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वेव विश्लेषण

वेव विश्लेषण
News18 हिंदी 3 दिन पहले News18 Hindi

इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय के मूल सिध्दांत एवं संरचनात्मक अनुप्रयोग

इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को ई- व्यवसाय के मूलभूत सिद्धांत, ई- व्यवसाय की संरचना से जुड़ी तकनीकों, नवीनतम और भविष्य के विकास एवं कानूनी तथा नैतिक मुद्दों से संबंधित तकनीकी एवं गैर तकनीकी पहलुओं से अवगत कराना एवं इनके अनुप्रयोगों से एक इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय को चलाने में सक्षमता प्रदान करना है । पाठ्यक्रम दोनों सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं को प्रस्तुत किया जाएगा एवं उदाहरणों द्वारा विद्यार्थियों को समझाया जाएगा । प्राथमिक तौर पर कार्यक्रम का पूरा ध्यान इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों द्वारा व्यावहारिक काम करने के लिए छात्रों को उजागर करने पर होगा ।
पाठ्यक्रम के पूरा होने पर छात्र :
(1) एक इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय को शुरू कर पाएंगे
(2) एक प्रभावी ई-व्यापार रणनीति का विकास कर पाएंगे
(3) एक प्रभावी ई-बिजनेस वेबसाइट की रचना कर पाएंगे
(4) ई-व्यवसाय से जुड़े सामाजिक, कानूनी और नैतिक मुद्दों को प्रस्तुत कर सकेंगे
(5) एक ऑनलाइन मार्केटिंग अभियान की संरचना एवं कार्यान्वयन कर सकेंगे
(6) ई-व्यवसाय के लिए ग्राहक संबंध और आपूर्ति श्रृंखला समाधान की संरचना कर पाएंगे
(7) ऑनलाइन पोर्टल का विश्लेषण करने के लिए वेब एनालिटिक्स का उपयोग कर सकेंगे
(8) विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय पोर्टलों का तुलनात्मक अध्ययन कर सकेंगे

Page Visits

Course layout

ग्राहकसंबंध एंव आपूर्ति श्रृंख्ला प्रबंधन

न्यायिक, सामाजिक एंव नैतिकपहलू

संगठन एंव रणनीतियाँ

वेब विशलेषण और भविष्य के निर्देश

Books and references

1. Chaffey, D., Edmundson-Bird, D., & Hemphill, T. (2019). Digital business and e-commerce management. Pearson UK.
2. Qin, Z., & Qin, Z. (2009). Introduction to E-commerce (Vol. 2009). New York, NY: Springer.
3. Ruikar, K., & Anumba, C. J. (2008). Fundamentals of e-Business. e-Business in Construction, Blackwell Publishing Ltd, Oxford, UK, 6-21.
4. Kumar, V., & Ayodeji. (2021). Determinants वेव विश्लेषण of the Success of Online Retail in India. International Journal of Business Information Systems (IJBIS), 37(2), 246-262
5. Kumar, V., & Ayodeji, O.G. (2021). E-retail Factors for Customer Activation and Retention: An Empirical Study from Indian e-Commerce Customers. Journal of Retailing and Consumer Services,59C,102399
6. Kumar, V., Ayodeji, O.G, and Kumar, S. (2020). Online Retail in India: A Comparative Analysis of top Business Players Int. J. Indian Culture and Business Management, 20(3), 359-384
7. Ayodeji, O.G. and Kumar, V. (2020). Web Analytics and Online Retail: Ethical Perspective, Techniques and Practices, International Journal of Technoethics(IJT), 11(2),18-33
8. Mittal, S. & Kumar, V.(2020). A Framework for Ethical Mobile Marketing, International Journal of Technoethics (IJT), 11(1), 28-42
9. Kumar, V., & Saurabh (2020). Mobile Marketing Campaigns: Practices, Challenges and Opportunities. International Journal of Business Innovation and Research (IJBIR), 21(4), 523-539
10. Kumar, V., & Ayodeji, O.G. (2020). Web Analytics for Knowledge Creation: A Systematic Review of Tools, Techniques and Practices, International Journal of Cyber Behavior, Psychology and Learning (IJCBPL), 10(1), 1-14
11. Kumar, V., & Nanda, P. (2019). Social Media in Higher Education: A Framework for Continuous Engagement. International Journal of Information and Communication Technology Education (IJICTE), 15(1), 109-120.
12. Saurabh and Kumar, V. (2017), Technology Integration for the Success of B2C M-Commerce in India: Opportunities and Challenges”, IUP Journal of Information Technology, (1), 24-35

Instructor bio

डॉ. विकास कुमार

डॉ विकास कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक विषय में अपनी स्नातकोत्तर उपाधि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संपन्न की। इसके बाद इसी विश्वविद्यालय से उन्होंने संगणक विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण की एवं डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि भी ग्रहण की । इन्होंने अपना शोध कार्य सीरी पिलानी मैं किया एवं इसरो द्वारा प्रायोजित कई सारी परियोजनाओं में भाग लिया । डॉ कुमार कई विशिष्ट संस्थाओं से जुड़े हैं एवं भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ,कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया, आई आई टी ई, आई सी ई आई ई, वेदा, आई वी एस तथा मैग्नेटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया के आजीवन सदस्य हैं ।

कंपनियों के मानव संसाधन विकास में योगदान करते हुए डॉक्टर विकास कुमार ने कई प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाए एवं विभिन्न कंपनियों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया । भारत सरकार के कई विभागों के लिए भी इन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया । 11 पुस्तकों के साथ इन्होंने 100 से अधिक शोध पत्र विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिका पत्रिकाओं एवं सम्मेलनों में प्रकाशित किए । इनमें से 55 शोध पत्र स्कोपस द्वारा अनुक्रमणिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं । जून 2007 से जून 2009 के बीच यह एशिया पेसिफिक बिजनेस रिव्यू अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के संपादक रहे । इसके साथ ही डॉ कुमार विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के समीक्षक के रूप में जुड़े हुए हैं । देश विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के स्नातक,स्नातकोत्तर एवं डॉक्टोरल कार्यक्रमों के शैक्षिक मामलों एवं परीक्षाओं से से जुड़े हुए हैं एवं विभिन्न प्रकार से अपना योगदान देते रहे हैं । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शैक्षिक परियोजनाओं के तहत, यह स्वीडन, फ्रांस,हंगरी, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड फिनलैंड, जर्मनी, चीन, जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, अल्जीरिया, युगांडा, अमेरिका, इथोपिया, स्लोवेनिया, यूएई तथा जॉर्डन की यात्रा कर चुके हैं । वर्तमान में यह चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं एवं भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर तथा यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्दन आयोवा में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे वेव विश्लेषण रहे हैं । इसके साथ ही डॉक्टर विकास कुमार सोसायटी फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च डेवलपमेंट के अध्यक्ष भी हैं। विशेष रूप से उनके रुचि के विषयों में इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, बिजनेस इंटेलिजेंस, व्यवसाय विश्लेषण, वेब विश्लेषण एवं सामाजिक विपणन इत्यादि प्रमुख हैं ।

मानसून में देरी और सूखे की वजह बना हीट वेव: रतलाम समेत पश्चिमी मध्य प्रदेश में 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है औसत तापमान, वाराणसी के BHU में मौसम के 60 साल के आंकड़ों पर हुआ शोध

BHU में भारत-महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट चेंज रिसर्च के प्रो. आर.के. मल्ल के नेतृत्व में पीएचडी स्कॉलर सौम्या सिंह और निधि सिंह ने किया है अध्ययन। - Dainik Bhaskar

पिछले 60 साल में पश्चिमी मध्य प्रदेश विशेषकर रतलाम वाले इलाके में औसत तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। इससे जलवायु परिवर्तन के साथ ही इन क्षेत्रों में मानसून में देरी, बारिश में कमी, नदियों में पानी का घटना, जमीन का बंजर होना, कृषि पर हानिकारक प्रभाव और सूखे की समस्या विकराल होती जा रही है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत-महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के क्लाइमेट चेंज रिसर्च में हुए एक अध्ययन के बाद ये आंकड़े सामने आए हैं। BHU के प्रोफेसर आरके मल्ल के नेतृत्व में पीएचडी स्कॉलर सौम्या सिंह और निधि सिंह ने वर्ष 1951 से 2016 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया है, जो जर्नल "इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लाइमेटोलॉजी" में प्रकाशित हुआ है।

यूपी के जालौन और इटावा में तापमान बढ़ा
यह शोध बताता है कि एमपी के भिंड, मुरैना, ग्वालियर। यूपी के जालौन और इटावा। राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, चुरू, पिथौरागढ़, सिरमौर, जैसलमेर। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, यवतमाल, अमरावती, चंद्रनगर, और आदिलाबाद में भी औसत तापमान में बढ़ोतरी देखी गई है।

BHU के भारत-महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट चेंज रिसर्च में शोध कार्य करते छात्र-छात्रा।

बिहार और बंगाल में घटा है तापमान
तापमान में अंतर आने से इस शोध के अंतर्गत भारत में हीट वेव के 3 नए हॉट स्पॉट भी निर्धारित किए गए हैं। इनमें पूर्वी भारत (पश्चिम बंगाल और बिहार) , मध्य भारत (मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तरी महाराष्ट्र) और दक्षिण-मध्य (विदर्भ व आंध्रप्रदेश) वाला हिस्सा शामिल है। इस अध्ययन में सबसे खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल और बिहार वाले गंगा घाटी के इलाके में औसत तापमान में कमी देखी गई है। जबकि मध्य और दक्षिण मध्य भारत वाले इलाके में गर्म हवाओं का प्रभाव काफी हद तक बढ़ गया है। ये हॉटस्पॉट कई तरह के रोगों में इजाफा कर रहे हैं, जिससे इन क्षेत्रों की मृत्युदर भी बढ़ी है।

संस्थान में इसी सुपर कंप्यूटर से आंकड़ों की गणना की जाती है।

मार्च से जुलाई तक के तापमान पर हुआ शोध
प्रो. आर के मल्ल ने बताया कि पश्चिमी मध्य प्रदेश वाले इलाके में कई बार देखा गया है कि अधिकतम तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है। यहां पर कई बार सीवियर हीट वेव की स्थिति बन जाती है। इस अध्ययन में मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई में हर दिन आए औसत तापमान का आकलन किया गया है। हर 50 किलोमीटर का एक जोन बनाकर तापमान के आंकड़े जुटाए गए हैं। वहीं सबसे खास बात यह कि संस्थान में इन वृहद डाटा की गणना के लिए सुपर कंप्यूटर की भी मदद ली गई है। इस अध्ययन में जितेश्वर दधीच, सुनीता वर्मा, जेवी सिंह और अखिलेश गुप्ता भी शामिल रहे हैं।

Pandemic Second Wave in Mumbai: 1 जून से मुंबई में होगा कोरोना 'अंडर कंट्रोल' , एक्सपर्ट्स ने बताया करना होगा यह 1 काम

कोविड सेकेंड वेव के बारे में भविष्यवाणी की गयी है कि जून महीने में यह महाराष्ट्र राज्य और खासकर, मुंबई शहर में काफी हद तक नियंत्रण में आने लगेगी। (Pandemic Second Wave in Mumbai in Hindi)

Written by Sadhna Tiwari | Updated : May 4, 2021 9:59 AM IST

Pandemic Second Wave in Mumbai: कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर महाराष्ट्र राज्य के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हुई है। (Coronavirus second wave in Maharashtra) महामारी की पहली लहर में महाराष्ट्र और राजधानी मुंबई (Mumbai) को बुरी तरह प्रभावित किया था। वहीं, सेकेंड वेव में भी सर्वाधिक मरीज़ों की संख्या लगातार इसी राज्य से आती रही है। लेकिन, अब एक राहतभरी खबर भी आयी है। कोविड सेकेंड वेव के बारे में भविष्यवाणी की गयी है कि जून महीने में यह महाराष्ट्र राज्य और खासकर, मुंबई शहर में काफी हद तक नियंत्रण में आने लगेगी। (Pandemic Second Wave in Mumbai in Hindi)

जून में कमज़ोर हो सकता है मुंबई में कोरोना वायरस

एक गणितीय मॉडल पर आधारित एक विश्लेषण के नतीजों के आधार पर यह दावा किया गया है। इस दावे के अनुसार, मई के दूसरे सप्ताह में महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण अपने चरम वेव विश्लेषण यानि पीक (Corona peak in Maharashtra) पर पहुंचेगा। इस स्टडी में ऐसा भी कहा गया है कि अगर, टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मुंबई (Covid Vaccination in Maharashtra) में एक महीने के भीतर 15-20 लाख लोगों को कोविड की वैक्सीन (Covid Vaccine) लग जाती है तो शहर में कोविड से होनेवाली मृत्यु दर में भी व्यापक कमी आ सकती है। इसी तरह 1 जून से महानगर क्षेत्र में कोरोना संक्रमण से जुड़ी स्थिति काबू में आने लगेगी। (corona cases in Mumbai)

इस वजह से फैला मुंबई में कोरोना

विश्लेषण में कहा गया कि, फरवरी महीने में महाराष्ट्र राज्य में कोरोना वायरस के नये वेरिएंट (New Variant of Corona in Maharashtra) का पता चला है। जिसका प्रसार स्थानीय लोकल ट्रेन सेवाओं के स्टार्ट करने के साथ ही बढ़ गया। इस विश्लेषण के परिणामों में यह कहा गया गया कि 'फरवरी के पहले सप्ताह तक संक्रमण के वेरिएंट का प्रसार बहुत कम हुआ था। लेकिन, मार्च महीने के दूसरे सप्ताह में स्थिति बहुत अधिक गम्भीर हो गयी।' इसके पीछे शहर में व्यावसायिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने और लोगों द्वारा की गयीं यात्राएं और आवागमन को भी ज़िम्मेदार माना जा रहा है।

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बता दें कि, सप्ताहभर पहले यह भविष्यवाणी भी की गयी कि महाराष्ट्र राज्य में आनेवाले जुलाई-अगस्त महीनों की अवधि में कोविड की तीसरी लहर भी आ सकती है। हालांकि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे (Rajesh Tope) और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा है कि राज्य तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है। (Covid third wave in Maharashtra)

चीन में कोविड लहर के पीछे क्या हैं वजहें, जीरो कोविड पॉलिसी की जरूरत भी है?

News18 हिंदी लोगो

News18 हिंदी 3 दिन पहले News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "चीन में कोविड लहर के पीछे क्या हैं वजहें, जीरो कोविड पॉलिसी की जरूरत भी है?"

बीजिंग: पिछले एक हफ्ते से चीन में कोविड-19 का प्रकोप सुर्खियों में है. मामलों में रिकॉर्ड उछाल के बाद, बीजिंग और शंघाई सहित सभी प्रमुख शहरों में किसी न किसी रूप में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, जिससे सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुए हैं. देश में कोविड के मामले अब तक के रिकॉर्ड में सबसे अधिक हैं, फिर भी मौतें नहीं हैं. यह एक ऐसी प्रवृत्ति है, जिससे आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए. क्योंकि कई देशों ने इस वर्ष ओमिक्रॉन वेव के दौरान इसका अनुभव किया है. इससे यह सवाल उठता है कि जब दुनिया भर के अनुभव से पता चला है कि टीकाकरण ने कोरोनोवायरस संक्रमण को अप्रासंगिक बना दिया है, तो बीजिंग कठोर लॉकडाउन क्यों पसंद करता है? हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इसका विश्लेषण किया गया है…

कोविड मामलों ने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया है, फिर भी मौतें निचले स्तर पर बनी हुई हैं

रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को, पूरे चीन में 38,503 नए संक्रमण दर्ज किए गए- एक दिन में अब तक का सबसे अधिक. यह संख्या शनिवार को 31,928 नए मामलों और शुक्रवार को 34,398 (उस समय तक एक रिकॉर्ड उच्च) से अधिक थी. दैनिक संक्रमणों का सात-दिवसीय औसत (एक संख्या जो केस कर्व को दर्शाता है) अब 27,620 को छू गया है- अप्रैल में छूए गए 26,570 के शिखर को पार कर गया, जब शंघाई एक आउट-ऑफ-कंट्रोल उछाल के बीच बंद हो गया था. जबकि दैनिक संक्रमणों की वर्तमान संख्या सबसे अधिक हो सकती है, मौतों की संख्या बहुत कम दिखाई देती है. पिछले सप्ताह में तीन मौतें हुई हैं, और पिछले 30 दिनों में सात मौतें हुई हैं. मौतों का 7 दिन का औसत वर्तमान में एक दिन में 0.4 है. संदर्भ के लिए, अप्रैल के उछाल में यह संख्या एक दिन में औसतन लगभग 53 मौतों तक पहुंच गई थी.

चीन भारी प्रतिबंधों के अधीन है, भले ही दुनिया टीकों की बदौलत मुक्त हो

सख्त तालाबंदी के खिलाफ विरोध अब तीसरे दिन में पहुंच गया है, और तेजी से पूरे देश में फैल रहा है. नोमुरा होल्डिंग्स की संख्या के अनुसार, कम से कम 49 शहरों में लॉकडाउन के विभिन्न स्तर हैं, जो लगभग 412 मिलियन लोगों और गतिविधियों को प्रभावित करते हैं जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई हिस्सा है. इसे समझने के लिए, किसी को भी कोविड लॉकडाउन की लंबी अवधि पर प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, जिसे चीन के लोगों ने अनुभव किया है- विशेष रूप से इस तुलना में कि बाकी दुनिया ने उन्हें कैसे अनुभव किया है. महामारी के लगभग 3 तीन साल बाद, चीन प्रतिबंधों को लागू करने के साथ अटक गया है, जिसे अन्य देशों ने महीनों (यदि वर्षों नहीं) पहले खत्म कर दिया था.

यदि ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर के डेटा पर एक नजर डालें, जो स्कूलों, कार्यालयों, यात्रा प्रतिबंधों सहित नौ संकेतकों के आधार पर सरकार की नीतियों की सख्ती को रिकॉर्ड करता है, चीन में पाबंदियों की लंबी प्रकृति पर प्रकाश डालता है. इससे पता चलता है कि चीन में वर्तमान में 0 से 100 के पैमाने पर 62.5 के प्रतिबंध हैं (100 सबसे सख्त हैं). डेढ़ साल से भी पहले मार्च 2021 में, दुनिया के बाकी हिस्सों में इसी तरह के सख्त प्रतिबंध थे- ऐसे समय में जब कोरोना की डेल्टा लहर अधिकांश देशों को तबाह कर रही थी.

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