नौसिखिया के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर

बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है?

बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है?
मोटरसाइकिल से ढोया जा रहा कोयला

ल्यूपिन का ब्राजील में 9 ब्रांड्स के अधिग्रहण के लिए करार

दवा कंपनी ल्यूपिन ने एक्सचेंज को जानकारी दी कि उसकी ब्राजील की सब्सिडियरी ने उत्पाद अधिग्रहण के लिए करार किया है। कंपनी 9 उत्पादों का अधिग्रहण बॉश हेल्थ कंपनीज इंक (Bausch Health Companies Inc) से करेगी।

कंपनी की सब्सिडियरी मेडक्यूमिका (MedQuímica) ने बॉश हेल्थ साथ करार किया है। BL Indústria Ótica Ltda: Bausch Health Companies Inc की सब्सिडियरी है। उत्पादों के अधिग्रहण के लिए तय शर्तों के आधार पर समझौता किया है। समझौते के तहत मेडक्यूमिका (MedQuímica) उत्पादों के राइट्स का अधिग्रहण करेगी। समझौते के तहत लिम्बिट्रॉल (Limbitrol), मेलेरिल (Melleril) और डाल्माडोर्म (Dalmadorm) उत्पाद का अधिग्रहण करेगी।इन दवाओं का इस्तेमाल सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा सब्सिडियरी बैक्रोसिन (Bacrocin), ग्लाइक्विन (Glyquin), सोलाक्विन (Solaquin), ऑक्सीपेले (Oxipelle) और इफ्यूरिक्स (बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? Efurix) का भी अधिग्रहण करेगी।इन दवाओं का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा क्यूप्रीमिन (Cuprimine) दवा का इस्तेमाल विल्सन बीमारी के इलाज में किया जाता है। मेडक्यूमिका (MedQuímica) के प्रबंध निदेशक के मुताबिक अधिग्रहण किए गए ब्रांड्स ब्राजील में काफी लोकप्रिय और चलन में है। साथ ही चिकित्सा जगत में इन दवाओं का इस्तेमाल भरोसे, सुरक्षा और विश्वसनीयता के साथ किया जाता है। इस अधिग्रहण से ब्राजील में कंपनी के पोर्टफोलियो में बढ़ोतरी होगी। साथ ही कंपनी की बाजार में साख के अलावा बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। ल्यूपिन का शेयर सोमवार को बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? बीएसई (BSE) 1.79% चढ़ कर 732.35 प्रति शेयर पर बंद हुआ ।

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पाकिस्तान की सूचना प्रसारण मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने घोषणा की है कि आसिम बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? मुनीर देश के अगले आर्मी चीफ़ होंगे. अब पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अल्वी प्रधानमंत्री के फ़ैसले पर मुहर लगाएंगे. इस वक़्त लेफ़्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तानी सेना में क्वार्टरमास्टर जनरल के तौर पर सेवा दे रहे हैं. वे अगला चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? बनने की दौड़ में शामिल जनरलों में सबसे वरिष्ठ थे.
दिलचस्प है कि उनका लेफ़्टिनेंट जनरल का कार्यकाल, जनरल बाजवा के रिटायरमेंट के दो दिन पहले ही 27 नवंबर को ख़त्म हो रहा है.
ले. जनरल आसिम पहले डीजी आईएसआई के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वो फ्रंटियर फ़ोर्स रेजिमेंट से आते हैं.
मरियम औरंगज़ेब ने अपने ट्वीट ने जानकारी देते हुए कहा, "प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने लेफ़्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा को चेयरमैन ऑफ़ जॉइंट चीफ़्स नियुक्त किया है. उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकार इस्तेमाल करते हुए सैयद आसिम मुनीर को नया आर्मी चीफ़ नियुक्त किया है. इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर दिया गया है."
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने ट्वीट कर कहा है, "अब इमरान ख़ान का ये इम्तिहान होगा कि वो वाक़ई देश के रक्षा संस्थानों को मज़बूत करना चाहते हैं या विवाद ही करना चाहते हैं."
कैसे होता है चयन
पाकिस्तान के संविधान के तहत राष्ट्रपति बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? नए सेना प्रमुख की नियुक्ति करते हैं लेकिन ये औपचारिक शक्ति अधिक है क्योंकि राष्ट्रपति इस निर्णय को प्रधानमंत्री की सलाह पर ही लेने के लिए बाध्य हैं.
इसका मतलब ये है कि सेनाओं का प्रमुख चुनने का अधिकार वास्तविकता में प्रधानमंत्री के पास ही है लेकिन पाकिस्तानी सेना एक ताक़तवर संस्था जो अपने फ़ैसले अधिकतर समय खुद ही लेती है.
वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के रिटायर होने से कुछ दिन पहले तक नए सेना प्रमुख के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था.
नियम ये है कि पीएम के ऑफ़िस को वरिष्ठ जनरलों की सूची भेजी जाती है और प्रधानमंत्री कार्यालय फिर इन नामों की समीक्षा करता है. पीएम इन नामों को ख़ारिज करके और अधिक नाम भी मांग सकते हैं.
एक बार प्रधानमंत्री नाम तय कर लेते हैं तो उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है ताकि वो औपचारिक रूप से अनुमति दे सकें. शहबाज़ शरीफ़ ने भी यही किया है.
कुल मिलाकर नियमों के तहत चुनाव मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर होता है लेकिन पाकिस्तान में सेना के राजनीति में सीधे और परोक्ष दख़ल देने के इतिहास को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख का चयन सिर्फ़ मेरिट के आधार पर नहीं होता है बल्कि ये राजनीतिक चयन अधिक होता है.
कई बार बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? ऐसा हुआ है जब वरिष्ठता के नियम को नज़रअंदाज़ करके जूनियर जनरल को सेना प्रमुख बनाया गया हो.
लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जब राजनीतिक वजहों को ध्यान में रखकर की गईं नियुक्तियां भी भारी पड़ी हैं.
Compiled: Legend News

धनबाद: कोयलांचल में कोयले का काला कारोबार, रोज मचा रहा है हाहाकार

अवैध खनन में धंसती है चाल, चोरी रोकने को चलती है गोली और गूंजने लगता है चीत्कार

कोयला काटने में जुटे मजदूर

कोयला काटने में जुटे मजदूर

Ram murti Pathak

Dhanbad : धनबाद ( Dhanbad ) धनबाद कहने से धन पहले आता है, दूसरी चीजें बाद में. धन का रिश्ता कारोबार, लगन और परिश्रम से है. एक रिश्ता और है काले धंधे का. इन दिनों धनबाद कोयलांचल में धन कमाने का यही दूसरे रिश्ते का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. जिसे देखो, वही कोयले के अवैध कारोबार से रातों रात लखपति बनने की कहानी दुहरा रहा है. हालांकि इस अवैध कारोबार की निंदा होती है, आलोचना भी होती है. प्रशासन इन धंधों पर रोक लगाने की जुगत भी भिड़ाता है. मगर सच यह है कि कोयलांचल में यह काला करोबार हाहाकार मचा रहा है. गली मुहल्ले और सड़कों पर या नेताओं के भाषण में, हर तरफ कोयले की लूट में छूट की चर्चा जोरों पर है. मगर धंधा है कि थमता ही नहीं. कभी अवैध उत्खनन में लोगों के जान गंवाने की खबर मिलती है, तो कभी कारोबार में वर्चस्व की जंग और कभी पुलिस की गोली की गूंज.

कोयला के चलते चलती है गोली, सीना होता है छलनी

बंदूक से गोली चलती है, पलक झपकते जान चली जाती है और फिर चीत्कार से सारा शहर गूंज उठता है. धनबाद में अवैध कोयले का कारोबार कई लोगो की मौत का वजह बन चुका है. कभी अवैध रूप से चाल धंसने से मौत, तो कभी कोयले के कारोबार पर वर्चस्व की लड़ाई. बलि का बकरा बनते हैं आम लोग. हर गोली किसी न किसी गरीब या मजदूर को मौत की नींद सुला देती है. ताजा मामला बाघमारा क्षेत्र के बेनीडीह का है, जहां सीआईएसएफ की बिटकॉइन का उपयोग क्यूँ किया जाता है? बंदूक से निकली गोलियों ने तथाकथित कोयला चोरों की जान ले ली.प रिजनों का आरोप है कि वे कोयला उठाते हैं, मगर हर जगह पैसे पहुंचाने के बाद. फिर भी हमें ही निशाना बनाया जाता है.

ब्लैक डायमंड खून से होता है रक्त रंजित

कोयला’ को धनबाद के लोग ब्लैक हीरा भी कहते हैं. इस ब्लैक डायमंड (कोयला) के लिए हिंसा, खूनी खेल, झड़प, वर्चस्व की लड़ाई होती है और लोगों की जान चली जाती है, हीरे की चाहत सभी को है. मगर इस हीरे में चमक नहीं है. उसे हर वक्त खून की प्यास सताती रहती है. चमक को पाने के लिए लोग जान देने और लेने को तैयार रहते हैं और देखते ही देखते चमक-दमक वाला हीरा रक्तरंजित हो जाता है.

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कोयलांचल के इन इलाकों में होती है लूट

झरिया, बाघमारा, सिंदरी, गोविंदपुर, बलियापुर, मैथन, कतरास आदि जगहों का नाम कोयले की लूट में शामिल है. आये दिन इन जगहों से सैकड़ों टन कोयला जब्ती खबर आती है. आश्चर्य यह है कि कोयला चोरी रोकने वाला महकमा इतना एक्टिव है, तो फिर यह धंधा रुकता क्यों नहीं. इस अवैध धंधे की रफ्तार थमती क्यों नहीं. जवाब मिलता है कि धंधे के सरगना पर कार्रवाई नहीं होती. सिर्फ छोटी मुर्गियों को हलाल किया जाता है. अंडे देनेवाली मुर्गी महफूज है.

बिना नंबर प्लेट की दौड़ती हैं गाड़ियां

मोटरसाइकिल से ढोया जा रहा कोयला

जिले के विभिन्न इलाकों से रोज सैकड़ों साइकिल और मोटरसाइकिल से 70 से 80 फीसदी कोयले की ढुलाई होती है. थाने के सामने से से गुजरती है. मगर पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है. करीब 10 चेक पोस्ट से धंधेबाज गुजरते है. बिना नंबर प्लेट की बाइक धड़ल्ले सड़को पर निकलती है. अवैध कोयला लदी साइकिल व मोटरसाइकिल से कदम कदम पर वसूली होती है. परंतु आम नागरिक बिना नंबर की बाइक लेकर निकले तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है.

पर्दे के पीछे से होता है धंधा, सस्ती है मजदूरों की जान

कोयला चोरी के धंधे के मुख्य किरदार पर्दे के पीछे रहकर सारा खेल खेलते हैं. उनके गुर्गे सेटिंग के जरिये धंधे को संचालित करते हैं. पर्दे के पीछे बैठे इन्हीं धंधेबाजों के इशारे पर सैकड़ों बेरोजगार अपनी जान जोखिम में डालकर खदान से कोयला चोरी करने जाते हैं, इस कोयले को निर्धारित स्थान पर जमा किया जाता है, जिसे फर्जी कागजात के सहारे कोयला मंडी व ईट भट्ठों में भेजकर लाखों की कमाई करते है.

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