क्या शेयर मार्केट रिस्की हैं

Fear and greed are very much fundamental to the human psyche. As long as humans drive buying and selling decisions in equity markets, pricing will be affected by these fear and greed attributes. When extreme fear sets in, there is likely to be irrational behavior. In that situation, the stock market resembles a theater that is filled to capacity. Someone sees some smoke and yells “Fire, Fire!” There is a mad rush for the exits. In the theater called the stock market, you can only exit if someone else buys your seat—each share has to be held by someone! If there is a mass rush to leave the burning theater, what price do you think these seats would go for? The trick is to only buy seats in those theaters where there is a mass exodus and you know that there is no real fire, or it’s already well on its way to being put out. Read voraciously and wait patiently, and from time to time these amazing bets will present themselves. The Dhandho Investor by Mohnish Pabrai
Is it Risky to Invest in Share Market (क्या शेयर बाजार में निवेश करना जोखिम भरा है) ?
लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या हमें शेयर मार्केट में निवेश करना चाहिए ? इस सवाल का जवाब जानने से पहले एक सवाल का जवाब हमारे पास होना चाहिए कि क्या शेयर बाजार में निवेश करना रिस्की है? इस पोस्ट में हम इसी सवाल का जवाब समझने की कोशिश करेंगे।
आपने कितनी बार ऐसा देखा है कि नया निवेशक शेयर बाजार में आता है और उस समय शेयर खरीदता है जब बाजार 52 वीक लो पर या उससे नीचे हो, शेयर बाजार के गलियारों में निराशा का माहोल हो, चारों तरफ डर का माहोल हो? बहुत कम या शायद नही के बराबर। एक नौसिखिया निवेशक ऐसा शायद ही कभी करता हो। एक नया निवेशक पहली बार शेयर बाजार में तब शुरुआत करता है जब शेयर बाजार ऊपर जा रहा होता है, जब शेयर बाजार हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा होता है, हर तरफ शेयर बाजार के ऊपर जाने की खबरें छाई होती हैं। इन खबरों को सुनकर और अपने आसपास के माहोल को देखकर एक आम आदमी जिसे शेयर बाजार की कोई जानकारी नहीं होती है वह भी शेयर बाजार के प्रति उत्सुक हो जाता है और कम क्या शेयर मार्केट रिस्की हैं समय में अधिक पैसे कमाने के लालच में शेयर बाजार में निवेश कर देता है। अब उसके निवेश का क्या होगा ? चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं ।
शेयर बाजार के उतार चढ़ाव
Logical or Emotional ?
यह तो हम सभी जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर्स की कीमतों में हर दिन लगातार उतार चढ़ाव होते रहते हैं। इन उतार चढ़ावों का क्या कारण हो सकता है? क्या उस शेयर की कीमत के पीछे छुपी कंपनी की वास्तविक वैल्यू ( जिसे Intrinsic Value भी कहा जाता है ) भी हर दिन बदलती रहती है? किसी भी कंपनी की Intrinsic Value उसकी वर्तमान वित्तीय स्थिति और भविष्य की व्यापार संभावनाओं पर निर्भर करती है। वर्तमान वित्तीय स्थिति का तो फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स की सहायता से सही आंकलन किया जा सकता है लेकिन भविष्य में क्या होने वाला है इसका शत प्रतिशत सही आंकलन करना संभव नही है इसका कुछ घटकों के आधार पर केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।
शेयर मार्केट में हजारों निवेशक और विश्लेषक होते हैं। ये सभी लोग अपने अपने नजरिए से शेयर बाजार की चाल को समझने की कोशिश करते हैं और अपने अपने विश्लेषण के आधार पर शेयर बाजार की दिशा का अनुमान लगाते हुए शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं। अधिकांश निवेशकों का जो एनालिसिस होता है और उसके आधार पर वो जो निर्णय लेते हैं वह काफी हद तक उनकी भावनाओं (Emotions) जैसे डर और लालच (Fear and Greed) के द्वारा प्रभावित और नियंत्रित होता है। हर दिन बढ़ते हुए बाजार को देखकर हमारे भीतर लालच की भावना उत्पन्न होती है और गिरते हुए बाजार को देखकर डर की भावना उत्पन्न होती है और यह हमारे विश्लेषण और उसके आधार पर लिए गए निर्णय को प्रभावित करती है।
हजारों लाखों निवेशकों की डर और लालच की यही मिश्रित भावनाएं शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करती हैं। दुनिया में होने वाली विभिन्न घटनाएं जैसे आर्थिक मंदी, COVID-19, युद्ध की संभावना, तेल की बढ़ती कीमतें निवेशकों के मन में डर की भावना पैदा करती है, और निवेशक नुकसान से बचने के लिए अपने शेयरों को बेच देते है। हो सकता है कि इन घटनाओं के कारण शॉर्ट टर्म में कंपनियों को कुछ नुकसान उठाना पड़े लेकिन कुछ समय बाद परिस्थितियां सामान्य होने पर यह कंपनियां इस नुकसान से बाहर जरूर निकल जाती हैं।
शेयर बाजार में निवेशकों की भावनाएं किस तरह कीमतों को नियंत्रित करती हैं इसे और बेहतर ढंग से समझने के लिए The Dhandho Investor पुस्तक का यह अंतरण पढ़ सकते हैं –
Fear and greed are very much fundamental to the human psyche. As long as humans drive buying and selling decisions in equity markets, pricing will be affected by these fear and greed attributes. When extreme fear sets in, there is likely to be irrational behavior. In that situation, the stock market resembles a theater that is filled to capacity. Someone sees some smoke and yells “Fire, Fire!” There is a mad rush for the exits. In the theater called the stock market, you can only exit if someone else buys your seat—each share has to be held by someone! If there is a mass rush to leave the burning theater, what price do you think these seats would go for? The trick is to only buy seats in those theaters where there is a mass exodus and you know that there is no real fire, or it’s already well on its way to being put out. Read voraciously and wait patiently, and from time to time these amazing bets will present themselves.
The Dhandho Investor by Mohnish Pabrai
SENSEX Chart
चित्र में सेंसेक्स का 1992 से वर्तमान तक का एक चार्ट दिखाया गया है। जिसमें आप देख सकते हैं की अनगिनत उतार-चढ़ाव के बावजूद अंततः बाजार लगातार ऊपर चढ़ता गया और नई ऊंचाइयों को छूता गया। मार्केट क्रैश बाजार में हमेशा आते थे और आगे भी आते रहेंगे क्योंकि ये शेयर बाजार का व्यवहार है उसका एक हिस्सा है। हमें उनसे डरना नही है उसे समझना है और स्वीकार करना है।
हमें यह समझना जरूरी है कि शेयर मार्केट क्रैश हमारे लिए शार्ट में नुकसानदायक हो सकता है लेकिन अगर लोंग टर्म के नजरिये से देखा जाए तो यह हमारे लिए फायदेमंद ही होता है। क्योंकि शेयर मार्केट क्रैश हमें अच्छी कंपनियों के शेयर्स को कम कीमत पर खरीदने का अवसर देता है। अगर हम अच्छी कंपनियों के शेयर्स को कम दाम में खरीदने में सफल हो जाते हैं और लगातार सफल होते रहते हैं तो हम निश्चय ही शेयर बाजार में एक सफल निवेशक बन सकते हैं।
ईजी मनी का इफेक्ट: कोविड-19 की परेशानियों के बावजूद शेयर बाजार के आसमान छूने की वजह क्या है?
कोविड-19 के बीच पब्लिक और कॉरपोरेट वर्ल्ड भले परेशान रहा हो, शेयर मार्केट आसमान छू रहा है। कोरोना के चलते देश में रोज औसतन 224 लोग मर रहे हैं और बेरोजगारी दर नवंबर में 7.8 पर्सेंट पर पहुंच गई थी। भारत जैसे विकासशील देश ही नहीं, अमेरिका जैसे विकसित देशों का भी कमोबेश ऐसा ही हाल है, जहां स्टॉक मार्केट नई ऊंचाइयों पर जा रहा है। ऐसे में किसी भी शख्स को हैरत होगी कि इकनॉमी के साथ ऐसा क्या चल रहा है जो तार्किक नजरिए को धता बता रहा है।
कब से हुई भारतीय बाजार में हालिया तेजी की शुरुआत?
जहां तक भारत की बात है क्या शेयर मार्केट रिस्की हैं तो सितंबर 2019 में खासतौर पर ग्रामीण भारत में दमदार मांग के चलते आर्थिक वृद्धि दर स्थिति बेहतर रहने वाली लग रही थी। तभी सरकार ने कंपनियों के लिए अगले तीन साल में होने वाले निवेश पर 15 पर्सेंट का कॉरपोरेट टैक्स तय कर दिया था। उससे शेयर बाजार में तेजी का दौर शुरू हुआ, लेकिन थोड़े समय बाद जीडीपी ग्रोथ 6 पर्सेंट से नीचे चली गई और शेयर बाजार पर भी दबाव बना।
कब बिगड़ने लगे हालात और कैसी हो गई इकनॉमी की स्थिति?
फरवरी 2020 में आर्थिक हालात बिगड़ने लगे और भारत सहित दुनियाभर में गतिविधियां थम सी गईं। जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ तेजी से गिरकर शून्य से 24 पर्सेंट नीचे चली गई, विकसित देशों की ग्रोथ थोड़ी बेहतर रही। दुनिया की स्थिति 2008 की आर्थिक मंदी से भी खराब हो गई। विकसित देशों ने अपने पुराने अनुभव को देखते हुए कर्ज सस्ता करने और लोगों के हाथों में पैसे देने के उपाय किए।
फेड रिजर्व सहित दुनिया भर के बैंकिंग रेगुलेटर ने क्या किया?
इकनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए फेड रिजर्व सहित दुनिया भर के बैंकिंग रेगुलेटर ने बड़े पैमाने पर रेट कट किए हैं। इन देशों में ब्याज दर शून्य के आसपास चल रही है। उसके चलते विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में सितंबर 2020 वाले क्वॉर्टर में कमोबेश V शेप में रिकवरी हुई। अमेरिकी सरकार और फेड रिजर्व ने साफ कर दिया है कि वे बाजार और इकनॉमी को बढ़ावा देने के उपाय करते रहेंगे और आगे भी राहत पैकेज ला सकते हैं।
कब बढ़ता है शेयर जैसे जोखिम वाले एसेट में रिटेल इनवेस्टर्स का निवेश?
जब आसानी से पैसा आता है तो शेयर जैसे रिस्की एसेट में हर जगह के रिटेल इनवेस्टर्स का निवेश बढ़ता है। अमेरिका जैसे देशों के बड़े निवेशकों ने भारत जैसे विकासशील देशों के बाजारों में पैसे लगाए। यह ट्रेंड फिलहाल बने रहने की उम्मीद है। वैसे भी रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार महंगाई को भूलकर इकनॉमी को बढ़ावा देने में लगे हैं। बैंकिंग सिस्टम में पैसा है और ब्याज भी कम है, सो कंज्यूमर्स और कंपनियों को कम ब्याज दर का फायदा होता रहेगा। कम ब्याज दर से कंज्यूमर्स की डिमांड बढ़ती रहेगी और कंपनियों के प्रॉफिट में बढ़ोतरी होगी।
इनवेस्टर सेंटीमेंट को पॉजिटिव बनाए रखने के लिए सरकार ने क्या किया?
सरकार ने इनवेस्टर सेंटीमेंट को पॉजिटिव बनाए रखने के लिए कई फैसले किए हैं। नए निवेश के लिए टैक्स के रेट घटाए हैं और मेक इन इंडिया अभियान के तहत 10 सेक्टर को प्रॉडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव दिया जा रहा है। MSME को राहत देने के लिए भी कदम उठाए गए हैं और सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन सबसे देश की आर्थिक बुनियाद को मजबूती मिलेगी।
क्या डिस्कनेक्शन की वजह मौजूदा असलियत और आगे के अनुमान में फर्क है?
इकनॉमी और मार्केट में अभी जो डिस्कनेक्शन लग रहा है उसकी वजह मौजूदा असलियत और आगे के अनुमान में फर्क है। अगर आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद के मुताबिक होती रही तो बाजार का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है। लेकिन अमेरिका और यूरोप में कोविड-19 की दूसरी लहर चल रही है और नए सिरे से लॉकडाउन लग रहा है, जिसके चलते इकनॉमिक रिकवरी बेपटरी हो सकती है। यहां भी कुछ राज्यों में वायरस के नए स्ट्रेन मिले हैं जिसके चलते स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि यहां सरकारी राहत पैकेज बहुत कम (जीडीपी के दो पर्सेंट से कम) रहा है। इसलिए बिक्री में हालिया बढ़ोतरी पुरानी मांग या त्योहारी सीजन की बची मांग हो सकती है।
क्या दिसंबर तिमाही के नतीजे दिखाएंगे मार्केट और इकनॉमी के टूटे रिश्तों का सच?
देश में रोजगार कोविड से पहले वाले लेवल से कम है और खास तौर पर सर्विसेज सेक्टर में बहुत से कारोबार बंद हुए हैं। ऐसे में सरकार की तरफ से राहत के और उपाय नहीं होने पर मांग में बाउंस बैक तेजी से नहीं होगा। अभी फाइनेंशियल सेक्टर पर बना दबाव चिंता का कारण बना हुआ है और असल तस्वीर दिसंबर तिमाही नतीजों के बाद ही नजर आएगी। यह तभी पता चलेगा कि भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों की चाल एक होगी या अलग-अलग, जैसा कि अब तक देखने को मिला है।
गिरते बाजार से कैसे कमाएं मुनाफा, कौन से स्टॉक में करें निवेश, बता रहे हैं एक्सपर्ट सुमित बगड़िया
भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में महंगाई (Inflation) बढ़ रही है. बैंक ब्याज दर बढ़ा रहे हैं और शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी है. ऐसे में क्या ये मंदी की आहट है, और अगर मंदी की दस्तक होती है तो इसका क्या असर होगा. इन मुद्दों पर जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय.
भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में महंगाई (Inflation) बढ़ रही है. बैंक ब्याज दर बढ़ा रहे हैं. और शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी है. ऐसे में क्या ये मंदी की आहट है. इसी मुद्दे पर बात शेयर बाजार के जाने-माने जानकार और ब्रोकरेज हाउस चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमित बगड़िया ने प्रभात खबर प्राइम में बात की.
देश दुनिया में जो आर्थिक माहौल बन रहा है क्या ये मंदी का संकेत है
जी हां ये मंदी का संकेत तो है. महंगाई बढ़ने से ब्याज दर बढ़ रहे हैं. ग्लोबल बाजार और घरेलू बाजार में करेक्शन का माहौल छाया हुआ है. बीते तीन महीनों में देश और दुनिया के बाजार में गिरावट का दौर देखने को मुला है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपया गिर रहा है. जबतक महंगाई बढ़ती रहेगा ब्याज दर के बढ़े की संभावना बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि रिस्की महौल बना हुआ है.
जिस तरह से बाजार में गिरावट है क्या ये स्टॉक खरीदने का सही समय है
बाजार में अभी अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली है. कई सेक्टर में तो 30 से 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए यह बेहतर अवसर हो सकता है. 3 से 6 महीने के लिए अगर कोई निवेशक निवेश करता है तो उसे मुनाफा हो सकता है. उन्होंने कहा अभी खरीदारी का बाजार चल रहा है.
गोल्ड और सिल्वर में अभी निवेश करना कैसा रहेगा
गोल्ड और सिल्वर में निवेश करना अभी के समय में बहुत अच्छा रहेगा. सुमित बगड़िया ने कहा कि गोल्ड और सिल्वर के भाव में गिरावट है. लेकिन आने वाले समय में इसमें तेजी दिखाई देगी. दोनों के रेट नई उंचाईयों को छुएंगे. सुमित बगड़िया ने कहा जो निवेश के इच्छुक हैं वो गोल्ड और सिल्वर में निवेश करें. और जो पहले से ही ख्ररीद कर रखे हैं, वो अभी होल्ड करें. आने वाले समय में इसमें अच्छा रिटर्न मिलेगा. गोल्ड 60 हजार तक के लेबल पहुंच सकता है.
आने वाले समय में निवेशक कैसी रणनीति बनाएं
निवेशक आने वाले बेहतर समय के लिए होल्ड करें. बाजार के तातकालीक परिस्थिति देखकर कोई पैसला न लें. बाजार गिर रहा है यह खरीदारी के लिए बेहतर समय है. उन्होंने कहा कि अभी क्वालिटी स्टॉक की खरीद करें. हर हाल में स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.
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Lockdown में First Time Investors कर रहे हैं शेयर मार्केट से कमाई, लाखों की संख्या में खुले Demat Account
नई दिल्ली : कोरोना महामारी ( Corona Pandemic ) ने न सिर्फ लोगों को लंबे वक्त तक घर में रहना सिखा दिया बल्कि लोगों को उनके अंदर छिपे ऐसे टैलेंट के बारे में भी पता चला जिस पर लोग कभी ध्यान नहीं देते थे। अब शेयर मार्केट को ही ले लिया जाए तो इसे हमेशा से रिस्की और gambling माना जाता है। आम आदमी पैसा गंवाने के डर से इससे दूरी बनाकर रखता है, लेकिन फिलहाल मई में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन पीरियड में मार्च से लेकर मई तक 12 लाख नए Demat अकाउंट्स खुलवाए गए । जिससे साफ है कि लोग लॉकडाउन में शेयर मार्केट ( Share Market ) में दिलचस्पी ले रहे हैं। और ऐसा करने में सबसे आगे वो First Time Investors है जिन्हें आमतौर पर अपने मेनस्ट्रीम करियर की वजह से शेयर मार्केट में पैसा लगाने का वक्त ही नहीं था।
कई लोग लॉकडाउन ( Lockdown ) में घर में फुर्सत के समय शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर शेयर बाजार से कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में Prerna Bhambri भी आती है। प्रेरणा 4 बार नेशनल टेनिस चैंपियनशिप जीत चुकी है लेकिन जब ल़ॉकडाउन की वजह से Women’s Tennis Association ने सारे इवेंट्स कैंसिल कर दिये तो प्रेरणा ने खाली वक्त में शेयर मार्केट में किस्मत आजमाने की सोची । प्रेरणा अकेली ऐसी इंसान नहीं है बल्कि स्टूडेंट्स से लेकर हाउस वाइव्स भी इस वक्त शेयर मार्केट में दिलचस्पी लेती है। बड़ी बात ये है कि ये लोग मार्केट से कमाई भी कर रहे हैं।
दिल्ली, मुंबई , अहमदाबाद जैसे शहरों में युवाओं के बीच शेयर मार्केट काफी पॉपुलर हो रहा है। आलम ये है कि शौकिया तौर शुरू कए इस काम के लिए लोग अब पूरा रिसर्च वर्क कर रहे हैं।
ये निवेशक बाकायदा पूरे दिन बाजार के हर मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं। उसी के हिसाब से शेयर्स की खरीद परोख्त को अंजाम दे रहे हैं।
Brokerages House भी लॉन्च कर क्या शेयर मार्केट रिस्की हैं रहे हैं स्कीम्स – ऐसा नहीं है कि सिर्फ युवा इस वक्त कमाई का सोच रहे हैं बल्कि Brokerages House भी इन Rookie Investors ( ये वो निवेशक होते हैं जो पहली बार शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं ) को commission-free trading, free exchange trade fund (ETF) units और refunds जैसे ऑफर्स से आकर्षित कर रहे हैं।