मूल्य नीति

ब्रिटिश PM ऋषि सुनक ने पहले विदेश नीति भाषण में कहा- भारत के साथ FTA प्राथमिकता, चीन के साथ संबंधों का Golden दौर खत्म
UK India FTA: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा, सीपीटीपीपी (CPTPP) भारत के साथ एक नए FTA पर काम कर रहा है और इसी तरह इंडोनेशिया के साथ भी एक समझौता किया जाएगा.
(File Image: Reuters)
UK India FTA: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने पहले विदेश नीति भाषण में भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दोहराया है. उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को बढ़ाने को लेकर हमरा फोकस है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ संबंधों का स्वर्णिम दौर समाप्त हो चुका है. सोमवार रात लंदन के लॉर्ड मेयर की ओर से आयोजित औपचारिक भोज मूल्य नीति के दौरान सुनक ने कहा कि दुनिया भर में "स्वतंत्रता और खुलेपन" के ब्रिटिश मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं. पिछले महीने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में पदभार संभालने करने के बाद ऋषि सुनक का यह पहला विदेश नीति पर भाषण था.
चीन पर क्या बोले ऋषि सुनक
ऋषि सुनक चीन के मामले में इन चीजों को अलग तरीके से देखने की बात कही. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश मूल्यों और हितों के लिए यह एक 'सिस्टमैटिक चैलेंज' है. सुनक ने कहा, ''राजनीति में आने से पहले मैंने दुनिया भर के बिजनेस में निवेश किया. अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यह अवसर मिलना बड़ी बात है.''
चीन के बारे में ब्रिटिश पीएम ने कहा कि वह यूके के नजरिए को नए सिरे से डेवलप करना चाहते हैं. उन्होंने सात साल पहले ब्रिटेन-चीन बॉयलेटरल रिलेशंस का जिक्र करते हुए पिछली कंजरवेटिव पार्टी की अगुवाई वाली सरकार की ओर से इस्तेमाल किए गए स्लोगल से अपनी सरकार को अलग कर दिया.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि "अब यह साफ है कि तथाकथित स्वर्णिय दौर (golden era) समाप्त हो गया है. इस सहज विचार के साथ ट्रेड सामाजिक और राजनीतिक सुधार की ओर ले जाएगा. इसलिए हमें कोल्ड वार के बयानबाजी पर भरोसा नहीं करना चाहिए. हम मानते हैं कि चीन हमारे मूल्यों और हितों के लिए एक 'सिस्टमैटिक चैलेंज' पेश करता है. यह एक ऐसी चुनौती है जो ज्यादा तीव्र होती जाती है क्योंकि यह और भी ज्यादा अधिनायकवाद की ओर बढ़ती जा रही है. 42 वर्षीय पूर्व चांसलर ने माना कि ब्रिटेन विश्व मामलों में चीन के "महत्व" को आसानी से अनदेखा नहीं कर सकता है.
ग्लोबल ग्रोथ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र होगा अहम
ऋषि सुनक ने कहा़, ''2050 तक, हिंद-प्रशांत क्षेत्र यूरोप और उत्तरी अमेरिका के संयुक्त रूप से सिर्फ एक चौथाई की तुलना में आधे से ज्यादा ग्लोबल ग्रोथ डिलिवर करेगा. यही वजह है कि हम ट्रांस-पैसिफिक ट्रेड डील में शामिल हो रहे हैं. सीपीटीपीपी (CPTPP) भारत के साथ एक नए FTA पर काम कर रहा है और इसी तरह इंडोनेशिया के साथ भी एक समझौता किया जाएगा.
उन्होंने कहा, कई अन्य लोगों की तरह मेरे दादा-दादी पूर्वी अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप के रास्ते ब्रिटेन आए और यहां अपना जीवन बीताया. हाल के वर्षों में हमने हांगकांग, अफगानिस्तान और यूक्रेन से आए मूल्य नीति हजारों लोगों का स्वागत किया है. हम एक ऐसे देश हैं, जो अपने मूल्यों के साथ खड़ा है, जो केवल शब्दों से नहीं बल्कि अपने कार्यों से भी लोकतंत्र की रक्षा करता है.
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पिछली बार इस तारीख को अपडेट किया गया: March 31, 2021 | अब तक कुल अभ्यागत: 267316984
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में मूल्य शिक्षा पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित
श्रीनगर गढ़वाल : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चडीगांव, पौड़ी गढ़वाल के द्वारा एससीईआरटी उत्तराखंड के निर्देशन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में मूल्य शिक्षा पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के तकनीकी सहयोग से किया मूल्य नीति गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम डायट प्राचार्य डॉ. महावीर सिंह कलेटा ने सभी अतिथियों, वक्ताओं व प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए मूल्यपरक शिक्षा पर अपने विचार रखे। उसके बाद एससीईआरटी उत्तराखंड की निदेशक श्रीमती सीमा जौनसारी ने बच्चों में मूल्यों की समझ विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक परिस्थिति के अनुसार बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता बताई। वेबीनार की प्रमुख वक्ता प्रोफेसर इंदु खंडूरी पांडेय, विभागाध्यक्ष एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल ने प्राचीन व सनातन भारतीय ज्ञान व विचार के आलेख में ज्ञान, प्रज्ञान और सत्य की खोज पर नैतिक शिक्षा में राष्ट्रीय मूल्यों के परिपेक्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मूल्य नीति के संदर्भ में मूल्य शिक्षा पर इस वेबीनार में अपने विचार रखे। वेबीनार की दूसरी वक्ता श्रीमती निमरत कौर, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलुरु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ ने कहा कि शिक्षा को एक सार्वजनिक सेवा माना गया है और मुल्य शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डायट प्रवक्ता नारायण प्रसाद उनियाल ने कहा कि प्रस्तावित शिक्षा नीति 2020 में नैतिकता, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों के अंतर्गत दूसरों के लिए सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार तथा सेवा की भावना को प्राथमिकता पर बल दिया गया है। वेबीनार में प्रश्नकाल का संचालन डायट प्रवक्ता जगमोहन सिंह कठैत के द्वारा किया गया। समस्त डायट फैकल्टी के साथ जनपद व विकासखंड शिक्षा अधिकारियों के साथ अजीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर टीम ने वेबिनार के सफल संचालन में सहयोग दिया। इस वेबीनार में 412 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। अंत में डायट प्राचार्य डॉ. महावीर सिंह कलेटा ने प्रोफेसर खंडूड़ी, प्रोफेसरनिमरत कौर तथा श्रीमती सीमा जौनसारी सहित एससीईआरटी के अधिकारियों, जनपदों विकासखंड के शिक्षा अधिकारियों व समस्त शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ अजीम प्रेमजी फाउंडेशन पौड़ी का आभार व्यक्त किया।
छत्तीसगढ़ की नवीन मछली पालन नीति केबिनेट में मंजूर
मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिए नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आबंटन सीमा में 50 फीसद की कमी कर ज्यादा से ज्यादा मछुआरों को रोजी-रोजगार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। प्रति सदस्य के मान से आबंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभान्वित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
संशोधित नवीन मछली पालन नीति के अनुसार मछली पालन के लिए तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिए जाएंगे। तालाब और जलाशय के आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढ़ीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को तथा अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। मछुआ से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जो अपनी अजीविका का अर्जन मछली पालन, मछली पकड़ने या मछली बीज उत्पादन का कार्य करता हो, के तहत वंशानुगत-परंपरागत धीवर (ढ़ीमर), निषाद (केंवट), कहार, कहरा, मल्लाह को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है।
इसी तरह मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति अथवा मछुआ व्यक्ति को ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर जलक्षेत्र तथा सिंचाई जलाशय के मामले में चार हेक्टेयर मूल्य नीति के स्थान पर दो हेक्टेयर जलक्षेत्र प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से आबंटित किया जाएगा। मछली पालन के लिए गठित समितियों का ऑडिट अभी तक सिर्फ सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। अब संशोधित नवीन मछली पालन नीति में सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुक्त टीम ऑडिट की जिम्मेदारी दी गई है।
त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था अंतर्गत शून्य से 10 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के तालाब एवं सिंचाई जलाशय को 10 वर्ष के लिए पट्टे पर आबंटित करने का अधिकार ग्राम पंचायत का होगा। जनपद पंचायत 10 हेक्टेयर से अधिक एवं 100 हेक्टेयर तक, जिला पंचायत 100 हेक्टेयर से अधिक एवं 200 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक, मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर से अधिक एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के जलाशय, बैराज को मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को पट्टे पर देगा। नगरीय निकाय अंतर्गत आने वाले समस्त जलक्षेत्र नगरीय निकाय के अधीन मूल्य नीति होंगे, जिसे शासन की नीति के अनुसार 10 वर्ष के लिए लीज पर आबंटित किया जाएगा।
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