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पुट ऑप्शन की खरीद

पुट ऑप्शन की खरीद
Put Option buy करने वाले को Put Option buyer कहते है।Put Option sell करने वाले को put Option seller या put Option writer कहते हैं।

Options Trading in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में बहुत ही लोकप्रिय है पुट ऑप्शन की खरीद जिससे बहुत से लोग लाखो रूपये कमा रहे है तो आज हम Options Trading in Hindi लेख में Options Trading Meaning in Hindi, ऑप्शन कितने तरह के होते है और ऑप्शन में ट्रेड क्यों करना चाहिए आदि पहलुओं को समझेंगे।

चलिए Options Trading in Hindi लेख को शुरू करते है :

Options Trading Meaning in Hindi

ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसे खरीदने पर हमें किसी चीज को future में किसी fixed date पर एक price पर Buy or Sell करने का right मिलता है। लेकिन ये हम पर निर्भर करता है कि हम उस fixed date पर अपने right का इस्तेमाल करना चाहते है या नही और हम अपने Right का use तभी करना चाहेंगे जब हमें Profit होगा।

Example –
माना कि Mr. राहुल एक Businessman है और वो Mr. सूनील से एक एकड जमीन Buy करना चाहते है जिसकी Market Price अभी 20 लाख रुपयें है और जमीन के वारे में ऐसी खबर है कि Government जल्द ही उस से थोडी दूरी पर एक Metro project शुरु करेंगी। Mr. राहुल जानते है कि जैसे ही Government ये Decision लेगी उस जमीन की Price काफी बढ जायेगी।

इसी को देखते हुये Mr. राहुल चाहते है कि वो जमीन को अभी के Market Price यानी 20 लाख रुपये में खरीद ले और जैसे ही इसकी Price बढे तो इसको बेच कर मुनाफा कमायें। लेकिन Mr. राहुल के मन में एक doubt आता है कि अगर बहां पर Metro project शुरु नही हुआ तो मुझे भारी नुकसान हो जायेगा।

इसके लिए Mr. राहुल ने Mr. सूनील को पूरा पैसा ना देकर 1 लाख रुपयें का Token दिया और ये Contract किया कि 3 Month बाद वह उस जमीन को 20 लाख में खरीदेंगे। और अगर 3 महीने के बाद Mr. राहुल उस जमीन को न खरीदने का निर्णय लेते है तो Mr. सूनील उनके दिए Token Amount को रख सकते है।

इस तरह 1 लाख रुपयें देकर Mr. राहुल ने Mr. सूनील से एक Contract किया और इसी तरह के Contract को ऑप्शन कहते है। ऑप्शन Contract दो लोगो के बीच होता है जो ऑप्शन Contract को खरीदता है उसे ऑप्शन Buyer कहते है और जो ऑप्शन Contract को बेचता है उसे ऑप्शन Seller या ऑप्शन Writer कहते है।

ऑप्शन एक Financial Derivative जिसकी ट्रेडिंग Exchange पर होती है और यदि आपके ट्रेडेड शेयर या इंडेक्स की कीमत आपके पक्ष में है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको बड़ा लाभ कमाने में मदद कर सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यदि आप कोई Index (Nifty or Bank Nifty) खरीदना चाहते है तो आपको उसके लिए index के पूरे मार्जिन का भुगतान नहीं करना पड़ता है। सिर्फ Premium amount देकर हम ऑप्शन buy कर सकते है।

ऑप्शन कितने तरह के होते है?

1) Call ऑप्शन
2) Put ऑप्शन

कॉल ऑप्शन क्या है?

किसी भी Index या Stock के Call ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price बढने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price बढती है वैसे ही Call ऑप्शन की Price भी बढती है।

पुट ऑप्शन क्या है?

किसी भी Index या Stock के Put ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price गिरने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price गिरेगी है वैसे – वैसे Put ऑप्शन की Price भी बढेगी।

अभी तक आप Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन क्या होते है समझ गए होंगे अभी हम ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे, ये समझते है –

ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे?

ट्रेडर्स, ऑप्शन ट्रेडिंग mainly दो reason की बजह से करते है।

Margin: – ऑप्शन ट्रेडिंग आपको इंडेक्स या शेयर की पूरी कीमत दिए बिना ही किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में Trade करने की अनुमति देता है।

Hedging:- मानलो यदि आपके होल्डिंग में कुछ Stocks हैं जो आपने long पुट ऑप्शन की खरीद term के लिए खरीद कर रखे है और कुछ समय के बाद किसी कारण वस अचानक उस शेयर की कीमत बहुत गिरने लगती है, तो आप अपने होल्डिंग शेयरों का ऑप्शन Contract खरीद सकते हैं जिससे आपका भारी नुकसान होने से बच जायेगा और इस प्रक्रिया को Hedging कहा जाता है।

Options Trading Terminology

# 1 Premium: – Premium वह होता है जो ऑप्शन Buyer ऑप्शन Seller को कॉन्ट्रैक्ट buy करने के लिए Pay करता है।

#2 Strike Price:- Strike Price वह Price होती है जिस पर ऑप्शन खरीदे या बेचे है और ये Price Stock Exchange द्वारा तय की जाती है। आप किसी भी Strike Price का कोई भी स्टॉक या इंडेक्स खरीद या बेच सकते हैं।

#3 Expiry: – भविष्य की वह तारीख जब पुट ऑप्शन की खरीद ऑप्शन शुन्य हो जायेगा, क्योकि जिस भी Expiry का हम ऑप्शन buy करते है तो जैसे – जैसे ऑप्शन expiry के नजदीक जाता है वैसे – वैसे ऑप्शन की Price कम होने लगती है और expiry के दिन शुन्य हो जाती है।
ऑप्शन की तीन अलग-अलग अवधि होती है…

  1. Near Month (1 Month).
  2. Middle Month (2 Months).
  3. Far Month (3 Month)

#4 Lot Size :- Lot size का मतलब है Shares की एक निश्चित संख्या। ये एक्सचेंज द्वारा तय किए गए जाते है जिसमें हर एक Stock और Index के लिए Lot size अलग – अलग होता है।

#5 Contract Name :- Contract Name Stock ticker Symbol की तरह होता है जिसमें ऑप्शन Contract कुछ अक्षर और संख्या को मिला कर बनाया जाता है जैसे – Nifty 17500 PE

#6 Intrinsic Value : – Intrinsic Value किसी भी Stock या Index के current Price और Strike Price के बीच का अंतर होता है।

#7 Open Interest :- Open Interest किसी विशेष ऑप्शन Contract पर खरीदारों और विक्रेताओं की कुल संख्या को दर्शाता है।

निष्कर्ष

ऑप्शन ट्रेडिंग से आप बहुत जल्दी ही बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है लेकिन इसमें रिस्क भी ज्यादा है इसलिए ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत, ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझने के बाद ही करे।

हमें उम्मीद है कि Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन ट्रेडिंग से संबधित सभी सबालो के जबाव मिल गए होंगे, अगर फिर भी कोई सबाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है।

Option ट्रेडिंग क्या है? | ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं

option trading kya hai

दोस्तों आप में से बहुत से लोग ट्रेडिंग करते होंगे और ट्रेडिंग कई तरह की होती है उन्ही में से एक होती है ऑप्शन ट्रेडिंग, लेकिन क्या आपको पता है कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है और ये कितने तरह की होती है अगर नही, तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन देते हैं.

option trading kya hai

Image Credit: Shutterstock

Table of Contents

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है (What is Option Trading in Hindi)

ऑप्शन ट्रेडिंग एस ऐसी ट्रेडिंग होती है जो किसी भी कस्टमर को किसी खास तारीख को एक खास कीमत के साथ किसी शेयर्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देती है.

शुरुआत में ऑप्शन ट्रेडिंग करना थोड़ा कठिन होता है लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑप्शन कुछ ऐसे होते हैं जिससे कोई भी आसानी से सीखकर कर सकता है भारत में ऑप्शन ट्रेनिंग सब से ज्यादा की जाती है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग करने के बहुत सारे फायदे होते हैं

जब भी आप ऑप्शन खरीदते हैं तो आपके पास अंतर्निहित ऐसेट को ट्रेड करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है लेकिन आप इसके लिए बाध्य नहीं होते हैं यदि आप आप ऐसा करते है तो इससे ऑप्शन का यूज़ करना कहा जाता है आपसे ट्रेडिंग में आप किसी भी स्टॉक इंडेक्स सिक्योरिटी में थ्रेट कर सकते हैं

ऑप्शन ट्रेडिंग कितने तरह की होती है?

ऑप्शन ट्रेडिंग दो तरह की होती है-

कॉल ऑप्शन

कॉल ऑप्शन ऐसा ऑप्शन ट्रेडिंग होता है जिसमे आपको एक निश्चित समय में एक उचित मूल्य पर किसी भी स्टॉक को खरीदने का पुट ऑप्शन की खरीद अधिकार देता है लेकिन इसका दायित्व नहीं देता है कॉल ऑप्शन में ऑप्शन खरीदने के लिए आपको एक उचित मूल्य देना होता है जिसे प्रीमियम कहा जाता है कॉल अफसर का यूज़ करने वाले आखिरी तारीख को समाप्ति तारीख भी कहते हैं

पुट ऑप्शन

पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन के ठीक विपरीत होता है इसमें किसी भी स्टॉक को खरीदने का अधिकार होने की बजाय एक पुट ऑप्शन आपको एक उचित मूल्य पर स्टॉक बेचने का अधिकार देता है

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं

ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जिससे आप ऑनलाइन ब्रोकरेज खातों के द्वारा कर सकते हैं और ये आपको स्वतः निर्देशित ट्रेडिंग की अनुमति भी देता है ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करने के बाद आप स्टॉक ब्रोकर द्वारा दिए गए ट्रेंडिंग ऐप का यूज़ करके ऑप्शन में ट्रीट कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जानना जरूरी होता है-

स्टॉक सिंबल क्या होता है

लगता है कि एक स्टॉक कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी किसी भी स्टॉक की पहचान करने के लिए क्या यूज़ किया जाता है जैसे Nifty 16,000 CE.

समाप्ति तिथि क्या होती है

समाप्ति तिथि वह डेट होती है जिसपर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो जाता है

स्ट्राइक मूल्य क्या होता है

जिसपर कस्टमर ऑप्शन का यूज़ करने में सक्षम होता है.

प्रीमियम क्या होता है

जब आप ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदते हैं तो उसमें लगने वाली लागत को प्रीमियम कहा जाता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के लाभ क्या है?

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के कुछ प्रमुख लाभ है-

  • अन्य ट्रेडिंग ऑप्शन्स की कंपेयर मे, आप कम इन्वेस्टमेंट के साथ भी ट्रेड करने में सफल हो सकते हैं.
  • ऑप्शन का यूज़ आप मार्केट की किसी भी कंडीशन में कर सकते हैं और ये किसी भी अन्य ट्रेडिंग में नहीं किया जा सकता है.
  • ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले कस्टमर्स को ये फ्लेक्सिबिलिटी के साथ ही लिक्विडिटी भी प्रोवाइड कर सकता है.
  • ऑप्शन्स का इस्तेमाल हेजिंग के लिए भी किया जाता है जिसके द्वारा आप अपने पोर्टफोलियों को मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान क्या होते हैं?

ऑप्शन ट्रेडिंग के कई नुकसान होते हैं-

  • ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए इस स्टॉक का विश्लेषण करना इक्विटी स्टॉक से बिल्कुल अलग होता है जिसके लिए जरूरी है कि आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग की पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसमें ट्रेड करें.
  • इसमें आपको किसी भी स्टॉक मूल्य के मूवमेंट के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल होता है और अगर आपका अंदाजा गलत हो जाता है तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.

इसे भी पढ़े?

आज आपने क्या सीखा?

हमे उम्मीद है कि हमारा ये (option trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.

हमारी ये (option trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.

What is an Option Trading?

अगर आप शेयर बाजार में काम करते हैं तो, आपने फ्यूचर और ऑप्शन के बारे में जरूर सुना होगा। आप में से बहुत से लोग ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में जानते भी होंगे। कॉल और पुट में ट्रेडिंग भी किए होंगे। आज हम आसान भाषा में ऑप्शन ट्रेडिंग (What is an Option Trading) के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

आज हम बात करने वाले हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, ऑप्शन का मतलब विकल्प होता है। आइए ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है, इसको समझने से पहले हम ऑप्शन क्या है यह समझते हैं। जैसा कि हम जानते हैं ऑप्शन का शाब्दिक अर्थ होता है, विकल्प। एक ऐसा विकल्प जहां पर एक खरीदार और एक विक्रेता (option buyer and option seller) के बीच एक अनुबंध (contract) होता है। जिसमें खरीदार के पास एक निर्धारित तिथि पर अंतर्निहित संपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार होता है। लेकिन बाध्यता नहीं होता है। यह स्वतंत्र वित्तीय साधन नहीं है क्योंकि इसका मूल्य किसी दूसरे संपत्ति से प्राप्त होता है। इसलिए ऑप्शन को अपने स्टॉक या इंडेक्स को सुरक्षा (Hedge) के लिए उपयोग किया जाता है।

आइए इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं, मान लीजिए एक प्लॉट आपने देखा जहां आधुनिकीकरण होने वाला है, और आप उस प्लॉट को खरीदना चाहते हैं। क्योंकि आप को ऐसा लग रहा है कि, इस प्लॉट की कीमत आने वाले कुछ महीनों के पुट ऑप्शन की खरीद बाद बढ़ जाएगा पर इस प्लॉट को खरीदने के लिए पर्याप्त राशि आपके पास उपलब्ध नहीं है, लेकिन आने वाले कुछ महीनों में आपके पास पैसे किसी माध्यम से आ जाएंगे, और आप इस प्लॉट को लेना भी चाहते हैं तो, आप और उस प्लॉट विक्रेता के साथ एक समझौता करते हैं कि, आने वाले 5 महीने के अंत में यह प्लॉट आज ही के कीमत पर मैं खरीद लूंगा इस समझौते के लिए आप विक्रेता को एक निश्चित राशि देते हैं। जो कि विक्रेता के द्वारा मांग की जाती है अब इस समझौते में अगर खरीदार चाहे तो निर्धारित अवधि के अंत में प्लॉट की कीमत बढ़ जाने पर भी समझौते के समय जो प्लॉट की कीमत थी उतना ही कीमत देकर उस प्लॉट को खरीद सकता है। लेकिन अगर उस प्लॉट की कीमत किसी कारण बस नीचे चली जाती है तो खरीददार इसके लिए बाध्य नहीं होगा कि वह प्लॉट को खरीद ही ले लेकिन इस क्रम में खरीददार के द्वारा विक्रेता को दी हुई राशि जो समझौते के वक्त दी गई थी विक्रेता के द्वारा लौटाई नहीं जाती है।

ऊपर दिए उदाहरण से दो बातें स्पष्ट हो जाती है कि, अगर कोई ऑप्शन बायर कोई ऑप्शन बाई करता है तो, उसके पास यह राइट होता है कि जो समझौता किया गया वह निष्पादित करें या नहीं करें। लेकिन सेलर उस समझौते के लिए कोई दबाव नहीं बना सकता। ऑप्शन खरीददार चाहे तो, उस समझौते को आगे ले जा सकता है या समझौते को रद्द कर सकता है। इसके लिए ऑप्शन विक्रेता खरीददार पर कोई दबाव नहीं बनाते हैं। इस समझौते में ऑप्शन खरीददार के द्वारा समझौते के वक्त दी गई राशि को विक्रेता खरीदार को पुनः लौटाता नहीं है।

आइए इसे और आसान भाषा में समझने के लिए एक और उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए SBIN शेयर का कीमत अभी ₹400 है, और आपको कहीं से जानकारी मिली है कि, कंपनी कुछ अच्छा करने जा रही है। जिसके कारण आपको ऐसा लगता है की, जून महीने के अंत तक इसकी कीमत 450 का हो जाएगा और आप चाहते हैं कि 1500 शेयर आप खरीदें पर आपके पास इतनी राशि नहीं है कि आप शेयर खरीद पाए तो कोई विक्रेता जो यह न्यूज़ के बारे में जानता है। पर उसे ऐसा लगता है कि, इस शेयर की कीमत जून महीने के अंत तक 450 रूपये नहीं जा पाएगा। तो विक्रेता खरीदार से समझौता करता है कि आप अभी समझौते के लिए 1500 का ₹10 के हिसाब से ₹15000 दे दीजिए अगर कीमत 450 चला जाता है तब भी मैं शेयर ₹400 के हिसाब से दे दूंगा। अब यहां समझने वाली बात यह है कि, अगर कीमत 450 नहीं जा पाती है तो खरीददार जो ₹10 प्रति शेयर के हिसाब से राशि विक्रेता को दिया था वह राशि शून्य हो जाएगी लेकिन अगर 450 कीमत चली जाती है तो विक्रेता उस स्टॉक को समझौते के अनुसार ₹400 प्रति शेयर में दे देता है इस तरीके से ऑप्शन बाई करने वाले को ₹40 प्रति शेयर के हिसाब से लाभ हो जाता है, और यदि स्टॉक की कीमत नीचे चली आती है तो समझौता के अनुसार खरीदार को कोई बाध्यता नहीं होती है कि वह स्टॉक को खरीद ही ले अगर वह चाहे तो खरीद सकता है। अन्यथा नहीं भी खरीद सकता पुट ऑप्शन की खरीद विक्रेता उसे खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

Tpye of option (Option के प्रकार)

Option Trading में ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं।

  • Call Option
  • Put Option

Call Option :- अभी हम लोगों ने option trading क्या है। इसके बारे में पढ़ा अब जानते हैं कि call option क्या है। अगर आप की जानकारी के अनुसार आपको ऐसा लगता है कि कोई स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस एक अवधि के भीतर बढ़ जाएगी और आप इसका मुनाफा लेना चाहते हैं पर आपके पास पुट ऑप्शन की खरीद पर्याप्त राशि नहीं है तो विक्रेता आपसे समझौते के लिए अग्रिम राशि चार्ज करती है जिससे आपको यह अधिकार मिलता है कि आप उस अंतर्निहित संपत्ति की डिलीवरी के समय सीमा के अंत में ले पाए पर कोई दायित्व नहीं होता। खरीदार द्वारा दिए अग्रिम राशि प्रीमियम कहलाती है। कीमत ऊपर जाने के लिए की गई समझौता को कॉल ऑप्शन कहते हैं। यह किसी स्टॉक या इंडेक्स को खरीदने का अधिकार देता है

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Call option buy करने वाले को call buyer कहां जाता है।

Call option sell करने वाले को option seller या option writer कहा जाता है।

Option trading

Put Option :- Put Option खरीदने का मतलब आप किसी एसेट को बेचने का अधिकार प्राप्त कर रहे हो। यहां जब आपको ऐसा लगता है कि, किसी एसेट का कीमत नीचे गिरने वाला है ऐसी स्थिति में आप पुट ऑप्शन खरीद लेते हो यहां अगर स्टॉक या इंडेक्स का कीमत निश्चित अवधि में नीचे चली जाती है तो पुट ऑप्शन बायर को लाभ हो जाता है।

Put Option buy करने वाले को Put Option buyer कहते है।

Put Option sell करने वाले को put Option seller या put Option writer कहते हैं।

अब हम लोग ने ऑप्शन को भलीभांति समझ चुके हैं अगर हमें मार्केट में तेजी के लिए ट्रेड करना है तो, कॉल ऑप्शन खरीदते हैं। और अगर बाजार में मंदी के लिए ट्रेड करना है तो, पुट ऑप्शन को खरीदते हैं। ऑप्शन का उपयोग अपने पोजीशन को हेज( Hedge) करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। ऑप्शन अपने आप में एक बहुत बड़ा सब्जेक्ट है इसका उपयोग लोग अलग-अलग स्ट्रेटजी बनाकर काम करने के लिए करते हैं।

आप भी करते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग, समझ लें इंट्रिन्सिक और टाइम वैल्यू का गणित

ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - November 7, 2022 / 05:53 PM IST

आप भी करते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग, समझ लें इंट्रिन्सिक और टाइम वैल्यू का गणित

ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और पुट ऑप्शन की खरीद ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं. शॉर्ट टर्म प्रॉफिट के लिए निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग का इस्तेमाल करते हैं. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने के लिए ट्रेडर प्रीमियम का भुगतान करता है और इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे में ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू को समझना जरूरी है. यह आपको प्रोफेशनल ऑप्शन ट्रेडर बनने में मदद कर सकता है.

ऑप्‍शन ट्रेडिंग के बारे में अच्‍छे से जानने के लिए 5paisa.com (https://bit.ly/3RreGqO) पर विजिट करें. 5पैसा पर आप विभिन्‍न चार्ट फॉर्म्‍स और रिपोर्ट्स की मदद से स्‍टॉक्‍स और शेयरों का विश्‍लेषण कर सकते हैं, जो आपको निर्णय लेने और पेशेवर ऑप्‍शन ट्रेडर बनने में मदद कर सकता है.

टाइम वैल्यू को समझने से पहले हम बात करते हैं इंट्रिन्सिक वैल्यू की. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में इंट्रिन्सिक वैल्यू का मतलब आमतौर पर कॉन्ट्रैक्ट की मार्केट वैल्यू से होता है. इंट्रिन्सिक वैल्यू यह बताता है कि वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट में कितना ‘इन-द-मनी’ है. ‘इन द मनी’ से मतलब है कि अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा हो. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए जिस मूल्य पर दो पक्षों के लिए समझौता होता है, उसे स्ट्राइक प्राइस कहते हैं.

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 200 रुपए के स्ट्राइक प्राइस वाला एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है, जिसका मौजूदा समय में दाम 300 रुपए है. इस कॉल ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए (300-200) होगी. ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम होगी, तो इंट्रिन्सिक वैल्यू जीरो होगी, क्योंकि कोई भी खरीदार उस सौदे को पूरा नहीं करना चाहेगा, जब उसे नुकसान हो रहा हो.

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की टाइम वैल्यू क्या है?

टाइम वैल्यू वह अतिरिक्त रकम है, जो खरीदार को इंट्रिन्सिक वैल्यू के ऊपर कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तक के लिए देनी होती है. यह रकम ऑप्शन विक्रेता को ऑप्शन या राइट देने के एवज में मिलती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी बढ़ने पर टाइम वैल्यू की रकम भी बढ़ती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अपने एक्सपायरी डेट से जितना दूर होगा, उसमें अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस के मुकाबले ज्यादा होने या खरीदार की पसंदीदा जगह पर जाने की संभावना अधिक होती है. उदाहरण के लिए, यदि एक ऑप्शन की एक्सपायरी में 3 महीने और दूसरे ऑप्शन की एक्सपायरी में 2 महीने हैं, तो पहले वाले ऑप्शन में टाइम वैल्यू अधिक होगी.

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का लाभ उठाने के लिए खरीदार विक्रेता को प्रीमियम देता है. प्रीमियम के दो कम्पोनेंट होते हैं- इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू. टाइम वैल्यू की रकम निकालने के लिए ऑप्शन प्रीमियम में से इंट्रिन्सिक वैल्यू को घटाना होगा. उदाहरण के लिए, ऊपर दिए गए 200 रुपए वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का प्रीमियम मान लीजिए 150 रुपए था, जबकि इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए थी. ऐसे में टाइम वैल्यू 50 रुपए (150-100) होगी.

Hindi wise money


दोस्तों शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है . और शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग का दायरा बहुत बड़ा है . और इसे संक्षिप्त में समझना आसान नहीं होगा, फिर भी हम कोशिश करेंगे की बहुत ही संक्षिप्त में हम आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा से ज्यादा बता सके .

ऑप्शन ट्रेडिंग की परिभाषा

ऑप्शन ट्रेडिंग में स्टॉक नहीं ट्रेड होता बल्कि उस स्टॉक का स्ट्राइक प्राइस ट्रेड होता है . जो कि कुछ fixed टेक्निकल प्वाइंट को आधार बनाकर उस स्ट्राइक प्राइस का भाव बना होता है.

और सभी उसे ट्रेड करते हैं उस स्टॉक के एक्चुअल भाव के ऊपरी तरफ जो strike price होते हैं उन्हें "कॉल ऑप्शन" कहते हैं . और स्टॉक के एक्चुअल भाव के नीचे की तरफ जो स्ट्राइक प्राइस होते हैं उन्हें "पुट ऑप्शन" कहते हैं.

Call option strike price and put option strike price

Call option

मान लीजिए आईटीसी के शेयर का भाव अभी ₹200 चल रहा है तो , यह तो हो गया स्टॉक का एक्चुअल प्राइस . इसमें होता क्या है कि 205 , 210,215, 220 ,225, 230 ऐसे पांच पांच पॉइंट ऊपर ले जाकर बहुत सारे स्ट्राइक प्राइस बना दिए जाते हैं . और इन स्ट्राइक प्राइस को ,जो कि स्टॉक के एक्चुअल भाव से ऊपर की तरफ होते हैं ,इन्हें "कॉल ऑप्शन" कहते हैं और ठीक ऐसे ही नीचे की तरफ यानी ₹200 जब एक्चुअल स्टॉक का भाव चल रहा है . तो 195 , 190, 185 ,180,175,165 का स्ट्राइक प्राइस जो होता है , उन्हें "पुट ऑप्शन" कहते हैं. जैसा कि स्टॉक के एक्चुअल प्राइस के ऊपर की तरफ "कॉल ऑप्शन" था.

वैसे ही नीचे की तरफ "पुट ऑप्शन " होते हैं . जैसे 195 190 185,180 ext..

यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में चाहे वह कॉल ऑप्शन हो चाहे वह पुट ऑप्शन जो भी स्ट्राइक प्राइस हम ट्रेड करते हैं खरीदते हैं या पुट ऑप्शन की खरीद बेचते हैं उसके लिए हमें स्टॉक प्राइस का पूरा पैसा न देकर मात्र उसका प्रीमियम देना होता है कुछ प्रीमियम रहता है इसका .

जिसे देखकर हम कॉल ऑप्शन खरीद लेते हैं या बेच देते हैं पुट ऑप्शन खरीद लेते हैं या बेच देते हैं तो ऑप्शन ट्रेडिंग की खूबसूरती यह है कि आप बहुत कम पैसे में बहुत बड़ा ट्रेड उठा सकते हो या कर सकते.

option trading lot size

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में Lot का साइज होता है और उस लोट साइज को पूरा ही ट्रेड करना पड़ता है . तभी ट्रेड होता है अन्यथा ट्रेड नहीं हो पाता. उदाहरण के तौर पर आईटीसी शेयर का ऑप्शन ट्रेडिंग का लोट साइज 3300 है.

स्ट्राइक प्राइस प्रीमियम

strike price premium

अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस का अलग-अलग प्रीमियम रेट मार्केट के हिसाब से होता है वह समय-समय पर बदलता रहता है किसी स्ट्राइक प्राइस का प्रीमियम रेट ₹2 चल रहा है तो कुछ ही टाइम बाद हमें वो ₹3 में या पुट ऑप्शन की खरीद ₹4 में देखने को मिल सकता है.

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया हुआ है कि स्ट्राइक प्राइस का जो रेट होता है वह दो-तीन टेक्निकल पहलुओं को मिलाकर बना होता है और वह समय-समय पर इंक्रीज ओर डिक्रीज होता रहता है मार्केट और स्टॉक प्राइस मोमेंट के हिसाब से.

Option premiums

इसलिए कहा जाता है छोटा ऑप्शन बड़ी कमाई ऐसा अक्सर आपने भी सुना होगा क्योंकि ऑप्शन में जो लोग ट्रेड करते हैं रिस्क तो बहुत ज्यादा रहता है लेकिन उसी हिसाब से फायदा भी ज्यादा रहता है.

कुछ रुपए देकर आप पूरे लोट के मालिक बन जाते हैं और यदि प्रॉफिट हुआ तो मोटा मुनाफा आएगा वहीं दूसरी तरफ यदि लॉस हुआ तो आप का प्रीमियम ही जाएगा.

यानि कहने का तात्पर्य यह है कि लॉस का अमाउंट आप का फिक्स्ड रहेगा . लेकिन प्रॉफिट अनलिमिटेड कमा सकते हो इसमें.

यह होती है ऑप्शन ट्रेडिंग की खूबसूरती लॉस अमाउंट फिक्स्ड करो और प्रॉफिट अनलिमिटेड लो.

दोस्तों आशा करता हूं कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग किसे कहते पुट ऑप्शन की खरीद हैं समझ गए होंगे पर मेरीआप से सलाह है . कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग मेंअभी नहीं जाएंगे .मैं ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड हर पहलू पर आर्टिकल देने की कोशिश कर रहा हूं जिससे कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग को पूरी तरीके से समझ सके .

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