अरबपति बनने के लिए

Real Life Success Story
Renuka Aradhya & Vicky Roy
Success पाने के लिए,किस्मत मुकद्दर हाथों की लकीर यह सब कमजोर सोच के Pillars हैं। जिन्हें अगर तुमने अपने Mind में बैठा लिया। तो फिर तुम्हारी Life की इमारत कभी मजबूत नहीं बन सकती। अरबपति बनने के लिए इन चुनोतियों का डटकर सामना करते हुए। success की सीढ़ी पर चढ़ने वाले ऐसे ही दो लोगो है। जिनकी real life success story से आप सभी को रूबरू करवा रहे है।
सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए और लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत।
Real Life Success Story- Renuka Aradhya
कौन कह सकता था।बचपन में घर-घर जाकर अनाज मांगने वाला लड़का। जो दसवीं कक्षा में फेल हो गया था।जिसके पास खुद एक रुपया नहीं था। वह आज 50 करोड़ की कंपनी का मालिक है। उनकी कंपनी की वजह से, हजारों लोगों के घर का चूल्हा जलता है। घनघोर गरीबी से निकलकर। आज अपना करोड़ों का साम्राज्य स्थापित करने वाले। इस शख्स की जिंदगी की कहानी। आज के युवा के लिए प्रेरणा सोत्र है।
संघर्षपूर्ण जीवन की शुरुआत
हम बात कर रहे हैं। 50 वर्षीय रेणुका आराध्य की। जो बेंगलुरु के नजदीक गोपासन्द्र गांव से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिताजी राज्य सरकार द्वारा आवंटित(allotted) मंदिर के पुजारी थे। हालांकि इसके लिए उन्हें, कोई तयशुदा वित्तीय मदद नहीं मिलती थी। पूजा के बाद वह और उनके पिताजी गांव में घूम-घूमकर दाल,चावल और आटा मांगा करते थे। उस मिले अरबपति बनने के लिए राशन को पास के बाजार में बेचा जाता है। उससे मिले पैसों से, बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा होता।
कक्षा 6 की पढ़ाई के बाद, उनके पिता ने उनको घरों में, नौकर के काम पर लगा दिया। जहां पर वह लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन धोने का काम किया करते थे। इसके बाद उनके पिता ने एक बुजुर्ग चर्म रोगी व्यक्ति के सेवा-सत्कार(अरबपति बनने के लिए services) के लिए लगा दिया। जहां पर वह उस बुजुर्ग को नहलाते-धुलाते।उनके शरीर मे मरहम(ointment) लगाया करते थे। इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया। सारी पारिवारिक जिम्मेदारियां उन पर ही आ गई। पढ़ाई-लिखाई में समय ना दे पाने के कारण, वह कक्षा 10 में फेल हो गए।
इसके बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।वह रुपए-पैसे कमाने के चक्कर में Adlabs में sweeper भी रहे। अलग-अलग जगहों पर मजदूरी भी की। उस समय वह कुछ बुरी संगत में फंस गए। उनकी आदत रोज शराब पीने व जुआ(gambling) खेलने की पड़ गई। लेकिन अपने पर नियंत्रण करके। उन्होंने यह सब को छोड़ दिया।फिर शादी करने का निर्णय लिया। 20 वर्ष की उम्र में, उन्होंने शादी की।
शादी के कुछ समय बाद, उनकी पत्नी को भी मजबूरी वश किसी कंपनी में helper का काम करना पड़ा। जिंदगी की इस मुश्किल भरी राह में। उन्हें पता नहीं कैसे-कैसे काम करने पड़े। जैसे प्लास्टिक बनाने के कारखाने में और श्याम सुंदर ट्रेडिंग कंपनी में मजदूर के रूप में काम किया।सिर्फ ₹600 के लिए एक सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम किया। सिर्फ ₹15 प्रति पेड़ की दर से नारियल के पेड़ पर चढ़ने वाले माली के रूप में। लेकिन कुछ बेहतर कर गुजरने की ललक ने, उनका कभी साथ नहीं छोड़ा। इसलिए उन्होंने कई बार खुद का भी काम करने का सोचा।
किसी तरह से 30,000 रुपए इकट्ठा किये। फिर bag, fridge और tv के कवर बेचने का कार्य शुरू किया।उनकी पत्नी घर पर सिलाई करती। वह बाजार में उन्हें बेचा करते थे। लेकिन यह काम भी उनका success नहीं हुआ। उनका सारा पैसा डूब गया।
वह कहते हैं न, जब तक असफलता के कांटे पैरों में नहीं चुभते। तब तक सफलता के फूल खिल ही नहीं सकते।इसलिए व्यक्ति असफल होने पर नहीं हारता। बल्कि हारता तो तब है। जब व्यक्ति success होने के लिए प्रयास करना ही छोड़ देता है। अधिकांश लोग असफल होने पर स्वयं को, निराशावादी बना ले लेते हैं। लेकिन जो व्यक्ति अंधेरे पथ पर भी दीपक बनकर रास्ता खोज लेता है। वास्तव में वही इंसान सफल और कर्मठ है।
Life Ka Turning Point
रेणुका जी के जीवन में, तब जाकर नए अध्याय की शुरुआत हुई। जब उन्होंने ड्राइवर बनने का, एक अहम फैसला लिया। तब उनके पास driving सीखने के भी पैसे नहीं थे। अपनी शादी की अंगूठी गिरवी रखकर। उन्होंने गाड़ी चलाने के लिए, Driving License प्राप्त किया। उसके बाद उन्हें ड्राइवर का एक जगह job मिला। लेकिन एक बार फिर unfortunately, उनके हाथों से एक दुर्घटना(accident) हो गई।जिसकी वजह से,उनकी नौकरी चली गई।
उसके बाद उन्होंने hospital में डेड-बॉडी के transportation का काम 4 साल तक किया। लेकिन पैसे कम मिलने के कारण, उन्होंने दूसरी कंपनी में काम करने का सोचा। जहां विदेशी पर्यटकों(tourist) को tour पर ले जाना होता। Tourist उन्हें Dollar में tip भी देते। रेणुका इन पैसों को जमा करने लगे। इन्हीं जमा पैसों और पत्नी के PF से रेणुका ने 2001 में पुरानी इंडिका कार खरीदी। इसकी कमाई से डेढ़ साल के भीतर ही, दूसरी गाड़ी खरीद ली। धीरे-धीरे 2006 तक उनके पास 5 गाड़ियां हो गई थी।
रेणुका जी ने खुद की City Safari के नाम से कंपनी भी शुरू कर ली। लेकिन कुछ बड़ा करने की चाहत, अभी पूरी कहां हुई थी। कहते हैं ना, किस्मत भी हिम्मत वालों का ही साथ देती है। ऐसा ही कुछ रेणुका के साथ हुआ। जब उन्हें यह पता चला कि Indian city taxi नाम की कंपनी बिकने वाली है। साल 2006 में उन्होंने इस कंपनी को ₹6,50000 में खरीद लिया। इसके लिए उन्हें अपनी कई कार भी बेचनी पड़ी थी। उन्होंने अपनी जिंदगी में यह सबसे बड़ा जोखिम(risk) उठाया। जो आज उन्हें कहां से कहां ले आया।
रतन टाटा से टेस्ला के मालिक तक अरबपति बनने की कहानी, कोई कंपनी में काम किया तो किसी ने कंप्यूटर गेम तक बेचा
आज जो भी करोड़पति-अरबपति आपको दिखाई देते हैं, उनमें से अधिकांश जीरो से हीरो बने थे। अपने कॅरियर की शुरुआत बिल्कुल नीचे से की थी। सभी अरबपति जन्म लेते ही अमीर नहीं थे। इन्हें काफी संघर्ष के बाद सफलता मिली, जो आम धारणा के विपरीत है।
अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि अरबपति का बेटा ही अरबपति बनता है, जबकि यह बात सब पर लागू नहीं होती। टाटा समूह के चेयरमैन एमिरेट्स रतन टाटा को ही लीजिए, जिन्होंने शुरुआती दिनों में एक आम कर्मचारी की तरह जमशेदपुर स्थित टाटा मोटर्स व टिस्को (टाटा स्टील) में नौकरी की थी। आइए, जानें कुछ अरबपतियों के बारे में…
1. एलोन मस्क
टेस्ला और स्पेसएक्स के मुख्य कार्यकारी को 1983 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपनी पहली नौकरी मिली और उन्होंने कंप्यूटर गेम बेचकर लगभग 500 डॉलर कमाए।
2. रतन टाटा
उद्योगपति अरबपति बनने के लिए रतन टाटा ने 1961 में टाटा स्टील, जमशेदपुर में नौकरी की। इसके पहले वह टाटा मोटर्स में नौकरी कर चुके थे। यहां वह एक आम कर्मचारी की तरह टेल्को स्थित जीटी हॉस्टल में रहा करते थे। टाटा स्टील में नौकरी करने के दौरान उनकी पहली जिम्मेदारी ब्लास्ट फर्नेस और चूना पत्थर का प्रबंधन करना था।
3. जेफ बेजोस
अरबपति और अमेज़न के मालिक बनने से पहले, जेफ बेजोस को मैकडॉनल्ड्स में फ्राई कुक के रूप में अपनी पहली नौकरी तब मिली, जब वह केवल 16 साल के थे। उन्होंने लगभग 2.69 डॉलर प्रति घंटे की कमाई की।
4. वारेन बफे
अरबपति टाइकून और बर्कशायर हैथवे के सीईओ, वॉरेन बफे को 1944 में द वाशिंगटन पोस्ट के लिए अखबार डिलीवरी मैन के रूप में पहली नौकरी मिली। उन्होंने उन दिनों हर महीने 175 डॉलर कमाए।
5. मार्क जुकरबर्ग
फेसबुक के सीईओ, मार्क जुकरबर्ग सिर्फ 18 साल के थे, जब उन्होंने हार्वर्ड जाने से अरबपति बनने के लिए पहले ही सिनैप्स नामक एक “संगीत सिफारिश” सॉफ्टवेयर विकसित किया था। उन्हें एप के लिए 1 मिलियन डॉलर की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
6. डो वोन चांग
फॉरएवर 21 के संस्थापक डो वोन चांग ने एक चौकीदार के रूप में काम किया और फैशन उद्योग में इसे बड़ा बनाने से पहले एक गैस स्टेशन पर कॉफी परोसी।
7. मार्क क्यूबा
स्वनिर्मित अरबपति मार्क क्यूबन ने 1970 में डोर-टू-डोर सेल्समैन के रूप में काम किया। उन्होंने सिर्फ 12 साल की उम्र में बास्केटबॉल के जूते की एक नई जोड़ी खरीदने के लिए कचरा बैग के बक्से बेचे। उन्होंने एक डेली में भी काम किया, जहां उन्होंने मांस काटा।
8. स्टीव जॉब्स
एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने अटारी के लिए वीडियो गेम निर्माता के रूप में अपना पहला टमटम उतारा।
9. जैक डोर्सी
ट्विटर और स्क्वायर के सीईओ जैक डोर्सी को 1991 में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपनी पहली नौकरी मिली। उस समय, उन्होंने प्रतिमाह लगभग 3,747 डॉलर कमाए।
10. इवान स्पीगल
स्नैपचैट के संस्थापक इवान स्पीगल ने रेडबुल प्रमोटर के रूप में काम किया, जब वह हाई स्कूल में थे। उस समय, उन्होंने प्रतिमाह लगभग 385 डॉलर कमाए।
11. बिल गेट्स
माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने हाईस्कूल में अपने वरिष्ठ वर्ष के दौरान टीआरडब्ल्यू के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में काम किया।
12. जियोर्जियो अरमानी
फैशन उद्योग में इसे बड़ा बनाने से पहले जियोर्जियो अरमानी ने 1957 में एक फोटोग्राफर के सहायक के रूप में काम किया और उन्होंने लगभग 1.38 डॉलर प्रति घंटे की कमाई की।
13. ओपरा विनफ्रे
प्रसारण में कदम रखने से पहले स्थानीय रेडियो स्टेशन के लिए समाचार पढ़ना ओपरा विनफ्रे ने किशोरी के रूप में एक किराने की दुकान में क्लर्क के रूप में काम किया।
14. धीरूभाई अंबानी
रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक, धीरूभाई अरबपति बनने के लिए अंबानी ने एक बार यमन में एक गैस स्टेशन पर काम किया और भारत लौटने से पहले अपने साम्राज्य का निर्माण किया।
अरबपति बनने के लिए
15. गौतम अडानी
1978 में अदानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी एक किशोर अवस्था में महेंद्र ब्रदर्स के लिए डायमंड सॉर्टर के रूप में काम करने के लिए मुंबई चले गए। उन्होंने अपनी हीरा फर्म स्थापित करने से पहले 2-3 साल तक वहां काम किया।
16. आनंद महिंद्रा
महिंद्रा समूह के अध्यक्ष, आनंद महिंद्रा ने 1981 में महिंद्रा यूजीन स्टील कंपनी लिमिटेड में वित्त निदेशक के कार्यकारी सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया।
देश की अगली अरबपति बनने वाली फाल्गुनी नायर का अभूतपूर्व सफलता सफर
छोटे छोटे कदमों से बाजार के दिग्गजों को चुनौती देते हुए आज ब्यूटी प्रोडक्ट नायका कंपनी अपने आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी में है। आईपीओ के लॉन्च होने के बाद नायका की संस्थापिका फाल्गुनी नायर अरबपति की लिस्ट में शामिल होने वाली महिला बन जाएंगी। उनका यह सफर आसान नहीं था।
घर का सामान, राशन, कपड़े जूते ऑनलाइन आते थे लेकिन अब बस एक क्लिक पर लिपिस्टक, काजल और मेकअप की तमाम चीजें भी आपके दरवाजे पर आ जाती हैं. बाजार में मेकअप के जो प्रॉडक्ट्स महंगे दामों पर बिकते हैं, ऑनलाइन साइट नायका पर वो अच्छे-खासे डिस्काउंट पर मिल जाते हैं। नायका की शुरुआत 2012 में फाल्गुनी नायर ने की थी। फाल्गुनी ने अहमदाबाद के 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट' से पढ़ाई की और फिर कोटक महिंद्रा बैंक में बतौर कैपिटल इनवेस्टमेंट मैनेजिंग डायरेक्टर काम किया. फाल्गुनी की ज़िंदगी सही चल रही थी. पैसा था, अच्छे ओहदे वाली नौकरी थी. पर वो संतुष्ट नहीं थीं, उन्हें अपनी अलग पहचान बनानी थी।
फाल्गुनी के घरवाले बहुत पैसे वाले नहीं थे, जिसे इन्वेस्ट करने के लिए परिवार से भारी रक़म मिलती, पर फाल्गुनी ने 2012 में ई-कॉमर्स वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड Nykaa.com की शुरुआत की. वेबसाइट का नाम नायका संस्कृत के शब्द नायका पर पड़ा है जिसका मतलब होता है ‘केंद्र बिंदु’ में। कई राउंड की फंडिंग के बाद नायका के लिए फंड इकट्ठा किया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में नायका ने 100 करोड़ रुपए का फंड स्टीडव्यू कैपिटल से हासिल किया अरबपति बनने के लिए था। इसके साथ ही नायका एक यूनिकॉर्न स्टार्टअप हो गया था जिसकी वैल्यू 85 अरब आई थी।
फाल्गुनी दो बच्चों की मां हैं. उनका मानना है कि औरतों को इस ख्याल से बाहर निकलना चाहिए कि अगर वे काम करेंगी तो उनकी पर्सनल लाइफ प्रभावित होगी।
क्या ऐसी किसी माँ या पिता को आप जानते है जो कुछ अनोखा कर रहे हैं? क्या आपको लगता है आपके पास ऐसी कोई रोचक या दिलचस्प कहानी हैं, जिसे #माँओंकेलिएखासखबर के अंतर्गत प्रकाशित किया जाना चाहिए? कृपया [email protected] पर हमें लिखे।
अरबपति हीरा कारोबारी की बेटी ने साध्वी बनने के लिए छोड़ी आलीशान जिंदगी
दरअसल, सादगी भरा जीवन जीना परिशी शाह को इतना अच्छा लगा कि इन्होंने सांसारिक मोह-माया त्याग कर साध्वी बनने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, इसकी तैयारी के लिए दीक्षा ग्रहण करने का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया है। खास बात ये है कि परिशी शाह के पिता हॉन्ग कॉन्ग में डायमंड के बड़े कारोबारी हैं और उनका अरबों का साम्राज्य है लेकिन इस सफल कारोबारी की बेटी को चमक दमक वाली दुनिया बहुत रास नहीं आई।
साध्वी बनने का फैसला लेने वाले परिशी शाह ने बताया कि जब वे भारत आई थीं, तब वे अपनी नानी संग डेरासर जो कि एक जैन मंदिर है वहां गईं और उन्होंने प्रवचन सुने। मंदिर में सुनाए गए प्रवचनों से वह अरबपति बनने के लिए काफी प्रभावित हुईं। प्रवचन सुनने के बाद से वे रेस्टोरेंट जाना और फिल्में देखना ही भूल गई हैं। परिशी शाह ने बताया कि प्रवचन सुनने के बाद वे अधिकतर साध्वी के प्रवचन सुनने लगीं और इस बीच उन्हें अलग ही तरह के आनंद की अनुभूति हुई। उन्होंने बताया कि साध्वी के बीच रहकर उन्हें यह अनुभूतु हुई कि खुशी व्यक्ति के अंदर ही समाहित होती है, जिसे लोग चकाचौंध की दुनिया में खोज रहे हैं। इस अलग अनुभूति के बाद ही परिशी ने साध्वी बनने का अहम फैसला लिया।