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Dattatreya Jayanti 2022: दत्तात्रेय जयंती कब? जानें विष्णु जी के अंश भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी रोचक जानकारी

Dattatreya Jayanti 2022 Date: दत्तात्रेय जयंती 7 दिसंबर 2022 बुधवार मनाई जाएगी. जानते हैं भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी कुछ खास बातें.

By: ABP Live | Updated at : 11 Nov 2022 12:43 PM (IST)

दत्तात्रेय जयंती 2022

Dattatreya Jayanti 2022 Date: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. भगवान दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अंश माने जाते हैं. इस साल दत्तात्रेय जयंती 7 दिसंबर 2022 बुधवार मनाई जाएगी. भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है. मान्यता है भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने और दर्शन-पूजन करने से मनुष्य की सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. आइए जानते हैं भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी कुछ खास बातें.

भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी खास बातें (Lord Dattatreya Facts)

  • श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के यहां हुआ था. दत्तात्रेय में तीनों देवों के रूप एवं गुरु दोनों ही समाहित हैं जिस कारण इन्हें श्री गुरुदेवदत्त और परब्रह्ममूर्ति सद्घुरु भी कहा जाता है. दत्तात्रेय के तीन सिर है जो सत,रज, तम का प्रतीक है. इनके छह हाथ यम नियंत्रण,नियम ,समानता,शक्ति और दया का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • भगवान दत्तात्रेय में शैव, वैष्णव और शाक्त, तंत्र, नाथ, दशनामी और इनसे जुड़े कई संप्रदाय का समावेश है. इनके प्रमुख तीन शिष्य थे दो यौद्धा जाति और एक असुर जाति से था. ये भगवान परशुराम के गुरु माने जाते हैं.
  • शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को दत्तात्रेय ने विद्याएं प्रदान की है. भक्त प्रह्लाद को शिक्षा-दीक्षा देकर श्रेष्ठ राजा बनाने का श्रेय भी भगवान दत्तात्रेय को जाता है. नागार्जुन को रसायन विद्या भी इन्हीं से प्रदान की है.
  • भगवान दत्तात्रेय की आराधना से ही गुरु गोरखनाथ को आसन, प्राणायम, मुद्रा और समाधि-चतुरंग योग का ज्ञान प्राप्त हुआ.

भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु

पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य, बालक, कुमारी, मीन, पिंगला, कुररपक्षी, कपोत, भृंगी, पतंग, भ्रमर, मधुमक्खी, गज, मृग, , सर्प, शरकृत, मकड़ी और अजगर, सिंधु. भगवान दत्तात्रेय का मानना था कि जहां से शिक्षा मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए. यही वजह है कि इस 24 गुरु से उन्होंने कई गुण प्राप्त किए.

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दत्तात्रेय जयंती पर क्या करें ?

शास्त्रोक्त में दत्त जयंती मनाने की कोई विधि नहीं है. इस त्योहार से पहले सात दिनों तक गुरुचरित्र का पाठ करने की प्रथा है. इसे गुरुचरित्र सप्ताह कहा जाता है. मान्यता है भगवान दत्त की पूजा और हवन करने से ज्ञान में वृद्धि होती है. ये त्योहार खासतौर पर महाराष्ट्रम में मनाया जाता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Published at : 11 Nov 2022 12:43 PM (IST) Tags: Dattatreya Jayanti 2022 Aghan purnima 2022 Lord Dattatreya Puja हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi

प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम : इस तकनीक से गन्ने की खेती पर 85 प्रतिशत की सब्सिडी

प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम : इस तकनीक से गन्ने की खेती पर 85 प्रतिशत की सब्सिडी

सरकार दे रही है टपका सिंचाई पर सब्सिडी, मिलेंगा अच्छा उत्पादन

गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है। नगदी फसलों में इस‌का स्थान प्रमुख है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका इस्तेमाल चीनी, गुड़, आदि के निर्माण में होता हैं। भारत में गन्ने की खेती काफी बडे पैमाने पर प्राचानी काल से ही होते आ रही है। देश की केंद्र और कई राज्य सरकारें गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे है। इसके लिए राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर योजनाएं भी चला रही है। इस क्रम में हरियाणा सरकार राज्य में गन्ना उत्पादन को बढ़ने के लिए एक योजना लेकर आई है, जिसके तहत टपका सिंचाई से गन्ने की खेती करने पर सब्सिडी दी जा रही है और साथ ही राज्य में गन्ना की खोई से एथेनॉल बनाने के लिए प्लांट का कार्य भी चल रहा है। क्योंकि भारत गन्ना उत्पादन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। जिस वजह से देश में गन्ने की मांग भी काफी अधिक रहती है। हरियाणा राज्य के कई क्षेत्रों में इसकी खेती मुख्य फसल के तौर पर की जाती है। जिसके लिए सरकार भी किसानों को बढ़ावा देती हैं।

गन्ना की खेती के लिए टपका सिंचाई पर 85 प्रतिशत सब्सिडी

गन्ना कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि गन्ने की पारंपरिक खेती में सिंचाई पुरानी तकनीक से की जाती है, जिस वजह से गन्ने की खेती में लागत अधिक होती है और उत्पादन कम आता है। लेकिन आज के इस आधुनिक दौर में नई सिंचाई तकनीक एवं मशीनों से इसकी खेती की लागत में कमी हुई है। किसानों को कम समय में क्वालिटी उत्पादन के लिए इसकी खेती में टपक सिंचाई यानि ड्रिप सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए प्रदेश सरकार ने गन्ना की खेती में टपक सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए ’प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम’ चलाई है, जिसके तहत किसानों को 85 प्रतिशत तक मुद्रा पूर्ण सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलाव किसानों को वाटर टैंक बनाने के लिए 75 से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी और सोलर पंप लगाने के लिए 75 फीसदी की सब्सिडी भी सरकार की तरफ से दी जा रही है। यदि आप भी ’प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम’ का लाभ लेने चाहते हैं, तो योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://micada.haryana.gov.in/home पर जाकर आवेदन कर लाभ उठा सकते हैं।

अच्छे उत्पादन के लिए टपका सिंचाई की सलाह देते है कृषि विशेषज्ञ

गन्ने के अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को इसकी खेती करने में कई तरह के चुनौती पूर्ण कार्य करने होते है, जिनमें गन्ने की बुुवाई से लेकर फसल निगरानी, उर्वरक, सिंचाई एवं कटाई तक में किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कई बार तो गन्ने के खेत में जलभराव होने से फसल भी खराब हो जाती है। इसलिए कृषि विशेषज्ञ गन्ने की खेती में सिंचाई के लिए टपका सिंचाई (ड्रिप सिंचाई) करने की सुझाव देते है। क्योंकि रिसर्च में सामने आया है कि गन्ने की फसलों में ड्रिप सिंचाई (टपका सिंचाई) करने से उनकी उत्पादकता और उत्पादन काफी बेहतर हो जाता है।

गन्ना खेती में ड्रिप सिंचाई पद्धति के फायदे

प्रदेश सरकार राज्य में सिंचाई की परंपरागत पद्धति के कारण भूमिगत जल के स्तर पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर किसानों को जारूक करने एवं कृषि के क्षेत्र में भूमिगत जल के दोहन को कम करने के लिए ’प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम की शुरूआत की है। इस योजना के तहत किसानों को ड्रिप के सही इस्तेमाल से जल की एक-एक बूंद को सिंचाई के काम में लेने के लिए जागरूक किया जाएंगा। किसानों को इसे अपनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से 85 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाएंगी। ड्रिप पद्धति से कम पानी में अधिक पैदावार लेना।

गन्ना फसलों में उतने ही जल एवं उर्वरक की करता है आपूर्ति

राज्य कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति के इस्तेमाल से समय और मजदूरी में होने वाला खर्च में कमी होती है। पौधों के जड़ क्षेत्र में पानी सदैव पर्याप्त मात्र में रहता है। इस सिंचाई विधि से जमीन में जल की मात्र उचित क्षमता स्थिति पर बनी रहने से पौधों में वृद्धि तेजी से और एक समान रूप से होती है। इस सिंचाई प्रणाली में अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने की क्षमता होती है। कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि इस विधि से गन्ना फसलों में उतने ही जल एवं उर्वरक की आपूर्ति की जाती है। जितनी फसल के लिए आवश्यक होती है।

गन्ने के ऊबड़-खाबड़ खेत में उपयोग में लाई जा सकती है ड्रिप सिंचाई

ड्रिप सिंचाई से ऊबड़-खाबड़ जमीन पर गन्नें खेती हेतु उपयोग में लाई जा सकती है। उत्पादकता और गुणवत्तारू इस सिंचाई पद्धति में पेड़-पौधों को प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी मिलता है। फलस्वरूप फसलों की बढ़ोतरी व उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है। इस सिंचाई विधि में कीटनाशकों एवं कवकनाशकों के धुलने की संभावना न के बराबर होती है। जिससे फसलों की पैदावार 50 प्रतिशत बढ़ जाती है। पारम्परिक सिंचाई की तुलना में इस सिंचाई पद्धति से 70 प्रतिशत तक जल की बचत की जा सकती है। एवं यह सिंचाई पद्धति खरपतवार नियंत्रण में अत्यन्त ही सहायक होती है। क्योंकि सीमित सतह नमी के कारण खरपतवार कम उगते हैं। जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए यह सिंचाई विधि अत्यन्त ही लाभकर होती है। टपका सिंचाई से जल के साथ-साथ उर्वरकों को अनावश्यक बर्बादी से रोका जा सकता है। एवं गन्ने की फसल की तीव्र वृद्धि होती है, फलस्वरूप फसल शीघ्र परिपक्व होती है।

केंद्र सरकार देती है ड्रिप सिंचाई सिस्टम पर अनुदान

राज्य के कृषि एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि टपका सिंचाई के लिए राज्य एवं केंद्र कृषि विभाग दोनों मिलकर किसानों को टपका सिंचाई के लिए 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी देती है। यह सब्सिडी केंद्र सरकार की पीएम सिंचाई योजना के तहत दी जाती है। इसमे केन्द्र सरकार का हिस्सा 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 प्रतिशत होता है। बता दें कि केन्द्र सरकार अपनी इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला किसानों को 55 प्रतिशत तथा अन्य काश्तकारों के लिए 45 प्रतिशत अनुदान देती है।

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डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है और कैसे हुई इतनी मज़बूत

डॉलर

बैंकों और आयातकों के बीच डॉलर की भारी मांग के कारण ये गिरावट आ रही है. विदेशी मुद्रा के कारोबारियों का कहना है कि अमरीका और चीन में जारी ट्रेड वॉर के कारण रुपया दबाव में है और एक डॉलर ख़रीदने के लिए 72.03 रुपए देने पड़ रहे हैं. सोमवार को चीन की मुद्रा में भी भारी गिरावट दर्ज की गई थी. शुक्रवार को रुपया 71.66 पर बंद हुआ था.

आख़िर अमरीकी डॉलर दुनिया भर में इस क़दर मज़बूत क्यों है? डॉलर की मांग ज़्यादा क्यों रहती है? और दुनिया के सभी देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर को ही क्यों रखते हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब से आप रुपए की कमज़ोरी और डॉलर की मज़बूती को समझ सकते हैं.

अमरीकी मुद्रा डॉलर की पहचान एक वैश्विक मुद्रा की बन गई है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर और यूरो काफ़ी लोकप्रिय और स्वीकार्य हैं. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 फ़ीसदी अमरीकी डॉलर होते हैं.

ऐसे में डॉलर ख़ुद ही एक वैश्विक मुद्रा बन जाता है. डॉलर वैश्विक मुद्रा है और यह उसकी मज़बूती और अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त का प्रतीक है.

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 करेंसी हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मुद्राओं का इस्तेमाल अपने देश के भीतर ही होता है. कोई भी मुद्रा दुनिया भर में किस हद तक प्रचलित है यह उस देश की अर्थव्यवस्था और ताक़त पर निर्भर करता है.

दुनिया की दूसरी ताक़तवर मुद्रा यूरो है, जो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 19.9 फ़ीसदी है.

ज़ाहिर है डॉलर की मज़बूती और उसकी स्वीकार्यता अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त को दर्शाती है. कुल डॉलर के 65 फ़ीसदी डॉलर का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है.

दुनिया भर के 85 फ़ीसदी व्यापार में डॉलर की संलिप्तता है. दुनिया भर के 39 फ़ीसदी क़र्ज़ डॉलर में दिए जाते हैं. इसलिए विदेशी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है.

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डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है

1944 में ब्रेटनवुड्स समझौते के बाद डॉलर की वर्तमान मज़बूती की शुरुआत हुई थी. उससे पहले ज़्यादातर देश केवल सोने को बेहतर मानक मानते थे. उन देशों की सरकारें वादा करती थीं कि वह उनकी मुद्रा को सोने की मांग के मूल्य के आधार पर तय करेंगे.

न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स में दुनिया के विकसित देश मिले और उन्होंने अमरीकी डॉलर के मुक़ाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया. उस समय अमरीका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था. इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी.

1970 की शुरुआत में कई देशों ने डॉलर के बदले सोने की मांग शुरू कर दी थी, क्योंकि उन्हें मुद्रा स्फीति से लड़ने की ज़रूरत थी. उस समय राष्ट्रपति निक्सन ने फ़ोर्ट नॉक्स को अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर दिया.

तब तक डॉलर दुनिया की सबसे ख़ास सुरक्षित मुद्रा बन चुका था.

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दुनिया की एक मुद्रा की बात उठी

दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

मार्च 2009 में चीन और रूस ने एक नई वैश्विक मुद्रा की मांग की. वे चाहते हैं कि दुनिया के लिए एक रिज़र्व मुद्रा बनाई जाए 'जो किसी इकलौते देश से अलग हो और लंबे समय तक स्थिर रहने में सक्षम हो, इस प्रकार क्रेडिट आधारित राष्ट्रीय मुद्राओं के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को हटाया जा सकता है.'

चीन को चिंता है कि अगर डॉलर की मुद्रा स्फीति तय हो जाए तो उसके ख़रबों डॉलर किसी काम के नहीं रहेंगे. यह उसी सूरत में हो सकता है जब अमरीकी कर्ज़ को पाटने के लिए यूएस ट्रेज़री नए नोट छापे. चीन ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से डॉलर की जगह नई मुद्रा बनाए जाने की मांग की है.

2016 की चौथी तिमाही में चीन की युआन दुनिया की एक और बड़ी रिज़र्व मुद्रा बनी थी. 2017 की तीसरी तिमाही तक दुनिया के केंद्रीय बैंक में 108 अरब डॉलर थे. यह एक छोटी शुरुआत है, लेकिन भविष्य में इसका बढ़ना जारी रहेगा.

इसी कारण चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में व्यापार के लिए पूरे तरीक़े से इस्तेमाल हो. यह ऐसा होगा जैसे डॉलर की जगह युआन को वैश्विक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाए. इसके लिए चीन अपनी अर्थव्यवस्था को सुधार रहा है.

2007 में फेडरल रिज़र्व के चेयरमैन एलेन ग्रीनस्पैन ने कहा था कि यूरो डॉलर की जगह ले सकता है. 2006 के आख़िर तक दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में यूरो 25 फ़ीसदी हो गया था जबकि डॉलर 66 फ़ीसदी था. दुनिया के कई इलाक़ों में यूरो का प्रभुत्व भी है. यूरो इसलिए भी मज़बूत है क्योंकि यूरोपीय यूनियन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.

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आज का राशिफल व पंचांग : 16 नवम्बर, 2022, बुधवार

राजेन्द्र गुप्ता आज और कल का दिन खास
16 नवम्बर : श्रीकालभैरव अष्टमी आज।
17 नवम्बर : लाला लाजपतराय की पुण्यतिथि कल।

आज का राशिफल
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16 नवम्बर, 2022, बुधवार
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मेष राशि : आज दिन भर आप कार्य में जुटे रहेंगे। बावजूद इसके आप थकान महसूस नहीं करेंगे। शारीरिक रूप से आज खुद को आप बेहतर महसूस करेंगे। जीवनसाथी से तनाव हो सकता है। बहस करने से बचें। आज किसी भूखे व्यक्ति को अपने हाथों से खाना खिलाना आपके लिए शुभ है।

वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों के लिए दिन अच्छा है लेकिन गुस्से की अधिकता रहेगी। आज कार्यों की अधिकता रहेगी लेकिन उनके मुताबिक जोधन आपको प्राप्त होगा वह उम्मीद से कम ही रहेगा। आज कम धन में ही आपके सभी कार्य पूर्ण हो जाएंगे। आज जीवनसाथी से मन की बातें करें।

मिथुन राशि : मिथुन राशि वालों के लिए आज का दिन सामान्य से अच्छा है। आज शाम को परिवार के साथ घूमने जा सकते हैं। अगर निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो दिन सही है। आज किसी को भी पैसा उधार देने से बचें। आज आपके रुके हुए कार्यों में गति आएगी। स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है।

कर्क राशि : आज आप यथार्थ में जिएं। दरअसल जो आप सोच रहे हैं हकीकत उससे अलग है। आज आपके ऐसे काम बनेंगे जो भविष्य तक धन लाभ देते रहेंगे। व्यापारियों के लिए सामान्य लाभ के योग दिखाई दे रहे हैं। आज किसी को भी बिना पूछे सलाह देना आपके लिए उचित नहीं है। दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप ना करें।

सिंह राशि : आज आपको वाहन चलाते समय थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है। सावधानी बरतें सड़क पार करते समय भी सावधान रहें। आज खर्च के योग आपकी राशि में दिखाई दे रहे हैं। आशियाना खरीदना चाहते हैं तो आज भाग्य आपके साथ है। आज मन में चंचलता बनी रहेगी।

कन्या राशि : आज स्वास्थ्य सुधार के योग दिखाई दे रहे हैं। खर्च के योग भी आपकी राशि में आज बने हुए हैं। बेवजह खर्च करने से बचें उन वस्तुओं की खरीदारी करने से बचे जिनकी बहुत आवश्यकता आपको नहीं है। आज आपके पास समय की कोई कमी नहीं रहेगी। परिवार को भी समय देना जरूरी है

तुला राशि : शाम तक कोई भी बड़ा निर्णय लेने से बचें। दिन की शुरुआत अशुभ योग के साथ हो रही है। इसलिए दोपहर तक कोई भी ऐसा निर्णय ना करें जो आपके भविष्य को प्रभावित करता हो। दोपहर बाद आपके हित में फैसले होने वाले हैं। आज आपको अचानक यात्रा करनी पड़ सकती है।

वृश्चिक राशि : आज परिवार में किसी बुजुर्ग की सेहत बिगड़ सकती है। इसलिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उदासी से बाहर आएं और खुश रहें। आज आपके चेहरे पर प्रसन्नता बेहद आवश्यक है। इससे ही आज आपके सारे कार्य पूर्ण होने वाले हैं। प्रसन्नता से ही आज आप दूसरों को प्रभावित कर पाएंगे।

धनु राशि : आज लेनदेन से आपको बचना चाहिए। आज किसी को भी उधार पैसा देने से बचें। कार्य क्षेत्र में भी आज मधुरता बनाए रखें। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ सकता है। गुस्से से बचने की आवश्यकता है। आज प्रिय से आपको भरपूर प्रेम मिलने वाला है। आज लालच में कोई भी निर्णय करने से बचें।

मकर राशि : आज कार्यक्षेत्र के तनाव को घर लेकर ना पहुंचे। इससे विवाद हो सकते हैं जब आप घर पहुंचे तो प्रसन्न मुद्रा के साथ ही जाएं। आज बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान देना आवश्यक है। अगर आप की शादी अभी तक नहीं हुई है तो आज विवाह के प्रस्ताव भी आपके लिए आने के योग दिखाई दे रहे हैं।

कुम्भ राशि : आर्थिक लेन-देन के मामलों में सचेत रहना होगा। आज अचानक यात्रा आपको करनी पड़ सकती है लेकिन इससे तनाव बढ़ेगा। जल्दबाजी न करें रफ्तार से बचें। आज जीवन साथी से मन की बातें करें। परिवार के सदस्यों को समय दें। आज परिवार में किसी बुजुर्ग व्यक्ति की हालत बिगड़ सकती है।

मीन राशि : आज आप खुद को रिलैक्स महसूस करेंगे अचानक यात्रा के योग आपकी राशि में दिखाई दे रहे हैं। मित्रों के साथ कहीं घूमने जा सकते हैं परिवार के साथ कहीं घूमने आप जा सकते हैं। अगर आप बिजनेस करते हैं तो आज आपके व्यापार और बिजनेस में वृद्धि होने के योग दिखाई दे रहे हैं।

आज का पंचांग
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16 नवम्बर 2022, बुधवार
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तिथि अष्टमी पूर्ण रात्रि
नक्षत्र आश्लेषा 06:59 PM
करण बालव 06:59 PM
पक्ष कृष्ण
योग ब्रह्म 01:06 AM
वार बुधवार
सूर्योदय 06:44 AM
सूर्यास्त 05:27 PM
चन्द्रमा कर्क 06:59 PM
राहुकाल 12:05 – 01:26 PM
विक्रमी संवत् 2079
शक सम्वत 1944 (शुभकृत)
मास मार्गशीर्ष
शुभ मुहूर्त
अभीजित 11:44 – 12:27 PM

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

ईडी की कार्यवाही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी

वेबडेस्क। भारतीय अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगाडने मे सबसे ज्यादा प्रभाव ऐसे अज्ञात धन संग्रह का है जिसके संरक्षक देष के ही भीतर सफेद पोष धारण वाले नेता या मंत्री हो या फिर सफेद काॅलर वाले उद्योगपति या ब्यूरोके्रटस। लेकिन लगातार जाॅच एजेन्सी के छापे या धरपकड इस बात का प्रमाण है कि काला धन वापसी मे वर्तमान सरकार अपनी प्रतिबद्वता से लगातार बढ रही है। हालांकि कभी कभी आरोप सरकार पर भी उनके रवैये को लेकर या जाॅच या छापे की कार्यवाही की टाईमिंग को लेकर लगते है, जोकि जायज भी है, क्योंकि इतने बडे लोकतंत्र की सरकार को चलाना है, तो कडे फैसले लेने ही पडते है और घर की सफाई जब होती है तो घर के लोगो के साथ साथ आस पडोसियो को भी तकलीफ उठाना पडती है। काॅकरोच मारने की दवाई छिडकी है तो काॅकरोच जान बचाने के लिए इधर उधर भागेंगे और माहौल खराब भी करेंगें।

वर्ष 2014 मे काला धन वापसी को लेकर सवोच्च न्यायालय के आदेष के बावजूद भी पूर्व की यूपीए सरकार न तो उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आगे पुर्नविचार याचिका तक डाली थी कि उक्त समिति के गठन को कैसे भी करके रोका जाए, क्योंकि यूपीए सरकार जानती थी कि, उक्त समिति उनके लिए ज्यादा घातक सिद्व होगी। किन्तु वर्तमान एनडीए सरकार ने वर्ष 2014 मे सरकार बनाते ही सबसे पहले उक्त समिति के गठन को लेकर कदम उठाया। तब से लेकर आजतक मोदी सरकार नितनए कडे कानून लाकर एनजीओ की विदेषी फंडिग पर लगाम कस रही है। साथ ही साथ भारत की अर्थव्यवस्था को विष्वस्तर की मंदी के भारी दौर मे भी मजबूती के साथ प्रदर्षन सुधारने मे लगातार प्रयासरत है।

किन्तु जब सरकार अपनी जाॅच एजेंसियों को कर चोरी एवं भ्रष्टाचार के द्वारा काला धन संचय करने वालो के खिलाफ कार्यवाही करने की खुली छूट देती है, तो उन एजेन्सियो के दुरूपयोग करने का आरोप विपक्षी राजनैतिक दल मडने लगते है। इन सभी आरोपो के मध्य दो बाते उभरकर सामने आती है कि, एक तो सरकार अपने निर्णय पर प्रतिबद्वता से आगे बढ मुद्रा पूर्ण मुद्रा पूर्ण रही है क्योेकि मजबूत जनतंत्र के परिणामस्वरूप पूर्ण बहुमत उसके पास है। दूसरा जो जाॅच एवं अनुसंधान एजेन्सियाॅ 2014 के पूर्व से सुसुप्त अवस्था मे थी, उनको भी सरकार ने जामवन्त की भूमिका निभाकर हनुमानजी की भांति उनकी षक्तियो से परिचित कराया है। ऐसी ही एक एजेन्सी है श्प्रवर्तन निदेषालयश् इन्फोर्समेन्ट डायरेक्टरेट, (ईडी), जोकि आजकल पूरे देष मे सबसे ज्यादा चर्चा मे है। ईडी की कार्यप्रणाली पर सबसे ज्यादा विपक्ष हो हल्ला मचा रही है और उसके दुरूप्योग का आरोप सत्ता दल पर लगा रही है। लेकिन ईडी की सक्रियता उसका दुरूप्योग कहलाएगा या अब उसके सही तरीके के उपयोग मे होने का परिचय देगा। ये भारत की जनता भविष्य मे तय करेगी।

ईडी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत राजस्व विभाग की एक एक जाॅच एजेन्सी है जोकि विषेषकर धनषोधन संबंधी अपराध एवं विदेषी मुद्रा कानूनो के उल्लंघन की जाॅच करती है। ईडी की कानूनी कार्यवाही धनषोधन निवारण अधिनियम 2022 (च्डस्।), विदेषी मुद्रा प्रबंधन अधियिम 1999 (थ्म्ड।), भगोडा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 (एफ.ई.ओ.ए), विदेषी मुद्रा विनियमन अधिनियम 1973 (थ्म्ड।) एवं विदेषी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियो की रोकथाम अधिनियम 1974 (सी ओ एफ पी ओ एस ए) संबंधी कानूनो के उल्लंघन संबंधी अपराध की जाॅच एजेन्सी है।

उक्त सभी कानूनो मे से केवल भगोडा आर्थिक अपराधी अधिनियम (थ्म्व्।) कानून 2018 मे वर्तमान सरकार द्वारा, यह सोचकर बनाया कि ऐसे आर्थिक अपराधी जो भारत के भीतर बडे बडे अपराध करके भारतीय न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर विदेषो मे भाग गए है, उनकी भारत से बाहर भागने से रोकने के लिए एवं उनकी सम्पत्तियो को कुर्क करके भारत सरकार मे षामिल करने का अधिकार देती है। बाकि सभी कानून वर्ष 2014 के पूर्व यानि की यूपीए के कार्यकाल के समय भी प्रभावषील थे, किन्तु न तो ईडी को उसकी षक्तियो के अनुरूप कार्य करने के लिए स्वतंत्रता थी ओैर न ही ईडी द्वारा 2014 के पूर्व इतनी सक्रियता दिखाई, इसलिए देष की जनता इतनी षक्तिषाली जाॅच एजेन्सी से बेखबर थी। ईडी की षक्तियो को कम करने या कहे तो षक्तिविहीन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विपक्ष एवं उसके समर्थित लोगो या ईडी का षिकार हुए लोगो द्वारा लगभग 200 से ज्यादा याचिका प्रस्तुत की। जिसका निराकरण करते हुए एस.एल.पी (क्रिमिनल) क्रमांक 4634/2014, श्विजय मदनलाल चैधरी विरूद्ध भारत सरकारश् के मामले मे, दिनंाक 27 जुलाई 2022 को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ईडी के विरूद्ध लामबंद हुई तमाम षक्तियो को आईना दिखा दिया और ईडी की देषभर एवं विदेषो मे की जा रही कार्यवाही को न्यायपालिका की मोहर भी सवोच्च न्यायालय मे लगा दी। न्यायालय ने इस निर्णय मे धारा 5, 8(4), 15, 17 एवं 19 धन षोधन निवारण अधिनियम 2002 (च्डस्।) की वैधता को पुष्ट करते हुए कहा कि, श्ईडी एक ऐसी जाॅच एजेन्सी है जिसके च्डस्। 2002 के कानून के अनुसार धन षोधन (मनी लोड्रिंग) रोकने या धन षोधन के परिणामस्वरूप अर्जित सम्पत्ति को पता लगाने हेतु अनुसंधान करने की विस्तृत षक्ति प्राप्त है एवं ईडी को उक्त धन षोधन से अर्जित सम्पत्ति को जप्त करने का भी पूर्ण अधिकार प्राप्त है। साथ ही साथ ऐसे आर्थिक आपराधियो के विरूद्ध मुकदमा चलाने का भी पूर्ण अधिकार प्राप्त है।

सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय ने, न सिर्फ ईडी की विष्वसनीयता को प्रमाणित किया, बल्कि सरकार की काले धन लाने की दृढ इच्छा षक्ति पर आधारित कार्यवाही पर भी मुहर लगाई, क्योंकि च्डस्। कानून 2002 मे बना था किन्तु इसे कभी भी 2014 के पूर्व अमल मे लाया गया हो ऐसा मामला प्रकाष मे कभी भी नही आया। अब इसी सक्रियता को राजनैतिक विरोध स्वरूप मे विपक्ष द्वारा देखा जा रहा है, जो इस देष के लिए कतई उचित नही है, क्योंकि ये कानून और ईडी एजेन्सी पूर्व मे भी थी और आगे भी रहेगी और सरकार इनका बेहतर इस्तेमाल पूर्व मे भी कर सकती थी और भविष्य मे भी कर पाएगी और वर्तमान मे तो भरपूर इस्तेमाल हो ही रहा है, क्योंकि वर्तमान सरकार ने जामवन्त जैसी भूमिका निभाते हुए ईडी को उसकी षक्तियाॅ याद दिला दी है। लोकतंत्र मे कोई भी सर्वषक्तिमान नही होता है, यदि कोई कार्यवाही ईडी द्वारा पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर करी भी जाती है तो पीडित व्यक्ति के पास न्याायालय के सामने जाने का रास्ता हमेषा खुला हुआ है।

हालांकि उक्त फैसले के विरूद्ध एक बार फिर ईडी की षक्तियो से घबराकर कुछ सामाजिक संगठन ने पुनः विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट मे प्रस्तुत की है, जो सर्वोच्च न्यायायालय ने केवल दो बिन्दुओ पर सुनवाई हेतु लंबित रखा है। प्रथम की च्डस्। कानून मे म्ब्प्त् (म्दवितबमउमदज बंेम पदवितउंजपवद तमवचवतज) की प्रति अपराधी को देने का प्रावधान नही है। दूसरा च्डस्। कानून मे अपराध को सिद्व करने का भार अपराधी पर ही होता है। जबकि भारतीय कानून व्यवस्था मे अपराध न्याय षासन मे अपराध सिद्व करने का भार सदैव ही अभियोजन पक्ष पर होता है। अब इस देष की जनता को ही तय करना है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हो रही कार्यवाही मे ईडी की जाॅच एजेन्सियाॅ नेताओ और भ्रष्ट अधिकारियो के खिलाफ जो मुहिम छेड रखी है। वह इस देष के हित मे है कि नही, क्योंकि अभी तक ईडी जैसी एजेन्सी के बारे मे जनता ने केवल सुन रखा था किन्तु उनका भरपूर इस्तेमाल होते हुए अब देखा जा रहा है।

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