क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
भारत में निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने के मामले में यह दूसरे नंबर पहुंच गया है। दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है। इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है। इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है। जहां इनकी कीमत डिमांड और सप्लाई के हिसाब से तय होती है। जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब प्रॉफिट मिले तो बेच सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है। इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें। आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है।
एक्सचेंज फीस
क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है। भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है। ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है। फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है। क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं। इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है ।
नेटवर्क फीस
क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है। ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं। एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह तय करना इन माइनर्स का काम है। एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है। अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है। आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है। लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो। जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है। माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए फीस दी जाती है।
वॉलेट फीस
क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है। अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है। यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है। अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं।
क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है।
तो दोस्तों ये हमने आज बात की इन 3 चार्जेज की जो आपको चुकाने होंगे जब आप क्रप्टो में डील करेंगे।
Cryptocurrency में निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
Cryptocurrency को लेकर कितना भी रिसर्च कर लें, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही रिस्की है. ऐसे में निवेशकों को डिजिटल करेंसी में उतना ही निवेश करना चाहिए, जितना वह खोने को तैयार है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर निवेशकों में, खासकर युवा निवेशकों में क्रेज क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए काफी बढ़ा है. जैसे-जैसे इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है, क्रिप्टो स्कैम (Crypto Scam) भी बढ़ रहे हैं. अभी तक अपने देश में इसे रेग्युलेट नहीं किया गया है. ऐसे में किसी भी डिजिटल असेट (Digital Currency) को लेकर किए जा रहे विज्ञापन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए. एडवर्टाइजिंग काउंसिल ASCI ने इस संबंध में एक गाइडलाइन भी जारी है. गाइडलाइन के मुताबिक, 1 अप्रैल 2022 से क्रिप्टो और दूसरे डिजिटल असेट्स के विज्ञापनों के लिए डिस्क्लेमर डालना जरूरी है. डिस्क्लेमर में लिखा होगा कि डिजिटल करेंसी अभी भारत में रेग्युलेटेड नहीं है और इसमें निवेश करना खतरनाक है.
bitsCrunch के फाउंडर और सीईओ विजय प्रवीण का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी पर रिटर्न ज्यादा मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए हैं. ऐसे में निवेशकों को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. अपने देश में क्रप्टोकरेंसी के 10 करोड़ से ज्यादा निवेशक हैं. रिसर्च और जागरूकता के अभाव में ये निवेशक भ्रामक विज्ञापन के शिकार बन जाते हैं और मेहनत की जमा-पूंजी गंवा देते हैं. उन्होंने डिजिटल असेट के निवेशकों के लिए पांच खास टिप्स दिए हैं.
क्रिप्टोकरेंसी बहुत रिस्की इन्वेस्टमेंट है. इसमें निवेश करने से पहले अच्छे से रिसर्च करना जरूरी है. क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में अच्छी जानकारी हासिल करने के बाद ही इसमें निवेश का फैसला लें. रिसर्च के दौरान आपको तमाम जानकारी हासिल होगी. आपको यह भी पता चलेगा कि इसमें कब निवेश करना चाहिए. किन फैक्टर्स का असर इसकी कीमत पर होता है.
रिसर्च के दौरान अपने लिए कुछ क्रिप्टोकरेंसी का सलेक्शन करें. निवेश के लिहाज से ज्यादा संख्या में डिजिटल करेंसी का चुनाव नहीं करें. करेंसी का चुनाव करने के बाद उसके बारे में सभी जानकारी हासिल करे. क्रिप्टो एक्सचेंज के बार में भी जानकारी हासिल करना जरूरी है. ब्लूचिप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने पर रिस्क कम होगा, साथ ही पॉप्युलर क्रिप्टो एक्सचेंज की मदद से निवेश करने पर स्कैम से बचने की संभावना बढ़ जाती है.
क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो एक्सचेंज का संचालन किसके द्वारा किया जा रहा है यह जानकारी भी जरूरी है. डिजिटल असेट का संचालन कौन टीम कर रही है, उसके बारे में जानकारी हासिल करें. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन के जरिए उसकी वास्तविकता और विश्वसनीयता के बारे में भी जानकारी हासिल करें.
क्रिप्टो निवेशकों के लिए Tokenomics का ज्ञान बहुत जरूरी है. क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में यह पॉप्युलर टर्म है. आसान भाषा में इसे क्रिप्टो इकोनॉमिक्स कह सकते हैं. टोकोनॉमिक्स की मदद से आप क्रिप्टोकरेंसी की डिमांड और सप्लाई क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए का मैकेनिज्म बेहतर समझ सकते हैं. इसमें क्वॉलिटी, प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन भी शामिल होता है. किसी भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले यह समझें कि डिमांड और सप्लाई का खेल किस तरह चल रहा है. उदाहरण के तौर पर बिटक्वॉइन का 21 मिलियन टोकन क्वॉइन ही है. अब तक 90 फीसदी टोकन माइन किया जा चुका है. माना जा रहा है कि 2140 के बाद बिटक्वॉइन की सप्लाई बंद हो क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए जाएगी.
विजय प्रवीण का ये भी कहना है कि इतना सबकुछ करने के बावजूद, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही रिस्की है. ऐसे में निवेशकों को डिजिटल करेंसी में उतना ही निवेश करना चाहिए, जितना वह खोने को तैयार है. आपके पोर्टफोलियो में इसका वेटेज ज्यादा नहीं होना चाहिए.
क्या क्रिप्टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए के जवाब
Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।
1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की घोषणा
सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की भी घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल मुद्रा में लेनदेन के विवरण को कैप्चर करना है। विभिन्न बाजार विश्लेषकों ने डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने को क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक दर्जा मिलने की प्रस्तावना के रूप में देखा। हालांकि, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाले लाभ पर कर लगाने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके नियमन या वैधता पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
RBI की नज़र में यह आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा
केंद्र सरकार भले ही इस करेंसी को लेकर अभी बंदिशें नहीं लगा रही हो लेकिन आरबीआई की नज़र में यह देश की माली हालत के लिए ठीक नहीं है। फरवरी माह में ही मौद्रिक नीति की घोषणाओं के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि "निजी क्रिप्टोकरेंसी भारत की वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा हैं, साथ ही आरबीआई की इससे निपटने की क्षमता भी है। निवेशकों को यह बताना मेरा कर्तव्य है कि वे क्रिप्टोकरेंसी में क्या निवेश कर रहे हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन क्रिप्टोकरेंसी में कोई संपत्ति नहीं है।
सरकार चाहती है सामूहिक प्रयास हों
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि तकनीक लगातार विकसित और बदल रही है। बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टो विनियमन पर परामर्श चल रहा है और नियामक दस्तावेज को अंतिम रूप देने के बाद क्या कानूनी है, क्या स्पष्ट नहीं होगा।
बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी के लिए राह मुश्किल
दूसरी तरफ वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी निविदा नहीं बनेगी। सोमनाथन ने कहा कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा जो कभी भी डिफॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगी। हम डिजिटल रुपये के साथ गैर-डिजिटल संपत्ति खरीद सकते हैं जैसे हम अपने वॉलेट या यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान करके आइसक्रीम या अन्य चीजें खरीदते हैं।
सरकार नहीं कर सकती मूल्य को अधिकृत
सोमनाथन के अनुसार क्रिप्टो संपत्ति ऐसी संपत्ति है जिसका मूल्य दो लोगों के बीच निर्धारित किया जाता है, आप सोना, हीरा और क्रिप्टो संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन उस मूल्य को सरकार द्वारा अधिकृत नहीं किया जाएगा।निजी क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि इसके पास सरकार का प्राधिकरण नहीं क्या आपको क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपका निवेश सफल होगा या नहीं, किसी को पैसा गंवाना पड़ सकता है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। हालांकि, वित्त सचिव ने स्पष्ट किया कि जो चीजें कानूनी नहीं हैं, उनका मतलब यह नहीं है कि वे अवैध हैं। अगर क्रिप्टोकुरेंसी के लिए विनियमन आता है तो यह कानूनी निविदा नहीं होगी।"
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कब तक पैसा रखना है सही, क्या है एक्सपर्ट्स की राय
News18 हिंदी 2 दिन पहले News18 Hindi
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नई दिल्ली. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स आमतौर पर किसी अन्य निवेश विकल्प जैसे बैंक एफडी या गोल्ड से बेहतर माने जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये कम समय में आपको अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. शेयर मार्केट पर आधारित होने के कारण बेशक इसमें रिटर्न हमेशा एक जैसा नहीं रहता है लेकिन अगर म्यूचुअल फंड्स का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो मिड से लेकर लॉन्ग टर्म तक इसमें किया गया निवेश नुकसान नहीं कराता है.
हालांकि, ऐसा भी नहीं हो सकता कि आप लगातार फंड्स में पैसा लगाए रहें. अगर आप मुनाफे के साथ पैसा निकालेंगे नहीं तो म्यूचुअल फंड्स में निवेश का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. तो क्या इसका मतलब है कि आपको कभी भी म्यूचुअल फंड से बाहर निकल जाना चाहिए? जानकारों के अनुसार, ऐसी कुछ परिस्थतियां बनती हैं जब फंड से बाहर निकलने में ही आपकी भलाई होती है. आज हम जमा वेल्थ (निवेश सलाहकार फर्म) के सीईओ और संस्थापक राम कल्याण मेदुरी द्वारा सुझाई गईं ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताएंगे जब आप अपना पैसा इक्विटी फंड्स से निकाल सकते हैं.
फंड आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना बंद कर दें
आप किसी फंड में एक निश्चित लक्ष्य और धारणा के साथ प्रवेश करते हैं. अगर वह म्यूचुअल फंड आपके द्वारा तय कुछ मानकों पर खरा उतरना बंद कर दे तो आपको वहां से निकल जाना चाहिए. आप कुछ समय तक उस फंड में बने रहकर चीजें देख सकते हैं लेकिन लंबी अवधि के लिए वहां रहना सही फैसला नहीं होगा.
गवर्नेंस संंबंधी मामला
अगर आपको लगता है कि आपका फंड इनसाइडर ट्रेडिंग या फिर फ्रंट-रनिंग जैसे कामों में लिप्त है तो भी आपको वहां से निकल जाना चाहिए. गौरतलब है कि हाल के दिनों में फंड्स में इस तरह के मामले बढ़े हैं जिसकी वजह से सेबी को अब इन्हें भी इनसाइडर ट्रेडिंग के अंदर लाना पड़ गया है.
पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग
अगर आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ बदलाव करना चाह रहे हैं तो संभव है कि आपको कहीं से पैसा निकालकर कहीं दूसरी जगह लगाना पड़े. ऐसे में आप किसी फंड में से अपना पैसा निकाल सकते हैं.
किसी जरूरी के काम में पैसों की जरूरत
अगर आपके जीवन में ऐसी कोई परिस्थिति आ गई जहां किसी जान बचाने के लिए आपको पैसों की बहुत अधिक जरूरत हो तब भी आप फंड से बाहर निकल सकते हैं. अंतत: निवेश और बचत का मकसद आपके बुरे समय में काम आना ही है.