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सामान्य निवेश की समीक्षा

सामान्य निवेश की समीक्षा
सूचकांक को ट्रैक करता है पैसिव फंड
निवेशक इसके लिए पैसिव फंड का सहारा ले सकते हैं, जो म्यूचुअल फंड का एक प्रकार है। ध्यान रहे कि पैसिव फंड में किस कंपनी के शेयर में कितना निवेश करना है, यह फंड मैनेजर खुद तय नहीं करता है। बल्कि वह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स या नेश्नल स्टॉक एक्सचेंड (एनएसई) के इंडेक्स निफ्टी-50 जैसे किसी सूचकांक को ट्रैक करता है।

चुनौतियों का सामना

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

"एफ.डी.आई. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही वित्तीय स्थिरता, विकास और संवृद्धि की एक निश्चित अवस्था प्राप्त करने में भी मदद करता है।" इस वक्तव्य के संदर्भ में विभिन्न सरकारी पहलों की चर्चा कीजिये।

उत्तर की रूपरेखा:

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से उत्पन्न प्रमुख लाभ और लाभान्वित हुए प्रमुख क्षेत्रों की चर्चा।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों की चर्चा करें।
  • निष्कर्ष।

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बढ़ने से भारत के आर्थिक विकास को बल मिला है। इस संदर्भ में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • पूंजी प्रवाह में वृद्धि
  • बेहतर प्रौद्योगिकी
  • प्रबंधन विशेषज्ञता
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच

मेक इन इंडिया

मुख्य पृष्ठ

भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

निवेश के मंत्र 57: पैसिव फंड से होगा मुनाफा, सामान्य म्यूचुअल फंड की तुलना में ऐसे है बेहतर

निवेश (सांकेतिक तस्वीर)

कोरोना वायरस महामारी की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। इस मुश्किल दौर में वित्तीय जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में ऐसे विकल्पों सामान्य निवेश की समीक्षा में निवेश करें, जहां पैसा सुरक्षित रहे और अच्छा रिटर्न मिलता रहे।

ऐसे संकट के समय में चुनिंदा कंपनियों पर दांव लगाने के बजाय सेंसेक्स या निफ्टी जैसे सूचकांकों को फॉलो करना बेहतर निवेशकों के लिए बेहतर साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें इंडीविजुअल कंपनियों की तुलना में उतार-चढ़ाव का खतरा थोड़ा कम होता है। इसके पैसिव फंड आपकी मदद करेगा। पैसिव फंड्स में निवेश है बेहतर रणनीति है।

डेली न्यूज़

  • 11 Sep 2020
  • 6 min read
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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश,

भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी कंपनियों और विदेशी निवेश की भूमिका

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा क्षेत्र के लिये एक नई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को मंज़ूरी दी है, इस नीति में ऑटोमैटिक रूट के तहत रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% कर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • नई नीति के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74% करने के साथ इसमें ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की सामान्य निवेश की समीक्षा शर्त को भी जोड़ा गया है।
  • इस शर्त के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के आधार पर जाँच के अधीन होगा साथ ही सरकार के पास रक्षा क्षेत्र में किसी भी ऐसे विदेशी निवेश की समीक्षा करने का अधिकार सुरक्षित होगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
    • गौरतलब है कि मौजूदा नीति में रक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्योगों में ऑटोमैटिक रूट के तहत 49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दी गई है, जबकि इससे अधिक के निवेश के लिये सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक होती है।
    • पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में देश की स्थानीय विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देने के लिये कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए हैं।
    • रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की शर्तों में छूट देकर केंद्र सरकार का लक्ष्य विदेशी मूल उपकरण निर्माता कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिये प्रोत्साहित करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
    • केंद्र सरकार द्वारा देश के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिये वर्ष 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपए के कारोबार के साथ 35,000 करोड़ रुपए के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।

    भारतीय रक्षा क्षेत्र:

    • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 तक एयरोस्पेस और जहाज़ निर्माण उद्योग के साथ रक्षा उद्योग का कारोबार लगभग 80,000 करोड़ रुपए का बताया गया था।
    • हालाँकि इसमें लगभग 80% (63,000 करोड़ रुपए) हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertaking- PSU) की है।
    • हाल ही में प्रधानमंत्री ने सामान्य निवेश की समीक्षा सामान्य निवेश की समीक्षा ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत’ नामक एक ऑनलाइन सेमिनार को संबोधित करते हुए रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने, नवीन स्वदेशी तकनीकी विकसित करने और निजी क्षेत्र को बढ़ावा सामान्य निवेश की समीक्षा सामान्य निवेश की समीक्षा देने की प्रतिबद्धता को दोहराया था।
    • सरकार द्वारा रक्षा उत्पादों की खरीद के संदर्भ में एक नकारात्मक आयात सूची (Negative Imports List) जारी करने के साथ घरेलू उद्योग से सामान्य निवेश की समीक्षा पूंजी अधिग्रहण के लिये एक समर्पित बजट घोषणा की गई थी।
    • सरकार द्वारा अगस्त 2020 सामान्य निवेश की समीक्षा में जारी ‘ रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति (Defence Production & Export Promotion Policy- DPEPP) 2020’ का मसौदा जारी किया गया था।
      • इस मसौदे में विदेशी कंपनियों को रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ने के लिये प्रोत्साहित करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को मज़बूत करने के लिये रक्षा क्षेत्र में FDI शर्तों को आसान बनाने की बात कही गई थी।

      सामान्य निवेश की समीक्षा

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      Toll Free Number -1800-110-069 of Atal Pension Yojana Submission of FATCA Self Declaration

      एनपीएस - स्वावलंबन क्या है?

      ‘‘एनपीएस - स्वावलंबन प्रारूप’’ को बेहद कम प्रशासनिक और लेन-देन के खर्च के लिये तैयार किया गया है, ताकि छोटे निवेश संभव हो सकें।

      स्वावलंब योजना भारत सरकार द्वारा घोषित एक योजना है, जिसके अंतर्गत सरकार 2010-2011, 2011-2012, 2012-2013 में खोले गये प्रत्येक एनपीएस-स्वावलंबन खाते में निम्नलिखित रूप से पाँच वर्षों तक रु. 1000 जमा करेगी

      • 2010-2011 में खोले गये खाते को 2014-2015 तक लाभ मिलेगा
      • 2011-2012 में खोले गये खाते को 2015-2016 तक लाभ मिलेगा
      • 2012-2013 में खोले गये खाते को 2016-2017 तक लाभ मिलेगा
      • 2013-2014 से लेकर 2016-2017 के बीच खोले गये एनपीएस-स्वावलंबन खातों को 2016-2017 तक स्वावलंबन लाभ मिलेगा।

      एनपीएस - स्वावलंबन की विशेषताएं:

      • स्वैच्छिक - भारत के 18-60 वर्ष के योग्य नागरिकों के लिये उपलब्ध। अभिदाता प्रतिवर्ष अपने निवेश की राशि चुनने के लिये स्वतंत्र सामान्य निवेश की समीक्षा सामान्य निवेश की समीक्षा है।
      • आसान: असंगठित क्षेत्र के योग्य उम्मीदवार अपने ऐग्रिगेटर के माध्यम से खाता खोलकर व्यक्तिगत सामान्य निवेश की समीक्षा अभिदाता (एनपीएस-स्वावलंबन) खाता प्राप्त कर सकते हैं।
      • सुरक्षित - निवेश के पारदर्शी नियमों के साथ पीएफआरडीए द्वारा नियंत्रित, एनपीएस ट्रस्ट द्वारा फंड मैनेजर्स की नियमित देख-रेख और प्रदर्शन की समीक्षा।
      • किफ़ायती - बेहद कम कीमत की संरचना, जिसमें प्रति वर्ष या प्रति अंशदान किसी न्यूनतम राशि की आवश्यकता नहीं है।

      एनपीएस-स्वावलंबन बैंक के बचत खाते जैसे अन्य उत्पादों से किस प्रकार अलग है?

      एनपीएस - स्वावलंबन सेवानिवृत्ति की आयु होने पर मासिक आमदनी सुनिश्चित करने वाला एक पेंशन प्रॉडक्ट है.

      एनपीएस - स्वावलंबन जमा राशि के एक हिस्से का निवेश इक्विटी (स्टॉक) मार्केट में करता है, जिसके कारण इसमें बैंकों और अन्य आर्थिक संस्थानों के मुकाबले कहीं ज़्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है I कुल जमा राशि के एक हिस्से का निवेश इक्विटी बाज़ारों में किया जाता है, ताकि जमा राशि तेज़ी से बढ़ सकेI हालांकि, इक्विटी पर आधारित अन्य निवेश योजनाओं में जहाँ पैसे खोने का जोखिम अधिक है के मुकाबले एनपीएस - स्वावलंबन में काफी कम है, क्योंकि 55% तक राशि का निवेश सरकारी प्रतिभूतियों और 40% तक राशि का निवेश कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में किया जाता है.

      स्वावलंबन योजना क्या है और कौन से अभिदाता इसके लिये योग्य हो सकते हैं?

      स्वालंबन योजना असंगठित क्षेत्र के लिये भारत सरकार द्वारा चलायी गयी एक पहल है I यह असंगठित क्षेत्र को सेवानिवृत्ति के लाभ प्रदान करने के लिये उपलब्ध एक पेंशन योजना है और इस योजना के अंतर्गत, प्रतिवर्ष रु. 1000/- से रु. 12000/- तक की राशि जमा किये जाने पर भारत सरकार प्रत्येक एनपीएस - स्वावलंबन खाते में रु.1000 का अंशदान करेगी.

      एनपीएस - स्वावलंबन में जमा की गयी राशि अभिदाता के परिवार के भविष्य के लिये किया गया एक निवेश हैI अभिदाता को उसकी वर्तमान आमदनी में से जमा की गयी राशि के आधार पर पेंशन प्राप्त होता है I चूंकि पेंशन अभिदाता के काम न करने की अवस्था में मिलता है, इसलिये निवेश की ज़्यादा लंबी अवधि से ज़्यादा अंशदान जमा की जा सकती है, और वृद्धावस्था में ज़्यादा पेंशन प्राप्त किया जा सकता है I एनपीएस - स्वावलंबन में निवेश की लंबी अवधि, लंबे समय के कारण अधिक लाभ सुनिश्चित करता हैंI

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