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व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद

व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद
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दिल्ली में बढ़े लॉकडाउन का कैट ने किया स्वागत, व्यापारियों को मिले आर्थिक सहायता

दिल्ली के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कैट ने राजधानी के अंदर लॉकडाउन बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है. बता दें कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 17 मई 2021 की सुबह 5 बजे तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाने का एलान किया है. साथ ही लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में मेट्रो सेवा भी बंद रहेगी.

नई दिल्ली: वर्तमान समय में देश की राजधानी दिल्ली के अंदर काफी तेज गति के साथ कोरोना महामारी के मामले सामने आए हैं. जिसको देखते हुए राजधानी दिल्ली के हालात काफी ज्यादा भयावह बने हुए हैं. कोरोना के मरीजों को सुविधाएं मिलने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

इसी बीच दिल्ली सरकार के जरिए लॉकडाउन को 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. अगले एक हफ्ते राजधानी दिल्ली के अंदर मेट्रो भी नहीं चलेगी. जिसकी घोषणा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोपहर 12:00 बजे डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके की. लॉकडाउन बढ़ाने के दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कैट ने इसे एक सही निर्णय बताया है.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने 6 मई 2021 को दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक संगठनों से परामर्श करने के बाद दिल्ली में लॉकडाउन आगे बढ़ाने की मांग मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर की थी. इसी को लेकर प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि वर्तमान में दिल्ली में जिस तरह से लॉकडाउन किया जा रहा है, वह काफी चिंताजनक है. दिल्ली में बिना किसी चेकिंग के लोगों की सड़कों पर आवाजाही पूर्व की तरह जारी है. किसी भी लॉकडाउन में न केवल दुकानों बल्कि आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की गतिविधियों को बंद रखा जाना जरूरी है.

इसके साथ ही दिल्ली की सभी सीमाओं पर दिल्ली में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति या वाहन को सख्त जांच के बाद ही दिल्ली में प्रवेश देना चाहिए. हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अंतरराज्यीय बस स्टेंड्स पर सख्त सतर्कता की आवश्यकता है. दिल्ली में कोविड की श्रृंखला को तोड़ने के लिए जब तक इन कदमों को प्रभावी तरीके से नहीं उठाया जाएगा, तब तक कोरोना श्रंखला को तोड़ना मुश्किल है.

प्रवीन व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद खंडेलवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि जिस तरह उन्होंने अन्य क्षेत्रों के लिए वित्तीय एवं अन्य सहायताओं की घोषणा की है. उसी प्रकार दिल्ली के व्यापारियों को भी वित्तीय सहायता दिया जाना बेहद जरूरी है.

दिल्ली में पिछले तीन हफ्ते से दुकानें और बाजार बंद हैं और व्यापारियों को पैसे की कोई आमदनी नहीं है. जबकि परिवार की आवश्यकताओं और व्यापार में कर्मचारियों के वेतन, बिजली के बिल, पानी के बिल, संपत्ति कर, ईएमआई के भुगतान, ऋणों पर ब्याज के रूप में व्यापारियों के जरिए धन का खर्चा लगातार जारी है. चूंकि व्यापारी सरकार के लिए कर संग्रहकर्ता हैं, इसलिए हमें सरकार से ऐसी वित्तीय सुविधाओं की मांग करने का अधिकार है.

व्यापारियों-उद्यमियों को वित्तीय मदद देंगे बैंक

16 शीर्ष बैंकों के वरीय पदाधिकारियों ने मंगलवार को जूम एप के जरिए कोल्हान के उद्यमियों और व्यापारियों के साथ वेब मीटिंग की। इसमें प्रमुख रूप से लघु कुटीर, एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) को लॉकडाउन के.

व्यापारियों-उद्यमियों को वित्तीय मदद देंगे बैंक

16 शीर्ष बैंकों के वरीय पदाधिकारियों ने मंगलवार को जूम एप के जरिए कोल्हान के उद्यमियों और व्यापारियों के साथ वेब मीटिंग की। इसमें प्रमुख रूप से लघु कुटीर, एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) को लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान के बाद उन्हें जीवंत करने के लिए वित्तीय मदद के बारे में चर्चा की गई। व्यापारी, उद्यमी एवं बैंकिंग पदाधिकारियों के बीच प्रश्नोत्तरी भी हुआ, जिसमें हर प्रकार की जिज्ञासा का समाधान किया गया।

सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने एलडीएम जी श्रीनाथ मूर्ति की उपस्थिति में बैंक ऑफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक तथा एमएसएमई प्रमुख राजेश कुमार, स्टेट बैंक के सहायक महाप्रबंधक एसके झा समेत बैंकों के वरीय पदाधिकारियों ने संबोधित किया और केन्द्र सरकार के कोविड-19 के मद्देनजर योजनाओं की जानकारी दी। भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक पैकेज की राशि 20 लाख करोड़ में से 3 लाख करोड़ एमएसएमई के लिए आवंटित है।

ये रहे शामिल : कार्यक्रम में स्वागत भाषण चैम्बर अध्यक्ष अशोक भालोटिया ने किया। संचालन उपाध्यक्ष (व्यापार एवं वाणिज्य) विजय आनंद मूनका ने किया। चैम्बर की ओर से निवर्तमान अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया, महासचिव भरत वसानी, उपाध्यक्ष मानव केडिया, नितेश धूत, दिनेश चौधरी, सचिव अनिल मोदी, महेश सोंथालिया, राजीव अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष दिलीप गोलछा ने भी बातें रखीं और कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सचिव (व्यापार एवं वाणिज्य) सत्यनारायण अग्रवाल ने किया। इसमें बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद इंडिया, झारखंड ग्रामीण बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, आईडीबीआई बैंक, कोटक बैंक, व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद कॉरपोरेशन बैंक और फेडरल बैंक लिमिटेड के अधिकारी शामिल हुए।

दो तरह की लोक स्कीम

एक : आरंभिक 6 महीने तक सिर्फ ब्याज

एमएसएमई को डिमांड लोन के तहत वर्किंग कैपिटल का 10 प्रतिशत इमरजेंसी लोन दिया जा रहा है। यह लोन 24 महीने के लिए होगा, जिसे पहले 6 महीने में केवल ब्याज चुकाना है। बाकी 18 महीने में ब्याज और मूलधन चुकाना होगा। इसके तहत एक आवेदन से लोन मिल जाएगा।

दो : एक साल तक मूलधन चुकाने से छूट

केन्द्र सरकार द्वारा गारंटेड सीईपीएल व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद के तहत 29 फरवरी 2020 तक की जो लोन राशि बैंक के साथ है, उसका 20 प्रतिशत 48 महीने के लिए लोन के तहत मिलेगा। इसमें पहले 12 महीने केवल ब्याज चुकाना होगा तथा बाकी बचे 36 महीने में ब्याज तथा मूलधन चुकाना होगा।

बिज़नेस 20 लाख करोड़ का पैकेज, व्यापारियों को मिले 6 शून्य !

Ten thousand rupees assistance to 50 million ready tracks

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उपेक्षा से व्यापारियों में आक्रोश

मुंबई. मोदी सरकार ने हर वर्ग को कोरोना महामारी के संकट में राहत प्रदान करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का ‘महापैकेज’ घोषित तो किया, लेकिन यह राहत पैकेज नहीं बल्कि व्यापारियों को छलावा मात्र लग रहा है. क्योंकि राहत के नाम पर इस पैकेज में उन्हें कुछ नहीं मिला है. जबकि दो महिनों से कारोबार बंद होने के बावजूद जरूरतमंदों की मदद कर रहे सभी व्यापारियों को सरकार से बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. व्यापारियों को ऐसा लग रहा है कि जैसे 20 लाख करोड़ रुपए (20,00000 करोड़ रुपए) के 6 शून्य उन्हें दिए गए हैं. शीर्ष व्यापारिक महासंघ ‘कैट’ ने भारत के 7 करोड़ व्यापारियों की ओर से सरकार के खिलाफ गहरी निराशा और आक्रोश व्यक्त किया है. संगठन इस मामले में प्रधानमंत्री के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेगा.

व्यापारियों के साथ सौतेला व्यवहार : प्रवीन खंडेलवाल

‘कैट’ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि व्यापारी वर्ग देश में बड़ा रोजगार प्रदाता है, लेकिन आज देश का पूरा व्यापारिक समुदाय सरकार की घोर उपेक्षा से बेहद नाराज़ है. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर व्यापारियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा है और यहां तक कि जोखिम उठाकर भी खुदरा विक्रेताओं ने कोरोना योद्धाओं के रूप में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की है. फिर भी आर्थिक पैकेज को लेकर व्यापारियों को एकदम से नकारे जाने से हर व्यापारी को बेहद पीड़ा है और आज देश भर के व्यापारी सरकार के इस सौतेले व्यवहार पर अपना विरोध दर्ज कराते हैं. बहुप्रतीक्षित आर्थिक पैकेज तैयार करते समय सरकार द्वारा व्यापारियों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है. क्या सरकार की निगाहों में व्यापारियों का यही मूल्यांकन है?

20% व्यापारियों को बंदी का खतरा : शंकर ठक्कर

‘कैट’ के मुंबई अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि वित्तमंत्री ने आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय व्यापारियों की पूरी तरह से अनदेखी की है. लॉकडाउन उठाने पर व्यापारी भारी वित्तीय संकट में आ जाएंगे. क्योंकि उन्हें वेतन, ब्याज, बैंक ऋण, टैक्स और विभिन्न वित्तीय दायित्वों का भुगतान करना होगा और यदि सरकार द्वारा व्यापारियों के व्यवसाय की सुरक्षा नहीं की तो यह आशंका है कि लगभग 20% व्यापारियों को अपना व्यवसाय बंद करना होगा. ऐसी विकट स्थिति के तहत सरकार ने व्यापारियों को सहायता देने से इनकार कर दिया है. यह अफ़सोस की बात है कि अर्थव्यवस्था के ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की घोर अनदेखी की गई है.

4.6 करोड़ कर्मचारियों की आजीविका संकट में : कुमार राजगोपालन

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अंतर्गत आर्थिक प्रोत्साहन के तौर पर उठाए गए कदमों से देश को दीर्घकालिक रूप से मदद मिलेगी, लेकिन रिटेल क्षेत्र के सामने आने वाले चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया है. रिटेल क्षेत्र भारत की खपत में लगभग 40% और जीडीपी में 10% का योगदान देता है, लेकिन कोरोना काल में संकट में आ रहा है. रिटेल विक्रेताओं को वेतन देने के लिए आर्थिक मदद, कार्यशील पूंजी के मूलधन और ब्याज के भुगतान पर 6 महिनें मोरेटोरियम की आवश्यकता थी. परंतु पैकेज में कुछ नहीं दिया गया है. कुछ उपाय जैसे भुगतान के लिए टीडीएस दरों में कमी या ईपीएफ योगदान में 2% की कमी ‘प्यासे को बूंद’ जैसे अप्रभावी उपाय हैं. सरकार द्वारा एमएसएमई को दी गई राहत के उपाय भी रिटेल विक्रेताओं की मदद नहीं करते हैं. क्योंकि रिटेल एमएसएमई क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है. रिटेलर्स को रोजगार बनाए रखने के लिए अपने हाथों में कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है, इसके अभाव में बहुत से व्यवसाय बंद हो जाएंगे और 4.6 करोड़ प्रत्यक्ष कर्मचारियों की आजीविका और नौकरियों को खतरे में आ सकती है. जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा.

Lockdown से व्यापारियों की हालत खराब, बोले- केजरीवाल सरकार टैक्स का पैसा मुफ्त नहीं बांट सकती, हमें भी मदद चाहिए

CAIT On Lockdown: कोरोना महामारी की दूसर लहर से देश के व्यापारी भी काफी चिंतित हैं. कारोबारी गतिविधियां थमने का असर देश के 8 करोड़ व्यापारियों पर पड़ा है. दिल्ली में लॉकडाउन के चलते अब व्यापारियों का धैर्य जवाब देने लगा है. ट्रेडर्स ने अब केजरीवाल सरकार से मदद देने की मांग की है.

व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद: CAIT

CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने दिल्ली सरकार के 17 मई, 2021 तक लॉकडाउन बढ़ाने व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद के फैसले को सही दिशा में लिया गया कदम बताया है. मगर खंडेलवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि जिस तरह उन्होंने अन्य क्षेत्रों के लिए वित्तीय और दूसरी सहायताओं की घोषणा की है उसी तरह दिल्ली के व्यापारियों को भी वित्तीय सहायता दिया जाना बेहद जरूरी है.

‘टैक्सपेयर्स का पैसा मुफ्त में नहीं बांट सकते’

खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में पिछले तीन हफ्ते से दुकानें और बाजार बंद हैं और व्यापारियों को पैसे की कोई आमदनी नहीं है जबकि परिवार की आवश्यकताओं और व्यापार में कर्मचारियों के वेतन, बिजली के बिल, पानी के बिल, संपत्ति कर, EMI के भुगतान, कर्जों पर ब्याज के रूप में व्यापारियों का खर्चा लगातार जारी है. व्यापारी सरकार के लिए टैक्स कलेक्टर है, इसलिए हमें सरकार से ऐसी वित्तीय सुविधाओं की मांग करने का अधिकार है. करदाताओं से पैसे लेकर उस पैसे को दूसरे लोगों को मुफ्त में देने या उनकी मदद करने के नाम पर खर्च नहीं किया जा सकता लिहाजा व्यापारियों को भी उनके हक़ की वित्तीय सहायहता अवश्य मिलनी चाहिए.

6.25 लाख करोड़ का बिजनेस का नुकसान

राज्‍य सरकारों ने कोविड की इस दूसरी लहर की रफ्तार को घटाने के लिए कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी हैं. CAIT का कहना है कि कारोबा‍र नहीं होने से 8 करोड़ व्यापारियों पर इसका असर पड़ा है. CAIT के मुताबिक, अप्रैल 2021 के दौरान कारोबारियों को 6.25 लाख करोड़ रुपये के व्‍यापार का नुकसान हुआ है. कैट का दावा है कि उसने 8 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 40 हजार से ज्यादा संगठनों से ये डाटा जुटाया है.

PM मोदी को चिट्ठी, नेशनल लॉकडाउन की मांग

दूसरी तरफ CAIT ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर नेशनल लॉकडाउन लगाने की भी मांग की है. CAIT ने रविवार को पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद कि कोरोना पर काबू करने के लिए जिस तरह पिछली साल कड़ा लॉकडाउन लगाया गया था, वैसा ही लॉकडाउन अब लगाने की जरूरत है. CAIT का कहना है कि वो पीएम मोदी की इस बात का समर्थन करते हैं कि लॉकडाउन आखिरी विकल्प होना चाहिए लेकिन करी 4 लाख केस रोजाना एक चिंताजनक बात है. दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बीते तीन हफ्तों से लॉकडाउन है, जिसका असर दिख रहा है, यहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है.

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