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मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए?

मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए?
सोनू बताते हैं, “सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहूंगा कि हर सांप जहरीला नहीं होता, सिर्फ कुछ सांप ही जहरीले होते हैं और वे भी इंसानों को डसने के लिए नहीं बने हैं। भारत में पाए जाने वाले सांपों में से 80% सांप जहरीले नहीं होते हैं। अंधविश्वासों को छोड़कर अगर तर्कों पर बात करें तो सांपों को बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वे हमारी प्रकृति की फूड चैन का हिस्सा हैं और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”

सारे पत्रकार कांग्रेस के दलाल हैं!

अरे, आपको विश्वास नहीं होता? विश्वास कीजिए, क्योंकि अगर उनको कांग्रेस से पैसे नहीं मिलते होते तो वे बाबा रामदेव के काला धन विरोधी आंदोलन में कमियां क्यों निकालते? क्यों उनकी खिंचाई करते? बल्कि यह भी संभव है कि स्विस बैंकों में सोनिया और राहुल के ही नहीं, इन पत्रकारों के भी खाते हों जिनमें कांग्रेस पार्टी दलाली की रकम डायरेक्ट जमा करवाती हो। इसीलिए तो वे सबके सब बाबा के खिलाफ लिख रहे हैं।

वैसे एक बात गलत बोल गया। सभी पत्रकार कांग्रेसी दल्ले नहीं हैं। क्योंकि इसी भारतवर्ष में कुछ ऐसे जागरूक और निर्भीक पत्रकार भी हैं जो बीजेपी के साथ हैं। मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? ये गडकरी या मोदी के ‘चमचे या दल्ले’ नहीं हैं, ये तो उनके समर्थक, प्रशंसक और देश के सिपाही हैं। दूसरे शब्दों में जो पत्रकार बीजेपी के साथ हैं, पार्टी लाइन का आंख मूंदकर समर्थन करते हैं, बीजेपी नेताओं की हां में हां मिलाते हैं, उनको तो कहेंगे देशभक्त और जिसने भी बीजेपी के खिलाफ अपनी कलम या आवाज़ का इस्तेमाल किया, वह हो गया कांग्रेस का दलाल और देशद्रोही। सिंपल!

इसी तरह पत्रकारीय स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि कोई जर्नलिस्ट बिना किसी दबाव या लालच के अपनी राय दे सके। स्वतंत्रता का मतलब यह है कि आप बीजेपी का समर्थन और कांग्रेस का विरोध करने के लिए ‘स्वतंत्र’ हो। निष्पक्षता का मतलब भी यह नहीं है कि आप सत्ता और विपक्ष – दोनों तरफ की गलत बातों का विरोध और सही बातों का समर्थन करो। निष्पक्षता का मतलब यह है कि आप हमेशा बीजेपी के ‘पक्ष’ और कांग्रेस के ‘विपक्ष’ में लिखो। नीचे कुछ नमूने देखें जो हमारे पत्रकार ब्लॉगर किशोर मालवीय की ताज़ा पोस्ट – ‘रामदेव के आंदोलन का तो गर्भपात हो गया‘ पर लिखे गए हैं।

स्वतंत्रता, निष्पक्षता और देशभक्ति की ये नई परिभाषाएं इंटरनेट पर मौजूद भगवा ब्रिगेड ने गढ़ी हैं। आप कॉमेंट पर कॉमेंट पढ़ जाएं चाहे वह फेसबुक हो या कोई वेबसाइट। जहां कोई बीजेपी लाइन के खिलाफ गया, खास कर पत्रकार, वह उसी पल से कांग्रेस का पैसाखाऊ दलाल और सोनिया का तलवाचाटू कुत्ता हो गया। उसने इससे पहले के अपने लेखों या खबरों में कांग्रेस की चाहे जितनी लानत-मलामत की हो, वह सब गया पानी में।

मुझे याद आता है अन्ना हजारे के हाल के आंदोलन के शुरुआती दिन। पिछले साल के मुकाबले भीड़ इस बार बहुत ही कम थी। मीडिया ने यही कहा और लिखा तो टीम अन्ना के कुछ लोग मीडिया को गाली देने लगे कि मीडिया बिक गया है… यहां तक अंदेशा जताया गया कि टीवी चैनलों और अखबारों के मालिकों ने अपने पत्रकारों को आदेश दिया है कि आंदोलन को कमजोर करो। जंतर-मंतर पर पत्रकारों से बदसलूकी भी हुई। बाद में अरविंद केजरीवाल समेत बाकियों को इसके लिए माफी भी मांगनी पड़ी और अन्ना ने तो यहां तक कहा कि अगर फिर से ऐसा हुआ तो वह अपना आंदोलन वापस ले लेंगे।

अन्ना के लोग समझदार हैं। वे जानते हैं कि पिछली बार भी यही मीडिया था जिसने 15 दिनों के लिए टीवी स्क्रीन को अन्नामय कर दिया था। इसलिए पत्रकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। पत्रकार तो निष्पक्ष है। भीड़ होगी तो कहेगा कि भीड़ है, नहीं होगी तो कहेगा कि नहीं है।

रामदेव के आंदोलन के शुरुआती तीन दिन भी ऐसे ही रहे। मुश्किल से दस-पंद्रह हजार लोग जुटे थे जो कि आंदोलन की तैयारी और बाबा के दावों को देखते हुए बहुत कम थे। मीडिया ने फिर यही कहा तो अब यह भगवा टोली फिर से ऐक्टिव हो गई है कि मीडिया सरकार के हाथों बिक गया। अरे भाई, जब रामलीला मैदान में ज़्यादा लोग हैं ही नहीं तो कैसे कह दें कि लाखों की भीड़ जुटी हुई है? क्या रात को दिन और दिन को रात कह दें? कैसे कह दें और क्यों कह दें?

भैया, जब भीड़ नहीं जुटेगी तो मीडिया क्या नकली फुटेज चलाएगा? क्या वह नकली भीड़ तैयार करेगा? मीडिया ने वही कहा जो दिख रहा था। इसीलिए मीडिया ने यह भी दिखाया कि बाबा के लोग बालकृष्ण, जो पासपोर्ट के लिए फर्जी कागजात जमा करवाने के आरोप में बंद हैं, उनको महात्मा गांधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ दिखा रहे हैं। चैनलों में यह खबर आते ही उन बैनरों को हटा दिया गया।

यह तो एक बात हुई – सच दिखाने की। लेकिन मीडिया का एक और रोल भी है – विश्लेषण करना और सवाल उठाना। जब बाबा ने देखा कि उनके अकेले के दम पर भीड़ जुट नहीं रही है और इसी कारण यूपीए सरकार उनको भाव नहीं दे रही है तो उन्होंने दल-निरपेक्ष रहने की अपनी रणनीति बदली और आंदोलन के दूसरे चरण में विपक्षी दलों को अपने साथ जोड़ा – ऐसे लोगों को भी जोड़ा जो खुद ही दागी हैं जैसे मुलायम, मायावती और शरद पवार। ऐसे में मीडिया ने सवाल उठाया कि बाबा भ्रष्ट लोगों को साथ लेकर काले धन के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ेंगे।

बाबा के पास इन सवालों के जवाब नहीं हैं। और वे इसके जवाब में मौन साध जाते हैं। मौन रहें, यह उनका अधिकार है लेकिन मीडिया को भी तो यह अधिकार है कि वह ऐसे सवाल उठाए। वह पूछे कि कलंकितों के साथ मिलकर आप काले कारनामों के खिलाफ कैसे लड़ेंगे? वह आशंका जताए कि जिस तरह गीली लकड़ियों से आग नहीं लगती, वैसे ही ऐसे आंदोलन से भ्रष्टाचार की लड़ाई नहीं जीती जा सकती। वह बाबा रामदेव की कंपनियों के टैक्स बचाने के तरीकों पर भी सवाल उठा सकता है जहां पर योग सिखाने के बदले फीस न लेकर दान लिया जाता है, ताकि न बाबा की कंपनियों को टैक्स देना पड़े न योग शिविर लगवाने वाले को।

लेकिन जैसे ही किसी पत्रकार ने यह सवाल पूछा, वह कांग्रेस का दलाल हो गया – खासकर इस भगवा टोली के सदस्यों के लिए। क्योंकि जैसा कि मैने ऊपर कहा, इनकी डिक्शनरी में ‘स्वतंत्र’ पत्रकारिता’ का मतलब है बीजेपी के पक्ष और कांग्रेस के विपक्ष में बोलने और लिखने की स्वतंत्रता। उनके लिए ‘निष्पक्ष’ पत्रकारिता का मतलब है कांग्रेस के खिलाफ बोलने वाले हर किसी को दूध का धुला मानते हुए उसके वर्तमान या अतीत के बारे में कोई सवाल न करना। जो ऐसा करता है, वह कांग्रेस का कुत्ता है।

अब यह पोस्ट लिखने के बाद मेरे लिए भी यही विशेषण इस्तेमाल किए जाएंगे। मैं तैयार हूं। वैसे बेहतर होगा कि कोई भी कॉमेंट करने से पहले मेरी ये पहले की लिखी पोस्ट्स पढ़ लें। सभी नहीं तो एक-दो ही पढ़ लें – खासकर यह सरकार और तीन साल नहीं और बेशर्म और ढीठ सरकार से यही उम्मीद थी।

चिया सीड ड्रिंक रेसिपी | एनर्जी चिया सीड ड्रिंक | वजन घटाने के लिए चिया सीड ड्रिंक | Energy Chia Seed Drink with Lime and Honey, for Endurance Athletes

चिया सीड ड्रिंक रेसिपी | एनर्जी चिया सीड ड्रिंक | वजन घटाने के लिए चिया सीड ड्रिंक | शहद वाला एनर्जी चिया सीड ड्रिंक | energy chia seed drink in hindi | with 16 amazing images.

चिया सीड ड्रिंक रेसिपी वास्तव में नीचे दी गई २ रेसिपी है, एक है वजन घटाने के लिए चिया सीड ड्रिंक और दूसरी है चिया सीड ड्रिंक लाइम, शहद के साथ। ये दोनों चिया रेसिपी हेल्दी हैं।

इस बात पर कोई बहस नहीं है कि चिया बीज आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। ओमेगा -3 फैटी एसिड का खजाना, जो शाकाहारियों के लिए आने के लिए कठिन है, इन छोटे बीजों को फाइबर और प्रोटीन से भी भरा है।

वजन कम करने के लिए एनर्जी चिया सीड ड्रिंक एक लो कार्ब, हाई प्रोटीन ड्रिंक है जो कि कमर को ट्रिम करने के उद्देश्य से परफेक्ट है। इस पेय में कोई शहद नहीं मिला है क्योंकि यह वजन घटाने के लिए है। यह एक मधुमेह पेय के रूप में भी योग्य है। यह स्वस्थ दिल के लिए और कैंसर से लड़ने के लिए अच्छा है। हमने एक स्वादिष्ट स्पर्श के लिए नींबू का रस जोड़ा है। नींबू का रस स्वाद के साथ-साथ विटामिन सी की एक खुराक जोड़ देता है। यह विटामिन विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा का निर्माण करता है और एंटीऑक्सिडेंट के रूप में यह शरीर में सूजन को कम करने में भी मदद करता है।

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि इस आसानी से पचने वाले छोटे बीज में एंटीऑक्सिडेंट (एएलए) होता है, जो शरीर में ऊर्जा उत्पादन को गति प्रदान करता है। यह मैराथन दौड़ने वाले एथलीटों के लिए एक अद्भुत भोजन बनाता है। चिया के बीज सिर्फ सादे होने के लिए बहुत अच्छे होते हैं, पानी में मिलाया जाता है, इस एनर्जी चिया सीड ड्रिंक विथ लाइम एंड हनी इस अद्भुत बीज का आनंद लेने के लिए एक और भी बढ़िया तरीका है।

नींबू और शहद का एक पानी का छींटा के साथ, अन्यथा बेस्वाद चिया बीज fabulously स्वादिष्ट हो जाते हैं। आप इस ताज़ा ऊर्जा एनर्जी चिया सीड ड्रिंक पर कभी भी अपनी इच्छानुसार घूंट पी सकते हैं। एक और स्वस्थ तरीका है जिसमें कई एथलीट चिया सीड्स का सेवन करते हैं, आधा कप नारियल के दूध में एक बड़ा चम्मच चिया सीड्स और प्रोटीन पाउडर का मिश्रण होता है।

आनंद लें चिया सीड ड्रिंक रेसिपी | एनर्जी चिया सीड ड्रिंक | वजन घटाने के लिए चिया सीड ड्रिंक | शहद वाला एनर्जी चिया सीड ड्रिंक | energy chia seed drink in hindi नीचे दिए गए स्टेप बाय स्टेप फ़ोटो के साथ।

मिलिए 9 साल में 600 सांपों की ज़िंदगी बचाने वाले सोनू दलाल से!

sonudalal

सां प एक ऐसा जीव है जिससे दुनियाभर में ज्यादातर लोग नफरत करते हैं, डरते हैं और दिख जाने पर उनको मार देना ही एकमात्र विकल्प मानकर उनकी जान ले लेते हैं। सांपों के बारे में फैले झूठ और अंधविश्वास की वजह से उन्हें इस तरह की क्रूरताओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर बारिश के मौसम में या कई बार गलती से सांप हमारे घरों में आ जाते हैं, तो हम सीधे उन्हें मारने दौड़ते हैं। आम लोगों की समझ के अनुसार ऐसा करना सही है, क्योंकि सांप जहरीले होते हैं, इसलिए उन्हें मार देना चाहिए।

sonu dalal snake man

लेकिन सांपों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे सोनू दलाल का कहना है कि सांप से लोगों को डर लगता है, कई सांप जहरीले भी होते हैं, मगर फिर भी सांपों को नहीं मारना चाहिए। सोनू हरियाणा के झज्जर जिले के मांडोठी गाँव के रहने वाले हैं। वह पिछले 9 साल से सांपों को बचाने का काम कर रहे हैं और अब तक करीब 600 सांपों का रेस्क्यू कर उनकी जिंदगी बचा चुके हैं। सोनू दलाल।

सोनू सांपों को न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी मानते हैं बल्कि उनसे इंसानों को होने वाले फायदे भी गिनवाते हैं। सोनू का कहना है कि सब जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 70% प्रतिशत लोग आज भी खेती व पशुपालन से जुड़े हुए हैं। अगर हम सभी सांपों को मार देंगे तो फिर खेतों में पाए जाने वाले चूहों को खाएगा कौन? चूहे हमारी फसलों को खा जाते हैं। उनकी तादात ज्यादा न बढ़े इसलिए प्रकृति ने सांपों को बनाया है। सांप हमारे खेतों में पाए जाने वाले चूहों का शिकार करते हैं, वह चूहों के बिल में घुसकर उनका शिकार करने में सक्षम होते हैं, जिसके कारण हमारी फसलें सुरक्षित रहती हैं और हम खाने के लिए अन्न, पशुओं के लिए चारा और पहनने के कपड़ों के लिए कपास जैसी फसलें उगा पाते हैं। इसलिए भी सांपों का संरक्षण बहुत जरूरी है।

सोनू बताते हैं, “सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहूंगा कि हर सांप जहरीला नहीं होता, सिर्फ कुछ सांप ही जहरीले होते हैं और वे भी इंसानों को डसने के लिए नहीं बने हैं। भारत में पाए जाने वाले सांपों में से 80% सांप जहरीले नहीं होते हैं। अंधविश्वासों को छोड़कर अगर तर्कों पर बात करें तो सांपों को बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वे हमारी प्रकृति की फूड चैन का हिस्सा हैं और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”

sonu dalal snakeman

सांपों को बचाने वाले सोनू को उनके इलाके के लोग ‘स्नेक मैन’ के नाम से जानते हैं। जब भी उनके इलाके के किसी गाँव या शहर में किसी के घर सांप घुस जाता है तो लोग सोनू को फोन करके बुलाते हैं और सोनू सांपों को घरों से रेस्क्यू कर बाहर जंगल में छोड़ देते हैं। वह इस काम में साल 2010 से लगे हुए हैं और लोगों से इस काम के कोई पैसे नहीं लेते। सांप का रेस्क्यू करते सोनू।

उनसे इस काम की शुरुआत के बारे में पूछने पर उनका जवाब कुछ इस प्रकार होता है।

वह बताते हैं, “जब मैं छोटा था, तो देखता था कि गाँव में जब भी लोगों को सांप दिखाई देता, लोग उसे मार देते। जिसे देखकर मुझे बहुत बुरा महसूस होता था। मैं सोचता था कि जब सांप ने कुछ किया ही नहीं, फिर भी लोग उसे क्यों मार रहे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता, लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाता था। डिस्कवरी पर सांपों के बारे में कई कार्यक्रम देखने से मुझे पता लगा कि ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते और वे प्रकृति के लिए जरूरी हैं। बस वहीं से मेरे अंदर लगी आग को चिंगारी मिली और मैंने सांपो की प्रजातियों पर किताबें पढ़ना शुरू कर दिया और सांपों को बचाने, उन्हें रेस्क्यू करने के तरीके सीखने लगा।”

sonu dalal snakeman

सांपों के बारे में जानकारी हो जाने के बाद सोनू ने सबसे पहले अपने गाँव में सांपों को रेस्क्यू कर जंगलों में छोड़ना शुरू कर दिया। सोनू दलाल।

देखते-देखते उनकी ख्याति आस-पास के गांवों में भी फैलने लगी और आसपास के गाँव के लोग भी घरों में सांप घुस जाने पर उसे मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? निकालने के लिए सोनू को बुलाने लगे। हालाँकि सोनू को सांपों को रेस्क्यू करने के दौरान लोगों में व्याप्त सांपों के बारे में अंधविश्वासों का सामना भी करना पड़ता है।

“जब मैं सापों को रेस्क्यू करने जाता तो लोग मुझसे पूछते थे कि क्या इसे मारकर मणी मिल जाएगी, क्या इसको मारकर इससे आंखों को ठीक करने वाली दवाई बन जाएगी, क्या सांप की आंखों में हमारे फोटो खींच गए हैं और यह हम पर हमला कर मार देगा। इस तरह के सवालों पर मेरा जवाब ‘ना’ ही होता था। हर जगह ऐसे सवाल पूछे जाने के कारण मैंने महसूस किया कि लोगों में सापों के बारे में फैले अंधविश्वासों को दूर करने की जरूरत है, इसलिए मैंने अंधविश्वासों के खिलाफ लोगों को जागरुक करना शुरू कर दिया,” सोनू ने कहा।

sonu dalal snake man

सोनू जब सांप रेस्क्यू करने जाते हैं तो उन्हें देखने के लिए आस-पास बहुत लोग इकट्ठा हो जाते हैं। सांप को रेस्क्यू करने के बाद सोनू वहां इकट्ठा हुए लोगों को सांपों के बारे में फैलाए गए अंधविश्वासों को दूर करते हैं कि सांपों में कोई मणी नहीं पाई जाती, सांप इच्छाधारी नहीं होते, सांप की आंखों में फोटो नहीं खींचती और न ही सांप दूध पीते हैं। लोगों का सांप के प्रति अन्धविश्वास दूर करते सोनू।

हमारे समाज में सांप के कांटने और उसके बाद खुद ही इलाज करने जैसे कई प्रकार के अंधविश्वास फैले हैं, जिनके बारे में भी सोनू लोगों को जागरुक करते हैं। वह बताते हैं कि आमतौर पर सांप मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? इंसानों मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? को काटते नहीं हैं। लेकिन अगर कोई सांप काट भी ले तो पीड़ित को शांत रहना चाहिए, हड़बड़ी मचाने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जिससे जहर तेजी से शरीर में फैलता है। इसलिए मेडिकल मदद मिलने तक पीड़ित को शांत रहना चाहिए और शरीर के जिस हिस्से पर सांप ने काटा हो उसे हिलाना नहीं चाहिए। घाव को धोने, घरेलू इलाज करने में समय नष्ट करने की बजाए जल्द से जल्द अस्पताल जाना चाहिए। फिल्मों में दिखाए गए काट कर चूसने जैसे फिल्मी नुस्खे न प्रयोग करें और न ही दबाव डालने वाली पट्टी बांधे। ये दोनों अंधविश्वास हैं।

sonu dalal snakeman

इतना ही नहीं, सोनू अब तक 8 ऐसे लोगों को भी पकड़वा चुके हैं जो बिना जहर वाले सांपों को कैद कर उनके दांत तोड़ देते हैं और अपने फायदे के लिए सांपों के साथ क्रूर व्यवहार करते हैं। सांप पकड़ने के उपकरण के साथ सोनू।

अंत में सोनू सिर्फ इतना कहते है कि सांप बहुत खूबसूरत जीव हैं जो अलग-अलग तरीकों से न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी हैं, बल्कि हम इंसानों को भी अनेकों फायदे पहुंचाते हैं। वे हमारी तरह ही इस धरती पर रहने के हकदार हैं, इसलिए हमें उन्हें मारना बंद मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? कर उनके साथ शांति और सद्भाव से रहना शुरू करना होगा।

अगर आपको सोनू की कहानी अच्छी लगी और आप उनसे सम्पर्क करना चाहते हैं तो 9050704550 पर बात कर सकते हैं।

संपादन – भगवती लाल तेली

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

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मिलिए 9 साल में 600 सांपों की ज़िंदगी बचाने वाले मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? सोनू दलाल से!

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सां प एक ऐसा जीव है जिससे दुनियाभर में ज्यादातर लोग नफरत करते हैं, डरते हैं और दिख जाने पर उनको मार देना ही एकमात्र विकल्प मानकर उनकी जान ले लेते हैं। सांपों के बारे में फैले झूठ और अंधविश्वास की वजह से उन्हें इस तरह की क्रूरताओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर बारिश के मौसम में या कई बार गलती से सांप हमारे घरों में आ जाते हैं, तो हम सीधे उन्हें मारने दौड़ते हैं। आम लोगों की समझ के अनुसार ऐसा करना सही है, क्योंकि सांप जहरीले होते हैं, इसलिए उन्हें मार देना चाहिए।

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लेकिन सांपों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे सोनू दलाल का कहना है कि सांप से लोगों को डर लगता है, कई सांप जहरीले भी होते हैं, मगर फिर भी सांपों को नहीं मारना चाहिए। सोनू हरियाणा के झज्जर जिले के मांडोठी गाँव के रहने वाले हैं। वह पिछले 9 साल से सांपों को बचाने का काम कर रहे हैं और अब तक करीब 600 सांपों का रेस्क्यू कर उनकी जिंदगी बचा चुके हैं। सोनू दलाल।

सोनू सांपों को न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी मानते हैं बल्कि उनसे इंसानों को होने वाले फायदे भी गिनवाते हैं। सोनू का कहना है कि सब जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 70% प्रतिशत लोग आज भी खेती व पशुपालन से जुड़े हुए हैं। अगर हम सभी सांपों को मार देंगे तो फिर खेतों में पाए जाने वाले चूहों को खाएगा कौन? चूहे हमारी फसलों को खा जाते हैं। उनकी तादात ज्यादा न बढ़े इसलिए प्रकृति ने सांपों को बनाया है। सांप हमारे खेतों में पाए जाने वाले चूहों का शिकार करते हैं, वह चूहों के बिल में घुसकर उनका शिकार करने में सक्षम होते हैं, जिसके कारण हमारी फसलें सुरक्षित रहती हैं और हम खाने के लिए अन्न, पशुओं के लिए चारा और पहनने के कपड़ों के लिए कपास जैसी फसलें उगा पाते हैं। इसलिए भी सांपों का संरक्षण बहुत जरूरी है।

सोनू बताते हैं, “सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहूंगा कि हर सांप जहरीला नहीं होता, सिर्फ कुछ सांप ही जहरीले होते हैं और वे भी इंसानों को डसने के लिए नहीं बने हैं। भारत में पाए जाने वाले सांपों में से 80% सांप जहरीले नहीं होते हैं। अंधविश्वासों को छोड़कर अगर तर्कों पर बात करें तो सांपों को बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वे हमारी प्रकृति की फूड चैन का हिस्सा हैं और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”

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सांपों को बचाने वाले सोनू को उनके इलाके के लोग ‘स्नेक मैन’ के नाम से जानते हैं। जब भी उनके इलाके के किसी गाँव या शहर में किसी के घर सांप घुस जाता है तो लोग सोनू को फोन करके बुलाते हैं और सोनू सांपों को घरों से रेस्क्यू कर बाहर जंगल में छोड़ देते हैं। वह इस काम में साल 2010 से लगे हुए हैं और लोगों से इस काम के कोई पैसे नहीं लेते। सांप का रेस्क्यू करते सोनू।

उनसे इस काम की शुरुआत के बारे में पूछने पर उनका जवाब कुछ इस प्रकार होता है।

वह बताते हैं, “जब मैं छोटा था, तो देखता था कि गाँव में जब भी लोगों को सांप दिखाई देता, लोग उसे मार देते। जिसे देखकर मुझे बहुत बुरा मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? महसूस होता था। मैं सोचता था कि जब सांप ने कुछ किया ही नहीं, फिर भी लोग उसे क्यों मार रहे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता, लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाता था। डिस्कवरी पर सांपों के बारे में कई कार्यक्रम देखने से मुझे पता लगा कि ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते और वे प्रकृति के लिए जरूरी हैं। बस वहीं से मेरे अंदर लगी आग को चिंगारी मिली और मैंने सांपो की प्रजातियों पर किताबें पढ़ना शुरू कर दिया और सांपों को बचाने, उन्हें रेस्क्यू करने के तरीके सीखने लगा।”

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सांपों के बारे में जानकारी हो जाने के बाद सोनू ने सबसे पहले अपने गाँव में सांपों को रेस्क्यू कर जंगलों में छोड़ना शुरू कर दिया। सोनू दलाल।

देखते-देखते उनकी ख्याति आस-पास के गांवों में भी फैलने लगी और आसपास के गाँव के लोग भी घरों में सांप घुस जाने पर उसे निकालने के लिए सोनू को बुलाने लगे। हालाँकि सोनू को सांपों को रेस्क्यू करने के दौरान लोगों में व्याप्त सांपों के बारे में अंधविश्वासों का सामना भी करना पड़ता है।

“जब मैं सापों को रेस्क्यू करने जाता तो लोग मुझसे पूछते थे कि क्या इसे मारकर मणी मिल जाएगी, क्या इसको मारकर इससे आंखों को ठीक करने वाली दवाई बन जाएगी, क्या सांप की आंखों में हमारे फोटो खींच गए हैं और यह हम पर हमला कर मार देगा। इस तरह के सवालों पर मेरा जवाब ‘ना’ ही होता था। हर जगह ऐसे सवाल पूछे जाने के कारण मैंने महसूस किया कि लोगों में सापों के बारे में फैले अंधविश्वासों को दूर करने की जरूरत है, इसलिए मैंने अंधविश्वासों के खिलाफ लोगों को जागरुक करना शुरू कर दिया,” सोनू ने कहा।

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सोनू जब सांप रेस्क्यू करने जाते हैं तो उन्हें देखने के लिए आस-पास बहुत लोग इकट्ठा हो जाते हैं। सांप को रेस्क्यू करने के बाद सोनू वहां इकट्ठा हुए लोगों को सांपों के बारे में फैलाए गए अंधविश्वासों को दूर करते हैं कि सांपों में कोई मणी नहीं पाई जाती, सांप इच्छाधारी नहीं होते, सांप की आंखों में फोटो नहीं खींचती और न ही सांप दूध पीते हैं। लोगों का सांप के प्रति अन्धविश्वास दूर करते सोनू।

हमारे समाज में सांप के कांटने और उसके बाद खुद ही इलाज करने जैसे कई प्रकार के अंधविश्वास फैले हैं, जिनके बारे में भी सोनू लोगों को जागरुक करते हैं। वह बताते हैं कि आमतौर पर सांप इंसानों को काटते मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? नहीं मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? हैं। लेकिन अगर कोई सांप काट भी ले तो पीड़ित को शांत रहना चाहिए, हड़बड़ी मचाने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जिससे जहर तेजी से शरीर में फैलता है। इसलिए मेडिकल मदद मिलने तक पीड़ित को शांत रहना चाहिए और शरीर के जिस हिस्से पर सांप ने काटा हो उसे हिलाना नहीं चाहिए। घाव को धोने, घरेलू इलाज करने में समय नष्ट करने की बजाए जल्द से जल्द अस्पताल जाना चाहिए। फिल्मों में दिखाए गए काट कर चूसने जैसे फिल्मी नुस्खे न प्रयोग करें और न ही दबाव डालने वाली पट्टी बांधे। ये दोनों अंधविश्वास हैं।

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इतना ही नहीं, सोनू अब तक 8 ऐसे लोगों को भी पकड़वा चुके हैं जो बिना जहर वाले सांपों को कैद कर उनके दांत तोड़ देते हैं और अपने फायदे के लिए सांपों के साथ क्रूर व्यवहार करते हैं। सांप पकड़ने के उपकरण के साथ सोनू।

अंत में सोनू सिर्फ इतना कहते है कि सांप बहुत खूबसूरत जीव हैं जो अलग-अलग तरीकों से न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी हैं, बल्कि हम इंसानों को भी अनेकों फायदे पहुंचाते हैं। वे हमारी तरह ही इस धरती पर रहने के हकदार हैं, इसलिए हमें उन्हें मारना बंद कर उनके साथ शांति मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? और सद्भाव से रहना शुरू करना होगा।

अगर आपको सोनू की कहानी अच्छी लगी और आप उनसे सम्पर्क करना चाहते हैं तो 9050704550 पर बात कर सकते हैं।

संपादन – भगवती लाल तेली

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

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सावधान. यह नुकसान पहुंचा सकते हैं आपको

सुन्दर व आकर्षक दिखना किसको अच्छा नहीं लगता, महिला-पुरुष, बच्चे हो या वृद्ध, सभी अपने आप को औरों से बेहतर व अच्छा दिखने की होड़ में लगे हैं। इसके लिए चाहे उन्हें कोई भी सौन्दर्य वर्धक व महंगे उत्पाद का ही उपयोग क्यों ना करना पड़े, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि यह होड़ कितना नुकसान पहुंचा सकती है।

अपने आप को बेहतर व आकर्षक दिखाने के लिए लोग ब्यूटी पार्लर व सैलून में काफी समय व्यतीत करते हैं, जिसमें प्रमुखता से वैक्सिंग, फैशियल, हेयर कलरिंग, ब्लीचिंग आदि कई माध्यमों की सहायता लेते हैं। इसके साथ कई तरह के सौन्दर्य उत्पाद लिपस्टिक, क्रीम, परफ्यूम आदि अन्य उत्पादों का उपयोग करते हैं जो कि जानकारी के अभाव में नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। सौन्दर्य उत्पाद खरीदने के पीछे हमारी मंशा अपना रूप निखारने की होती है, लेकिन कई बार एेसा होता है कि इन पर्सनल केयर और सौन्दर्य उत्पादों से हमारा रूप निखरने की बजाय और अधिक खराब हो जाता है।

लापरवाही व जल्दबाजी- इन दिनों लोगों में जल्दबाजी व लापरवाही देखने को मिल रही है। इसके चलते हम उत्पादों की जांच ठीक से नहीं कर पाते, साथ ही किसी के बताए अनुसार कोई भी उत्पाद खरीद कर इसका उपयोग शुरू कर देते हैं, जिनके साइड इफेक्टस और उसकी सम्पूर्ण जानकारी नहीं होती है।

उत्पादों में कैमिकल- उत्पादों में अत्यधिक मात्रा में हानिकारक कैमिकल होते हैं, जो त्वचा के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, उनकी जानकारी हमें नहीं होती।

अच्छे बुरे का बोध नहीं होना- हमारी त्वचा के लिए क्या सही है, क्या गलत, इसकी जानकारी हमें नहीं होती, साथ ही महंगे उत्पादों के विज्ञापन मात्र से ही हम प्रभावित हो जाते हैं और इसका इस्तेमाल करने के बाद ही हमें उसके परिणाम की जानकारी मिलती है।

यह कैमिकल हानिकारक ट्रिक्लोसन- कई सौन्दर्य उत्पादों में ट्रिक्सोलन नामक कैमिकल पाया जाता है, जिससे कई प्रकार की त्वचा सम्बन्धी बीमारियां जैसे खुजली, त्वचा का लाल होना आदि समस्याएं हो सकती हैं इसलिए कोई भी उत्पाद खरीदने से पहले लेबल को अच्छी जांच लेना चाहिए।

परफ्यूम- जब हम किसी लेबल पर परफ्यूम लिखा देखते हैें तो हमें लगता है फूलों व तेलों से बनाई खुशबू है, लेकिन फ्रेग्रेंस अथवा परफ्यूम सैकड़ों केमिकल्स की ओर ईशारा करते हैं। इनमें से कुछ एलर्जी भी पैदा करते हैं। कुछ केमिकल्स से कैंसर भी हो सकता है।

सोडियम सल्फेट- यह तत्व सौन्दर्य उत्पाद में हो तो यह त्वचा में खुजली उत्पन्न करने वाले होते हैं। आप लेबल पर इसे एसएलएस/एसएलईएस के रूप में लिखा देख सकते हैं।

ऑक्सीबेजोन- यह तत्व स्प्रे व सनस्क्रीन में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह हमारी त्वचा के लिए खतरनाक व हानिकारक है।

पारा- पारा त्वचा और सेहत के लिए हानिकारक व नुकसानदेह है, लेकिन अधिकतर कम्पनियां लेबल पर इसे लिखने से बचती हैं। कई नामी ब्रांड्स की लिपस्टिक में पारा नामक तत्व होता है जो कि त्वचा के लिए नुकसानदायक है।

वैक्सिंग ब्लीचिंग है नुकसानदायक-

वैक्सिंग, ब्लीचिंग फैशियल भी यदि अनुभवहीन से करवाया जाए तो वे भी नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। साथ ही इन दिनों त्वचा सम्बंधी कई रोगी सामने आ मुझे दलाल का उपयोग क्यों करना चाहिए? रहे हैं।

आजकल कई तरह के स्किन इन्फेक्शन सौन्दर्य उत्पाद व सौन्दर्य माध्यम ब्लीचिंग फैशियल, वैक्सिंग के कारण हो रहे हैं। इन्फेक्शन के कारण युवतियां परामर्श के लिए आती हैं। इस तरह के किसी भी सौन्दर्य उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहिए जिनसे त्वचा को नुकसान पहुंचे व खराब हो। इनके इस्तेमाल से त्वचा लाल हो जाती है व कई त्वचा सम्बन्धित अन्य रोग जैसे डरमेटाइटिस, खुजली, जलन जैसी परेशानी देखी जा रही हैं। टैटू बनवाते समय यदि सावधानी नहीं बरती जाए तो एचआईवी इन्फेक्शन हो सकता है, साथ ही आर्मी, पुलिस व अन्य सेवा में जाने के कारण टैटू हटवाने वाले भी कई आते हैं। टैटू करवाने के बाद इसे लेजर ट्रीटमेंट से ही हटाया जा सकता है। लेजर ट्रीटमेंट केवल त्वचा रोग विशेषज्ञ के परामर्श के बाद ही करवाना चाहिए क्योंकि उन्हें त्वचा संबंधी सभी जानकारी होती है।

डॉ. अशोक मेहरदा, त्वचा रोग विशेषज्ञ
मैने दोस्त के कहने पर क्रीम का उपयोग किया था। उसके रिएक्शन के कारण मेरी त्वचा खराब हो गई। साथ ही इससे मुझे खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाया। अब मेरा ट्रीटमेंट चल रहा है तथा पहले से काफी फायदा हुआ है।

टीना शर्मा, बदला हुआ नाम

वैक्सिंग मैंने बहन से करवाई थी, जिसे अभी इतना अनुभव नहीं है, जिससे मेरी त्वचा जल गई व खराब हो गई। अब मैं त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले रही हूं। अब वह ठीक तो हो गया है लेकिन निशान जिन्दगी भर रहेगा।
स्नेहा चतुर्वेदी, बदला हुआ नाम

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