इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार

बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों को रास आ रहा म्यूचुअल फंड, लगातार 15वें महीने बढ़ा निवेश
एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 15890 करोड़ रुपये रहा था। इक्विटी योजनाओं में मार्च 2021 से लगातार शुद्ध निवेश बना हुआ है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बनी अनिश्चितता और ज्यागा महंगाई के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड लगातार 15वें महीने निवेशकों के लिए आकर्षक बने हुए हैं। यही कारण है कि मई में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 18,259 करोड़ रुपये का निवेश मिला है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की रही है। एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 15,890 करोड़ रुपये रहा था। इक्विटी योजनाओं में मार्च 2021 से लगातार शुद्ध निवेश बना हुआ है। यह निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना को दर्शाता है।
इससे पहले जुलाई 2020 से फरवरी 2021 के दौरान लगातार आठ महीने तक शुद्ध निकासी रही थी। इस दौरान इक्विटी योजनाओं से 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे। डाटा के अनुसार, मई में फ्लैक्सी कैप फंड समेत सभी प्रकार की इक्विटी आधारित योजनाओं में सबसे ज्यादा 2,939 करोड़ रुपये का निवेश मिला है। इसके अलावा लार्ज कैप, लार्ज एंड मिड कैप फंड और सेक्टोरल फंड में 2,200 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
AMFI के चीफ एक्जीक्यूटिव एन. एस. वेंकटेश ने कहा कि म्यूचुअल फंड के खुदरा निवेशक ने SIP का चयन किया और अपनी दीर्घावधि के निवेश के लिए इक्विटी और हाइब्रिड एसेट क्लास के विकल्पों को चुना। इक्विटी एसेट क्लास में खुदरा निवेशकों का विश्वास इस वास्तविकता को प्रदर्शित करता है कि भारत के विकास की गाथा जारी है और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले यह कहीं ज्यादा ठोस और अवसर देने वाला है। बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों और चुनौतीपूर्ण मैक्रो-इकोनॉमिक परिस्थितियों के इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत के जीडीपी की ग्रोथ का अनुमान 7.2 प्रतिशत किया है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का भारतीय इक्विटी में निवेश बेहतरीन रहा है, भले ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली की हो।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य कारोबारी अधिकारी अखिल चतुर्वेदी का कहना इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार है कि एसआइपी में लगातार निवेश से बिक्री को सकारात्मक समर्थन मिल रहा है। बाजारों में अस्थिरता के बीच खुदरा निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। सभी श्रेणियों में नया निवेश मिल रहा है।
मार्निगस्टार इंडिया की सीनियर एनालिस्ट कविता कृष्णन का कहना है कि अस्थिरता के बावजूद उभरते बाजारों में भारतीय इक्विटी मार्केट निवेशकों के बीच आकर्षक विकल्प बना हुआ है।
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
1.म्युचुअल फंड्स की जानकारी
अगर आप म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में पहले से जानते हैं, तो आप सीधे अगले सेक्शन पर जा सकते है । ये 5 आर्टिकल्स, म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में सारी ज़रूरी जानकारी देंगे । हम टैक्स सेविंग फंड्स पर भी एक विशेष आर्टिकल दे रहे हैं।
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और ये कैसे काम करते हैं?
- म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना बनाम डायरेक्ट इक्विटी
- . म्युचुअल फंड्स के फायदे और नुकसान
- टैक्स सेविंग(ईएलएसएस) फंड्स
2.म्युचुअल फंड्स का एक पोर्टफ़ोलियो बनाना
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने का सही तरीका है – सबसे पहले इसका पोर्टफोलियो बनाना । एक पोर्टफोलियो, म्युचुअल फंड का एक समूह होता है। यह आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। आपका सारा इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार रिटर्न् आपके पूरे पोर्टफोलियो पर टिका होता है, ना कि किसी एक विशेष फंड पर। इस सेक्शन में, हम यह सीखेंगे कि म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे तैयार किया जाता है।
- पोर्टफोलियो इन्वेस्टिंग क्या है कैसे तैयार किया जाए
- अपने पोर्टफोलियो के लिए सही म्युचुअल फंड चुनना
- म्युचुअल फंड को कब बेचें
3.म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना
कईं शुरुआती इन्वेस्टर्स म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने की प्रक्रिया को मुश्किल मानकर उसमें इन्वेस्ट करने से कतराते हैं। ये आर्टिकल्स ऐसे ही शुरुआती इन्वेस्टर्स को म्युचुअल फंड को समझने में और इन्वेस्टमेंट शुरू करने में मदद करेंगे।
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और ये म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के लिए ज़रूरी क्यों है (SIP) के द्वारा इन्वेस्ट करना
4.कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय कुछ ज़रूरी बातें है, जिनकी जानकारी हर शुरुआती इन्वेस्टर को होनी चाहिए । इन बातों को समझे बिना इन्वेस्ट करने से, रिटर्न्स पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है।
- म्युचुअल फंड्स पर टैक्स
- म्युचुअल फंड्स से पैसे निकालने पर एग्ज़िट लोड
- म्युचुअल फंड्स का एक्सपेंस रेशो
- इन्वेस्टमेंट से जुड़ी भाषा की जानकारी
जहाँ म्युचुअल फंड्स की बात आती है वहाँ आमतौर पर लिस्ट में दिए गए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है । हालाँकि शुरुआती इन्वेस्टर्स को इन सभी शब्दों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है, आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार किसी भी शब्द को सीखने के लिए, ग्लोसरी (डिक्शनरी) के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
निम्नलिखित में से कौन से म्यूचुअल फंड के प्रकार हैं?
IBPS RRB PO (Officer Scale I) Interview Admit Card has been released on the official website on 3rd November 2022. Candidates will be able to download the call letter for the interview till 30th November 2022. IBPS RRB PO Scorecard (Officer Scale I) इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार has been released on 21st October 2022. The mains examination of the IBPS RRB PO was conducted on 1st October 2022. The result of the same was announced by the IBPS on 18th October 2022. The interview round of the provisionally selected candidates is expected to be held on 14th November 2022. Candidates who will be selected finally will get a salary range between Rs. 15,000 to Rs. 44,000.
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म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले जान लें ये तीन रिस्क, फायदे में रहेंगे आप
डायवर्सिफाइड कर अनसिस्टेमेटिक रिस्क को कम किया जा सकता इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही सिस्टेमेटिक रिस्क को एक हद तक कम किया जा सकता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार
Updated on: Jun 23, 2022 | 4:05 PM
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार जैसे मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में निवेश करते समय हम सभी को पहले इसमें हमेशा ही मौजूद रहने वाले जोखिमों को समझना होगा और फिर यह भी समझना होगा कि जोखिम को पूरी तरह से नष्ट या समाप्त नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल कम या ट्रांसफर ही किया जा सकता है. रिस्क को ट्रांसफर करने का सीधा सा मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति आवश्यक सीमा तक रिटर्न (Return) प्राप्त करने के लिए अभी जोखिम नहीं लेता है. और अगर प्राप्त राशि सोची गई रकम से कम रह जाती है तो वह बाद में बहुत अधिक जोखिम उठा सकता है. दूसरी ओर जोखिम को कम करने का अर्थ है जहां तक संभव हो इसे कम करना और इस प्रकार परिणाम को सबसे बेहतर स्तर तक ले जाना.
इक्विटी में निवेश करने वाले प्रोडक्ट के लिए दो सबसे चर्चित जोखिम हैं, पहला अनसिस्टेमेटिक रिस्क (सेक्टर या कंपनी पर केंद्रित) और दूसरा सिस्टेमेटिक रिस्ट (पूरे बाजार में निहित जोखिम, उदाहरण के लिए जंग). कई विशेषज्ञ अस्थिरता और जोखिम के बीच के अंतर पर भी प्रकाश डालते हैं. अस्थिरता केवल कीमतों में रोजाना का उतार-चढ़ाव है, जबकि जोखिम को दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों या परिणामों को तैयार करने या प्राप्त करने में असमर्थता के रूप में माना जा सकता है. इस प्रकार, इक्विटी को अस्थिर कहा जा सकता है लेकिन शायद वह जोखिम भरा नहीं है, जबकि एक गारंटेड, पारंपरिक, फिक्स इनकम प्रोडक्ट देखने में स्थिर लेकिन अपेक्षाकृत जोखिम भरे हो सकते हैं.
स्ट्रैटेजी से कम करें रिस्क
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड (PGIM India Mutual Fund) के सीईओ अजीत मेनन ने कहा, अलग-अलग प्रकार के जोखिमों की बात करें तो इक्विटी में शामिल जोखिमों को कम करने के लिए पर्याप्त रणनीतियां हैं. विभिन्न शेयरों, सेक्टर्स, निवेश शैलियों आदि पर पोर्टफोलियो को एक बिंदु तक डायवर्सिफाइड कर अव्यवस्थित जोखिम को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही व्यवस्थित जोखिम को एक हद तक कम किया जा इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार सकता है. ये दोनों विचार पीजीआईएम इंडिया में हमारे पोर्टफोलियो निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं. हम कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों, कमाई के ट्रैक रिकॉर्ड और स्थिरता, दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य और पूंजी दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ये कुछ ऐसे कारक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे पोर्टफोलियो में जोखिम काफी हद तक कम हो.
स्टॉक को चुनने के लिए हमारा दूसरे स्तर का फिल्टर कम डेट टु इक्विटी रेशियो, पिछली साइकिल में सकारात्मक ऑपरेटिंग कैशफ्लो से लेकर हमारे पोर्टफोलियो में अनिवार्य रूप से तैयार डाउनसाइड प्रोटेक्शन पर आधारित होता है. हम पीईजी अनुपात (मूल्य/आय से वृद्धि) जैसे विभिन्न अन्य मापदंडों को देखते हुए इसमें मदद करते हैं. यह हमें बताता है कि हम इस बात को लेकर सचेत हैं कि हम भविष्य के ग्रोथ पोटेंशियल के लिए आज कितना भुगतान कर रहे हैं.
एक हालिया उदाहरण हमारे प्रोसेस को बखूबी बयां करता है, जिसमें कुछ नए युग की टेक कंपनियों के आईपीओ से दूर रहने के कारण हम बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहे हैं. सकारात्मक नकदी प्रवाह पर हमारे इन्वेस्टमेंट फिल्टर ने इस मामले में हमारे पक्ष में काम किया है.
बिहेवियर रिस्क
तीसरे प्रकार का जोखिम जिसके बारे में विशेषज्ञ कम ही बात करते हैं, वह है बिहेवियर रिस्क. यह मनी मैनजर्स और इंन्वस्टर्स दोनों के रूप में हमारे पूर्वाग्रहों से संबंधित है. यह हमें डेटा को निष्पक्ष रूप से देखने से रोकता है और इस तरह त्रुटियां पैदा होती हैं. इनकी वजह से कभी-कभी पूंजी का स्थायी नुकसान हो सकता है. बेहतर रिटर्न की उम्मीद में उन शेयरों को होल्ड करने की प्रवृत्ति, जिनके फंडामेंटल में कमी आने के कारण उनके मूल्य में गिरावट आई है, ऐसा ही एक उदाहरण है. लोकप्रिय रूप से इसे डिसपोजीशन इफेक्ट के रूप में जाना जाता है, यहां हम अपने घाटे वाले शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में रखते हुए अपने मुनाफे इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार वाले शेयरों को बेचते हैं.
वास्तव में अन्य पहलू भी हैं जो हमारी मदद करते हैं जैसे इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट टीम जो कि आंतरिक रूप से अपने विभिन्न दृष्टिकोणों पर चर्चा करती है. यह बिहेवियर रिस्क में कमी लाने के लिए भी काम करती है, क्योंकि यहां विचारों पर विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण रखते हुए काफी गहन चर्चा की जाती है.
एक और चीज जो हमारे दृष्टिकोण में विस्तार लाती है, वह है हमारी ग्लोबल टीमों से मिलने वाला समर्थन और इनपुट. यह मदद हमें वैश्विक स्तर पर घटने वाली घटनाओं को समझने में मदद करता है, और बाजारों पर पड़ने वाले प्रभाव को और भी बारीकी से समझने में मदद करता है. यह सब मिलकर मात्रात्मक फिल्टर के साथ व्यक्तिगत व्यवहार से जुड़े जोखिम को काफी हद तक कम करने करती हैं. इन फिल्टर्स की चर्चा हमने ऊपर की है.
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड में करना चाहते हैं निवेश, तो यहां जानिए कौन से फंड्स हैं निवेश के लिए बेहतर?
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो यहां पर दस शीर्ष योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई है, आप इससे मदद ले सकते हैं.
Published: August 20, 2021 12:56 PM IST
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड एक प्रकार का वित्तीय साधन है जो कई निवेशकों से स्टॉक या बॉन्ड या किसी अन्य संपत्ति जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए एकत्र किए गए धन के एक पूल से बना होता है. म्युचुअल फंड्स प्रोफेशनल वेल्थ मैनेजर्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो आपको फंड की संपत्ति आवंटित करने में मदद करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं.
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अगर आप भी म्यूचुअल फंड्स में नया निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो यहां पर ‘शीर्ष 10 म्यूचुअल फंड’ के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिससे आप मदद ले सकते हैं. अगर आप एक नए म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, तो आपके दिमाग में यह सवाल हमेशा आता होगा कि ‘कहां पर निवेश करें और ‘हमें कितना निवेश करना चाहिए?’
म्युचुअल फंड इक्विटी और बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों के प्रोफेशनल तरीके से प्रबंधित पोर्टफोलियो के लिए छोटी पहुंच प्रदान करते हैं. उन्हें कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित भी किया जाता है, जिसमें निवेश का उद्देश्य, रिटर्न के प्रकार और जोखिम और आपके द्वारा निवेश की जाने वाली प्रतिभूतियों के प्रकार शामिल होते हैं.
यहां पर 10 ऐसी योजनाओं की सूची दी गई है जहां पर आप निवेश करके अच्छा रिटर्न पा सकते हैं-
- एसबीआई स्मॉल कैप फंड
- एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फंड
- एक्सिस स्मॉल कैप फंड
- मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फंड
- डीएसपी मिडकैप फंड
- एक्सिस मिडकैप फंड
- मिराए एसेट लार्ज कैप फंड
- एक्सिस ब्लूचिप फंड
- पराग पारिख लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड
- कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फंड
म्यूचुअल फंड के प्रकार
- इक्विटी फंड
- मनी मार्केट या लिक्विड फंड
- निश्चित आय या डेट म्यूचुअल फंड
- मासिक आय योजना
(डिस्क्लेमर: यहां पर निवेश को लेकर जो जानकारियां दी गई है, वे सभी निवेश के उपाय बाहरी स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं. निवेशकों को निवेश करने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच कर लेनी चाहिए.)
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