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क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं

क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं
वहीं इस आदेश की बात सामने आते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित विभिन्न जिलों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों ने इसका स्वागत किया है।

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Bank of Baroda Special FD Scheme अगर आप एफडी पर अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो बैंक ऑफ बड़ौदा की इस स्कीम में पैसा लगाएं। बैंक ने कुछ दिन पहले दो विशेष जमा योजनाएं शुरू की हैं जिनमें निवेश करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

FD Schemes बैंकों की ओर से ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए समय- समय पर अधिक ब्याज देने वाली एफडी योजनाओं को निकाला जाता है। आज हम आपने इस लेख में कुछ ऐसी ही एफडी योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

Post Office Saving Schemes: एक बार पैसा लगाने के बाद घर बैठे होगी कमाई, ब्याज इतना कि बैंक भी हो जाते हैं फेल

क्या आप चाहते हैं कि एक बार पैसा लगाने के बाद आपको इधर-उधर भटकना न पड़े और आपके निवेश पर बेहतर मुनाफा मिलता रहे। अगर आप सही जगह निवेश करते हैं तो आपका निवेश सुरक्षित भी रहेगा और आपको ब्याज भी अच्छा मिलेगा।

Interest Rates on Fixed Deposit कई बैंकों ने पिछले कुछ हफ्तों में अपनी सावधि जमा ब्याज दरों में उल्लेखनीय रूप से बदलाव किया है। आइये नजर डालते हैं उन बैंकों पर जिन्होंने फ‍िक्‍स्ड ड‍िपोजिट ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी की है।

Sovereign Gold Bond Scheme: सरकार आज से दे रही है सस्‍ता सोना खरीदने का मौका, डिजिटल भुगतान करने पर मिलेगा डिस्‍काउंट

सरकार आम लोगों को सस्‍ता सोना खरीदने का मौका दे रही है। आप भी सरकारी गोल्‍ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond Scheme SGB) योजना में निवेश कर सकते हैं। आप कहां से ये बॉन्‍ड खरीदें और कैसे भुगतान करें जानिये इस रिपोर्ट में सबकुछ.

Senior Citizen FD: अधिक ब्याज चाहते हैं तो इन 7 बैंकों में करें एफडी, चेक करें कहां मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

RBI द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि किए जाने के बाद बैंकों ने भी एफडी ब्याज दरों में वृद्धि की है। कुछ ऋणदाता ऐसे हैं जो वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि एफडी पर उच्च ब्याज दर कहां मि.

आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है और कुछ ही वर्षों में हम टाप तीन देशों में शामिल होंगे। अब यह नए निवेशक क्या करें। यह एक बड़े आनंद की बात है कि युवा निवेशक उत्साह दिखाकर बाजार में निवेश कर रहे हैं।

आज हम यहां चार बेहतरीन सरकारी निवेश योजनाओं NPS PPF SSY और SCSS के बारे में बताने जा रहे हैं। इन चारों की तुलना कर आपको बताएंगे कि आपके निवेश लिए कौन सी स्कीम बेस्ट है जो टैक्स सेविंग बेनिफिट्स के साथ आपको गारंटीड रिटर्न देती.

Where to Invest जब भी पैसे को निवेश करने की बात आती है तो हमारे सामने कई यक्ष-प्रश्न आते हैं। आज हम कुछ ऐसे ही मूलभूत प्रश्नों के उत्तर जानेंगे जिससे निवेश के बारे में फैसले लेने में हमें मदद मिलेगी. तो आइए शुरू करते हैं सवाल.

मौजूदा हालातों और व्यापक बाजार उम्मीदों के कारण अधिकांश वर्गो के डेट फंड्स में निकासी रही है। इसमें ओवरनाइट और लिक्विड फंड्स भी शामिल हैं। कम रिटर्न और इक्विटी को प्राथमिकता के कारण भी डेट फंड्स का निवेश प्रभावित हुआ है

एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 15890 करोड़ रुपये रहा था। इक्विटी योजनाओं में मार्च 2021 से लगातार शुद्ध निवेश बना हुआ है।

RBI ब्‍लॉक स्‍तर पर चलाएगा वित्‍तीय साक्षरता अभियान, गरीब जनता को बचत पर ज्‍यादा रिटर्न मिलना होगा सुनिश्चित

RBI की तरफ से बताया गया है कि देश के 80 ब्लाकों में उसने प्रायोगिक तौर पर वित्तीय समावेश के दूसरे चरण के तहत अभियान चलाया था जिसका काफी फायदा हुआ। अब इसे पूरे देश में चलाया जाएगा और वर्ष 2024 तक हर ब्लाक में अभियान चलेगा

हर व्यक्ति को अपने जीवन में बचत जरूर करनी चाहिए। बचत करने के तमाम तरीके हो सकते हैं और वह तरीके अलग-अलग व्यक्तियों की नजरों में सही या गलत हो सकते हैं। हालांकि सबसे जरूरी है कि व्यक्ति को बचत करनी चाहिए।

रेल विभाग ने महंगाई भत्‍ते में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। सरकार से मंजूरी लेने के बाद रेलवे बोर्ड ने छठे वेतन आयोग के कर्मचारियों के DA में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह बढ़ोतरी 1 जुलाई 2021 और 1 जनवरी 2022 से लागू हुई है।

बेटी की शादी में खर्च की नहीं होगी टेंशन, इस सरकारी योजना से मिल सकते हैं लाखों रुपये; जानें जरूरी बातें

बेटियों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से ही एक योजना- सुकन्या समृद्धि योजना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को इसकी शुरुआत की थी। योजना के तहत 7.6% वार्षिक ब्याज दर का रिटर्न मिलता है।

बुजुर्ग किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा पेंशन योजना चलाई जा रही है। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं है। योजना के तहत पेंशन के लिए 18 से 40 वर्ष की उम्र के किसान ही आवेदन कर सकते हैं।

डिजिटल बैंकिंग से ग्राहकों के लिए बैंकिंग जिनती आसान हुई है उतनी ही लोगों को सावधानी भी बरतने की जरूरत भी होती है। ऐसे में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग के लिए लोगों को कुछ टिप्स दी हैं।

PPF Saving Scheme पीपीएफ यानी सार्वजनिक भविष्य निधि योजना यह एक बचत योजना है। पीपीएफ खाते पर 7.1% वार्षिक (चक्रवृद्धि वार्षिक) ब्याज दर मिलती है। जमाकर्ता आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कटौती के पात्र होते हैं।

निवेश: शेयर बाजार से आम आदमी के पैसों पर भी पड़ता है फर्क, यहां जानें इसकी 5 वजह

बिजनेस डेस्क. कोरोनावायरस के असर से पिछले कुछ हफ्तों के दौरान वैश्विक बाज़ारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाज़ार में भी भारी गिरावट आई है। इससे वे 9 करोड़ निवेशक जरूर चिंतित हैं जो सीधे अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट सेया म्यूचुअल फंड के जरिए स्टॉक /इक्विटी में निवेश करते हैं। लेकिन चिंतित सिर्फ इन 7-8 फीसदी लोगों को ही नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के माथे पर भी शिकन पड़नी चाहिए जिन्हें शेयर बाज़ार, सेंसेक्स या निफ्टी के बारेमें बहुत कम या न के बराबर जानकारी है। जानते हैं वे 5 बड़ी वजहें जो साबित करती हैं कि शेयर बाजार के गिरने से हम सभी को चिंतित क्यों होना चाहिए।

1. ईपीएफ : क्योंकि हर नौकरीपेशा व्यक्ति इससे जुड़ा है
प्रत्येक नौकरीपेशा व्यक्ति (चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी), ईपीएफ यानी कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान देता है। नियमों के मुताबिक जिस कंपनी में 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, उसका पंजीकरण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में होना अनिवार्य है। इस फंड को मैनेज करनेवाला संगठन ईपीएफओ अपने एनुअल कॉर्पस/ एक्यूमुलेशन का 15 फीसदी हिस्सा इक्विटी (शेयर बाजार) में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ के जरिए निवेश करता है। इसलिए अगर शेयर बाजार गिरता है तो इसका असर ईपीएफओ के कॉर्पस (फंड) पर भी पड़ता है। जाहिर सी बात है अगर ईपीएफओ के पास ज्यादा कॉर्पस होगा तो वह अपने सदस्यों को ज्यादा सुविधाएं दे सकेगा। कॉर्पस कम होने का सबसे ज्यादा असर ब्याज पर पड़ता है। ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दर को 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया है, जो पिछले सात सालों (2011-12 के बाद) में सबसे कम है। देश में फिलहाल 6 करोड़ से ज्यादा एक्टिव ईपीएफ खाताधारक हैं। यानी शेयर बाज़ार से इतने परिवार सीधे प्रभावित होते हैं।

2. एनपीएस : क्योंकि करोड़ों लोगों की पेंशन इससे संबंधित है
नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस एक मार्केट लिंक्ड पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम है, जिसे केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 को लॉन्च किया था। इस तारीख को या इसके बाद जॉइन करनेवाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए इस योजना में निवेश करना अनिवार्य है। 1 मई 2009 सेयह योजना स्वैच्छिक आधार पर निजी क्षेत्र में काम करनेवाले लोगों सहित देश के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है। सितंबर 2019 तक इसके कुल एक करोड़ 28 लाख खाताधारक थे। इस योजना के तहत रिटायरमेंट के बाद खाताधारक अपने टोटल कॉर्पस का 60 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। बाकी रकम से रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन मिलती है। चूंकि यह स्कीम शेयर बाजार सेजुड़ी है, इसलिए खाताधारक के कॉर्पस का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। सरकारी कर्मचारी अपने कॉर्पस का अधिकतम 50 फीसदी, जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारी 75 फीसदी हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। इसलिए शेयर बाजार जितना ऊपर जाएगा, खाताधारकों के कॉर्पस पर रिटर्न उतना ज्यादा मिलेगा और रिटायरमेंट के बाद मैच्योरिटी अमाउंट भी ज्यादा होगा।

3. क्योंकि कारोबार के विस्तार से इसका सीधा संबंध है
शेयर बाज़ार से तकरीबन 7,500 कंपनियां जुड़ी हुई हैं। ये कंपनियां शेयर बाज़ार के जरिए फंड की उगाही करती हैं और उसी फंड से अपने कारोबार में विस्तार करती हैं। इन कंपनियों को शेयर बाज़ार में तेजी सेजितना लाभ मिलता है, उनके लिए अपने कारोबार का विस्तार करनेमें उतनी आसानी होती है। कारोबार के विस्तार करने का मतलब है अपना प्रोडक्शन बढ़ाना या अगर कोई सर्विस सेक्टर की कंपनी है तो वह अपनी सर्विस का एरिया बढ़ाती है। इससे कंपनी को काम के लिए नए लोगों की जरूरत पड़ती है और रोजगार बढ़ता है। जब एक कंपनी अपना कारोबार बढ़ाती है तो उससे संबंधित दसियों अन्य क्षेत्रों के लिए भी रोजगार सृजित होते हैं। जब कंपनियां लाभ में होती हैं तो वे नई भर्तियां करने के साथ-साथ अपनेमौजूदा कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में भी बेहतर वृद्धि करती हैं। वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी से लोगों की परचेसिंग पॉवर बढ़ती है। वे ज्यादा खरीदी करते हैं, ज्यादा यात्रा करते हैं, रेस्तरां या मनोरंजन में ज्यादा क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं खर्च करते हैं। जाहिर है, इसका पूरा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। शेयर बाज़ार के गिरने पर अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर पड़ता है।

4. क्योंकि इससे रुपए की कीमत पर भी फर्क पड़ता है
शेयर बाज़ार में गिरावट से रुपए का मूल्य भी गिरता है। इससे आयातित सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं। हम महंगे आयातित सामान (जैसे स्मार्टफोन) को अवॉइड कर सकते हैं, लेकिन भारत में बननेवाले कई जरूरी सामान के लिए भी कच्चा माल व कलपुर्जे विदेशों से आते हैं। इनकी कीमत बढ़ने से हमारेयहां उत्पादित सामान जैसे दवाइयां, उर्वरक आदि के दाम बढ़ जाते हैं, जिससे आम लोगों से लेकर किसान तक सभी प्रभावित होते हैं।

5. क्योंकि डायरेक्ट रेवेन्यू भी मिलता है
जब बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसमें निवेश करनेवाले लोगों की संख्या और निवेश की मात्रा दोनों बढ़ती है। निवेश पर सरकार को सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी), कैपिटल गेन टैक्स वगैरह से भारी राजस्व मिलता है और सरकार इस राजस्व का इस्तेमाल तमाम लोककल्याणकारी कार्यों और बुनियादी ढांचे के निर्माण में करती है।

कैसे काम करता है शेयर बाज़ार?
शेयर बाज़ार किसी लिस्टेड कंपनी में हिस्सेदारी खरीदनेव बेचने की जगह है। शेयर बाज़ार की तीन कड़ियां हैं : स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और निवेशक। निवेशक सीधे शेयर खरीद या बेच नहीं सकते। उन्हें यह ब्रोकर के जरिए करना पड़ता है। ब्रोकर, स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते हैं और केवल वे ही उस स्टॉक एक्सचेंज में आपकी तरफ से किसी कंपनी के शेयर खरीद या बेच सकते हैं। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं जहां किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे-बेचेजाते हैं। इस बाजार में किसी कंपनी को एंट्री तब मिलती है, जब वह आईपीओ लाती है। इसके जरिए कोई भी कंपनी अपनी हिस्सेदारी आम लोगों, वित्तीय संस्थाओं और म्यूचुअल फंड को बेचती है। आईपीओ की लिस्टिंग के दिन कंपनियां आवेदन करनेवाले लोगों व संस्थाओं को तय रेट पर शेयर आवंटित करती हैं। जब इन शेयर्स की स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग शुरू होती है, इसके भाव मांग-आपूर्ति के आधार पर बदलते रहते हैं। बदलते भाव की वजह से ही लोगों को फायदा या नुकसान होता है।

Govt saving schemes: शेयर बाजार कर रहा निराश तो इन 6 स्कीमों में लगाइए पैसा

saving schemes: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, सेविंग बॉन्ड, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल पेंशन स्कीम, पर्सनल प्रोविडेंट फंड.

इस समय शेयर मार्केट (Share Market) कई लोगों को निराश कर रहा है, कई लोग निवेश शुरू करना चाहते हैं लेकिन शेयर मार्केट के रिस्क से दूर रहकर. तो ऐसे में सरकारी स्कीम्स (Govt Saving Scheme) बुरी नहीं है बल्कि रिटर्न अच्छा है और निवेश सुरक्षित है. तो आज हम आपको ऐसी सरकारी सुरक्षित स्कीम्स के बारे में बता रहे हैं. इस वीडियो में हम आपको आपकी बीमा, 4 नए IPO और निवेश की सलाहकारों पर एक चेतावनी भी देंगे. लेकिन पहले सेविंग के सात सरकारी स्कीम.

सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड

इसे RBI जारी करता है. इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष 2.5% के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज म‍िलता है. ब्याज का भुगतान हर 6 महीने में किया जाता है. इसमें निवेश की अवधि वैसे तो 8 साल है लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल पूरा होने के बाद भी पैसा निकाला जा सकता है. इसके अलावा आप इसे डिमैट के जरिए भी सेकंडरी मार्केट में खरीद-बेच सकते हैं.

RBI की फ्लेक्सी सेविंग बॉन्ड स्कीम्स

इसमें निवेश करने पर अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपको भी फायदा मिलेगा. इसमें पैसा जमा करने की कोई लिमिट नहीं है. हर 6 महीने में ब्याज दर बढ़ती है और 6 महीने पर ब्याज मिलता है. 1000 रुपए के मिनिमम अमाउंट से आप निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें टीडीएस कटता है यानी आप टैक्स में फायदा उठा सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना

अगर आपके घर में कोई 10 साल से छोटी लड़की हो तो इसमें जरूर निवेश करें. आप इसमें 10 साल के लिए निवेश करते हैं. इसे आप पोस्ट ऑफिस के जरिए खुलवा सकते हैं. इसमें अधिकतम 1.5 लाख का निवेश कर सकते हैं. ब्याज दर बढ़ने पर आपको भी लाभ होगा और टैक्स में भी छूट मिलेगी. यानी आपकी बेटी जब 19-20 साल की हो जाती है तब आपको एक लंपसम अमाउंट मिलता है.

नेशनल पेंशन स्कीम्स

कोई भी व्यक्ति सरकारी कर्मचारी हो या ना हो, कोई भी आम आदमी अपने वर्किंग लाइफ के दौरान पेंशन अकाउंट में नियमित रूप से निवेश कर सकता है. जमा हुए फंड के एक हिस्से को वह एक बार में निकाल भी सकता है और बची हुई राशि का इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन हासिल करने के लिए कर सकता है. व्यक्ति के निवेश और उस पर मिलने वाले रिटर्न से NPS अकाउंट बढ़ता है. NPS से फाइनल विड्रॉल पर 60% रकम टैक्‍स फ्री है. टैक्स पर छूट भी मिलती है तो ऐसी स्कीम में जरूर पैसा लगा सकते हैं

पर्सनल प्रोविडेंट फंड

PPF का अकाउंट का आप 500 रुपए से खोल सकते हैं. पीपीएफ में आप एक वित्त वर्ष तक 1.5 लाख रुपए जमा कर सकते हैं. पीपीएफ में निवेश 15 साल की अवधि के लिए किया जाता है लेकिन फायदा ये है कि निवेश के तीन साल बाद आप अपने पीपीएफ अकाउंट पर लोन ले सकते हैं. इसमें टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इसमें आप बैंक और पोस्ट ऑफिस के जरिए अकाउंट खुलवाकर निवेश कर सकते हैं.

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट

NSC में कम से कम 1000 रुपए का निवेश करना होता है. लेकिन कोई ऊपरी लिमिट नहीं है. एनएससी में 5 साल के लिए निवेश होता है और इससे पहले आप पैसा नहीं निकाल सकते. इसे आप बैंक और पोस्ट ऑफिस के जरिए अकाउंट खुलवाकर निवेश कर सकते हैं.

मोदी सरकार का खास उपहार- सरकारी कर्मचारियों के लिए,पढ़ें पूरी खबर

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भोपाल। मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मोदी सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा दिया गया है। इसके तहत केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है।

कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब यह सीमा बढ़ाकर कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन के बराबर होगी। खुलासे की पुरानी मौद्रिक सीमा 26 साल से अधिक पुरानी है।

https://www.patrika.com/bhopal-news/govt-jobs-will-ban-for-rss-supporters-in-mp-chhattisgarh-and-rajasthan-4101750/

वहीं इस आदेश की बात सामने आते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित विभिन्न जिलों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों ने इसका स्वागत किया है।

ये एक अच्छी पहल है। पहले एक निश्चित रकम जो काफी कम थी ज्यादा पैसा योजनाओं में लगाने पर उसकी तुरंत जानकारी देनी होती थी, लेकिन अब इस निवेश की सूचना तभी देनी होगी जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश छह माह के मूल वेतन को पार कर जाए।
- यू.रमेश, केंद्र सरकार के कर्मचारी

अब सामान्य निवेशों के संबंध में खुलासा नहीं करना होगा। यानि छह माह के मूल वेतन तक का निवेश कोई परेशानी कारक नहीं रहेगा। सरकार के इस नए नियम से सभी कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
- आरके शर्मा, सरकारी कर्मचारी

पहले छोटी सी रकम के निवेश पर भी सरकार के सामने इसका खुलासा करना पड़ता था, जिसके चलते कई प्रकार की परेशानियां होती थी, अब जब कि एक कैलेंडर साल में यह निवेश छह माह के मूल वेतन के आधार पर सीमा रखी गई है। तो ये कई लोगों के लिए सुविधाजनक होगी।
- एसएस चौबे, केंद्रीय कर्मचारी

ये है मामला.
दरअसल पहले के नियमों के अनुसार समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपए से अधिक का लेन-देन करने पर उसका खुलासा करना होता था। समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपए थी।

https://www.patrika.com/bhopal-news/all-benefits-that-you-can-get-from-modi-sarkar-4056052/

वहीं सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जाए। मंत्रालय ने इस बारे में केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है।

प्रशासनिक अधिकारी इस तरह के लेन-देन पर निगाह रख सकें इसके मद्देनजर सरकार ने कर्मचारियों को इस ब्योरे को साझा करने के बारे में प्रारूप भी जारी किया है।

सेवा नियम कहते हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता। सेवा नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की गई बार खरीद बिक्री की जाती है, तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जाएगा।

कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह शेयर ब्रोकर या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति के जरिये यदा कदा किए जाने वाले निवेश की अनुमति है।

अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए महसूस हुई है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ताजा खुलासा पहले से कर्मचारियों के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज या सीसीएस (कंडक्ट) नियम, 1964 के तहत खुलासे की जरूरत के अतिरिक्त होगा।

वहीं जानकारों की मानें तो सरकार का ये कदम कर्मचारियों को काफी हद तक राहत देगा। क्योंकि पूर्व में ऐसे छोटे छोटे निवेश भी सरकारी कर्मचारियों की परेशानी का विषय बन जाते थे। वहीं इसी के डर से कई बार कर्मचारी निवेश से भी कतराते थे, लेकिन इस नए नियम के बाद कर्मचारी बिना किसी डर क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं के खुलकर निवेश कर सकेंगे।

इस सरकारी कंपनी के शेयरों में निवेश करने वालों का ₹1 लाख ₹2.65 करोड़ में बदल गया

बीपीसीएल के शेयर की कीमत गुरुवार को एनएसई पर ₹331.80 थी। 4 बार बोनस शेयर के देने के कारण अबतक इस स्टॉक में बने रहने वाले निवेशक की कुल संपत्ति ₹1 लाख लगभग ₹2,65,45,327 या ₹2.65 करोड़ हो गई होगी।

इस सरकारी कंपनी के शेयरों में निवेश करने वालों का ₹1 लाख ₹2.65 करोड़ में बदल गया

स्टॉक में निवेश जुआ नहीं है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे शॉर्ट टर्म सेंटीमेंट से दूर रहें और अपने लॉन्ग टर्म कॉन्फिडेंस के साथ बने रहें, क्योंकि लंबी अवधि के निवेशक न केवल स्टॉक रैली से कमाते हैं, बल्कि कंपनियों के बोनस शेयर से भी कमाते हैं। ऐसा ही हुआ है भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों के साथ, जिनका 1 लाख रुपया 23 साल में ₹2.65 करोड़ हो गया।

धैर्य ने किया मालामाल

साधारण बोनस शेयर इश्यू के साथ लंबी अवधि के निवेशक का रिटर्न कैसे बदल जाता है, किसी को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड या बीपीसीएल बोनस शेयर इतिहास को देखने की जरूरत है। दिसंबर 2000 से कंपनी ने चार मौकों पर बोनस शेयरों की घोषणा की है। पिछले 23 वर्षों में BPCL ने दिसंबर 2000, जुलाई 2012, जुलाई 2016 और जुलाई 2017 में ट्रेड एक्स-बोनस शेयर किया। पहले तीन मौकों पर इसने 1:1 बोनस शेयरों की घोषणा की, जबकि 2017 में, BPCL ने 1:2 बोनस शेयरों की घोषणा की।


बीपीसीएल बोनस शेयर इतिहास

यदि किसी BPCL शेयरधारक के पास उसके पोर्टफोलियो में एक स्टॉक होता, तो क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं उसका 1 शेयर दिसंबर 2000 में 1:1 बोनस शेयर जारी होने के बाद 2 (1 x 2) हो जाता। बाद में, यह 4 (2 x 2) के कारण बदल गया होता। जुलाई 2012 में 1:1 बोनस शेयर जारी हुए। बीपीसीएल स्टॉक जुलाई 2016 में 1:1 बोनस शेयर जारी करने के बाद ये शेयर 8 (4 x 2) हो गए होंगे। इसी तरह, ये 8 बीपीसीएल स्टॉक 2017 में 1:2 बोनस शेयर जारी करने के बाद 12 (8 x 1.5) हो गए होंगे। इसलिए, 2000 के बाद से BPCL द्वारा घोषित 4 बार बोनस शेयर के कारण एक निवेशक की शेयरधारिता 12 गुना तक बढ़ गई।

बोनस शेयरों का निवेश पर प्रभाव

अगर किसी निवेशक ने अगस्त 2000 की शुरुआत में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता, तो उसे बीपीसीएल का एक शेयर लगभग ₹15 प्रति शेयर पर मिल जाता। अगस्त 2000 में BPCL शेयरों में ₹1 लाख का निवेश करने के बाद निवेशक को 6,667 BPCL शेयर मिल गए होंगे। ये 6,667 BPCL शेयर 2000 से अब तक बोनस शेयर जारी होने के कारण लगभग 8,000 BPCL शेयर बन गए होंगे।


23 वर्षों में ₹1 लाख ₹2.65 करोड़ में बदल गया

बीपीसीएल के शेयर की कीमत गुरुवार को एनएसई पर ₹331.80 थी। इसलिए अबतक इस स्टॉक में बने रहने वाले निवेशक की कुल संपत्ति ₹1 लाख लगभग ₹2,65,45,327 या ₹2.65 करोड़ हो गई होगी। इस अवधि में शेयर के भाव ₹15 से उछल कर ₹331.80 पर पहुंच गया। यानी लगभग 22.12 गुना की बढ़ोतरी। इसका मतलब है कि ₹1 लाख केवल ₹22.12 लाख में बदल गया होगा। वहीं अगर बोनस शेयरों को जोड़ लें तो ₹1 लाख से ₹2.65 करोड़ हो गया होगा।

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