सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं?

भारत में सबसे अच्छे क्रिप्टो ट्रेडिंग एप्प | Best Crypto Exchange App In India Hindi
Best Cryptocurrency Exchange App in Hindi – आज के समय में क्रिप्टोकरेंसी एक चर्चित विषय बना हुआ है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करके अनेक सारे लोग लाखों रुपया कमा रहे हैं और दुनिया के अधिकतर देशों में क्रिप्टोकरेंसी को सरकार ने मान्यता भी दे दी है. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं क्रिप्टो ट्रेडिंग एप्लीकेशन. इन एप्लीकेशन की सहायता से आप आसानी से किसी भी क्रिप्टो करेंसी को खरीद और बेच सकते हैं.
भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी लीगल है, भारत के लोग भी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करके कमाई कर सकते हैं. अगर आप भी क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करने के सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं? विषय में विचार कर रहे हैं तो आज इस लेख में हम आपको 5 ऐसे क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के बारे में बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप आसानी से क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग कर सकते हैं. इस लेख में बताई गयी सभी एप्लीकेशन सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं? भारतीय हैं.
तो चलिए आपका अधिक समय ना लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए सबसे बेस्ट ऐप कौन सा है.
बिटकॉइन, इथेरियम, रिपल समेत कई क्रिप्टोकरेंसी में आई 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट
दो दिनों से क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट देखने को मिली है, जिसकी वजह से मार्केट को करीब 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सबसे पुराना और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो टोकन बिटकॉइन है, जिसकी वैल्यू पिछले 24 घंटे में 10.87 फीसदी कम हुई है। इसके बाद यह 14,81,166 रुपये पर कारोबार कर रहा है। पिछले 24 घंटों में इथेरियम का प्राइस 1,19,980 रुपये से 1,06,210 रुपये पर आ गया है। इस कॉइन में 14.33 फीसदी की कमी देखी गई है।
बिटकॉइन, इथेरियम के अलावा मार्केट में कुछ और लोकप्रिय कॉइन है, जिनमें गिरावट देखने को मिली है। आज रिपल XRP 31.65 रुपये पर कारोबार कर रहा है, जो कल की तुलना से 10.98 फीसदी कम है। वहीं, BNB कॉइन 1.34 फीसदी नीचे गिरकर 25,970 रुपये पर कारोबार कर रहा है। कार्डानो और डॉजकॉइन की कीमत क्रमशः 29.48 रुपये (8.10 फीसदी नीचे) और 6.90 रुपये (19.01 फीसदी नीचे) बनी हुई है।
सोलाना 1,773.93 रुपये (20.13 फीसदी नीचे), शीबा इनु कॉइन 0.000816 रुपये (8.44 फीसदी नीचे), पोल्का डॉट 502.8 रुपये (6.65 फीसदी नीचे) और पॉलीगॉन वर्तमान में 79.6 रुपये (13.43 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं। साप्ताहिक चार्ट के आधार पर सोलाना 35.69 फीसदी नीचे और पोल्का डॉट 6.01 फीसदी नीचे है। शीबा इनु पिछले सात दिनों में अपने मूल्य से 22.11 फीसदी नीचे और पॉलीगॉन 7.73 फीसदी ऊपर है।
टॉप गेनर टोकन लिस्ट में ट्रस्ट वॉलेट टोकन, कास्पर, पैक्स गोल्ड और बाइनरी एक्स है। ये क्रमशः 97.43 रुपये (7.45 फीसदी ऊपर), 3.16 रुपये (4.72 फीसदी ऊपर), 1,38,529.53 रुपये (2.45 फीसदी ऊपर) और 11,779.46 रुपये (2.02 फीसदी ऊपर) पर कारोबार कर रहे हैं।
स्थिर कॉइन बिना अस्थिरता वाली क्रिप्टोकरेंसी हैं। यह इथेरियम के ही रूप की तरह हैं, लेकिन पारंपरिक मुद्रा की तरह उनका मूल्य स्थिर रहता है। इन टोकन का इस्तेमाल इथेरियम के लिए भी कर सकते हैं। लोकप्रिय टोकन में टेथर USD, USD कॉइन और बिनेंस USD क्रमशः 81.31 रुपये (1.39 फीसदी नीचे), 81.53 रुपये (0.52 फीसदी नीचे) और 81.51 रुपये (0.57 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
टॉप लूजर की लिस्ट में FTX टोकन, ऐप्टॉस, सोलाना और टेरा क्लासिक शामिल हैं। ये क्रमशः 340.89 रुपये (73.85 फीसदी नीचे), 389.62 रुपये (22.73 फीसदी नीचे), 1,722.14 रुपये (20.82 फीसदी नीचे) और 0.0147 रुपये (17.95 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
ट्रैफिक, लिक्विडिटी, ट्रेडिंग वॉल्यूम और ट्रेडिंग वॉल्यूम की वैधता में विश्वास के हिसाब से टॉप-3 क्रिप्टोकरेंसी स्पॉट एक्सचेंज में बायनेन्स, कॉइनबेस एक्सचेंज और FTX शामिल हैं। बायनेन्स और कॉइनबेस एक्सचेंज में 24 घंटे के अंदर क्रमशः 3.7 लाख करोड़ रुपये (111.97 फीसदी ऊपर) और लगभग 42,860 करोड़ रुपये (106.13 फीसदी ऊपर) वॉल्यूम पर देखा गया है। FTX में लगभग 35,993 करोड़ रुपये (94.65 फीसदी ऊपर) वॉल्यूम पर देखा गया है।
DeFi उन शुल्कों को समाप्त करता है, जो बैंक और अन्य वित्तीय कंपनियां अपनी सेवाओं का उपयोग करने के लिए चार्ज करती हैं। इसमें लेन-देन के लिए डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल होता है। Dai, एवंलॉन्च, यूनिस्वैप, रैप्ड बिटकॉइन और चेनलिंक कुछ लोकप्रिय DeFi टोकन हैं। वे वर्तमान में क्रमशः 81.49 रुपये (0.03 फीसदी ऊपर), 1,259.31 रुपये (6.19 फीसदी नीचे), 495.19 रुपये (4.72 फीसदी नीचे), 14,92,198.28 रुपये (6.36 फीसदी नीचे) और 586.35 रुपये (12.06 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
NFT (नॉन फंजिबल टोकन) में फंजिबिलिटी एक अर्थशास्त्र शब्द है जो कुछ सामानों की अदला-बदली को दर्शाता है। यह भी ब्लॉकचेन की तरह तकनीक पर काम करते हैं। फ्लो, चिलीज, ऐपकॉइन, तेजोस और द सैंडबॉक्स जैसे कुछ प्रमुख NFT टोकन हैं। ये वर्तमान में क्रमशः 115.58 रुपये (10.01 फीसदी नीचे), 16.35 रुपये (16.01 फीसदी नीचे), 314.24 रुपये (9.66 फीसदी नीचे), 93.88 रुपये (9.56 फीसदी नीचे) और 56.29 रुपये (10.57 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।
मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो की मार्केट कैपिटलाइजेशन 59.5 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पिछले 24 घंटों में कुल क्रिप्टो वॉल्यूम 1.3 लाख करोड़ रुपये है।
क्रिप्टो, भारी उतार-चढ़ाव का फंदा, फोमो, और सारा आसमां
भारत में सोना, पारंपरिक रूप से सबसे लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट रहा है और यहाँ घरों में सामूहिक रूप से जमा 25,000 टन सोने का सबसे बड़ा निजी स्टॉक है। हालांकि इन्वेस्टमेंट के तौर पर इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि यह नई संपत्ति का सृजन है और इसे सुरक्षित रखने के लिए पैसे खर्च होते हैं। भारतीय शेयर बाजार आज इन्वेस्टमेंट और ट्रेड के लिए लोकप्रिय स्थान हैं और ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा के कारण इन्वेस्टर और ट्रेडर दोनों के लिए इन बाज़ारों में ट्रेड करना आसान हो गया है। हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि ये एकमात्र तरीके नहीं हैं जिनसे लोग अपने फंड को इन्वेस्ट या ट्रेड कर सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
टेक्कीनोलॉजी की दुनिया हुई तरक्की और साथ ही स्मार्ट डिवाइस और नॉलेज दोनों की पहुंच ने आज क्रिप्टोकरेंसी को बेहद लोकप्रिय बना दिया है। क्रिप्टोकरेंसी को ऐसे समझें कि यह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध वर्चुअल करेंसी है और जिसकी सुरक्षा क्रिप्टोग्राफी के ज़रिये होती है। सीक्योरिटी की इस परत से इस करेंसी को फोर्ज या डबल स्पेंड करना एकदम असंभव है। इसकी बनावट की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कई क्रिप्टोकरेंसी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के ज़रिये बनाया गया है जिससे बगैर एडिट किये सारी जानकारी रिकॉर्ड करने और जारी करने में मदद मिलती है। सीधे शब्दों में कहें तो यह टेक्नोलॉजी विभिन्न किस्म के एन्क्रिप्शन के ज़रिये करेंसी पर नियंत्रण रखती है। किसी भी फंड ट्रांसफर को वेरीफाय करने के लिए एन्क्रिप्शन तकनीक का अलग से उपयोग किया जाता है। ब्लॉकचेन से अंततः यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि हर लेन-देन ईमानदारी होता है। क्रिप्टोकरेंसी जो चीज़ सबसे अलग बनाती है, वह यह है कि इसका उपयोग सेंट्रल अथॉरिटी नहीं करती है। इसकी प्रासंगिकता यह है कि करेंसी के रूप में यह सरकार के किसी भी हस्तक्षेप या फेर-बदल के मामले में यह तकनीकी रूप से इम्यून है।
फिलहाल बाजार में कुछ सबसे प्रभावी क्रिप्टोकरेंसी में इथेरियम (ईटीएच), लिटकॉइन (एलटीसी), पोल्काडॉट (डॉट) और बिटकॉइन (बीसीएच) शामिल हैं, लेकिन ये यहीं तक सीमित नहीं हैं।
क्रिप्टोकरेंसी में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होता है?
क्रिप्टोकरेंसी पहले दिन से ही भारी उतार-चढ़ाव के लिए जानी जाती है। इन्वेस्टर ने उछाल के दौरान बहुत पैसा कमाया है और जब बाज़ार टूटा तो उन्हें भारी नुकसान भी हुआ है। क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की वजह की जांच नीचे की गई है।
सट्टेबाजी की ताक़त - क्रिप्टोकरेंसी का उतर-चढ़ाव काफी हद तक इन्वेस्टर और ट्रेडर के सट्टे की प्रकृति से जुड़ा है जिनमें से कुछ बाज़ार में उछाल के साथ भारी मुनाफ़ा दर्ज़ करने की संभावना से सम्मोहित हैं। बड़े पैमाने पर सट्टे पर आधारित दांव लगाने से उतार-चढ़ाव वाले बाज़ार को और अस्थिर बनाते हैं।
ट्रेडर की जानकारी – शेयर बाजार और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के उलट, क्रिप्टोकरेंसी डोमेन में इन्वेस्ट करने के लिए बहुत जानकारी जुटाने की ज़रुरत नहीं होती है। इन्वेस्टर के पास सिर्फ इंटरनेट और थोड़े से पैसे होने चाहिए। यही इस बाजार को कम कम या बगैर किसी अनुभव वाले ट्रेडर के लिए इतना आकर्षक बनाता है। इंस्टीच्यूशनलाइज्ड ट्रेडिंग मार्केट में शामिल लोग क्रिप्टोकरेंसी बाजार से बहुत सावधान और सतर्क रहते हैं और इसमें निवेश को जोखिम के तौर पर में देखते हैं। इसलिए इस डोमेन में औसत इन्वेस्टर को क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में की बारीकियों के बारे में कम जानकारी होती है। वे प्रचार, अनिश्चितता, संदेह, डर और ज़बरदस्त हेराफेरी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इस डोमेन के औसत ट्रेडर के विपरीत परिस्थितियों में शांत बने रहने की संभावना कम होती है जबकि अनुभवी ट्रेडर का खुद पर पूरा नियंत्रण होता है।
भरोसे पर निर्भर - क्रिप्टोकरेंसी की डिजिटल प्रकृति का मतलब है कि इसका कोई फिजिकल स्वरूप नहीं है। इसके बजाय, इसकी कीमत पूरी तरह से मांग और आपूर्ति पर निर्भर है। अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति पूर्व निर्धारित या अनुमानित होती है, इसलिए उनकी कीमतें इस बात से नियंत्रित होती हैं कि उनमें कितनी दिलचस्पी रही है और कितने लोग करेंसी खरीदना चाहते हैं। नतीजतन,करेंसी की कीमत उस भरोसे पर निर्भर है जो लोग उसमें जताते हैं। ऐसे में लोगों का इस पर से भरोसा उठ जाता है और वे अपनी करेंसी बेचने का मन बना सकते हैं जिससे इसकी कीमत लुढ़क सकती है।
बेहद कम मार्केट ऑपरेशन - क्रिप्टोकरेंसी अब तक इन्वेस्टर और ट्रेडर की प्राथमिकता और दिलचस्पी नहीं बनी हैं। हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक का हो गया, यह अभी भी वैल्यूएशन के लिहाज़ से सोने के बाजार से पीछे है। सोने का बाज़ार कुल 7.9 ट्रिलियन डॉलर का है और अमेरिकी बाज़ार इसका 14 गुना है जिसकी वैल्यूएशन 28 ट्रिलियन डॉलर है। अपेक्षाकृत छोटे उभरते बाजार के रूप में, छोटी इकाइयों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमत पर असर डालने की क्षमता अधिक होती है।
टेक्नोलॉजी के उपयोग को परफेक्शन दिया जा रहा है - विभिन्न किस्म की क्रिप्टोकरेंसी की मदद के लिए उपयोग की जाने वाली ब्लॉकचेन और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी में अभी परफेक्शन लाया जा रहा है। समस्या ब्लॉकचेन की स्केलेबिलिटी से लेकर नेटवर्क कंजेशन और लेन-देन की बढ़ती लागत तक है। कहा जा रहा है कि टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
मीडिया की भूमिका - क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों को प्रभावित करने में मीडिया प्रमुख भूमिका निभाता है। इससे संबंधित ख़बरें करेंसी में उतार-चढ़ाव को बढ़ा सकती हैं। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई इन्वेस्टर और ट्रेडर उन ख़बरों की बहुत छान-बीन नहीं कर पाते क्योंकि हो सकता है कि ये किसी विश्वसनीय स्रोत न आये हों।
ये सभी फैक्टर क्रिप्टोकरेंसी के बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ाते हैं जो बगैर किसी समय-सीमा के किसी भी दिशा में जाने के लिए जाने जाते हैं। विशेषज्ञों को इस बाज़ार की चाल का अनुमान लगाने में अभी काफी समय लगेगा।
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में इन्वेस्ट करना -
क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ारों में निवेश करने के इच्छुक लोगों को इसकी अस्थिरता से जुड़े नुकसान के बारे में पता होना चाहिए। मशहूर हस्तियों के समर्थन से विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी की कीमत प्रभावित होती है। मसलन डॉगकॉइन को ही लें, जिसमें इलॉन मस्क के प्रमोट करने से उछाल दर्ज़ हुई। कहा जा रहा है कि ऐसे एंडोर्समेंट से ये करेंसी कहां जाएंगी इसका कोई अता-पता नहीं है। इसका मतलब यह है कि इस करेंसी के वैल्यूएशन में नाटकीय रूप से गिरावट आ सकती है। बड़ी रकम इन्वेस्ट करने से पहले लोगों को अपनी पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी की मौजूदा क्रिप्टो टेक्नोलॉजी को समझने का प्रयास ज़रूर करना चाहिए। इसके अलावा बड़ी मात्रा में इन्वेस्ट करने से पहले उन्हें इसके बाज़ार रुझान और इसी तरह की और करेंसी की जांच-परख ज़रूर करनी चाहिए और समझना चाहिए कि इनमें इतना उतार-चढ़ाव क्यों आता है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी और ज्ञान देने के उद्देश्य से लिखा गया है। एंजेल वन लिमिटेड इस लेख में क्रिप्टोकररेंसीज़ में निवेश का किसी भी तरीके से प्रचार नहीं कर रहा है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है cryptocurrency in Hindi
क्रिप्टो करेंसी वह कौन सी चीज है जिसके पीछे सभी लोग भाग रहे हैं। वित्तीय बाजार में क्रिप्टो करेंसी बहुत कम समय में अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। चुकी क्रिप्टो करेंसी केवल ऑनलाइन फॉर्म में ही उपलब्ध होता है इसीलिए इसे डिजिटल ऐसेट भी कहा जाता है। इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता है जिसे हम लोग अपने वॉलेट में रख सके। वह करेंसी जो किसी देश में लागू रहता है जैसे कि भारत में रुपया यूएसए में डॉलर इत्यादि जो करेंसी होते हैं जो पूरे देश में प्रचलन में होते हैं ठीक उसी प्रकार से इस करेंसी को भी पूरी देश और दुनिया में प्रयोग में लाया जाता है। क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी वस्तु अल करेंसी है जो पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड है और इस पर ना तो कोई सरकार या ना कोई केंद्रीय बैंक का अधिपत्य है यह पूरी तरह से सरकार से स्वतंत्र है।
Table of Contents
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी होता है ,जो पूरी तरह से ब्लॉकचेन पद्धति पर काम करता है। इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता है इसे भर चूल ऐसेट भी कहा जाता है, जिसका प्रयोग हम किसी भी तरह की सर्विस के लिए कर सकते हैं। करेंसीज में क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग होता है। ब्लॉकचेन के माध्यम से इस करेंसी को रेगुलेट करने के कारण यह बहुत ही सुरक्षित है। इसे यार इसकी डाटा को कोई भी मैंने प्लेट नहीं कर सकता है। इसमें करेंसी को पियर पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से होता है , जिसको की किसी भी तरह के सेवा के लिए प्रयोग किया जा सकता है और ऐसा करने के लिए किसी संस्था बोर्ड या सरकार से इसकी अनुमति लेने की कोई जरूरी नहीं है । इसीलिए बहुत सारे लोगों का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी का गलत तरीके से प्रयोग किया जा सकता है। अगर हम पहला क्रिप्टो करेंसी की बात करें तो वह है बिटकॉइन। जो ग्राफी एक ऐसी पैटर्न है जिसका प्रयोग क्रिप्टो करेंसी को बनाने में प्रयोग किया जाता है।
cryptocurrency में invest कैसे करें
जिस तरह से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए प्लेटफार्म को सेलेक्ट करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार क्रिप्टो करेंसी में भी इन्वेस्ट करने के लिए किसी न किसी प्लेटफार्म को सेलेक्ट करना होगा। वैसे तो बहुत सारे प्लेटफार है जैसे वजीरएक्स ऑक्टॉफएक्स इत्यादि इसमें से किसी को भी सेलेक्ट कर उसमें अपना अकाउंट बनाकर उसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी के प्रकार type of cryptocurrency in Hindi
वर्तमान समय में क्रिप्टो करेंसी में बहुत सारे टाइप हैं उनमें से जो सबसे पहला और सबसे लोकप्रिय है वह है बिटकॉइन।
Bitcoin:
क्रिप्टो करेंसी की बात हो और उसमें बिटकॉइन की चर्चा नहीं हो तो यह मुमकिन नहीं है क्योंकि यह सबसे पहला और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी है। इसे 2009 में संतोषी नाकामोतो ने माइनिंग किया था। शुरू के दिनों में एक बिटकॉइन की कीमत बहुत कम थी पर जैसे जैसे समय निकला बिटकॉइन का दाम बढ़ता गया और एक समय पर एक बिटकॉइन की कीमत ₹6000000 तक पहुंच गया था। बिटकॉइन की सबसे छोटी यूनिट सातों सी है। 1 बिटकॉइन में 10 करोड़ सतोशी होता है। दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां बिटकॉइन को अपने एक्सचेंज के लिए मान्यता दी है।
Ethereum:
Ethereum भी बिटकॉइन के जैसा ही ओपन सोर्स डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन बेस पर काम करती है। एथेरियम के क्रिप्टो करेंसी टोकन को इधर भी कहा जाता है इस प्लेटफार्म पर यूजर्स को डिजिटल टोकन बनाने में मदद करता है एथेरियम के दो पार्ट हैं। एथेरियम को इथर भी कहा जाता है। एथेरियम को सबसे पहले एक बिटकॉइन प्रोग्रामर था जिसका नाम बीता लिखा था उसने सबसे पहले 2013 में एथेरियम का खोज किया।
Ethereum (ETH)
Ethereum CLASSIC (ETC)
LITECOIN
Litecon जो एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है जोकि अंडर द एमआईटी फ्लैश x11 लाइसेंस के अंतर्गत अक्टूबर 2011 में carles lee ली के द्वारा खोजा गया था ।जो एक गूगल का एम्पलाई था। इस क्रिप्टोकरेंसी को बनाने में बिटकॉइन का सबसे ज्यादा सहयोग है। इस करेंसी की विशेषता बिटकॉइन की विशेषता से बहुत ज्यादा मिलती-जुलती है।
DOGECOIN
बिटकॉइन को मजाक करने के लिए उससे कुत्ते से तुलना किया गया सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं? जो आगे चलकर एक क्रिप्टो का रूप ले लिया। जो आज डोज कॉइन के रूप में जाना जाता है।BILLY MARKUS 2 स्क्वायर का संस्थापक है। डोज को इनका एल्गोरिदम लिटकॉइन की तरह scrypt है। पूरे विश्व में इसके 200 से भी ज्यादा मर्चेंट हैं। इसका बाजार मूल्य लगभग 197 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।
CRYPTOCURRENCY के फायदे
1 क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन पद्धति पर काम करती है जिसके कारण इसमें फ्रॉड लगभग नहीं के बराबर होते हैं।
2 यह सामान्य डिजिटल पेमेंट की तुलना में ज्यादा सिक्योर और फास्ट होता है।
3 इसके लेन-देन फीस लगभग नहीं के बराबर होता है।
CRYPTOCURRENCY के नुकसान
1 क्रिप्टो करेंसी पर किसी संस्था या सरकार का कोई अधिकार नहीं होता है जिसके कारण यदि इसमें कोई फ्रॉड होता है तो इसके जिम्मेवार खुद होना पड़ता है।
2 इस करेंसी मैं अपना यूजर आईडी और पासवर्ड को हमेशा संभाल कर रखना होता है यदि यूजर आईडी और पासवर्ड याद से भूल जाते हैं तो इसमें फॉरगेट पासवर्ड या अकाउंट रिकवर करने जैसी कोई भी ऑप्शंस नहीं होता है।
Cryptocurrency Bill: क्रिप्टो बैन की खबरों सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं? के बीच कीमतों में उछाल, नई करेंसी की हुई एंट्री
क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाने वाले 10 करोड़ लोगों के लिए आज बड़ा दिन है। केंद्र सरकार आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में बहुप्रतीक्षित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करने के लिए तैयार है। क्रिप्टो उद्योग एक सकारात्मक रेग्युलेशन की प्रतीक्षा कर रहा है जो कुछ प्रतिबंधों के साथ क्रिप्टो में निवेश और व्यापार की अनुमति दे सकता है। क्रिप्टो बिल को लेकर अब तक पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों तरह की चर्चा रही है।
क्रिप्टो बिल पर WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी का कहना है कि सरकार यह बिल क्रिप्टो को बैन करने के लिए नहीं, बल्कि इसे रेगुलेट करने के लिए लेकर आ रही है, निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। शायद यही कारण है कि आज क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली। बिटकॉइन का कारोबार 57,000 डॉलर से ऊपर है।
दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 6 फीसदी की तेजी देखने को मिली और ये 57,699 डॉलर के पार चली गई। इसकी कीमत हाल ही में लगभग 69,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। CoinGecko के अनुसार, क्रिप्टो का वैश्विक मार्केट कैपिटल अब बढ़कर 2.72 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether भी 7% से बढ़कर 4,337 डॉलर पर पहंच गई है। कॉइनडेस्क के अनुसार Dogecoin की कीमत 3% से बढ़कर 0.20 डॉलर , जबकि Shiba Inu 4% से बढ़कर 0.000039 डॉलर पहंच गई।
वहीं, क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज कॉइनस्टोर (Coinstore) भारत में एंट्री हुई है। इस सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज ने देश में अपने ऑपरेशन भी शरू कर दिए हैं।
कॉइनस्टोर (Coinstore) के मार्केटिंग हेड चार्ल्स टैन (Charles Tan) ने भारतीय बाजार में विस्तार की पर जोर देते हुए कहा, उनकी ऐप पर लगभग एक तिहाई यूजर भारत से हैं, ऐसे में भारतीय बाजार में विस्तार करना कंपनी ने को ठीक लगा। हालांकि, बैन की खबरों पर उन्होंने कहा, "पॉलिसी में थोड़े बदलाव हो सकते हैं, लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि चीजें सकारात्मक रहेंगी। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक हेल्थी फ्रेमवर्क प्रस्तुत करेगी।"
इसके अलावा टैन ने कहा कि कॉइनस्टोर भारत में लगभग 100 से अधिक कर्मचारी रखने की तैयारी में है और भारतीय बाजार में मार्केटिंग से लेकर हायरिंग और क्रिप्टो संबंधी प्रोडक्ट्स के साथ सर्विसेज़ के डेवलपमेंट पर लगभग 20 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना है।
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के बैन को लेकर खबरें मीडिया में देखने को मिल रही है। खासकर सरकार द्वारा लाये जा रहे बिल को लेकर चर्चा है। तो चलिए जानते हैं कि क्रिपटोकरेंसी को लेकर नए बिल में क्या प्रावधान है ? क्यों सरकार इससे जुड़े खतरे को देखते हुए इसे बैन करने पर विचार कर रही है?
दरअसल, भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नया बिल लाएगी। संसद में सरकार जो बिल लाने वाली है उस बिल की सूची में दसवें नंबर पर साफ साफ लिखा है कि भविष्य में आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी के अलावा अन्य सभी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस बिल का नाम ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’, है।
इस बिल में ये भी उल्लेख किया गया है कि आरबीआई के ऑफिशल डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेम वर्क तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य है भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना है। हालांकि, कुछ करेंसी को रेगुलेट करने की अनुमति दी जाएगी परंतु वो कौन सी होंगी इसका उल्लेख नहीं है।
हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा अभी तक 'निजी' क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई परिभाषा स्पष्ट नहीं की गई है। ऐसे में यह संभावना है कि बिटकॉइन, एथेरियम और इस तरह के अन्य क्रिप्टो टोकन पर प्रतिबंध न लगे क्योंकि ये सार्वजनिक ब्लॉकचैन नेटवर्क पर आधारित हैं। इसका अर्थ है कि इन नेटवर्कों का उपयोग करके किए गए लेन-देन का पता लगाया जा सकता है। या हो सकता है निजी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में सरकार का इशारा मोनेरो और डैश की ओर हो जो उपयोगकर्ताओं के ट्रैन्सैक्शन की गोपनीयता को उजागर नहीं करता है।
इस बिल के लागू किए जाने से भारत में क्रिप्टो करेंसी का बाजार बंद हो जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 8 फीसदी आबादी क्रिप्टो करेंसी के बाजार में निवेश करती है। इन लोगों ने क्रिप्टो करेंसी में कुल 70 हजार करोड़ रुपये निवेश किए हैं। ये निवेश एक ऐसे बाजार में किए गये हैं जिसे भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है, परंतु अब इनके निवेश पर प्रतिबंध लगाने की तलवार लटक रही है। निवेश करने का उद्देश्य जल्द से जल्द अमीर होने की लालसा है जिस वजह से इस बाजार ने युवाओं को सबसे अधिक आकर्षित किया है।
ये अनुमान लगाया गया था कि भविष्य में भारत के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले करीब 19 प्रतिशत लोग इस बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे थे, जो अब इसपर एक बार फिर से विचार करने के लिए बाध्य हो गए हैं। यदि प्रतिबंध लगता है तो जिसने भी इस बाजार में निवेश किया है उसके पैसे डूब जाएंगे। इसका अर्थ है कि अगर क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया गया तो करोड़ों लोगों द्वारा निवेश किए गए 70 हजार करोड़ रुपये डूब जाएंगे।
बता दें कि दुनिया भर में अभी इस समय 7 हजार से अधिक क्रिप्टो करेंसी चलन में हैं, जबकि भारत में ये संख्या 4 हजार है। इनमें से 2008 में लॉन्च की गई बिटकॉइन सबसे अधिक लोकप्रिय है। बिटकॉइन की कीमत वर्ष 2010 में 75 पैसे से भी कम थी जबकि आज की तारीख में इसकी कीमत 46 लाख रुपये है। मीडिया में बैन के खबरों का प्रभाव क्रिप्टो करेंसी के बाजार पर देखने को मिल रहा है। बिटकॉइन, इथीरियम सहित सभी क्रिप्टो में गिरावट देखने को मिली है है, अकेले बिटकॉइन में ये गिरावट 29 फीसदी की देखी गई है, जबकि ये क्रिप्टो करेंसी 30 प्रतिशत तक टूटी है।
पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित कर कहा था, 'डाटा गवर्नन्स के लिए मानक और मापदंड बनाने की आवश्यकता है। डाटा का सुरक्षित तरीके से सीमा पार प्रवाह की भी आवश्यकता है। क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन इसका उदाहरण हैं। ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतान्त्रिक राष्ट्र इस पर एक साथ काम करें और ये सुनिश्चित करें कि ये गलत हाथों में न जाए जो हमारे युवाओं खराब कर सकता है।'
बता दें कि सरकार को चिंता है कि क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ते बना सकता है। इसके पीछे का कारण क्रिप्टो करेंसी का कोई रेगुलेटर न होना है और न ही कोई इसे नियंत्रित करता है। ये सब ऑटोमेटिक होता है, परंतु स्पेशल कंप्यूटर और सोफ्टवेयर के जरिए होता है। क्रिप्टो करेन्सी का कोई फिज़िकल फोर्म नहीं है, परंतु इसका डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है। ऐसे में इसे हैक करना आसान है और गैर कानूनी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल बढ़ा है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके में इसपर कोई रोक नहीं है, परंतु की केंद्र बाँकों ने इन्हें मान्यता भी नहीं दी है।
आरबीआई कई बार भारत में क्रिप्टो के बढ़ते प्रचलन पर गंभीर चिंता जताया चुका है। आरबीआई का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी से देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) प्रभावित हो सकती है। आरबीआई तो इसे वर्ष 2018 में बैन तक लगा चुका है, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में बैन को हटा दिया था। हालांकि, आरबीआई ने अपनी डिजिटल करेन्सी लाने की बात कही थी और अब उसी दिशा में सरकार अपने कदम बढ़ा रही है।
कई विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि क्रिप्टो करेंसी केवल कंप्यूटर कोड का हिस्सा हैं, इसलिए इसे प्रतिबंधित करना कठिन है। क्रिप्टो को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर करना पेन ड्राइव के जरिए म्यूजिक शेयर करने से जैसा है, जिसका अर्थ है कि रेगुलेटरी बैन वास्तव में लोगों की एक-दूसरे को क्रिप्टो भेजने की क्षमता को नहीं छीनेगा।
सरकार क्रिप्टो करेन्सी से जुड़े प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाती है तो इससे जुड़े ग्राहकों के लिए क्रिप्टो में व्यापार करना मुश्किल हो सकता है, परंतु पूरी तरह से रोक नहीं सकती क्योंकि इसका वैकल्पिक तरीका भी निकाला जा सकता है। हालांकि, बैन लगने के बाद भारत में इस बाजार के बढ़ने की संभावनाएँ कम हो जाएंगी। इसके अलावा बैंक और क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेन-देन भी बंद हो जाएगा और क्रिप्टो के ग्राहक क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे।
इस बीच, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म WazirX के सीईओ निश्चल शेट्टी ने ट्वीट कर बताया, "क्रिप्टो सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी कौन सी हैं? रेगुलेशन बिल को शीतकालीन सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है। विवरण ज्यादा नहीं बदला गया है। कयास दोनों तरफ से कयास लगाए जा रहे। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि सरकार के भीतर अधिक लोग जानते हैं कि क्रिप्टो कैसे काम करता है।"