डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें

खोलना चाहते हैं डीमैट अकाउंट, आइए हम बताते हैं कैसे चुने नए युग का डिस्काउंट ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म
ट्रे़डिंग पोर्टल पर इजी-टू-यूज इंटरफेस से नए निवेशकों को आसानी से सौदे डालने की सुविधा होती है। नए जमाने के डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित डिस्काउंट ब्रोकरेज हाउस इजी-टू-यूज इंटरफेज पर फोकस करते हैं
सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने नवंबर में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में बोलते हुए बताया था कि वर्तमान वित्त वर्ष में हर महीने करीब 26 लाख डीमैट अकाउंट खोले गए हैं जबकि 2019-20 में हर महीने करीब 4 लाख डीमैट अकाउंट खोले गए थे।
कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान तमाम नई पीढ़ी के निवेशक इक्विटी बाजार में किस्मत आजमाते दिखे हैं। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने नवंबर में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में बोलते हुए बताया था कि वर्तमान वित्त वर्ष में हर महीने करीब 26 लाख डीमैट अकाउंट खोले गए हैं जबकि 2019-20 में हर महीने करीब 4 लाख डीमैट अकाउंट खोले गए थे।
कम उम्र में निवेश की शुरुआत बहुत अच्छी बात है लेकिन इसके साथ ही इस बात की भी बहुत अहमियत होती है कि आप कहां निवेश कर रहे हैं और किसके जरिए निवेश कर रहे हैं। इस समय बाजार में कई पुरानी और नई पीढ़ी के ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध है जिसमें Zerodha, Upstox, Groww, FYERS और Paytm Money जैसे नाम शामिल हैं। सही ब्रोकर का चुनाव इक्विटी इन्वेस्टमेंट में काफी अहमियत रखता है। इसको ध्यान में रखते हुए यहां हम आपको कुछ ऐसी गाइडलाइन दे रहे हैं जिसके जरिए आप डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सही ब्रोकरेज फर्म का चुनाव कर सकते हैं।
ट्रेडिशनल बनाम डिस्काउंट ब्रोकरेज
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बता दें कि ट्रेडिशनल ब्रोकरेज फर्म अपने ग्राहकों को रेगुलर ट्रेडिंग टिप्स देते हैं। उनका बिजनेस मॉडल इस सोच पर आधारित होता है कि अधिकांश लोगों को इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए ट्रेडिंग आइडियाज की जरुरत होती है जबकि डिस्काउंट ब्रोकरेज एक फिनटेक प्लेटफॉर्म होते हैं जो स्टैंडर्डाइज्ड एक्सीक्यूशन सेवाएं उपलब्ध कराते हैं लेकिन परंपरागत ब्रोकिंग फंडो की तरह अपने ग्राहको को कोई ट्रेडिंग टिप्स नहीं देते।
FYERS के Tejas Khoday का कहना है कि डिस्काउंट ब्रोकरेज भारत में उस तेजी से बढ़ते ट्रेडिंग कम्यूनिटी को अपनी सेवाएं देते हैं जो सेल्फ एजूकेटेड होते हैं और जो स्वतंत्र रुप से अपने निर्णय लेते हैं।
एक fintech consultant पारिजात गर्ग का कहना है कि अगर कोई निवेशक अपने निवेश के लिए इंस्टीट्यूशनल रिसर्च एडवाइस, ऑर्डर के लिए डेस्क सपोर्ट, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस और मार्जिन आधारित ट्रेडिंग की मांग करता है तो उसको फुल ब्रोकरेज हाउसों में अपना डीमैट अकाउंट खुलवाना चाहिए।
जानकारों का कहना है कि डिस्काउंट ब्रोकरेज हाउसों का कारोबार पारदर्शी होता है और इनका फीस स्ट्रक्चर उनकी वेबसाइट पर दिया होता है। वे लगभग 20 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन के आधार पर अपनी फीस लेते हैं। इसके लिए ट्रेड वैल्यू की सीमा नहीं होती है। इससे ट्रेडरों और इन्वेस्टरों को लगभग 95-98 फीसदी की बचत हासिल होती है। ऐसे में जो लोग भारी मात्रा में इंट्राडे और पोजिशनल ट्रेडिंग करते हैं उनकी ब्रोकरेज फीस में काफी कटौती होती है।
इसके विपरीत ट्रेडिशनल ब्रोकरों का फीस स्ट्रक्चर एक क्लाइंट से दूसरे क्लाइंट के लिए अलग-अलग होता है और यह वॉल्यूम पर भी निर्भर करता है। कभी -कभी परंपरागत ब्रोकरेज फर्म अपने पुराने ग्राहकों की फीस कम कर देते हैं। इसके अलावा कुछ परंपरागत ब्रोकर फर्म मोलभाव को भी मंजूरी देते हैं। परंपरागत ब्रोकर फर्मों की फीस ट्रांजैक्शन वैल्यू के 0.3-0.5 फीसदी तक हो सकती है।
FYERS के तेजस खोडे (Tejas Khoday) का कहना है कि ब्रोकर का चुनाव करते हुए आपको उसके फाउंडर की विश्वनीयता को ध्यान में रखना चाहिए। अगर ब्रोकरेज फर्म की मैनेजमेंट टीम मजबूत, अनुभवशाली, ईमानदार और विश्वनीय है तो वह आपके लिए बेहतर साबित हो सकते हैं।
इसके अलावा ट्रे़डिंग पोर्टल पर इजी-टू-यूज इंटरफेस से नए निवेशकों को आसानी से सौदे डालने की सुविधा होती है। नए जमाने के डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित डिस्काउंट ब्रोकरेज हाउस इजी-टू-यूज इंटरफेज पर फोकस करते हैं जिससे की नए निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। इसके साथ ही ब्रोकरेज फर्म का चुनाव करते समय वैल्यू एडेड सर्विसेस को भी ध्यान में रखें। इस तरह की सर्विसेज में कैपिटल गेन रिपोर्ट, ट्रेड कन्फर्मेशन की रिपोर्ट, दूसरे तरह के टूल और कैल्क्यूलेटर शामिल होते हैं।
PrimeInvestor.in. के Srikanth Meenakshi का कहना है कि कुछ डिस्काउंट ब्रोकर डोमेस्टिक और इंटरनेशनल स्टॉक मार्केट में निवेश की सुविधा देते हैं। इस तरह की वैल्यू एडेड सेवाएं उस समय काम की होती है जब कोई निवेशक विदेशी शेयरों में निवेश करना चाहता है। इसके अलावा डिस्काउंट ब्रोकर्स आपको हाई क्वालिटी रिसर्च रिपोर्ट भी उपलब्ध कराते हैं जो इनडिपेंडेंट रिसर्च संगठनों द्वारा जारी किए जाते हैं। उदाहरण के लिए FYERS ने इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट के लिए William O'Neil के साथ करार कर रखा है जिसकी सुविधा अतरिक्त भुगतान करके ली जा सकती है। कई डिस्काउंट ब्रोकर ब्लॉग, वीडियो और पॉडकास्ट के जरिए आपको तमाम जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
जानकारों को सलाह है कि अगर आप किसी डिस्काउंट ब्रोकर फर्म के जरिए निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए उन लोगों से बात करें जो इस तरह के ऐप यूज करते हैं। इसके अलावा आप गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर पर जाकर ऐप की रिव्यू और रेटिंग देखें। उन पर निवेशकों के अपने अनुभव पढ़ें और उसके आधार पर अच्छे स्टॉक रेटिंग वाले ऐप का चुनाव करें। इसके अलावा सोशल मीडिया पर जाकर भी डिस्काउंट ब्रोकर से संबंधित शिकायतों, अपडेट आदि के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
डिस्काउंट ब्रोकर क्या है भारत के Best Discount Broker In India Hindi
Discount Broker Kya Hai In Hindi: शेयर मार्केट में सबसे महत्वपूर्ण होता है ब्रोकर जिसके द्वारा कोई भी निवेशक शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकता है. ये तो आप सभी लोग जानते होंगे कि शेयर मार्केट में एक निवेशक सीधे तौर पर ट्रेडिंग नहीं कर सकता है. ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक को एक इंटरमीडियट की जरुरत होती है, यही इंटरमीडियट स्टॉक ब्रोकर होते हैं.
अपनी सेवाओं के आधार पर स्टॉक ब्रोकर भी अनेक प्रकार के होते हैं, लेकिन जो स्टॉक ब्रोकर आजकल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं वह हैं Discount Stock Broker, जिसके बारे में हम आपको आज के इस लेख में बताएँगे.
आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Discount Broker क्या है, डिस्काउंट ब्रोकर कौन से सर्विस अपने कस्टमर को देते हैं और कौन सी सर्विस नहीं देते हैं, डिस्काउंट ब्रोकर के क्या फायदे हैं और भारत के कुछ प्रमुख डिस्काउंट ब्रोकर के बारे में भी आपको इस लेख में जानने को मिलेगा.
इसलिए डिस्काउंट ब्रोकर के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने हेतु बने रहिये लेख के अंत तक. तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह लेख – डिस्काउंट ब्रोकर क्या है इन हिंदी.
पारंपरिक और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में से आपके लिए कौन बेहतर?
लॉकडाउन शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने शेयर बाजार में एंट्री की. इनमें से कई ने नए डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्मों की सेवाएं ली.
बाजार के एक्सपर्ट्स का ऑनलाइन खातों डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें की संख्या में तेजी वृद्धि की तीन प्रमुख वजहें हैं - बेहतर नेटवर्क, किफायती भाव पर क्वालिटी शेयर की उपलब्धता और निवेशकों के पास अतिरिक्त समय.
सैमको सिक्योरिटीज के ब्रोकिंग कामकाज प्रमुख निलेश शर्मा ने पारंपरिक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर के बीच निम्नलिखित फर्क बताया. उन्होंने दोनों के फायदे और नुकसान भी बताए.
पांरपरिक ब्रोकर्स के फायदे | पांरपरिक ब्रोकर्स के नुकसान |
निजी पहुंच, जो लोगों से सीधे जुड़ती है. | अधिक ब्रोकरेज चार्ज क्योंकि बिजनेस मॉडल की लागत अधिक है. |
बड़ी रिसर्च टीम, लगातार सलाह-मशवरा देती है. | कई ऐसी सेवाएं भी मिलती हैं, तो हर निवेशक के मतलब की है. इसलिए निवेशक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. |
विशेष सेवाओं से जुड़ा बिजनेस मॉडल, जिसमें अलग ग्राहकों को अलग जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाती हैं. | टर्नओवर के आधार पर ब्रोकरेज, जिससे कई ग्राहक गुरेज करते हैं. |
अधिक कर्ज सीमा, ताकि ग्राहकों के साथ दीर्घावधि और गहरे संबंध बनाए जा सकें. | कई ब्रोकरेजेज पर पक्षपात के आरोप लगते हैं कि वे पैसा कमाने के लिए रिसर्च और रिपोर्ट पेश करते हैं. |
ग्राहकों की सहूलियत के लिए T+2 ट्रेडिंग सिस्टम, जिसके तहत डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें ट्रेड के दो दिन बाद ब्रोकरेज चुका सकते हैं. | पुराना तरीका, जिसमे चेक, फोन आदि के जरिए कारोबार को किया जाता है. नई पीढ़ी को यह रास नहीं आता. |
कई अन्य सेवाएं, जिसमें टैक्स प्लानिंग, पीएमस, छोटी-मोटी गलतियों में सुधार आदि शामिल हैं, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे. | नियामकीय बदलावों के चलते इनके फायदों पर खतरा मंड रहा है जिसमें अपफ्रंट मार्जिन के चलते T+2 सिस्टम खत्म हो सकता है. |
डिस्काउंट ब्रोकर्स के फायदे | डिस्काउंट ब्रोकर्स के नुकसान |
ये ब्रोकरेज फर्म पूर्व निर्धारित और सीमित ब्रोकरेज फीस वसूल करते हैं, जिसका टर्नओवर से संबंध न के बराबर है. कई ब्रोकरेज डिलेवरी वाले कारोबार मुफ्त में मुहैया करवाते हैं. | इनकी फिजिकल डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें अनुपस्थिति ग्राहकों को खटकती है. ग्राहकों के लिए इनकी कोई शक्ल नहीं और सभी काम ई-मेल व फोन के जरिए ही होते हैं. |
इस्तेमाल करने में सरल, तेजी और आसान, जो नई पीढ़ी को लुभाता है. | डिस्काउंट ब्रोकरेज हाउसेज के पास रिसर्च विभाग नहीं होता. ये अमूमन ग्राहकों को सिर्फ खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं. |
ग्राहकों के बीच कोई भेदभाव नहीं होता. चाहे कोई काम कितनी भी रकम का करे, टर्नओवर के आधार पर फर्क नहीं किया जाता. | ग्राहकों कको जरूरत के आधार पर सेवाएं नहीं मिलती. सभी ग्राहकों को एक ही रूप में देखा जाता है. |
तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के चलते से आकर्षक है और समस्याओं का निवारण जल्दो हो जाता है. | अतिरिक्त सेवाओं का अभाव होता है, जिसमें टैक्स सलाह या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाएं नहीं हैं. |
ब्रोकरेज और रेवेन्यू प्रति ऑर्डर आधारित होता है, जिस वजह से धोखाधड़ी के आसार कम होते हैं. ग्राहकों को चूना लगाना मुश्किल | कम लीवरेज के चलते हर ग्राहक के लिए आकर्षक नहीं है. |
खर्च और लागत का सरल मॉडल, जिसकी वजह से ग्राहकों सिर्फ उसी सेवा का भुगतान करते हैं, जो वे लेना चाहते हैं. | कारोबारी मार्जिन हाथोंहाथ वसूला जाता है, जो कई बार निवेशकों को खटकता है. |
एडलवाइज वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख राहुल जैन ने कहा कि डिस्काउंट ब्रोकरेज बनाम पारंपारिक ब्रोकरेज फर्म के बीच कोई लड़ाई नहीं है. न ही इसे टेक्नोलॉजी और परंपरा के बीच युद्ध के रूप में देखा जाना चाहिए. डिस्काउंट कीमतों से जुड़ी अवधानणा है.
उन्होंने कहा, "यहां बात है कि आपकी जरूरत और उसके लिए उठाए जाने वाले कदमों की है. आपकी जरूरत क्या है, आप कितना जोखिम उठा सकते हैं और उसके लिए क्या प्रोडक्टस उपयुक्त हैं. बाजार में दोनों ही के लिए गुंजाइश है."
तकनीक के चलते शेयर बाजार की लागत कम हो गई है. कई नौसिखिए निवेशक इंट्राडे कारोबार और डेरिवेटिव सेगमेंट का स्वाद चखने लगे हैं. मगर दिक्कत यह है कि इनके लिए अब भी शेयर बाजार 'किस्मत' और 'सट्टा' बना हुआ है. शुरुआती सफलता के बाद जब वे विफल होते हैं, तो रातोंरात करोड़पति बनने का भूत उतर जाता है.
जैन ने कहा, "शेयर बाजार दिमागी जगह है, जहां समय पर घाटे को काटना भी जरूरी है. इस वजह से कई कारोबारी अपने घाटे को एकाएक गिरने देते हैं और जीवन भर की पूंजी गंवा देते हैं. इसलिए एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए. नहीं तो पूरे आसार हैं कि आप नुकसान उठा सकते हैं."
पारंपारिक ब्रोकरेज में है मौके?
जयपुर की ब्रोकरेज ट्रेडस्फिट के निदेशक संदीप जैन ने कहा, "डिस्काउंट ब्रोकरर्स की सबसे बड़ी समस्या है कि कई दफा उनके टर्मिनल ठप पड़ जाते हैं. इस दौरान कई निवेशकों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. जहां पैसों और कमाई आती है, तो ब्रोकर का चयन काफी अहम होता है."
हालिया तेजी में तो कई निवेशकों ने मोटी कमाई की है, मगर जब हालात बदलेंगे, तो मुनाफा कमाना मुश्किल हो जाएगा. नए निवेशको ने डिस्काउंट ब्रोकर के जरिए वायदा बाजार में पोजिशन तो ले ली है, मगर एक बड़ी गिरावट उन्हें बाजार से गायब कर सकती है.
उन्होंने कै कहा कि "शेयर बाजार में डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें सिर्फ कमाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि गिरावट के दौरान अपने घाटे को कम करना भी जरूरी है. कई निवेशकों को जोखिम लेने की अपनी क्षमता की जानकारी नहीं होती. वायदा बाजार लॉटरी टिकट नहीं है. इसमें कई दफा जोखिम सीमा के परे निकला जाता है, जो बड़े जख्म दे सकता है."
कई निवेशकों को लगता है कि ब्रोकरेज का पैसा बचाने से वे काफी बचत कर सकते हैं, मगर इस बात पर डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें ध्यान नहीं देते कि वे किस कीमत पर वह बचत कर रहे हैं. शेयर बाजार में सेंटिमेंट, टेक्नीकल्स और फंडामेंटल्स का अपना महत्व है.
संदीप जैन ने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा, "एक घर खरीदने के बाद उसे सुंदर बनाने के लिए इंटीरियर डिजाइनर रखा जाता है, जो वास्तु, लाइटिंग से लेकर खिड़की, पर्दे, फर्नीचर आदि पर काम करता है. ब्रोकर वही काम करता है. यदि आपका पोर्टफोलियो एक घर है, तो उसे सुंदर बनाने का काम उसी का होता है."
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिस्काउंट ब्रोकरेज उन कारोबारियों या निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जिनके पास बाजार की काफी अच्छी समझ है. नए निवेशकों के पास अधूरी या काफी कम समझ है, जिसके लिए उन्हें सही सलाह की जरूरत पड़ती है.
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अपनी ब्रोकरेज फीस को कैसे कम करें
हिंदी
स्टॉक्स व्यक्तियों के लिए किसी दिए गए कंपनी में अपने पैसे के एक हिस्से को निवेश करके विभिन्न व्यवसायों पर दावा करने की अनुमति देता हैं। यह उन्हें कंपनी के एक अंश के लिए स्वामित्व साथ- साथ उसकी संपत्ति और मुनाफे के बराबर उनके पास मौजूद स्टॉक की मात्रा देता है। । एक प्रकार के कई स्टॉक को शेयर कहा जाता है। कंपनियों को इस तरह से अपना स्वामित्व खोलने से लाभ होता है क्योंकि यह उनके संचालन को बढ़ावा देता है और उन्हें अधिक आर्थिक रूप से विलायक होने की अनुमति देता है जब उन्हें अतिरिक्त पूंजी जुटाने की आवश्यकता होती है, वे नए शेयर जारी करते हैं। खरीदार जुआ के आधार पर या तो सामान्य या पसंदीदा शेयरों में निवेश कर सकते हैं जो वे लेने के इच्छुक हैं।
विभिन्न शेयरों के खरीदार और विक्रेता शेयर बाजार का निर्माण करते हैं। स्टॉक मार्केट में ट्रेड इलेक्ट्रॉनिक, काउंटर पर या विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से हो सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं जिसके भीतर इन शेयरों की बिक्री और खरीद की जाती है। इसमें अपने प्रतिभागियों को सभी व्यापारिक गतिविधियों के दौरान मूल्य पारदर्शिता, तरलता, मूल्य खोज और उचित व्यवहार का आश्वासन देना शामिल है। शेयर बाजार में उन सभी कंपनियों का रोस्टर होता है जो सार्वजनिक निवेशकों को अपने शेयरों का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करती हैं। शेयरों के अलावा, एक अलग प्रकृति की वित्तीय प्रतिभूतियों का भी कारोबार किया जा सकता है। इनमें कमोडिटीज, करेंसी और बॉन्ड शामिल हैं। शेयर बाजार कम परिचालन जोखिम के तहत सुरक्षित और विनियमित वातावरण की अनुमति देते हैं।
ब्रोकरेज फीस क्या हैं?
खरीदारों को आसानी से शेयर बाजार में नेविगेट करने में मदद करने के लिए विभिन्न इकाइयां पेशेवर व्यापारियों के रूप में काम करती हैं। वे व्यक्तिगत दलाल या पंजीकृत प्रतिनिधि हो सकते हैं जो अकेले या ब्रोकरेज फर्म के तहत कार्य करते हैं। ब्रोकर कमीशन के आधार पर राजस्व प्राप्त करते हैं, हालांकि उनके मुआवजे के तरीके उनके नियोक्ता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। ऐतिहासिक रूप से, ब्रोकरेज फीस महंगी रही है क्योंकि वे सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं जो धन के सृजन में योगदान करते हैं। ब्रोकरेज शुल्क लागत की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के लिए मौजूद है, जिसमें क्लाइंट खातों को बनाए रखने, शोध करने और निवेश प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करने से जुड़े हैं। वे एक निश्चित भुगतान हो सकते हैं या ग्राहक खाते में उपलब्ध शेष राशि के दिए गए प्रतिशत में कटौती कर सकते हैं। निष्क्रिय ग्राहक खातों के मामलों में उनका उपयोग बीमा के रूप में भी किया जा सकता है।
डिस्काउंट ब्रोकरेज क्या है, यह कब शुरू हुआ और यह क्या अनुमति देता है?
इससे पहले कि जिस आसानी से इंटरनेट और आभासी संचार संभव हो सके, एक दलाल का खर्चा उठा पाना बहुत महंगा था। डिजिटल दुनिया में प्रगति के साथ अब ब्रोकरों से परामर्श करना और विभिन्न माध्यमों से उनकी सेवाओं का लाभ उठाना संभव है। ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने वाले अधिकांश ब्रोकर इन्हें निवेशकों के व्यापक रूप से प्रदान करते हैं – जिनमें से कुछ की खर्च करने की क्षमता कमहोती है। इसने डिस्काउंट ब्रोकरों का निर्माण किया है जो पूर्ण-सेवा ब्रोकरों के विरोध में केवल सीमित श्रेणी की सेवाएं प्रदान करते हैं। बाद में अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत परामर्श, कर और संपत्ति नियोजन सेवाएंप्रदान करते हैं। चूंकि डिस्काउंट ब्रोकर सीमित सेवाएं प्रदान करते हैं, इसलिएउनके ब्रोकरेज फीस उतनी अधिक नहीं होती हैं, जिससे वे लागत में कटौती करने वालों के लिए संभव विकल्प बन जाते हैं। यह उन निवेशकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो नियमित रूप से प्रतिभूतियों को सक्रिय रूप से खरीदते और बेचते हैं। ऐसे व्यापारी जिनके पास संक्षिप्त पोर्टफोलियो हैं या वे जो केवल अपनी ओर से निष्पादित ट्रेडों को छूट दलालों के ग्राहकों के लिए खाते में चाहते हैं।
ब्रोकरेज फीस को कम करने के तरीके —
किसी के निवेश ज्ञान का सम्मान करके संभावित रूप से एक डिस्काउंट ब्रोकर का चयन कर सकता है जो पूर्ण सेवा प्रदान करता है जिससे ब्रोकरेज फीस कम हो जाती है। निश्चित रूप से इसका मतलब है कि किसी को बाजार के साथ चलना चाहिए जो न केवल समय की अवधि में होता है। ब्रोकरेज शुल्क को कम करने और प्रदान की जाने वाली पारंपरिक सेवाओं के एक अंश का लाभ उठाने का निर्णय लेने से पहले वर्तमान डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें वित्तीय स्थिति और वित्तीय लक्ष्यों पर विचार करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, ब्रोकरेज फीस को निम्न तरीकों से कम किया जा सकता है —
(i) म्यूचुअल फंड के बजाय एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश करना क्योंकि उनके पास म्यूचुअल फंड की तुलना में लगभग हमेशा कम व्यय अनुपात होता है। ईटीएफ उन लोगों के लिए अच्छे विकल्प हैं जिनके पास सीमित निवेश और बाजारका अनुभव है। वे निवेशकों को दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने की अनुमति देते हैं क्योंकि वे प्रकृति में अधिक निष्क्रिय होते हैं।
(ii) स्टॉक जो फ्रंट एंड/एंट्री लोड मांगते हैं – स्टॉक की खरीद के समय भुगतान किए गए कमीशन, या बैक-एंड/एक्जिट लोड – स्टॉक को भुनाए जाने पर भुगतान की गई फीस, खर्चों को कम करने के लिए टाला जा सकता है।
(iii) पारंपरिक ब्रोकरेज कंपनियों या पेशेवरों के बजाय रोबो-सलाहकार सेवाओं का लाभ लेना। यद्यपि भारतीय रोबो-सलाहकारों के भीतर सलाहकार के तहत संपत्ति संयुक्त राज्य या यूनाइटेड किंगडम की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन वे आशाजनक हैं। चूंकि रोबो-सलाहकार क्लाइंट खातों को भौतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए किसी दिए गए व्यक्ति का उपयोग नहीं करते हैं – क्योंकि वे स्वचालित होते हैं, उनके संचालन की आंतरिक लागत कम होती है। इसलिए वे संभावित ग्राहकों से कम शुल्क वसूलने का जोखिम उठा सकते हैं। वर्तमान में, 2019 में CAMS द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, रोबो-सलाह का लाभ लेने वालों में 25 से 38 वर्ष की आयु के युवा और सहस्राब्दी आयु वर्ग के अधिकांश लोग हैं।
(iv) इंट्राडे ट्रेडिंग शुल्क और डिलीवरी शुल्क के बीच अंतर को समझें। सबसे पहले एक छोटे प्रतिशत का गठन होता है क्योंकि शेयर एक निश्चित दिन के भीतर खरीदे और बेचे जाते हैं। स्टॉक को लंबे समय तक रखने के कारण बाद की लागत अधिक होती है।
(v) हमेशा ब्रोकरेज कैशबैक से लेकर आपके डीमैट खाते के लिए निर्देशित वार्षिक रखरखाव शुल्क (एएमसी) पर छूट तक के लाभों को देखें।
(vi) ब्रोकरेज सेवाओं का लाभ उठाने से जुड़े सभी शुल्कों से खुद को परिचित कराएं – उनसे भी जिन्हें छिपाया जा सकता है ताकि आप भविष्य में अनजान न हों और अधिक खर्च न करें। ब्रोकरेज फर्म के खुलासे संभावित हितों के सभी बातों को बताते हैं। उनकी सेवाओं का लाभ लेने से पहले पढ़ा और समझा जाना चाहि ए।
स्टॉक मार्केट में नए हैं तो निवेश के लिए फुल सर्विस ब्रोकरेज की सेवाएं बेहतर
यूटिलिटी डेस्क. स्टॉक मार्केट के डिजिटलाइजेशन ने ट्रेडिंग में काफी बदलाव कर दिया है। टेक्नालॉजी में बदलाव आने से ऑनलाइन और रियल टाइम ट्रेडिंग आसान हो गई है। रोजाना हजारों स्टॉक्स की ट्रेडिंग होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अच्छे स्टॉक्स को चुनने की क्षमता और ट्रेडिंग की क्षमता केवल कुछ निवेशकों के पास ही होती है। निवेशकों के पास स्टॉक ट्रेडिंग के लिए दो तरह की सेवाएं मौजूद हैं- फुल सर्विस ब्रोकरेज और डिस्काउंट ब्रोकरेज। आमतौर पर फुल सर्विस ब्रोकरेज के पास बड़ा पोर्टफोलियो होता है और वे रिसर्च, सलाह, वेल्थ मैनेजमेंट और रिलेशनशिप मैनेजर जैसी सेवाएं ऑफर करते हैं। उनके पास अपने ग्राहकों के लिए डेडिकेटेड सर्विस होती है। इसके उलट डिस्काउंट ब्रोकरेज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर केवल इक्विटी को बेचने और खरीदने की ही सुविधाएं मुहैया कराते हैं और वे केवल सलाह या रिसर्च सेवाएं नहीं देते हैं। इन ब्रोकरेज की उपस्थिति भी ज्यादा नहीं होती और रिलेशनशिप डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें मैनेजर जैसी सेवाएं भी नहीं होती है, कोई समस्या आने पर निवेशकों को फोन पर केवल रिकॉर्डेड मैसेज ही ज्यादा सुनने को मिलता है। लागत कम करने के लिए यह फर्में ऑफिस स्पेस या स्टाफ पर ज्यादा खर्च नहीं करती है और रिसर्च सर्विस, आईपीओ अप्लीकेशन, म्यूचुअल फंड या रिलेशनशिप मैनेजर जैसी सेवाएं मुहैया नहीं कराती हैं। अगर डिस्काउंट ब्रोकरेज से तुलना करें तो फुल सर्विस ब्रोकरेज की सेवाएं अपेक्षाकृत महंगी है, लेकिन डिस्काउंट ब्रोकरेज में निवेश करें अतिरिक्त सेवाओं के कारण फुल टाइम ब्रोकरेज की सेवाएं लंबे समय में निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित होता है। डिस्काउंट ब्रोकरेज आमतौर पर एक समान शुल्क चार्ज करते हैं जबकि फुल सर्विस ब्रोकरेज परसेंटेज के रूप में चार्ज करते हैं।
डिस्काउंट ब्रोकरेज की फीस फुल सर्विस ब्रोकरेज से कम
निवेश के लिए एक सही स्टॉक ब्रोकर को चुनना बेहद जरूरी है। आमतौर पर डिस्काउंट ब्रोकरेज की फीस उसी ट्रेड के लिए फुल सर्विस ब्रोकरेज से कम होती है। वैल्यू ज्यादा मिलने के कारण फुल सर्विस ब्रोकरेज बेहतर होते हैं। अच्छी जानकारी रखने वाले निवेशकों के लिए डिस्काउंट ब्रोकरेज अच्छे हो सकते हैं लेकिन नए निवेशकों के लिए फुल सर्विस ब्रोकरेज बेहतर है।