद का उपयोग किया जा सकता है:
- संबंधित कंपनी के लिए नई इक्विटी पूंजी जुटाने के लिए।
- कंपनी के संस्थापकों या निजी इक्विटी निवेशकों जैसे निजी शेयरधारकों के निवेश का मुद्रीकरण। इस लेख को पढ़ने के लिए निवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इक्विटीम्यूचुअल फंड के बारे में अधिक जानने के लिए ।
- सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले उद्यमों द्वारा मौजूदा होल्डिंग या भविष्य की पूंजी जुटाने के आसान व्यापार को सक्षम करने के लिए।
हालाँकि IPO कई लाभ प्रदान कर रहा है, इसमें महत्वपूर्ण लागतें भी शामिल हैं। ज्यादातर लोग इस प्रक्रिया से जुड़े होते हैं जैसे कि बैंकिंग और कानूनी शुल्क, और महत्वपूर्ण और कभी-कभी संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने की निरंतर आवश्यकता।
आईपीओ का आवंटन
प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) आमतौर पर खुदरा निवेशकों से अच्छी भागीदारी प्राप्त करती है। निवेशक श्रेणियों को शेयर एस का आवंटन प्रत्येक आईपीओ में आरक्षित है। श्रेणियां हैं – योग्य संस्थागत खरीदार, गैर-संस्थागत निवेशक और खुदरा निवेशक । अधिकांश समय, खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों का कोटा ओवर-सब्सक्राइब हो जाता है। ओवर-सब्सक्रिप्शन का मतलब है, जब आवेदकों की संख्या पेशकश किए जाने वाले शेयरों की संख्या से अधिक हो। इसलिए, जब कोई मुद्दा ओवर-सब्सक्राइब हो जाता है, तो आवेदक कम शेयर प्राप्त करते हैं, जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया है। यदि कोई ओवर-सब्सक्रिप्शन नहीं है, तो निवेशकों को शेयरों का पूर्ण आवंटन मिलता है।
जब कोई समस्या अधिक हो जाती है तो आवंटन की प्रक्रिया
योग्य संस्थागत खरीदारों को आईपीओ आवंटन
योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) के मामले में , शेयरों को आवंटित करने का अधिकार व्यापारी बैंकर के विवेक पर है। शेयर आवेदकों को आनुपातिक रूप से आवंटित किए जाते हैं। इसलिए, यदि शेयरों को 4 बार ओवरसब्सक्राइब किया जाता है, तो 10,00,000 शेयरों के लिए आवेदन करने वाले आवेदक को केवल 2,50,000 शेयर प्राप्त होंगे।
खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों को आईपीओ आवंटन
जहां तक रिटेल इंडिविजुअल इनवेस्टर्स (आरआईआई) का सवाल है, शेयरों के आवंटन की प्रक्रिया अलग है। खुदरा निवेशक प्रति आईपीओ के लिए अधिकतम राशि रु। 2 लाख। खुदरा निवेशक श्रेणी में शेयरों की कुल मांग के निर्धारण के लिए, सभी आवेदनों को एक साथ समूहीकृत किया जाता है और कुल आवेदनों की गणना की जाती है। गणना के लिए, आरआईआई को आवंटन के लिए उपलब्ध इक्विटी शेयरों की कुल संख्या को न्यूनतम बोली लॉट द्वारा विभाजित किया गया है। यह हमें अधिकतम संख्या में आरआईआई प्रदान करेगा जिन्हें शेयरों का आवंटन किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए – यदि शेयर रु। खुदरा खंड को 20 लाख आवंटित किए जाने की आवश्यकता है और न्यूनतम लॉट आकार रु। 10,000, केवल अधिकतम 200 आवेदकों को न्यूनतम रु। 10,000 रु।
यदि RII की संख्या अधिकतम RII आवंटियों से अधिक है, तो RII (उस श्रेणी में) जो न्यूनतम बोली लॉट के लिए पात्र होंगे, को बहुत सारे ड्रा के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। यह एक कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया है और इसलिए इसमें पक्षपात की न्यूनतम लॉट कोई गुंजाइश नहीं है।
अच्छी निवल संपत्ति वाले शख़्स
आमतौर पर, हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNI ) आईपीओ में बड़ी राशि का निवेश करते हैं। वित्तीय संस्थान आईपीओ में निवेश करने के लिए एचएनआई को आवश्यक धन मुहैया कराते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि एक एचएनआई को उसके द्वारा लागू किए गए शेयरों की सटीक संख्या आवंटित की जाएगी। यदि कोई ओवर-सब्सक्रिप्शन होता है, तो एचएनआई को कम शेयर आवंटित किए जा सकते हैं जो उन्होंने आवेदन किया होगा। उदाहरण के लिए, एक एचएनआई क्लाइंट ने 10 लाख शेयरों के लिए एक आवेदन दायर किया है और एचएनआई कोटा 150 गुना अधिक है। HNI आवेदक को कुल शेयर आवंटित किया जाएगा 6666 होगा। यह संख्या जितनी बार ओवर-सब्सक्राइब हुई है, उतने समय के लिए लगाए गए कुल शेयरों को विभाजित करके प्राप्त होती है।
आईपीओ के फायदे
पहले निजी कंपनी को IPO के कई लाभ हैं:
- इक्विटी बेस में वृद्धि और विविधता लाना।
- पूंजी तक सस्ती पहुंच को सक्षम करना।
- एक्सपोज़र, प्रतिष्ठा और सार्वजनिक छवि को बढ़ाना।
- तरल इक्विटी भागीदारी की मदद से बेहतर प्रबंधन और कर्मचारियों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना।
- अधिग्रहण की सुविधा (संभवतः स्टॉक के शेयरों के बदले में)।
- कई वित्तीय अवसरों का निर्माण: इक्विटी, परिवर्तनीय ऋण, ऋण, सस्ता बैंक ऋण, आदि।
आईपीओ का नुकसान
निम्नलिखित प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश को पूरा करने के नुकसान हैं:
- महत्वपूर्ण कानूनी, लेखांकन और विपणन लागत, जिनमें से कई चल रहे हैं।
- वित्तीय और व्यावसायिक जानकारी का खुलासा करने की आवश्यकता।
- प्रबंधन के लिए सार्थक समय, प्रयास और ध्यान की आवश्यकता।
- धन की आवश्यकता वाले जोखिम को नहीं उठाया जाएगा।
- सूचना का प्रसार, जो प्रतियोगियों, आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के लिए उपयोगी हो सकता है।
- नए शेयरधारकों के कारण नियंत्रण और मजबूत एजेंसी समस्याओं का नुकसान।
- निजी प्रतिभूति वर्ग कार्यों और शेयरधारक व्युत्पन्न कार्यों सहित मुकदमेबाजी के जोखिम में वृद्धि।
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कृषि बाजार समाचार : सोयाबीन में आई तेजी, सोया खली का निर्यात बढ़ा
जानें, विभिन्न उपजों के ताजा मंडी भाव?
इन दिनों बाजार में सोयाबीन में तेजी का रूख देखा गया है। इससे सोयाबीन की कीमतों में 39 रुपए की तेजी दर्ज की गई। वहीं सोया खली की मांग अधिक होने से इसके निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। इसकी निर्यात मांग बढऩे से इसके दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार हाजिर मांग में तेजी को देखते हुए व्यापारियों ने ताजा सौदों की न्यूनतम लॉट लिवाली की जिससे वायदा कारोबार में सोयाबीन की कीमत 39 रुपए की तेजी के साथ 5,360 रुपए प्रति क्विंटल हो गई। एनसीडीईएक्स में सोयाबीन के न्यूनतम लॉट मार्च माह में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 39 रुपए अथवा 0.73 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,360 रुपए प्रति क्विंटल हो गई जिसमें 24,890 लॉट के लिए कारोबार हुआ। सोयाबीन के अप्रैल माह में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 39 रुपए अथवा 0.74 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,288 रुपए प्रति क्विंटल हो गई जिसमें 1,51,640 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि बाजार की मांग में तेजी को देखते हुए सटोरियों द्वारा ताजा सौदों की लिवाली करने से मुख्यत: सोयाबीन वायदा कीमतों में तेजी आई है।
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रिफाइंड सोया तेल के भावों में आई गिरावट
हाजिर बाजार की कमजोर मांग के बीच सटोरियों द्वारा अपने सौदों का आकार घटाने से वायदा कारोबार में पिछले दिनों रिफाइंड सोया तेल का दाम 14.2 रुपए की गिरावट के साथ 1,285.5 रुपए प्रति 10 किग्रा रह गया। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज में मार्च माह में डिलीवरी के लिए रिफाइंड सोया तेल न्यूनतम लॉट के वायदा अनुबंध का भाव 14.2 रुपए यानी 1.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,285.5 रुपए प्रति 10 किग्रा रह गया। इस अनुबंध में 8,030 लॉट के लिए सौदे किए गए। अप्रैल माह में डिलीवरी के लिए रिफाइंड सोया तेल के वायदा अनुबंध का भाव 10.3 रुपए यानी 0.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,283.7 रुपए प्रति 10 किग्रा रह गया। इस अनुबंध में 51,630 लॉट के लिए सौदे किए गए।
सोया खली की मांग बढ़ी, निर्यात में आई तेजी
प्रतिस्पर्धी कीमतों के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली की मांग में तेजी आई है। इससे फरवरी के दौरान देश का सोया खली निर्यात पांच गुना उछाल के साथ 3.60 लाख टन पर पहुंच गया। पिछले साल फरवरी में देश से महज 70,000 टन सोया खली का निर्यात गया था। प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक आला अधिकारी ने यह जानकारी दी। सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने मीडिया को बताया कि अलग-अलग कारणों से सोया खली के भावों में दुनिया भर में इजाफा हुआ है। भारत को तेजी के इस रुझान का फायदा मिला है और हमारी सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना के इस उत्पाद के मुकाबले प्रतिस्पर्धी दायरे में बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण भारत का सोया खली निर्यात लगातार बढ़ रहा है। पाठक ने यह भी बताया कि फरवरी में वियतनाम (73,200 टन) और फ्रांस (60,445 टन) भारतीय सोया खली के सबसे बड़े आयातकों में शामिल रहे।
क्या है सोया खली
प्रसंस्करण संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाले उत्पाद को सोया खली कहते हैं। यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य पदार्थों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है।
विभिन्न उपजों के ताजा इंदौर मंडी भाव
इंदौर मंडी में डॉलर चना-न्यूनतम भाव- 4490 रुपए एवं अधिकतम भाव -7800 रुपए प्रति क्विंटल, गेहूं- न्यूनतम भाव 1300 रुपए एवं अधिकतम भाव- 2141 रुपए प्रति क्विंटल, चना मौसमी- न्यूनतम भाव-3930 रुपए एवं अधिकतम भाव-5615 रुपए प्रति क्विंटल, सोयाबीन- न्यूनतम भाव- 3050 रुपए एवं अधिकतम भाव 5400 रुपए प्रति क्विंटल, मक्का- न्यूनतम भाव- 1275 एवं अधिकतम भाव 1326 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर- न्यूनतम भाव- 4860 रुपए एवं अधिकतम भाव-4860 रुपए प्रति क्विंटल, मूंग- न्यूनतम भाव-5360 रुपए एवं अधिकतम भाव- 5360 रुपए प्रति क्विंटल, बटला- न्यूनतम भाव- 1705 रुपए एवं अधिकतम भाव-3500 रुपए प्रति क्विंटल, मैथी- न्यूनतम भाव- 1805 रुपए एवं अधिकतम भाव- 3550 रुपए प्रति क्विंटल, तुअर- न्यूनतम भाव- 6125 रुपए एवं अधिकतम भाव- 6125 रुपए प्रति क्विंटल, मिर्ची- न्यूनतम भाव- 2000 एवं अधिकतम भाव-13190 रुपए प्रति क्विंटल, सरसों- न्यूनतम भाव- 4910 रुपए एवं अधिकतम भाव-4910 रुपए प्रति क्विंटल रहा।
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