ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?
स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।
दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:
1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस
2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस
केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा
केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा
केस 1 में, अगर आपके पास Rs 100/- में बाय का पोजीशन है और आप स्टॉप लॉस Rs 95/- में प्लेस करना चाहते है
a. SL-M आर्डर टाइप - आपको सेल आर्डर SL-M प्लेस करना होगा, जिसमें ट्रिगर प्राइस 95 होगा और जब प्राइस 95 पर ट्रिगर होगा तो , सेल मार्किट आर्डर एक्सचेंज को जायेगा और आपका पोजीशन मार्किट प्राइस पर क्लोज हो जायेगा।
b. SL आर्डर टाइप - आपको सेल SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≥ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।
मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 95 और प्राइस = 94.90 होगा। जब प्राइस 95 पर ट्रिगर करता है, तब सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 94.90 से उपर उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 96 या 94.95 पर ही पूरा होगा और 94.90 से नीचे नहीं होगा।
इस तरह के आर्डर का नुकसान भी है, अगर मान लीजिए मार्किट बहुत जल्दी से गिरने लगता है जब तक 95 ट्रिगर हो और इससे पहले की 94.90 सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को मिले, स्टॉक प्राइस पहले ही 94.90 से नीचे गिर चूका हो, तब स्टॉप-लॉस आर्डर आप का क्लोज नहीं होगा। आपका स्टॉप लॉस आर्डर खुला ही रहेगा और आपका नुकसान बहुत ही बढ़ सकता है।
आपको खुद ही तय करना होगा की SL or SL-M का इस्तेमाल करें मार्किट को दिमाग में रख कर तय करना होगा।
केस 2 में, आप के पास सेल पोजीशन है 100 पर है, आप SL 105 में प्लेस करना चाहते है,
a. SL-M आर्डर टाइप - आप को बय SL-M आर्डर प्लेस करना होगा ट्रिगर प्राइस = 105 यहाँ जब प्राइस 105 ट्रिगर करेगा तब बय मार्किट आर्डर एक्सचेंज को मिलेगा और आपका पोजीशन स्क्वायर ऑफ मार्किट प्राइस पर हो जायेगा।
b. SL आर्डर टाइप - आपको बय SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≤ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।
मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 105 और प्राइस = 105.10 होगा। जब प्राइस 105 पर ट्रिगर करता है, तब बय लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 105.10 से नीचे उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 105.05 या 105 पर ही पूरा होगा और 105.10 से ऊपर नहीं होगा।
SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:
जैसे की सेल SL आर्डर बय प्राइस के नीचे के लिए इस्तेमाल होता और बय SL आर्डर सेल प्राइस के ऊपर , तो आप यह आर्डर टाइप्स को लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) के ऊपर या लास्ट ट्रेडेड प्राइस के नीचे इस्तेमाल कर सकते है।
1. LTP के अपर बय करने के लिए आप बय SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको बय करना है।
2. LTP के नीचे सेल करने के लिए आप सेल SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको सेल करना है।
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क्या है Stop Loss और Target Price?
शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.
क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.
आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.
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Stop Loss Meaning In Hindi
Stop – Loss यह सुन कर आपके मन में एक सवाल जरुर आया होंगा की क्या सच में स्टॉक मार्केट में ऐसा हो सकता हैं तो मे आपको बता दू की यह टोपिक (stop loss meaning in hindi) शेयर बाज़ार के किसी टिप्स या सुचन पर बेस्ड नहीं है बल्कि यह आर्टिकल स्टॉक मार्केट की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि Stop – Loss के बारेंमे है जिसे SL के शोर्ट नाम से भी जाना जाता हैं, वैसे आपने इसके बारेंमे जरुर सुना होंगा मगर आज हम इसे पूर्ण विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं
स्टॉपलॉस क्या होता हैं :-
तो दोस्तों ‘स्टॉपलॉस’ यह ट्रेडिंग की एक विशेष प्रकार की सुविधा है जो केवल हमें इस ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से देखने को मिली हैं, इसके नाम से ही पता चलता है की यह हमारे ट्रेडिंग लोस को रोकता है जिनसे हम हमारी नुकसानी को कम कर सकते हैं
इसको आगे हम इनके कुछ उदाहरणों के साथ भी समजेंगे फिलहाल, हमें यह समजना होंगा की यह होता क्या है और स्टॉक मार्केट में इसको कैसे प्रयोग करें
‘स्टॉपलॉस’ का इस्तेमाल ज्यादातर Intraday Trading में किया जाता हैं, यह शेयरों की खरीदी और बिकवाली दोनों पर अप्लाई किया जा सकता हैं, इसमें एक बात का अवश्य ध्यान रखे की हम इस टोपिक में केवल BSE/NSE के Cash Market की बात कर रहे है नाकी Future & Option Trading की तो चलिए इसीके साथ आगे बढ़ते हैं
पहले तो इसका इस्तेमाल हमारें ब्रोकर्स के द्वारा या खुद मोबाइल ट्रेडिंग के जरिये भी कर सकते हैं, तो स्टॉपलॉस का इस्तेमाल खरीदी और बिकवाली दोनों पोजीशन पर किया जा सकता हैं
स्टॉपलॉस ऑर्डर का एक विशेष महत्व है और वो ये की स्टॉपलॉस ऑर्डर पहले तो हमारें पुराने ऑर्डर की नुकसानी को बढ़ने से रोकता हैं और दूसरा प्रोफिट को बढ़ने के लिए मार्केट क्लोज़ होने तक सीमीत रखता हैं
Stop – Loss की प्रेक्टिकल ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? समज :-
‘स्टॉपलॉस’ को थोडा प्रेक्टिकली समजते है मानलीजिये किसी स्टॉक को हमने इंट्राडे पर ख़रीदा है जिनसे मार्केट खत्म होने से पहले उसे बेचना जरुरी होना मगर हम उस स्टॉक पर मार्केट क्लोजिंग तक रुकना चाहते है
साथ ही हमने यह भी नक्की किया है की इस स्टॉक पर यदि लोस होंगा तो वो केवल इतनाही होंगा तो इसके लिए हमें स्टॉक खरीदने के तुरंत बाद उसको बेचने का स्टॉपलॉस लगा देना चाहिए
अब एक बात का अवश्य ध्यान रखे की Pending Order (Limit) और Stop – Loss Order (Limit) दोनों एक सिक्के के दो पहलु हैं, अब मार्केट सौदे के अलावा यह दोनों ऑर्डर Limit कहे जायेंगे
अब उस स्टॉक पर स्टॉपलॉस की प्राइस कैसे नक्की की जाती हैं तो उस स्टॉक के Current Market Price (CMP) के हिसाबसे स्टॉपलॉस प्राइस चुनी जाती है अब इसके लिए हमें लिमिट ऑर्डर को समजना होंगा
यदि किसी स्टॉक को बेचने की लिमिट CMP या उनसें आगे (ज्यादा) की होंगी वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने की लिमिट CMP या उनसे पीछें (कम) की होंगी तो यह एक फंडा तो क्लीयर हैं
तो अब आते है स्टॉपलॉस प्राइस पर तो यह बिल्कुल सिम्पल है इसमें मिलित प्राइस से बिल्कुल विपरीत की प्राइस डाली जाती हैं, इसे भी विस्तार से समजते है
स्टॉपलॉस ऑर्डर कभी भी मार्केट ऑर्डर नहीं कहलाता है क्योंकि स्टॉपलॉस ऑर्डर की लिमिट सबमिट की जाती है न की मार्केट प्राइस पर सौदा किया जाता हैं
अब किसी स्टॉक को बेचने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से कम की दो ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? कीमतों को डाला जाता हैं इसे आगे उदाहरण के माध्यम से विस्तार से समजेंगे, अब वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से ज्यादा की दो कीमतों को डाला जाता हैं
Stop – Loss का उदाहरण :-
चलिए अब ‘स्टॉपलॉस’ को उदाहरण के माध्यम से विस्तारपूर्वक समजते हैं, इसमें हम दो उदाहरणों का इस्तेमाल करेंगे और दोनों ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? ही इंट्राडे ट्रेडिंग पर बेस होंगे जिसमे एक तो होंगा खरीदी के समय बिकवाली का स्टॉपलॉस कैसे लगाए और दूसरा बिकवाली के समय खरीदी का स्टॉपलॉस कैसे लगाए तो चलिए इन दोनों उदाहरणों को वन बाय वन समजते हैं
उदाहरण नंबर 1
मानलीजिये Tata Steel के 100 शेयर Rs.1200 में ख़रीदे हैं जिसे केवल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए यानि मार्केट ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? क्लोस होने से पहले स्क्वेरअप (Sell) कर लिया जायेंगा
इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.20 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.1180 और Rs.1181 इन दोनों प्राइस के बिच की दूरी को इसके CMP स्टैंड के मुताबिक नक्की कर सकते हैं और इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं
अब इसमें दो बातें होती है –
- पहलीं यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक Rs.2000 का तकरीबन लोस होंगा
- दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास नहीं होता है जिसका मतलब स्टॉक की प्राइस Rs.1180 के ऊपर ही है और Rs.1200 के ऊपर हुए फिर तो प्रोफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं
उदाहरण नंबर 2
मानलीजिये TCS के 50 शेयर Rs.3700 में बेचे हैं अब जबकि हम इंट्राडे ट्रेडिंग की बात कर रहे हैं तो इस सौदे को Short Selling कहा जायेंगा जिनसे मार्केट क्लोस होने से पहले इस सौदे को स्क्वेरअप (Buy) करना जरुरी हो जाता हैं
अब इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.50 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.3750 और Rs.3755 इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं
अब इसमें भी दो बातें होती है –
- पहलीं तो यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक लगभग Rs.2500 की नुकसानी होंगी
- दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर नहीं भी पास होता है तब इसका यह मतलब होंगा की प्राइस Rs.3750 के नीचें ही है और यदि Rs.3700 के नीचें है फिर तो प्रॉफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले अनिवार्य रूप से स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं
निष्कर्ष :-
तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (stop loss meaning in hindi) में स्टॉपलॉस क्या होता हैं और इसे स्टॉक मार्केट में कैसे इस्तेमाल किया जाता है इसकी संपूर्ण इन्फोर्मेशन प्राप्त की साथ ही इसे प्रेक्टिकल रूप से भी जाना और इसके दो उदाहरणों को देखा जिसमे हमने समजा की शेयर्स की खरीदी करने के बाद उसका Selling का Stop – Loss कैसे रखा जाता है और साथ ही किसी स्टॉक में बिकवाली यानि शोर्ट सेल्लिंग करने के बाद उसका Buying का Stop – Loss कैसे सबमिट किया जाता हैं यही हमारा यह टोपिक समाप्त होता हैं, आप का धन्यवाद
स्टॉप-लॉस ऑर्डर आपको कैसे लाभ पहुंचा सकता है?
खरीदने के लिए स्टॉक का आकलन करते समय, वास्तव में, देखने और जांच करने के लिए असंख्य पहलू हैं। हालाँकि, ऐसा करते समय, छोटी, छोटी चीज़ों को याद करना बहुत आसान हो जाता है। और, उन छोटी-छोटी बातों में एक स्टॉप-लॉस ऑर्डर गिना जाता है।
अधिकांश व्यापारियों और निवेशकों को यह एहसास नहीं हो सकता है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर पूरे व्यापार में काफी अंतर ला सकता है। और जो चीज इसे अधिक ध्यान देने योग्य बनाती है वह यह है कि यह लगभग किसी को भी पर्याप्त लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकती है। इसे खोजने के लिए आगे पढ़ें।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर को परिभाषित करना
स्टॉप लॉस अर्थ को ब्रोकर के पास खरीदने के लिए या स्टॉक के एक विशिष्ट मूल्य पर पहुंचने के बाद दिए गए ऑर्डर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की पूरी अवधारणा को किसी के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैइन्वेस्टर सुरक्षा स्थिति पर।
उदाहरण के लिए, यदि आप स्टॉप-लॉस ऑर्डर को 10% कम कीमत पर सेट करते हैं, तो जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा है, वह आपके नुकसान को 10% तक सीमित कर सकता है।
स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे दें?
अनिवार्य रूप से, यह एक स्वचालित व्यापार आदेश है जो एक निवेशक ब्रोकरेज को देता है। एक बार जब स्टॉक की कीमत एक विशिष्ट स्टॉप प्राइस पर गिर जाती है, तो व्यापार निष्पादित हो जाता है। इस तरह के स्टॉप-लॉस ऑर्डर मूल रूप से उस नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो एक निवेशक को किसी पोजीशन पर हो सकता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप एक निश्चित कंपनी के 10 शेयरों पर एक लंबी स्थिति के मालिक हैं और आपने उन्हें रुपये की कीमत पर खरीदा है। 300 प्रति शेयर। अब शेयर रुपये पर कारोबार कर रहे हैं। 325 प्रत्येक। जिस तरह आप भविष्य में मूल्य वृद्धि में भाग ले सकते हैं, आप इन शेयरों को जारी रखने का निर्णय लेते हैं।
हालाँकि, दूसरी ओर, आप अब तक अर्जित किए गए लाभों को खोना भी नहीं चाहते हैं। चूंकि आपने अभी तक शेयर नहीं बेचे हैं, इसलिए आपके लाभ की वसूली नहीं होगी। एक बार जब वे बिक जाते हैं, तो वे बन जाते हैंवास्तविक लाभ. कंपनी के डेटा की एक संक्षिप्त समीक्षा के बाद, आप यह तय कर सकते हैं कि कीमतों में गिरावट के मामले में शेयरों को रखना या बेचना है या नहीं।
नज़र रखने के बजायमंडी लगातार, आप कीमतों पर नजर रखने के लिए बस स्टॉप ऑर्डर खरीद सकते हैं।
स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग के लाभ
शुरू करने के लिए, स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग के महत्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि इसे लागू करने के लिए एक बम खर्च नहीं होता है। एक नियमित कमीशन तभी लिया जाएगा जब स्टॉक स्टॉप-लॉस मूल्य पर पहुंच गया हो, और स्टॉक को बेचना होगा।
यहां निर्णय लेना भावनात्मक प्रभावों से पूरी तरह मुक्त है। चूंकि स्टॉप-लॉस ऑर्डर स्टॉक को एक और मौका नहीं देता है, इसलिए नुकसान की राह की ओर जाना संभव विकल्प नहीं होगा।
इस ट्रेडिंग के साथ, लगभग कोई भी रणनीति काम कर सकती है। हालाँकि, केवल तभी जब आप इस बात से अवगत हों कि किसी एक के साथ कैसे रहना है और आप अपने दिमाग से अधिक काम करते हैं; अन्यथा, स्टॉप-लॉस ऑर्डर बेकार के अलावा कुछ नहीं होगा।
साथ ही, आपको हर दिन स्टॉक के प्रदर्शन पर नजर रखने की जरूरत नहीं है। यदि आप किसी और चीज़ में व्यस्त हैं या छुट्टी पर हैं तो यह बेहद सुविधाजनक हो जाता है।
नुकसान
शेयर बाजार में स्टॉप लॉस का एक प्राथमिक नुकसान यह है कि स्टॉक की कीमत में एक छोटा सा उतार-चढ़ाव भी स्टॉप प्राइस को सक्रिय कर सकता है।
जहां तक प्लेसमेंट के स्तर का संबंध है, आपके पास कोई कठोर नियम नहीं है। यह केवल आपके निवेश की शैली पर निर्भर करता है; इस प्रकार, हानि या लाभ की गारंटी नहीं है।
इन आदेशों में संभावित जोखिम हैं। जबकि वे एक मूल्य सीमा का आश्वासन दे सकते हैं
निष्कर्ष
स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक सहज उपकरण है; हालांकि, कई निवेशकविफल इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए। नुकसान को रोकने के लिए या मुनाफे को लॉक-इन करने के लिए, इस व्यापार के लिए निवेश की लगभग हर शैली उपयुक्त है। लेकिन, सभी सही चीजों और फायदों के अलावा, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर इस बात की गारंटी नहीं देते कि आप बाजार में कोई पैसा कमा रहे होंगे। इस प्रकार, आपको बुद्धिमानी से और सावधानी से निर्णय लेने होंगे जबकिनिवेश. यदि नहीं, तो आपको लाभ से अधिक हानि हो सकती है।